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अरब का दर्शन और जलालुद्दीन रूमी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अरब का दर्शन और जलालुद्दीन रूमी के बीच अंतर

अरब का दर्शन vs. जलालुद्दीन रूमी

अरबी दर्शन का विकास चार मंजिलों से होकर गुजरा है: (1) यूनानी ग्रंथों का सामी तथा मुसलमानों द्वारा किया अनुवाद तथा विवेचन, यह युग अनुवादों का है; (2) बुद्धिपरक हेतुवादी युग; (3) धर्मपरक हेतुवादी युग; (4) शुद्ध दार्शनिक युग . मौलाना मुहम्मद जलालुद्दीन रूमी (३० सितम्बर, १२०७) फारसी साहित्य के महत्वपूर्ण लेखक थे जिन्होंने मसनवी में महत्वपूर्ण योगदान किया। इन्होंने सूफ़ी परंपरा में नर्तक साधुओ (गिर्दानी दरवेशों) की परंपरा का संवर्धन किया। रूमी अफ़ग़ानिस्तान के मूल निवासी थे पर मध्य तुर्की के सल्जूक दरबार में इन्होंने अपना जीवन बिताया और कई महत्वपूर्ण रचनाएँ रचीं। कोन्या (मध्य तुर्की) में ही इनका देहांत हुआ जिसके बाद आपकी कब्र एक मज़ार का रूप लेती गई जहाँ आपकी याद में सालाना आयोजन सैकड़ों सालों से होते आते रहे हैं। रूमी के जीवन में शम्स तबरीज़ी का महत्वपूर्ण स्थान है जिनसे मिलने के बाद इनकी शायरी में मस्ताना रंग भर आया था। इनकी रचनाओं के एक संग्रह (दीवान) को दीवान-ए-शम्स कहते हैं। .

अरब का दर्शन और जलालुद्दीन रूमी के बीच समानता

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संदर्भ

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