अलाउद्दीन खिलजी और दिल्ली सल्तनत के बीच समानता
अलाउद्दीन खिलजी और दिल्ली सल्तनत आम में 6 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): दिल्ली, सुन्नी इस्लाम, जलालुद्दीन ख़िलजी, ख़िलजी वंश, क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी, कोहिनूर हीरा।
दिल्ली
दिल्ली (IPA), आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अंग्रेज़ी: National Capital Territory of Delhi) भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं १४८३ वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १ करोड़ ७० लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं: हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जाने वाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास का प्रारम्भ सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता हैं। १६३९ में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चारदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो १६७९ से १८५७ तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही। १८वीं एवं १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। १९११ में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से १९४७ में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों का प्रवासन हुआ, इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तो, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही साथ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है। .
अलाउद्दीन खिलजी और दिल्ली · दिल्ली और दिल्ली सल्तनत ·
सुन्नी इस्लाम
सुन्नी मुस्लिम इस्लाम के सबसे बड़े सम्प्रदाय सुन्नी इस्लाम को मानने वाले मुस्लिम हैं। सुन्नी इस्लाम को अहले सुन्नत व'ल जमाअत (अरबी: أهل السنة والجماعة "(मुहम्म्द के) आदर्श लोग और समुदाय") या संक्षिप्त में अहल अस- सुन्नाह (अरबी: أهل السنة) भी कहते हैं। सुन्नी शब्द अरबी के सुन्नाह (अरबी: سنة) से आया है, जिसका अर्थ (पैगम्बर मोहम्मद) की बातें और कर्म या उनके आदर्श है। सामान्य अर्थों में सुन्नी -पवित्र ईशसन्देश्टा मुहम्मद स० के निधन के पश्चात जिन लोगों ने मुहम्मद स० द्वारा बताये गये नियमों का पालन किया सुन्नी कहलाऐ। सुन्नी दुनिया में 80% हैं ये आंकड़ा 5 गिरोह को मिलाकर बनता हैं।.
अलाउद्दीन खिलजी और सुन्नी इस्लाम · दिल्ली सल्तनत और सुन्नी इस्लाम ·
जलालुद्दीन ख़िलजी
दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का शासक। जलालुद्दीन फ़िरोज ख़िलजी (1290-1296 ई.) 'ख़िलजी वंश' का संस्थापक थे। उन्होंने अपना जीवन एक सैनिक के रूप में शरू किया था। अपनी योग्यता के बल पर उन्होंने 'सर-ए-जहाँदार/शाही अंगरक्षक' का पद प्राप्त किया तथा बाद में समाना का सूबेदार बना। कैकुबाद ने उसे 'आरिज-ए-मुमालिक' का पद दिया और 'शाइस्ता ख़ाँ' की उपाधि के साथ सिंहासन पर बिठाया। उन्होंने दिल्ली के बजाय किलोखरी के माध्य में राज्याभिषेक करवाया। सुल्तान बनते समय जलालुद्दीन की उम्र 70 वर्ष की थी। दिल्ली का वह पहला सुल्तान थे जिसकी आन्तरिक नीति दूसरों को प्रसन्न करने के सिद्धान्त पर थी। उन्होंने हिन्दू जनता के प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाया। .
अलाउद्दीन खिलजी और जलालुद्दीन ख़िलजी · जलालुद्दीन ख़िलजी और दिल्ली सल्तनत ·
ख़िलजी वंश
खिलजी वंश (سلطنت خلجی) या ख़लजी वंश मध्यकालीन भारत का एक राजवंश था। इसने दिल्ली की सत्ता पर १२९०-१३२० इस्वी तक राज किया। दिल्ली की मुस्लिम सल्तनत में दूसरा शासक परिवार था, हालांकि ख़िलजी क़बीला लंबे समय से अफ़ग़ानिस्तान में बसा हुआ था, लेकिन अपने पूर्ववर्ती गुलाम वंश की तरह यह राजवंश भी मूलत: तुर्किस्तान का था। इसके तीन शासक अपनी निष्ठाहीनता, निर्दयता और दक्षिण भारतीय हिंदू राज्यों पर अधिकार के लिए जाने जाते थे। ख़लजी वंश के पहले सुल्तान जलालुद्दीन फ़िरोज़ ख़लजी, गुलाम वंश के अंतिम कमज़ोर बादशाह क्यूमर्श के पतन के बाद एक कुलीन गुट के सहयोग से गद्दी पर बैठे। जलालुद्देन उम्र में काफ़ी बड़े थे और अफ़ग़ानी क़बीले का माने जाने के कारण एक समय वह इतने अलोकप्रिय थे कि राजधानी में घुसने तक का साहस नहीं कर सकते थे। उनके भतीजे जूना ख़ां ने दक्कन के हिन्दू राज्य पर चढ़ाई करके एलिचपुर और उसके ख़ज़ाने पर क़ब्ज़ा कर लिया और फिर 1296 में वापस लौटकर उन्होंने अपने चाचा की हत्या कर दी। जूना ख़ां ने अलाउद्दीन ख़लजी की उपाधि धारण कर 20 वर्ष तक शासन किया। उन्होंने रणथंभौर (1301), चित्तौड़ (1303) और मांडू (1305) पर क़ब्ज़ा किया और देवगिरि के समृद्ध हिन्दू राज्य को अपने राज्य में मिला लिया। उन्होंने मंगोलों के आक्रमण का भी मुंहतोड़ जवाब दिया। अलाउद्दीन के सेनापति मलिक काफूर को 1308 में दक्षिण पर क़ब्ज़ा कर लिया, कृष्णा नदी के दक्षिण में होयसल वंश को उखाड़ फेंका और सुदूर दक्षिण में मदुरै पर अधिकार कर लिया। जब 1311 में मलिक काफूर दिल्ली लौटे, तो वह लूट के माल से लदे थे। इसके बाद अलाउद्दीन और वंश का सितारा डूब गया। 1316 के आरंभ में सुल्तान की मृत्यु हो गई। मलिक काफूर द्वारा सत्ता पर क़ाबिज़ होने की कोशिश उनकी मृत्यु के साथ ही समाप्त हुई। अंतिम ख़लजी शासक कुतुबुद्दीन मुबारक शाह की उनके प्रधानमंत्री खुसरो ख़ां ने 1320 में हत्या कर दी। बाद में तुग़लक वंश के प्रथम शासक ग़यासुद्दीन तुग़लक़ ने खुसरो ख़ां से गद्दी छेन ली। .
