अमेरिकी क्रान्ति और १७७६ के बीच समानता
अमेरिकी क्रान्ति और १७७६ आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): संयुक्त राज्य, संयुक्त राज्य की स्वतंत्रता का घोषणापत्र।
संयुक्त राज्य
संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) (यू एस ए), जिसे सामान्यतः संयुक्त राज्य (United States) (यू एस) या अमेरिका कहा जाता हैं, एक देश हैं, जिसमें राज्य, एक फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, पाँच प्रमुख स्व-शासनीय क्षेत्र, और विभिन्न अधिनस्थ क्षेत्र सम्मिलित हैं। 48 संस्पर्शी राज्य और फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, कनाडा और मेक्सिको के मध्य, केन्द्रीय उत्तर अमेरिका में हैं। अलास्का राज्य, उत्तर अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है, जिसके पूर्व में कनाडा की सीमा एवं पश्चिम मे बेरिंग जलसन्धि रूस से घिरा हुआ है। वहीं हवाई राज्य, मध्य-प्रशान्त में स्थित हैं। अमेरिकी स्व-शासित क्षेत्र प्रशान्त महासागर और कॅरीबीयन सागर में बिखरें हुएँ हैं। 38 लाख वर्ग मील (98 लाख किमी2)"", U.S. Census Bureau, database as of August 2010, excluding the U.S. Minor Outlying Islands.
अमेरिकी क्रान्ति और संयुक्त राज्य · संयुक्त राज्य और १७७६ ·
संयुक्त राज्य की स्वतंत्रता का घोषणापत्र
अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा का अन्तिम दस्तावेज़ कांग्रेस को सौंपते हुए '''अमेरिका की स्वतंत्रता की घोषणा''' का मूल दस्तावेज अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा (Declaration of Independence) एक राजनैतिक दस्तावेज है जिसके आधार पर इंग्लैण्ड के १३ उत्तर-अमेरिकी उपनिवेशों ने 4 जुलाई 1776 ई. को स्वयं को इंग्लैण्ड से स्वतंत्र घोषित कर लिया। इसके बाद से ४ जुलाई को यूएसए में राष्ट्रीय अवकाश रहता है। अमरीका के निवासियों ने ब्रिटिश शासनसत्ता के अधिकारों और अपनी कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए जो संघर्ष सन् 1775 ई. में आरंभ किया था वह दूसरे ही वर्ष स्वतंत्रता संग्राम में परिणत हो गया। इंगलैंड के तत्कालीन शासक जॉर्ज तृतीय की दमननीति से समझौते की आशा समाप्त हो गई और शीघ्र ही पूर्ण संबंधविच्छेद हो गया। इंगलैंड से आए हुए उग्रवादी युवक टॉमस पेन ने अपनी पुस्तिका "कॉमनसेंस" द्वारा स्वतंत्रता की भावना को और भी प्रज्वलित किया। 7 जून, 1776 ई. को वर्जीनिया के रिचर्ड हेनरी ली ने प्रायद्वीपी कांग्रेस में यह प्रस्ताव रखा कि उपनिवेशों को स्वतंत्र होने का अधिकार है। इस प्रस्ताव पर वादविवाद के उपरांत "स्वतंत्रता की घोषणा" तैयार करने के लिए 11 जून को एक समिति बनाई गई, जिसने यह कार्य थॉमस जेफ़रसन को सौंपा। जेफ़रसन द्वारा तैयार किए गए घोषणापत्र में ऐडम्स और फ्रैंकलिन ने कुछ संशोधन कर उसे 28 जून को प्रायद्वीपी कांग्रेस के समक्ष रखा और 2 जुलाई को यह बिना विरोध पास हो गया। जेफ़रसन ने उपनिवेशों के लोगों की कठिनाइयों और आवश्यकताओं का ध्यान रखकर नहीं, अपितु मनुष्य के प्राकृतिक अधिकारों के दार्शनिक सिद्धांतों को ध्यान में रखकर यह घोषणापत्र तैयार किया था जिसके निम्नांकित शब्द अमर हैं: इस घोषणापत्र में कुछ ऐसे महत्व के सिद्धांत रखे गए जिन्होंने विश्व की राजनीतिक विचारधारा में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। समानता का अधिकार, जनता का सरकार बाने का अधिकार और अयोग्य सरकार को बदल देने अथवा उसे हटाकर नई सरकार की स्थापना करने का अधिकार आदि ऐसे सिद्धांत थे जिन्हें सफलतापूर्वक क्रियात्मक रूप दिया जा सकेगा, इसमें उस समय अमरीकी जनता को भी संदेह था परंतु उसने इनको सहर्ष स्वीकार कर सफलतापूर्वक कार्यरूप में परिणत कर दिखाया। जेफ़रसन ने ब्रिटिश दार्शनिक जॉन लॉक के "जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति" के अधिकार के सिद्धांत को भी थोड़े संशोधन के साथ स्वीकार किया। उसने संपत्ति को ही सुख का साधन न मानकर उसे स्थान पर "सुख की खोज" का अधिकार माँगकर अमरीकी जनता को वस्तुवादिता से बचाने की चेष्टा की, परंतु उसे कितनी सफलता मिली इसमें संदेह है। .
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संदर्भ
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