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अवध और बेगम हज़रत महल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अवध और बेगम हज़रत महल के बीच अंतर

अवध vs. बेगम हज़रत महल

अवध अवध वर्तमान उत्तर प्रदेश के एक भाग का नाम है जो प्राचीन काल में कोशल कहलाता था। इसकी राजधानी अयोध्या थी। अवध शब्द अयोध्या से ही निकला है। अवध की राजधानी प्रांरभ में फैजाबाद थी किंतु बाद को लखनऊ उठ आई थी। अवध पर नवाबों का आधिपत्य था जो प्राय: स्वतंत्र थे, क्योंकि अवध के नवाब शिया मुसलमान थे अत: अवध में इसलाम के इस संप्रदाय को विशेष संरक्षण मिला। लखनऊ उर्दू कविता का भी प्रसिद्ध केंद्र रहा। दिल्ली केंद्र के नष्ट होने पर बहुत से दिल्ली के भी प्रसिद्ध उर्दू कवि लखनऊ वापस चले आए थे। अवध की पारम्परिक राजधानी लखनऊ है। भौगोलिक रूप से अवध की आधुनिक परिभाषा - लखनऊ, सुल्तानपुर, रायबरेली, उन्नाव, कानपुर, भदोही, इलाहाबाद, बाराबंकी, फैजाबाद, प्रतापगढ़, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, हरदोई, लखीमपुर खीरी, कौशाम्बी, सीतापुर, श्रावस्ती, बस्ती, सिद्धार्थ नगर, खलीलाबाद, उन्नाव, फतेहपुर, कानपुर, (जौनपुर, और मिर्जापुर के पश्चिमी हिस्सों), कन्नौज, पीलीभीत, शाहजहांपुर से बनती है। . बेगम हज़रत महल (नस्तालीक़:, 1820 - 7 अप्रैल 1879), जो अवध (अउध) की बेगम के नाम से भी प्रसिद्ध थीं, अवध के नवाब वाजिद अली शाह की दूसरी पत्नी थीं। अंग्रेज़ों द्वारा कलकत्ते में अपने शौहर के निर्वासन के बाद उन्होंने लखनऊ पर क़ब्ज़ा कर लिया और अपनी अवध रियासत की हकूमत को बरक़रार रखा। अंग्रेज़ों के क़ब्ज़े से अपनी रियासत बचाने के लिए उन्होंने अपने बेटे नवाबज़ादे बिरजिस क़द्र को अवध के वली (शासक) नियुक्त करने की कोशिश की थी; मगर उनके शासन जल्द ही ख़त्म होने की वजह से उनकी ये कोशिश असफल रह गई। उन्होंने 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के ख़िलाफ़ विद्रोह किया। अंततः उन्होंने नेपाल में शरण मिली जहाँ उनकी मृत्यु 1879 में हुई थी। .

अवध और बेगम हज़रत महल के बीच समानता

अवध और बेगम हज़रत महल आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): फ़ैज़ाबाद, लखनऊ, शिया इस्लाम

फ़ैज़ाबाद

फ़ैज़ाबाद भारतवर्ष के उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश का एक नगर है।भगवान राम, राममनोहर लोहिया, कुंवर नारायण, राम प्रकाश द्विवेदी आदि की यह जन्मभूमि है। .

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लखनऊ

लखनऊ (भारत के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी है। इस शहर में लखनऊ जिले और लखनऊ मंडल के प्रशासनिक मुख्यालय भी स्थित हैं। लखनऊ शहर अपनी खास नज़ाकत और तहजीब वाली बहुसांस्कृतिक खूबी, दशहरी आम के बाग़ों तथा चिकन की कढ़ाई के काम के लिये जाना जाता है। २००६ मे इसकी जनसंख्या २,५४१,१०१ तथा साक्षरता दर ६८.६३% थी। भारत सरकार की २००१ की जनगणना, सामाजिक आर्थिक सूचकांक और बुनियादी सुविधा सूचकांक संबंधी आंकड़ों के अनुसार, लखनऊ जिला अल्पसंख्यकों की घनी आबादी वाला जिला है। कानपुर के बाद यह शहर उत्तर-प्रदेश का सबसे बड़ा शहरी क्षेत्र है। शहर के बीच से गोमती नदी बहती है, जो लखनऊ की संस्कृति का हिस्सा है। लखनऊ उस क्ष्रेत्र मे स्थित है जिसे ऐतिहासिक रूप से अवध क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। लखनऊ हमेशा से एक बहुसांस्कृतिक शहर रहा है। यहाँ के शिया नवाबों द्वारा शिष्टाचार, खूबसूरत उद्यानों, कविता, संगीत और बढ़िया व्यंजनों को हमेशा संरक्षण दिया गया। लखनऊ को नवाबों के शहर के रूप में भी जाना जाता है। इसे पूर्व की स्वर्ण नगर (गोल्डन सिटी) और शिराज-ए-हिंद के रूप में जाना जाता है। आज का लखनऊ एक जीवंत शहर है जिसमे एक आर्थिक विकास दिखता है और यह भारत के तेजी से बढ़ रहे गैर-महानगरों के शीर्ष पंद्रह में से एक है। यह हिंदी और उर्दू साहित्य के केंद्रों में से एक है। यहां अधिकांश लोग हिन्दी बोलते हैं। यहां की हिन्दी में लखनवी अंदाज़ है, जो विश्वप्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ उर्दू और अंग्रेज़ी भी बोली जाती हैं। .