अलाउद्दीन खिलजी और ख़िलजी वंश · ख़िलजी वंश और दिल्ली सल्तनत ·
क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी
दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का शासक। कुतुब शाह ने सन १३१६ से १३२० तक दिल्ली में शासन किया। खुसरो खान नामक इसके एक विश्वास-पात्र ने इसकी हत्या करके सिन्हासन पर कब्जा किया। क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी 19 अप्रैल 1316 ई. को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा था। उसने 1316 ई. से 1320 ई. तक राज्य किया। गद्दी पर बैठने के बाद ही उसने देवगिरि के राजा हरपाल देव पर चढ़ाई की और युद्ध में उसे परास्त किया तथा बाद में उसे बंदी बनाकर उसकी खाल उधड़वा दी। अपने शासन काल में उसने गुजरात के विद्रोह का भी दमन किया था। अपनी इन विजयों के कारण ही उसका दिमाग फिर गया। वह अपना समय सुरा तथा सुन्दरियों में बिताने लगा। उसकी इन विजयों के अतिरिक्त अन्य किसी भी विजय का वर्णन नहीं मिलता है। क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी ने अपने सैनिकों को छः माह का अग्रिम वेतन दिया था। विद्धानों एवं महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की छीनी गयी जागीरें उन्हें वापस कर दीं। अलाउद्दीन ख़िलजी की कठोर दण्ड व्यवस्था एवं बाज़ार नियंत्रण आदि व्यवस्था को उसने समाप्त कर दिया था। क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी को नग्न स्त्री-पुरुषों की संगत पसन्द थी। अपनी इसी संगत के कारण कभी-कभी वह राज्य दरबार में स्त्री का वस्त्र पहन कर आ जाता था। 'बरनी' के अनुसार मुबारक कभी-कभी नग्न होकर दरबारियों के बीच दौड़ा करता था। उसने ‘अल इमाम’, ‘उल इमाम’ एवं ‘ख़िलाफ़़त-उल्लाह’ की उपाधियाँ धारण की थीं। उसने ख़िलाफ़़त के प्रति भक्ति को हटाकर अपने को ‘इस्लाम धर्म का सर्वोच्च प्रधान’ और ‘स्वर्ण तथा पृथ्वी के अधिपति का 'ख़लीफ़ा घोषित किया था। साथ ही उसने ‘अलवसिक विल्लाह’ की धर्म की प्रधान उपाधि भी धारण धारण की थी। .
अलाउद्दीन खिलजी और क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी · क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी और दिल्ली सल्तनत ·
कोहिनूर हीरा
Glass replica of the Koh-I-Noor as it appeared in its original form, turned upside down कोहिनूर (फ़ारसी: कूह-ए-नूर) एक १०५ कैरेट (२१.६ ग्राम) का हीरा है जो किसी समय विश्व का सबसे बड़ा ज्ञात हीरा रह चुका है। कहा जाता है कि यह हीरा भारत की गोलकुंडा की खान से निकाला गया था। 'कोहिनूर' का अर्थ है- आभा या रोशनी का पर्वत। यह कई मुगल व फारसी शासकों से होता हुआ, अन्ततः ब्रिटिश शासन के अधिकार में लिया गया, व उनके खजाने में शामिल हो गया, जब ब्रिटिश प्रधान मंत्री, बेंजामिन डिजराएली ने महारानी विक्टोरिया को १८७७ में भारत की सम्राज्ञी घोषित किया। अन्य कई प्रसिद्ध जवाहरातों की भांति ही, कोहिनूर की भी अपनी कथाएं रही हैं। इससे जुड़ी मान्यता के अनुसार, यह पुरुष स्वामियों का दुर्भाग्य व मृत्यु का कारण बना, व स्त्री स्वामिनियों के लिये सौभाग्य लेकर आया। अन्य मान्यता के अनुसार, कोहिनूर का स्वामी संसार पर राज्य करने वाला बना। .
अलाउद्दीन खिलजी और कोहिनूर हीरा · कोहिनूर हीरा और दिल्ली सल्तनत ·
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या अलाउद्दीन खिलजी और दिल्ली सल्तनत लगती में
- यह आम अलाउद्दीन खिलजी और दिल्ली सल्तनत में है क्या
- अलाउद्दीन खिलजी और दिल्ली सल्तनत के बीच समानता
अलाउद्दीन खिलजी और दिल्ली सल्तनत के बीच तुलना
अलाउद्दीन खिलजी 20 संबंध है और दिल्ली सल्तनत 57 है। वे आम 6 में है, समानता सूचकांक 7.79% है = 6 / (20 + 57)।
संदर्भ
यह लेख अलाउद्दीन खिलजी और दिल्ली सल्तनत के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: