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अवधी में कहावतें और कहावत

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अवधी में कहावतें और कहावत के बीच अंतर

अवधी में कहावतें vs. कहावत

अवधी हिंदी क्षेत्र की एक उपभाषा है। यह उत्तर प्रदेश मे अवधी क्षेत्र लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, लखीमपुर, फैजाबाद, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, इलाहबाद तथा फतेहपुर, मिरजापुर, जौनपुर आदि कुछ अन्य जिलों में भी बोली जाती है। अवधी भाषा की कहावते उत्तर प्रदेश के अवध क्षेत्र के ग्रामीण लोक जीवन में अत्यधिक प्रचलित हैं। कहावत आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाले उस वाक्यांश को कहते हैं, जिसका सम्बन्ध किसी न किसी कहानी या पौराणिक कथाओ से जुड़ा हुआ होता है। कहीं कहीं इसे मुहावरा अथवा लोकोक्ति के रूप में भी जानते हैं। प्रायः ये कहावते एक भाषा के कहावतों को अन्य भाषाओं के द्वारा मूल या बदले हुये रूप में अपना भी लिया जाता है। . कहावत आम बोलचाल में इस्तेमाल होने वाले उस वाक्यांश को कहते हैं जिसका सम्बन्ध किसी न किसी पौराणिक कहानी से जुड़ा हुआ होता है। कहीं कहीं इसे मुहावरा अथवा लोकोक्ति के रूप में भी जानते हैं। कहावतें प्रायः सांकेतिक रूप में होती हैं। थोड़े शब्दों में कहा जाये तो "जीवन के दीर्घकाल के अनुभवों को छोटे वाक्य में कहना ही कहावतें होती हैं।" जिस प्रकार से अलंकार काव्य के सौन्दर्य को बढ़ा देता है उसी प्रकार कहावतों का प्रयोग भाषा के सौन्दर्य को बढ़ा देता है। बोलचाल की भाषा में कहावतों के प्रयोग से वक्ता के कथन के प्रभाव में वृद्धि होती है और साहित्यिक भाषा में कहावतों के प्रयोग से साहित्य की श्रीवृद्धि होती है। प्रायः एक भाषा के कहावतों को अन्य भाषाओं के द्वारा मूल या बदले हुये रूप में अपना भी लिया जाता है। श्रेणी:भाषा श्रेणी:साहित्य श्रेणी:कहावत.

अवधी में कहावतें और कहावत के बीच समानता

अवधी में कहावतें और कहावत आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): मुहावरा, कहानी

मुहावरा

मुहावरा मूलत: अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है बातचीत करना या उत्तर देना। कुछ लोग मुहावरे को ‘रोज़मर्रा’, ‘बोलचाल’, ‘तर्ज़ेकलाम’, या ‘इस्तलाह’ कहते हैं, किन्तु इनमें से कोई भी शब्द ‘मुहावरे’ का पूर्ण पर्यायवाची नहीं बन सका। संस्कृत वाङ्मय में मुहावरा का समानार्थक कोई शब्द नहीं पाया जाता। कुछ लोग इसके लिए ‘प्रयुक्तता’, ‘वाग्रीति’, ‘वाग्धारा’ अथवा ‘भाषा-सम्प्रदाय’ का प्रयोग करते हैं। वी०एस० आप्टे ने अपने ‘इंगलिश-संस्कृत कोश’ में मुहावरे के पर्यायवाची शब्दों में ‘वाक्-पद्धति', ‘वाक् रीति’, ‘वाक्-व्यवहार’ और ‘विशिष्ट स्वरूप' को लिखा है। पराड़कर जी ने ‘वाक्-सम्प्रदाय’ को मुहावरे का पर्यायवाची माना है। काका कालेलकर ने ‘वाक्-प्रचार’ को ‘मुहावरे’ के लिए ‘रूढ़ि’ शब्द का सुझाव दिया है। यूनानी भाषा में ‘मुहावरे’ को ‘ईडियोमा’, फ्रेंच में ‘इंडियाटिस्मी’ और अंग्रेजी में ‘ईडिअम’ कहते हैं। मोटे तौर पर जिस सुगठित शब्द-समूह से लक्षणाजन्य और कभी-कभी व्यंजनाजन्य कुछ विशिष्ट अर्थ निकलता है उसे मुहावरा कहते हैं। कई बार यह व्यंग्यात्मक भी होते हैं। मुहावरे भाषा को सुदृढ़, गतिशील और रुचिकर बनाते हैं। मुहावरों के प्रयोग से भाषा में अद्भुत चित्रमयता आती है। मुहावरों के बिना भाषा निस्तेज, नीरस और निष्प्राण हो जाती है। हिन्दी भाषा में बहुत अधिक प्रचलित और लोगों के मुँहचढ़े वाक्य लोकोक्ति के तौर पर जाने जाते हैं। इन वाक्यों में जनता के अनुभव का निचोड़ या सार होता है। .

अवधी में कहावतें और मुहावरा · कहावत और मुहावरा · और देखें »

कहानी

कथाकार (एक प्राचीन कलाकृति)कहानी हिन्दी में गद्य लेखन की एक विधा है। उन्नीसवीं सदी में गद्य में एक नई विधा का विकास हुआ जिसे कहानी के नाम से जाना गया। बंगला में इसे गल्प कहा जाता है। कहानी ने अंग्रेजी से हिंदी तक की यात्रा बंगला के माध्यम से की। कहानी गद्य कथा साहित्य का एक अन्यतम भेद तथा उपन्यास से भी अधिक लोकप्रिय साहित्य का रूप है। मनुष्य के जन्म के साथ ही साथ कहानी का भी जन्म हुआ और कहानी कहना तथा सुनना मानव का आदिम स्वभाव बन गया। इसी कारण से प्रत्येक सभ्य तथा असभ्य समाज में कहानियाँ पाई जाती हैं। हमारे देश में कहानियों की बड़ी लंबी और सम्पन्न परंपरा रही है। वेदों, उपनिषदों तथा ब्राह्मणों में वर्णित 'यम-यमी', 'पुरुरवा-उर्वशी', 'सौपणीं-काद्रव', 'सनत्कुमार- नारद', 'गंगावतरण', 'श्रृंग', 'नहुष', 'ययाति', 'शकुन्तला', 'नल-दमयन्ती' जैसे आख्यान कहानी के ही प्राचीन रूप हैं। प्राचीनकाल में सदियों तक प्रचलित वीरों तथा राजाओं के शौर्य, प्रेम, न्याय, ज्ञान, वैराग्य, साहस, समुद्री यात्रा, अगम्य पर्वतीय प्रदेशों में प्राणियों का अस्तित्व आदि की कथाएँ, जिनकी कथानक घटना प्रधान हुआ करती थीं, भी कहानी के ही रूप हैं। 'गुणढ्य' की "वृहत्कथा" को, जिसमें 'उदयन', 'वासवदत्ता', समुद्री व्यापारियों, राजकुमार तथा राजकुमारियों के पराक्रम की घटना प्रधान कथाओं का बाहुल्य है, प्राचीनतम रचना कहा जा सकता है। वृहत्कथा का प्रभाव 'दण्डी' के "दशकुमार चरित", 'बाणभट्ट' की "कादम्बरी", 'सुबन्धु' की "वासवदत्ता", 'धनपाल' की "तिलकमंजरी", 'सोमदेव' के "यशस्तिलक" तथा "मालतीमाधव", "अभिज्ञान शाकुन्तलम्", "मालविकाग्निमित्र", "विक्रमोर्वशीय", "रत्नावली", "मृच्छकटिकम्" जैसे अन्य काव्यग्रंथों पर साफ-साफ परिलक्षित होता है। इसके पश्‍चात् छोटे आकार वाली "पंचतंत्र", "हितोपदेश", "बेताल पच्चीसी", "सिंहासन बत्तीसी", "शुक सप्तति", "कथा सरित्सागर", "भोजप्रबन्ध" जैसी साहित्यिक एवं कलात्मक कहानियों का युग आया। इन कहानियों से श्रोताओं को मनोरंजन के साथ ही साथ नीति का उपदेश भी प्राप्त होता है। प्रायः कहानियों में असत्य पर सत्य की, अन्याय पर न्याय की और अधर्म पर धर्म की विजय दिखाई गई हैं। .

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अवधी में कहावतें और कहावत के बीच तुलना

अवधी में कहावतें 22 संबंध है और कहावत 2 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 8.33% है = 2 / (22 + 2)।

संदर्भ

यह लेख अवधी में कहावतें और कहावत के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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