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अरुण के प्राकृतिक उपग्रह और वरुण के प्राकृतिक उपग्रह

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अरुण के प्राकृतिक उपग्रह और वरुण के प्राकृतिक उपग्रह के बीच अंतर

अरुण के प्राकृतिक उपग्रह vs. वरुण के प्राकृतिक उपग्रह

ओबेरॉन हमारे सौर मण्डल के सातवे ग्रह अरुण (युरेनस) के २७ ज्ञात प्राकृतिक उपग्रह हैं।, ऍस ऍस शॅपर्ड, डेविड जॅविट, क्लेना जॅविट (२००५), खगोलशास्त्रिय पत्रिका (एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल) १२९, पृष्ठ ५१८-५२५, Bibcode 2005AJ....129..518S. ट्राइटन, की तस्वीर हमारे सौर मण्डल के आठवे ग्रह वरुण (नॅप्टयून) के १३ ज्ञात प्राकृतिक उपग्रह हैं। इनमें से ट्राइटन बाक़ी सबसे बहुत बड़ा है। अगर वरुण के सारे चंद्रमाओं का कुल द्रव्यमान देखा जाए तो उसका ९९.५% इस एक उपग्रह में निहित है। ट्राइटन वरुण का इकलौता उपग्रह है जो अपने गुरुत्वाकर्षक खिचाव से अपना अकार गोल कर चुका है। बाक़ी सभी चंद्रमाओं के अकार बेढंगे हैं। ट्राइटन का अपना पतला वायुमंडल भी है, जिसमें नाइट्रोजन के साथ-साथ थोड़ी मात्रा में मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड भी मौजूद हैं। ट्राइटन की सतह पर औसत तापमान -२३५.२° सेंटीग्रेड है। १९८६ में पास से गुज़रते हुए वॉयेजर द्वितीय यान ने कुछ ऐसी तस्वीरें ली जिनमें ट्राइटन के वातावरण में बादलों जैसी चीज़ें नज़र आई थीं। ट्राइटन की वरुण की इर्द-गिर्द परिक्रमा की कक्षा थोड़ी अजीब है जिस से वैज्ञानिक अनुमान लगते हैं के ट्राइटन वरुण से दूर कहीं और बना था और भटकते हुए वरुण के पास जा पहुंचा जहाँ वह वरुण के तगड़े गुरुत्वाकर्षण की पकड़ में आ गया और तब से उसकी परिक्रमा कर रहा है। .

अरुण के प्राकृतिक उपग्रह और वरुण के प्राकृतिक उपग्रह के बीच समानता

अरुण के प्राकृतिक उपग्रह और वरुण के प्राकृतिक उपग्रह आम में 3 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): प्राकृतिक उपग्रह, सौर मण्डल, वॉयेजर द्वितीय

प्राकृतिक उपग्रह

टाइटन) इतना बड़ा है के उसका अपना वायु मण्डल है - आकारों की तुलना के लिए पृथ्वी भी दिखाई गई है प्राकृतिक उपग्रह या चन्द्रमा ऐसी खगोलीय वस्तु को कहा जाता है जो किसी ग्रह, क्षुद्रग्रह या अन्य वस्तु के इर्द-गिर्द परिक्रमा करता हो। जुलाई २००९ तक हमारे सौर मण्डल में ३३६ वस्तुओं को इस श्रेणी में पाया गया था, जिसमें से १६८ ग्रहों की, ६ बौने ग्रहों की, १०४ क्षुद्रग्रहों की और ५८ वरुण (नॅप्ट्यून) से आगे पाई जाने वाली बड़ी वस्तुओं की परिक्रमा कर रहे थे। क़रीब १५० अतिरिक्त वस्तुएँ शनि के उपग्रही छल्लों में भी देखी गई हैं लेकिन यह ठीक से अंदाज़ा नहीं लग पाया है के वे शनि की उपग्रहों की तरह परिक्रमा कर रही हैं या नहीं। हमारे सौर मण्डल से बाहर मिले ग्रहों के इर्द-गिर्द अभी कोई उपग्रह नहीं मिला है लेकिन वैज्ञानिकों का विशवास है के ऐसे उपग्रह भी बड़ी संख्या में ज़रूर मौजूद होंगे। जो उपग्रह बड़े होते हैं वे अपने अधिक गुरुत्वाकर्षण की वजह से अन्दर खिचकर गोल अकार के हो जाते हैं, जबकि छोटे चन्द्रमा टेढ़े-मेढ़े भी होते हैं (जैसे मंगल के उपग्रह - फ़ोबस और डाइमस)। .

