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अवतार और प्रह्लाद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अवतार और प्रह्लाद के बीच अंतर

अवतार vs. प्रह्लाद

अवतार का अर्थ अवतरित होना या उतरना है। हिंदू मान्यता के अनुसार जब-जब दुष्टों का भार पृथ्वी पर बढ़ता है और धर्म की हानि होती है तब-तब पापियों का संहार करके भक्तों की रक्षा करने के लिये भगवान अपने अंश अथवा पूर्णांश से पृथ्वी पर शरीर धारण करते हैं। . भगवान नृसिंह द्वारा हिरण्यकश्यप का वध और हाथ जोड़े हुए प्रह्लादविष्णुपुराण की एक कथा के अनुसार जिस समय असुर संस्कृति शक्तिशाली हो रही थी, उस समय असुर कुल में एक अद्भुत, प्रह्लाद नामक बालक का जन्म हुआ था। उसका पिता, असुर राज हिरण्यकश्यप देवताओं से वरदान प्राप्त कर के निरंकुश हो गया था। उसका आदेश था, कि उसके राज्य में कोई विष्णु की पूजा नही करेगा। परंतु प्रह्लाद विष्णु भक्त था और ईश्वर में उसकी अटूट आस्था थी। इस पर क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने उसे मृत्यु दंड दिया। हिरण्यकश्यप की बहन, होलिका, जिस को आग से न मरने का वर था, प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई, परंतु ईश्वर की कृपा से प्रह्लाद को कुछ न हुआ और वह स्वयं भस्म हो गई। अगले दिन भग्वान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप को मार दिया और सृष्टि को उसके अत्याचारों से मुक्ति प्रदान की। इस ही अवसर को याद कर होली मनाई जाती है। इस प्रकार प्रह्लाद की कहानी होली के पर्व से जुड़ी हुई है।हमें भी प्रह्लाद की तरह बनना चाहिए।प्रियरंजन .

अवतार और प्रह्लाद के बीच समानता

अवतार और प्रह्लाद आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): नरसिंह, हिरण्यकशिपु, विष्णु

नरसिंह

प्रहलाद एवं उसकी माता '''नरसिंहावतार''' को हिरण्यकश्यप के वध के समय नमन करते हुए नरसिंह नर + सिंह ("मानव-सिंह") को पुराणों में भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। जो आधे मानव एवं आधे सिंह के रूप में प्रकट होते हैं, जिनका सिर एवं धड तो मानव का था लेकिन चेहरा एवं पंजे सिंह की तरह थे वे भारत में, खासकर दक्षिण भारत में वैष्णव संप्रदाय के लोगों द्वारा एक देवता के रूप में पूजे जाते हैं जो विपत्ति के समय अपने भक्तों की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं। .

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हिरण्यकशिपु

भगवान नृसिंह द्वारा हिरण्यकशिपु का वध हिरण्यकशिपु एक असुर था जिसकी कथा पुराणों में आती है। उसका वध नृसिंह अवतारी विष्णु द्वारा किया गया। यह हिरण्यकरण वन नामक नामक स्थान का राजा था जोकि वर्तमान में भारत देश के राजस्थान राज्य मेे स्थित है जिसे हिण्डौन के नाम से जाना जाता है। हिरण्याक्ष उसका छोटा भाई था जिसका वध वाराह ने किया था। .

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विष्णु

वैदिक समय से ही विष्णु सम्पूर्ण विश्व की सर्वोच्च शक्ति तथा नियन्ता के रूप में मान्य रहे हैं। हिन्दू धर्म के आधारभूत ग्रन्थों में बहुमान्य पुराणानुसार विष्णु परमेश्वर के तीन मुख्य रूपों में से एक रूप हैं। पुराणों में त्रिमूर्ति विष्णु को विश्व का पालनहार कहा गया है। त्रिमूर्ति के अन्य दो रूप ब्रह्मा और शिव को माना जाता है। ब्रह्मा को जहाँ विश्व का सृजन करने वाला माना जाता है, वहीं शिव को संहारक माना गया है। मूलतः विष्णु और शिव तथा ब्रह्मा भी एक ही हैं यह मान्यता भी बहुशः स्वीकृत रही है। न्याय को प्रश्रय, अन्याय के विनाश तथा जीव (मानव) को परिस्थिति के अनुसार उचित मार्ग-ग्रहण के निर्देश हेतु विभिन्न रूपों में अवतार ग्रहण करनेवाले के रूप में विष्णु मान्य रहे हैं। पुराणानुसार विष्णु की पत्नी लक्ष्मी हैं। कामदेव विष्णु जी का पुत्र था। विष्णु का निवास क्षीर सागर है। उनका शयन शेषनाग के ऊपर है। उनकी नाभि से कमल उत्पन्न होता है जिसमें ब्रह्मा जी स्थित हैं। वह अपने नीचे वाले बाएँ हाथ में पद्म (कमल), अपने नीचे वाले दाहिने हाथ में गदा (कौमोदकी),ऊपर वाले बाएँ हाथ में शंख (पाञ्चजन्य) और अपने ऊपर वाले दाहिने हाथ में चक्र(सुदर्शन) धारण करते हैं। शेष शय्या पर आसीन विष्णु, लक्ष्मी व ब्रह्मा के साथ, छंब पहाड़ी शैली के एक लघुचित्र में। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

अवतार और प्रह्लाद के बीच तुलना

अवतार 71 संबंध है और प्रह्लाद 5 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 3.95% है = 3 / (71 + 5)।

संदर्भ

यह लेख अवतार और प्रह्लाद के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: