लोगो
यूनियनपीडिया
संचार
Google Play पर पाएं
नई! अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर डाउनलोड यूनियनपीडिया!
डाउनलोड
ब्राउज़र की तुलना में तेजी से पहुँच!
 

अल्बर्ट आइंस्टीन और आइनस्टाइन क्षेत्र समीकरण

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अल्बर्ट आइंस्टीन और आइनस्टाइन क्षेत्र समीकरण के बीच अंतर

अल्बर्ट आइंस्टीन vs. आइनस्टाइन क्षेत्र समीकरण

अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein; १४ मार्च १८७९ - १८ अप्रैल १९५५) एक विश्वप्रसिद्ध सैद्धांतिक भौतिकविद् थे जो सापेक्षता के सिद्धांत और द्रव्यमान-ऊर्जा समीकरण E . वस्तुओं के द्रव्यमान और गति से उनके आसपास के दिक्-काल (स्पेसटाइम) में मरोड़ आती है और आइनस्टाइन​ क्षेत्र समीकरण इसका विवरण देते हैं आइनस्टाइन​ क्षेत्र समीकरण (Einstein field equations) भौतिकी में ऐल्बर्ट आइनस्टाइन​ के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत में दस समीकरणों (इक्वेशनों) का एक समूह है जो पदार्थ और ऊर्जा द्वारा दिक्-काल (स्पेसटाइम) में पैदा की गई मरोड़ से होने वाले गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव का वर्णन करता है। इसे आइनस्टाइन​ ने सन् १९१५ में आतानक विश्लेषण (टेन्सर अनैलिसिस) के रूप में छापा था। जिस तरह मैक्सवेल के समीकरण आवेश (चार्ज) और विद्युत धारा से उत्पन्न होने वाले विद्युतचुम्बकीय क्षेत्र की विवरण देते हैं उसी तरह आइनस्टाइन​ क्षेत्र समीकरण ऊर्जा, द्रव्यमान और चाल (गति) से दिक्-काल में उत्पन्न होने वाले बदलावों का बखान करते हैं।, Norman K. Glendenning, pp.

अल्बर्ट आइंस्टीन और आइनस्टाइन क्षेत्र समीकरण के बीच समानता

अल्बर्ट आइंस्टीन और आइनस्टाइन क्षेत्र समीकरण आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): भौतिक शास्त्र, मैक्सवेल के समीकरण, सामान्य आपेक्षिकता

भौतिक शास्त्र

भौतिकी के अन्तर्गत बहुत से प्राकृतिक विज्ञान आते हैं भौतिक शास्त्र अथवा भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी को परिभाषित करना कठिन है। कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसके द्वारा प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि इत्यादि अनेक विषय इसकी परिधि में आते हैं। यह विज्ञान का एक प्रमुख विभाग है। इसके सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान के प्रत्येक अंग में लागू होते हैं। इसका क्षेत्र विस्तृत है और इसकी सीमा निर्धारित करना अति दुष्कर है। सभी वैज्ञानिक विषय अल्पाधिक मात्रा में इसके अंतर्गत आ जाते हैं। विज्ञान की अन्य शाखायें या तो सीधे ही भौतिक पर आधारित हैं, अथवा इनके तथ्यों को इसके मूल सिद्धांतों से संबद्ध करने का प्रयत्न किया जाता है। भौतिकी का महत्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। बहुत पहले इसको दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र कहते थे, किंतु १८७० ईस्वी के लगभग इसको वर्तमान नाम भौतिकी या फिजिक्स द्वारा संबोधित करने लगे। धीरे-धीरे यह विज्ञान उन्नति करता गया और इस समय तो इसके विकास की तीव्र गति देखकर, अग्रगण्य भौतिक विज्ञानियों को भी आश्चर्य हो रहा है। धीरे-धीरे इससे अनेक महत्वपूर्ण शाखाओं की उत्पत्ति हुई, जैसे रासायनिक भौतिकी, तारा भौतिकी, जीवभौतिकी, भूभौतिकी, नाभिकीय भौतिकी, आकाशीय भौतिकी इत्यादि। भौतिकी का मुख्य सिद्धांत "उर्जा संरक्षण का नियम" है। इसके अनुसार किसी भी द्रव्यसमुदाय की ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। समुदाय की आंतरिक क्रियाओं द्वारा इस मात्रा को घटाना या बढ़ाना संभव नहीं। ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। आइंस्टाइन के सापेक्षिकता सिद्धांत के अनुसार द्रव्यमान भी उर्जा में बदला जा सकता है। इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं। .

अल्बर्ट आइंस्टीन और भौतिक शास्त्र · आइनस्टाइन क्षेत्र समीकरण और भौतिक शास्त्र · और देखें »

मैक्सवेल के समीकरण

जेम्स क्लार्क मैक्सवेल्ल् विद्युत्चुम्बकत्व के क्षेत्र में मैक्सवेल के समीकरण चार समीकरणों का एक समूह है जो वैद्युत क्षेत्र, चुम्बकीय क्षेत्र, वैद्युत आवेश, एवं विद्युत धारा के अन्तर्सम्बधों की गणितीय व्याख्या करते हैं। ये समीकरण सन १८६१ में जेम्स क्लार्क मैक्सवेल के शोधपत्र में छपे थे, जिसका शीर्षक था - ऑन फिजिकल लाइन्स ऑफ फोर्स। मैक्सवेल के समीकरणों का आधुनिक स्वरूप निम्नवत है: उपरोक्त समीकरणों में लारेंज बल का नियम भी सम्मिलित कर लेने पर शास्त्रीय विद्युतचुम्बकत्व की सम्पूर्ण व्याख्या हो पाती है। .

अल्बर्ट आइंस्टीन और मैक्सवेल के समीकरण · आइनस्टाइन क्षेत्र समीकरण और मैक्सवेल के समीकरण · और देखें »

सामान्य आपेक्षिकता

सामान्य आपेक्षिकता सिद्धांत या सामान्य सापेक्षता सिद्धांत, जिसे अंग्रेजी में "जॅनॅरल थिओरी ऑफ़ रॅलॅटिविटि" कहते हैं, एक वैज्ञानिक सिद्धांत है जो कहता है कि ब्रह्माण्ड में किसी भी वस्तु की तरफ़ जो गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव देखा जाता है उसका असली कारण है कि हर वस्तु अपने मान और आकार के अनुसार अपने इर्द-गिर्द के दिक्-काल (स्पेस-टाइम) में मरोड़ पैदा कर देती है। बरसों के अध्ययन के बाद जब १९१६ में अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस सिद्धांत की घोषणा की तो विज्ञान की दुनिया में तहलका मच गया और ढाई-सौ साल से क़ायम आइज़क न्यूटन द्वारा १६८७ में घोषित ब्रह्माण्ड का नज़रिया हमेशा के लिए उलट दिया गया। भौतिक शास्त्र पर इसका इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि लोग आधुनिक भौतिकी (माडर्न फ़िज़िक्स) को शास्त्रीय भौतिकी (क्लासिकल फ़िज़िक्स) से अलग विषय बताने लगे और अल्बर्ट आइंस्टीन को आधुनिक भौतिकी का पिता माना जाने लगा। .

अल्बर्ट आइंस्टीन और सामान्य आपेक्षिकता · आइनस्टाइन क्षेत्र समीकरण और सामान्य आपेक्षिकता · और देखें »

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

अल्बर्ट आइंस्टीन और आइनस्टाइन क्षेत्र समीकरण के बीच तुलना

अल्बर्ट आइंस्टीन 34 संबंध है और आइनस्टाइन क्षेत्र समीकरण 12 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 6.52% है = 3 / (34 + 12)।

संदर्भ

यह लेख अल्बर्ट आइंस्टीन और आइनस्टाइन क्षेत्र समीकरण के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

अरे! अब हम फेसबुक पर हैं! »