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सौर मण्डल

सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं। किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल कहा जाता है जो अन्य तारे न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु और खगोलीय धूल। हमारे सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा सौर मण्डल बनता है। इन पिंडों में आठ ग्रह, उनके 166 ज्ञात उपग्रह, पाँच बौने ग्रह और अरबों छोटे पिंड शामिल हैं। इन छोटे पिंडों में क्षुद्रग्रह, बर्फ़ीला काइपर घेरा के पिंड, धूमकेतु, उल्कायें और ग्रहों के बीच की धूल शामिल हैं। सौर मंडल के चार छोटे आंतरिक ग्रह बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह जिन्हें स्थलीय ग्रह कहा जाता है, मुख्यतया पत्थर और धातु से बने हैं। और इसमें क्षुद्रग्रह घेरा, चार विशाल गैस से बने बाहरी गैस दानव ग्रह, काइपर घेरा और बिखरा चक्र शामिल हैं। काल्पनिक और्ट बादल भी सनदी क्षेत्रों से लगभग एक हजार गुना दूरी से परे मौजूद हो सकता है। सूर्य से होने वाला प्लाज़्मा का प्रवाह (सौर हवा) सौर मंडल को भेदता है। यह तारे के बीच के माध्यम में एक बुलबुला बनाता है जिसे हेलिओमंडल कहते हैं, जो इससे बाहर फैल कर बिखरी हुई तश्तरी के बीच तक जाता है। .

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वॉयेजर द्वितीय

वायेजर द्वितीय एक अमरीकी मानव रहित अंतरग्रहीय शोध यान था जिसे वायेजर १ से पहले २० अगस्त १९७७ को अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा प्रक्षेपित किया गया था। यह काफी कुछ अपने पूर्व संस्करण यान वायेजर १ के समान ही था, किन्तु उससे अलग इसका यात्रा पथ कुछ धीमा है। इसे धीमा रखने का कारण था इसका पथ युरेनस और नेपचून तक पहुंचने के लिये अनुकूल बनाना। इसके पथ में जब शनि ग्रह आया, तब उसके गुरुत्वाकर्षण के कारण यह युरेनस की ओर अग्रसर हुआ था और इस कारण यह भी वायेजर १ के समान ही बृहस्पति के चन्द्रमा टाईटन का अवलोकन नहीं कर पाया था। किन्तु फिर भी यह युरेनस और नेपच्युन तक पहुंचने वाला प्रथम यान था। इसकी यात्रा में एक विशेष ग्रहीय परिस्थिति का लाभ उठाया गया था जिसमे सभी ग्रह एक सरल रेखा मे आ जाते है। यह विशेष स्थिति प्रत्येक १७६ वर्ष पश्चात ही आती है। इस कारण इसकी ऊर्जा में बड़ी बचत हुई और इसने ग्रहों के गुरुत्व का प्रयोग किया था। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

अरुण के प्राकृतिक उपग्रह और वरुण के प्राकृतिक उपग्रह के बीच तुलना

अरुण के प्राकृतिक उपग्रह 14 संबंध है और वरुण के प्राकृतिक उपग्रह 24 है। वे आम 3 में है, समानता सूचकांक 7.89% है = 3 / (14 + 24)।

संदर्भ

यह लेख अरुण के प्राकृतिक उपग्रह और वरुण के प्राकृतिक उपग्रह के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: