अवधारणा और प्रतिबिम्ब
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अवधारणा और प्रतिबिम्ब के बीच अंतर
अवधारणा vs. प्रतिबिम्ब
अवधारणा या संकल्पना भाषा दर्शन का शब्द है जो संज्ञात्मक विज्ञान, तत्त्वमीमांसा एवं मस्तिष्क के दर्शन से सम्बन्धित है। इसे 'अर्थ' की संज्ञात्मक ईकाई; एक अमूर्त विचार या मानसिक प्रतीक के तौर पर समझा जाता है। अवधारणा के अंतर्गत यथार्थ की वस्तुओं तथा परिघटनाओं का संवेदनात्मक सामान्यीकृत बिंब, जो वस्तुओं तथा परिघटनाओं की ज्ञानेंद्रियों पर प्रत्यक्ष संक्रिया के बिना चेतना में बना रहता है तथा पुनर्सृजित होता है। यद्यपि अवधारणा व्यष्टिगत संवेदनात्मक परावर्तन का एक रूप है फिर भी मनुष्य में सामाजिक रूप से निर्मित मूल्यों से उसका अविच्छेद्य संबंध रहता है। अवधारणा भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त होती है, उसका सामाजिक महत्व होता है और उसका सदैव बोध किया जाता है। अवधारणा चेतना का आवश्यक तत्व है, क्योंकि वह संकल्पनाओं के वस्तु-अर्थ तथा अर्थ को वस्तुओं के बिम्बों के साथ जोड़ती है और हमारी चेतना को वस्तुओं के संवेदनात्मक बिम्बों को स्वतंत्र रूप से परिचालित करने की संभावना प्रदान करती है। . जब हम किसी वस्तु को दर्पण से सामने रखतें हैं तो वस्तु से चलने वाली प्रकाश किरणे दर्पण के तल से परावर्तित होकर हमारी आंखों पर पड़ती है जिससे हमे वस्तु की आक्र्ति दिखाई देती हैं। इस आक्रति को ही वस्तु का प्रतिबिम्ब कहते हैं। श्रेणी:प्रकाश.
अवधारणा और प्रतिबिम्ब के बीच समानता
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संदर्भ
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