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शिया इस्लाम

अरबी लिपि में लिखा शब्द-युग्म "मुहम्मद अली" इस शिया विश्वास को दिखाता है कि मुहम्मद और अली में निष्ठा दिखाना एक समान ही है। इसको उलटा घुमा देने पर यह "अली मुहम्मद" बन जाता है। शिया एक मुसलमान सम्प्रदाय है। सुन्नी सम्प्रदाय के बाद यह इस्लाम का दूसरा सबसे बड़ा सम्प्रदाय है जो पूरी मुस्लिम आबादी का केवल १५% है। सन् ६३२ में हजरत मुहम्मद की मृत्यु के पश्चात जिन लोगों ने अपनी भावना से हज़रत अली को अपना इमाम (धर्मगुरु) और ख़लीफा (नेता) चुना वो लोग शियाने अली (अली की टोली वाले) कहलाए जो आज शिया कहलाते हैं। लेकिन बहोत से सुन्नी इन्हें "शिया" या "शियाने अली" नहीं बल्कि "राफज़ी" (अस्वीकृत लोग) नाम से बुलाते हैं ! इस धार्मिक विचारधारा के अनुसार हज़रत अली, जो मुहम्मद साहब के चचेरे भाई और दामाद दोनों थे, ही हजरत मुहम्मद साहब के असली उत्तराधिकारी थे और उन्हें ही पहला ख़लीफ़ा (राजनैतिक प्रमुख) बनना चाहिए था। यद्यपि ऐसा हुआ नहीं और उनको तीन और लोगों के बाद ख़लीफ़ा, यानि प्रधान नेता, बनाया गया। अली और उनके बाद उनके वंशजों को इस्लाम का प्रमुख बनना चाहिए था, ऐसा विशवास रखने वाले शिया हैं। सुन्नी मुसलमान मानते हैं कि हज़रत अली सहित पहले चार खलीफ़ा (अबु बक़र, उमर, उस्मान तथा हज़रत अली) सतपथी (राशिदुन) थे जबकि शिया मुसलमानों का मानना है कि पहले तीन खलीफ़ा इस्लाम के गैर-वाजिब प्रधान थे और वे हज़रत अली से ही इमामों की गिनती आरंभ करते हैं और इस गिनती में ख़लीफ़ा शब्द का प्रयोग नहीं करते। सुन्नी मुस्लिम अली को (चौथा) ख़लीफ़ा भी मानते है और उनके पुत्र हुसैन को मरवाने वाले ख़लीफ़ा याजिद को कई जगहों पर पथभ्रष्ट मुस्लिम कहते हैं। इस सम्प्रदाय के अनुयायियों का बहुमत मुख्य रूप से इरान,इराक़,बहरीन और अज़रबैजान में रहते हैं। इसके अलावा सीरिया, कुवैत, तुर्की, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, ओमान, यमन तथा भारत में भी शिया आबादी एक प्रमुख अल्पसंख्यक के रूप में है। शिया इस्लाम के विश्वास के तीन उपखंड हैं - बारहवारी, इस्माइली और ज़ैदी। एक मशहूर हदीस मन्कुनतो मौला फ़ हा जा अली उन मौला, जो मुहम्मद साहब ने गदीर नामक जगह पर अपने आखरी हज पर खुत्बा दिया था, में स्पष्ट कह दिया था कि मुसलमान समुदाय को समुदाय अली के कहे का अनुसरण करना है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

अवध और बेगम हज़रत महल के बीच तुलना

अवध 36 संबंध है और बेगम हज़रत महल 18 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 5.56% है = 3 / (36 + 18)।

संदर्भ

यह लेख अवध और बेगम हज़रत महल के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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