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अराजकतावाद और स्वतंत्रतावाद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अराजकतावाद और स्वतंत्रतावाद के बीच अंतर

अराजकतावाद vs. स्वतंत्रतावाद

अराजकतावाद (Anarchism) एक राजनीतिक दर्शन है, जो स्वैच्छिक संस्थानों पर आधारित स्वाभिशासित समाजों की वक़ालत करता है। इनका वर्णन अक्सर राज्यहीन समाजों के रूप में होता है, यद्यपि कई लेखकों ने इन्हें अधिक विशिष्टतापूर्वक अपदानुक्रमिक मुक्त संघों पर आधारित संस्थानों के रूप में परिभाषित किया हैं। अराजकतावाद के मतानुसार राज्य अवांछनीय, अनावश्यक और हानिकारक है निम्न स्रोत अराजकतावाद को एक राजनीतिक दर्शन के रूप में सन्दर्भित करते हैं: Slevin, Carl. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पूँजीवादी देशों में लोकोपकार के आग्रह के तहत राज्य की बढ़ी हुई भूमिका की प्रतिक्रिया में स्वतंत्रतावाद (Libertarianism) के सिद्धांत का विकास हुआ है। स्वतंत्रतावाद मनुष्य और समाज के जीवन में राज्य की भूमिका को बेहद सीमित कर देना चाहता है। इसकी दो प्रमुख शाखाएँ हैं। एक शाखा अराजकतावादियों की है जो मानते हैं कि सरकार अपने आप में वैध संस्था है ही नहीं। दूसरी शाखा न्यनूतमवादियों की है जो मानती है कि सरकार को न्यूनतम काम करने का अधिकार है जिनमें पुलिस-सुरक्षा, अनुबंधों का कार्यान्वयन करवाना, नागरिक और फ़ौजदारी अदालत कायम करना शामिल है। लेकिन अधिकतर न्यूनतमवादी यह भी मानते हैं कि उनकी सूची में कर वसूलने का अधिकार शामिल नहीं है। यहाँ तक कि ऊपर वर्णित काम पूरे करने के लिए भी सरकार को लोगों से टैक्स नहीं लेना चाहिए। अराजकतावादियों का ख़याल है कि क्रिकेट के नाइटवाचमैन किस्म का यह राज्य भी कुछ ज़्यादा ही व्यापक है। वे मानते हैं कि न्यूनतमवादियों ने सरकार को जो काम दिये हैं, वे भी निजी एजेंसियों द्वारा किये जाने चाहिए। कुछ अराजकतावादी तो व्यक्ति की सुरक्षा के लिए भी सरकार को किसी तरह की शक्ति का उपभोग नहीं करने देना चाहते। स्वतंत्रतावादी व्यक्ति के आत्म-स्वामित्व या ‘सेल्फ़ ऑनरशिप’ के विचार पर बल देते हैं। आत्म-स्वामित्व का विचार कांट द्वारा लोगों को अपने-आप में साध्य मानने के सूत्र का ही एक रूप है। इसका अर्थ यह है कि हर व्यक्ति ख़ुद अपना मालिक है। इसलिए उसकी ज़िंदगी में किसी को भी ऐसा दख़ल देने की ज़रूरत नहीं हैं जिससे उसके आत्म- स्वामित्व का उल्लंघन होता हो। इस आधार पर भी स्वतंत्रतावाद दो धाराओं में बँट जाता है: पहला, दक्षिणपंथी स्वतंत्रतावाद और दूसरा वामपंथी स्वतंत्रतावाद। दक्षिणपंथी स्वतंत्रतावादी न्यूनतम राज्य की अवधारणा का समर्थक है। उसका मानना है कि व्यक्ति को असीम सम्पत्ति का अधिकार है। यदि राज्य व्यक्ति पर किसी भी तरह का कर लगाता है तो वह आत्म-स्वामित्व के उसूल का उल्लंघन होगा। लॉक के विचारों में इसके सूत्र पाये जा सकते हैं। बींसवी सदी में हायक और फ़्रीडमैन ने भी इस विचार का समर्थन किया है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इस आंदोलन को बौद्धिक समर्थन देने वाले प्रमुख विद्वानों में अमेरिकी अर्थशास्त्री मरे एन.

अराजकतावाद और स्वतंत्रतावाद के बीच समानता

अराजकतावाद और स्वतंत्रतावाद आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): राज्य

राज्य

विश्व के वर्तमान राज्य (विश्व राजनीतिक) पूँजीवादी राज्य व्यवस्था का पिरामिड राज्य उस संगठित इकाई को कहते हैं जो एक शासन (सरकार) के अधीन हो। राज्य संप्रभुतासम्पन्न हो सकते हैं। इसके अलावा किसी शासकीय इकाई या उसके किसी प्रभाग को भी 'राज्य' कहते हैं, जैसे भारत के प्रदेशों को भी 'राज्य' कहते हैं। राज्य आधुनिक विश्व की अनिवार्य सच्चाई है। दुनिया के अधिकांश लोग किसी-न-किसी राज्य के नागरिक हैं। जो लोग किसी राज्य के नागरिक नहीं हैं, उनके लिए वर्तमान विश्व व्यवस्था में अपना अस्तित्व बचाये रखना काफ़ी कठिन है। वास्तव में, 'राज्य' शब्द का उपयोग तीन अलग-अलग तरीके से किया जा सकता है। पहला, इसे एक ऐतिहासिक सत्ता माना जा सकता है; दूसरा इसे एक दार्शनिक विचार अर्थात् मानवीय समाज के स्थाई रूप के तौर पर देखा जा सकता है; और तीसरा, इसे एक आधुनिक परिघटना के रूप में देखा जा सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि इन सभी अर्थों का एक-दूसरे से टकराव ही हो। असल में, इनके बीच का अंतर सावधानी से समझने की आवश्यकता है। वैचारिक स्तर पर राज्य को मार्क्सवाद, नारीवाद और अराजकतावाद आदि से चुनौती मिली है। लेकिन अभी राज्य से परे किसी अन्य मज़बूत इकाई की खोज नहीं हो पायी है। राज्य अभी भी प्रासंगिक है और दिनों-दिन मज़बूत होता जा रहा है। यूरोपीय चिंतन में राज्य के चार अंग बताये जाते हैं - निश्चित भूभाग, जनसँख्या, सरकार और संप्रभुता। भारतीय राजनीतिक चिन्तन में 'राज्य' के सात अंग गिनाये जाते हैं- राजा या स्वामी, मंत्री या अमात्य, सुहृद, देश, कोष, दुर्ग और सेना। (राज्य की भारतीय अवधारण देखें।) कौटिल्य ने राज्य के सात अंग बताये हैं और ये उनका "सप्तांग सिद्धांत " कहलाता है - राजा, आमात्य या मंत्री, पुर या दुर्ग, कोष, दण्ड, मित्र । .

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अराजकतावाद और स्वतंत्रतावाद के बीच तुलना

अराजकतावाद 14 संबंध है और स्वतंत्रतावाद 4 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 5.56% है = 1 / (14 + 4)।

संदर्भ

यह लेख अराजकतावाद और स्वतंत्रतावाद के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: