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अवकल समीकरण और दालाँवेयर

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अवकल समीकरण और दालाँवेयर के बीच अंतर

अवकल समीकरण vs. दालाँवेयर

अवकल समीकरण (डिफरेंशियल ईक्वेशंस) उन संबंधों को कहते हैं जिनमें स्वतंत्र चर तथा अज्ञात परतंत्र चर के साथ-साथ उस परतंत्र चर के एक या अधिक अवकल गुणांक (डिफ़रेंशियल कोइफ़िशेंट्स) हों। यदि इसमें एक परतंत्र चर तथा एक ही स्वतंत्र चर भी हो तो संबंध को साधारण (ऑर्डिनरी) अवकल समीकरण कहते हैं। जब परतंत्र चल तो एक परंतु स्वतंत्र चर अनेक हों तो परतंत्र चर के खंडावकल गुणक (partial differentials) होते हैं। जब ये उपस्थित रहते हैं तब संबंध को आंशिक (पार्शियल) अवकल समीकरण कहते हैं। परतंत्र चर को स्वतंत्र चर के पर्दो में व्यंजित करने को अवकल समीकरण का हल करना कहा जाता है। यदि अवकल समीकरण में nवीं कक्षा (ऑर्डर) का अवकल गुणक हो और अधिक का नहीं, तो अवकल समीकरण nवीं कक्षा का कहलाता है। उच्चतम कक्षा के अवकल गुणक का घात (पॉवर) ही अवकल समीकरण का घात कहलाता है। घात ज्ञात करने के पहले समीकरण को भिन्न तथा करणी चिंहों से इस प्रकार मुक्त कर लेना चाहिए कि उसमें अवकल गुणकों पर कोई भिन्नात्मक घात न हो। अवकल समीकरण का अनुकलन सरल नहीं है। अभी तक प्रथम कक्षा के वे अवकल समीकरण भी पूर्ण रूप से हल नहीं हो पाए हैं। कुछ अवस्थाओं में अनुकलन संभव हैं, जिनका ज्ञान इस विषय की भिन्न-भिन्न पुस्तकों से प्राप्त हो सकता है। अनुकलन करने की विधियाँ सांकेतिक रूप में यहाँ दी जाती हैं। प्रयुक्त गणित, भौतिक विज्ञान तथा विज्ञान की अन्य शाखाओं में भौतिक राशियों को समय, स्थान, ताप इत्यादि स्वतंत्र चलों के फलनों में तुरंत प्रकट करना प्राय: कठिन हो जाता है। परंतु हम उनकी वृद्धि की दर तथा उसके अवकल गुणकों में कोई संबंध बहुधा बड़ी सुगमता से पा सकते हैं। इस प्रकार ऐसे अवकल समीकरण प्राप्त होते हैं जिन्हें पूर्वोक्त राशियाँ संतुष्ट करती हैं। इन्हें हल करना उन राशियों का ज्ञान प्राप्त करने के लिए आवश्यक होता है। इसलिए विज्ञान की उन्नति बहुत अंश तक अवकल समीकरण की प्रगति पर निर्भर है। . फ्रांसीसी गणितज्ञ दालाँवेयर दालाँवेयर (Jean-Baptiste le Rond d'Alembert; फ्रांसीसी उच्चारण:; १७१७-१७८३ ई.) फ्रांसीसी गणितज्ञ थे। इनका जन्म पेरिस में हुआ। २४ वर्षं की आयु में ही इनको पैरिस की विज्ञान अकादमी में प्रवेश मिला गया और १७५४ ई. में ये अकादमी के स्थायी मंत्री बना दिए गए। १७४३ ई. में दालाँवेयर के सिद्धांत (अर्थात्, निहित और फलवत् बल तुल्य होते हैं) पर आधारित इनकी पुस्तक 'त्रेते द दिनामिक' (Traite' de dynamique) प्रकाशित हुई। इसमें 'गति के नियम' और उनपर आश्रित विचारों को अत्यधिक व्यापक रूप में वैश्लेषिक भाषा में प्रदर्शित किया गया है। दालाँवेयर ने इस सिद्धांत का प्रयोग १७४४ ई. में तरलों के साम्य और उनकी गति की दशाओं का तथा १७४६ ई. प्रकंपित रज्जु (vibrating string) एवं विषुवों की अग्रगति (precession of the equinoxes) के निर्मेयों को हल करने में किया। इन अन्वेषणों के मध्य इनके समक्ष अनेक आंशिक अवकल समीकरण आए, जिनको इन्हें हल करना पड़ा। इस कार्य से दालाँवेयर तत्कालीन आंशिक अवकल समीकरणवेत्ताओं में अग्रगण्य हो गए। श्रेणी:गणितज्ञ.

अवकल समीकरण और दालाँवेयर के बीच समानता

अवकल समीकरण और दालाँवेयर आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): आंशिक अवकल समीकरण

आंशिक अवकल समीकरण

गणित में आंशिक अवकल समीकरण वो अवकल समीकरणें होती हैं जिनमें बहुचर फलन और उनके आंशिक अवकल होते हैं। (यह साधारण अवकल समीकरणों से भिन्न है जिनमें एक ही चर और उसके अवकलों में बंटा हुआ होता है। आंशिक अवकल समीकरणों का उपयोग उन समस्याओं को हल करने में प्रयुक्त किया जाता है जो विभिन्न स्वतंत्र चरों की फलन होती हैं एवं जिन्हें साधारणतया हल कर सकते हैं अथवा हल करने के लिए अभिकलित्र प्रोग्राम बनाया जा सके। आंशिक अवकल समीकरणो का उपयोग विभिन्न दृष्टिगत घटनाओं यथा ध्वनि, ऊष्मा, स्थिरवैद्युतिकी, विद्युत-गतिकी, द्रव का प्रवाह, प्रत्यास्थता या प्रमात्रा यान्त्रिकी को समझने में किया जा सकता है। ये पृथक प्रतीत होने वाली प्रक्रियाओं को आंशिक अवकल समीकरणों के रूप में सूत्रित किया जा सकता है। .

अवकल समीकरण और आंशिक अवकल समीकरण · आंशिक अवकल समीकरण और दालाँवेयर · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

अवकल समीकरण और दालाँवेयर के बीच तुलना

अवकल समीकरण 9 संबंध है और दालाँवेयर 5 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 7.14% है = 1 / (9 + 5)।

संदर्भ

यह लेख अवकल समीकरण और दालाँवेयर के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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