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अमेरिकी क्रान्ति और डी. डब्ल्यू. ग्रिफ़िथ

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अमेरिकी क्रान्ति और डी. डब्ल्यू. ग्रिफ़िथ के बीच अंतर

अमेरिकी क्रान्ति vs. डी. डब्ल्यू. ग्रिफ़िथ

दिलावर नदी को नाव द्वारा पार करते जनरल जार्ज़ वाशिंगटन व उनके सैनिकों की टोली अमेरिकी स्वतन्त्रता की की घोषणा का ड्राफ्ट तैयार करने के लिये गठित पाँच सदस्यीय समिति सन १७७६ में घोषणा के सस्तावेज द्वितीय कांटिनेन्टल कांग्रेस को सौंपते हुए अमेरिकी क्रान्ति से आशय अठ्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में घटित घटनाओं से है जिसमें तेरह कालोनियाँ ब्रितानी साम्राज्य से आजाद होकर संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America / USA) के नाम से एक देश बना। इस क्रान्ति में सन १७७५ एवं १७८३ के बीच तेरह कालोनियाँ मिलकर ब्रितानी साम्राज्य के साथ सशस्त्र संग्राम में शामिल हुईं। इस संग्राम को 'क्रान्तिकारी युद्ध' या 'अमेरिका का स्वतन्त्रता संग्राम' कहते हैं। इस क्रान्ति के फलस्वरूप सन १७७६ में अमेरिका के स्वतन्त्रता की घोषणा की गयी एवं अन्ततः सन १७८१ के अक्टूबर माह में युद्ध के मैदान में क्रान्तिकारियों की विजय हुई। अमरीकी क्रान्ति १७७५ से १७८३ के दौरान जनरल जार्ज वाशिंगटन द्वारा अमरीकी सेना का नेतृत्व करते हुए की गयी थी। वाशिंगटन ने अमरीकन उपनिवेशों को एकीकृत करके संयुक्त राज्य अमरीका का वर्तमान स्वरूप प्रदान किया। बाद में उन्हें १७८९ में अमरीका का पहला राष्ट्रपति चुना गया। १४ दिसम्बर १७९९ को वाशिंगटन की मृत्यु हो गयी। उन्हें वर्तमान अमरीका का राष्ट्र-निर्माता कहा जाता है। आज भी अमरीका में उनके ही नाम पर वाशिंगटन शहर है। मुख्यत: अमरीकी क्रान्ति सामाजिक, राजनीतिक व सैनिक क्रान्ति का मिला-जुला परिणाम था। . डी.डब्ल्यू ग्रिफ़िथ अमरीकी फिल्म निर्देशक, लेखक और निर्माता थे। ग्रिफ़िथ को फिल्म निर्माण की आधुनिक तकनीक का जन्मदाता कहा जाता है। ग्रिफिथ को उनकी फिल्मों “द बर्थ ऑफ नेशन” (1915) और “इंटालेंस” (1916) के लिए जाना जाता है।फिल्म “द बर्थ ऑफ नेशन” में पहली बार एक नई कैमरा तकनीक और पटकथा का प्रयोग किया गया जिसने आगे आने वाली पूरी लंबाई की फीचर फ़िल्मों के लिए मार्ग प्रशस्त किया। हालांकि इस फिल्म ने अफ्रीकी मूल के अश्वेत लोगों के नकारात्मक चित्रण और कु क्लुल्स क्लान के महिमामंडन की वजह से रिलीज होते ही अमरीका में नस्लवाद पर एक नए विवाद को जन्म दे दिया।यही वजह है कि आज की तारीख में इस फिल्म को सर्वथा नवीन तकनीक की वजह से महान और ऐतिहासिक महान फिल्म माना जाता है तो वहीं नस्लवादी रुझान की वजह से इसके कथ्य की निंदा भी की जाती है। इस फिल्म को रिलीज होते ही अश्वेत लोगों के अमरीकी संगठन के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। कई जगहों पर दंगे भी हुए। यहां तक की न्यूयार्क शहर में इस शहर पर प्रतिबंध तक लगाया गया। लेकिन अगले साल ही अपनी दूसरी फिल्म इंटालरेंस के जरिए ग्रिफिथ ने अपने विरोधियों को भरसक जवाब दिया। ब्रोकेन ब्लाजम(1919), वे डाऊन ईस्ट(1920) और ऑरफन्स ऑफ दी स्टॉर्म(1920) जैसी फिल्मों के जरिए ग्रिफिथ ने सफलता के नए कीर्तिमान गढ़ दिए। लेकिन ये फिल्में अपने महंगी लागत और प्रचार के कारण व्यावसायिक रूप से सफल नहीं रहीं। बावजूद इसके ग्रिफिथ ने अपने जीवन काल में तकरीबन 500 फिल्मों का निर्माण किया। सन 1931 में प्रदर्शित हुई “द स्ट्रगल” ग्रिफिथ की आखिरी फिल्म थी। ग्रिफिथ “एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स एंड साइन्स” के संस्थापकों में से एक थे। उन्हें सिनेमा के इतिहास के प्रमुख हस्ताक्षरों में गिना जाता है। फ़िल्म निर्माण की तकनीक में क्लोज-अप के इस्तेमाल का श्रेय ग्रिफिथ को दिया जाता है। .

अमेरिकी क्रान्ति और डी. डब्ल्यू. ग्रिफ़िथ के बीच समानता

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संदर्भ

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