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अल ग़ज़ाली और अहमद सरहिन्दी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अल ग़ज़ाली और अहमद सरहिन्दी के बीच अंतर

अल ग़ज़ाली vs. अहमद सरहिन्दी

अबू हामिद मुहम्मद इब्न मुहम्मद अल-गज़ाली (ابو حامد محمد ابن محمد غزالی; c. 1058–1111), पश्चिम में अल-ग़ज़ाली या अलगाज़ेल के नाम से मशहूर, एक मुस्लिम तत्वग्नानी, सूफ़ी जो पर्शिया से थे। इस्लामी दुनिया में हज़रत मुहम्मद के बाद अगर कोई मुस्लिम समूह को आकर्शित किया या असर रुसूक़ किया तो वो अल-ग़ज़ाली' हैं। इस्लामी समूह में अल-ग़ज़ाली' को मुजद्दिद या पुनर्व्यवस्थीकरण करने वाला माना जाता है। इस्लामी समूह में माना जाता है कि हर शताब्द में एक मुजद्दिद जन्म लेते है, मुस्लिम समूह को धर्ममार्ग पर प्रेरेपित और उत्तेजित करते हैं। इन के कार्य और रचनाएं इतनी प्रबावशाली हैं कि लोग इन को "हुज्जतुल इस्लाम" (इस्लाम का सबूत) कहा करते हैं। . अहमद सरहिन्दी (जन्म २५ मई १५६४, देहांत १० दिसम्बर १६२४), जिन्हे पूरे औपचारिक रूप से इमाम रब्बानी शेख़ अहमद अल-फ़ारूक़ी अल-सरहिन्दी (شیخ احمد الفاروقی السرہندی) के नाम से जाना जाता है, १६वीं और १७वीं शताब्दी के एक विख्यात भारतीय सूफ़ी विद्वान थे। उनका सम्बन्ध हनफ़ी विचारधारा और नक़्शबन्दी सूफ़ी सम्प्रदाय से था। उन्होने मुग़ल सम्राट अकबर के काल में जो भारतीय इस्लाम में कई भिन्न मत पनपने आरम्भ हो गये थे उनका विरोध किया और ऐकिकरण पर ज़ोर दिया। इस कारण से कुछ इतिहासकार उन्हें भारतीय इस्लाम को विवधता-विरोध की ओर ले जाने का दोष देते हैं जबकि अन्य उन्हें कुरीतियों को रोकने का श्रेय देते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में फैली नक़्शबन्दी विचारधाराओं की मुजद्दिदी, क़ासिमिया, ताहिरी, सैफ़ी, ख़ालिदी व हक़्क़ानी शाखाएँ इन्ही की दी सोच से उभरी हैं।Glasse, Cyril, The New Encyclopedia of Islam, Altamira Press, 2001, p.432 इनकी दरगाह भारत के पंजाब राज्य में स्थित है और रोज़ा शरीफ़ के नाम से जानी जाती है। .

अल ग़ज़ाली और अहमद सरहिन्दी के बीच समानता

अल ग़ज़ाली और अहमद सरहिन्दी आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): सूफ़ीवाद

सूफ़ीवाद

सूफ़ीवाद या तसव्वुफ़ इस्लाम का एक रहस्यवादी पंथ है। इसके पंथियों को सूफ़ी(सूफ़ी संत) कहते हैं। इनका लक्ष्य आध्यात्मिक प्रगति एवं मानवता की सेवा रहा है। सूफ़ी राजाओं से दान-उपहार स्वीकार नहीं करते थे और सादा जीवन बिताना पसन्द करते थे। इनके कई तरीक़े या घराने हैं जिनमें सोहरावर्दी (सुहरवर्दी), नक्शवंदिया, कादिरी, चिष्तिया, कलंदरिया और शुस्तरिया के नाम प्रमुखता से लिया जाता है। माना जाता है कि सूफ़ीवाद ईराक़ के बसरा नगर में क़रीब एक हज़ार साल पहले जन्मा। राबिया, अल अदहम, मंसूर हल्लाज जैसे शख़्सियतों को इनका प्रणेता कहा जाता है - ये अपने समकालीनों के आदर्श थे लेकिन इनको अपने जीवनकाल में आम जनता की अवहेलना और तिरस्कार झेलनी पड़ी। सूफ़ियों को पहचान अल ग़ज़ाली के समय (सन् ११००) से ही मिली। बाद में अत्तार, रूमी और हाफ़िज़ जैसे कवि इस श्रेणी में गिने जाते हैं, इन सबों ने शायरी को तसव्वुफ़ का माध्यम बनाया। भारत में इसके पहुंचने की सही-सही समयावधि के बारे में आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी में ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती बाक़ायदा सूफ़ीवाद के प्रचार-प्रसार में जुट गए थे। .

अल ग़ज़ाली और सूफ़ीवाद · अहमद सरहिन्दी और सूफ़ीवाद · और देखें »

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अल ग़ज़ाली और अहमद सरहिन्दी के बीच तुलना

अल ग़ज़ाली 8 संबंध है और अहमद सरहिन्दी 8 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 6.25% है = 1 / (8 + 8)।

संदर्भ

यह लेख अल ग़ज़ाली और अहमद सरहिन्दी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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