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अमीर ख़ुसरो और वीणा

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अमीर ख़ुसरो और वीणा के बीच अंतर

अमीर ख़ुसरो vs. वीणा

अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो (1253-1325) चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि शायर, गायक और संगीतकार थे। उनका परिवार कई पीढ़ियों से राजदरबार से सम्बंधित था I स्वयं अमीर खुसरो ने आठ सुल्तानों का शासन देखा था I अमीर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है I वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदी, हिन्दवी और फारसी में एक साथ लिखा I उन्हे खड़ी बोली के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है I वे अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए जाने जाते हैं। सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था। वे फारसी के कवि भी थे। उनको दिल्ली सल्तनत का आश्रय मिला हुआ था। उनके ग्रंथो की सूची लम्बी है। साथ ही इनका इतिहास स्रोत रूप में महत्त्व है। मध्य एशिया की लाचन जाति के तुर्क सैफुद्दीन के पुत्र अमीर खुसरो का जन्म सन् (६५२ हि.) में एटा उत्तर प्रदेश के पटियाली नामक कस्बे में हुआ था। लाचन जाति के तुर्क चंगेज खाँ के आक्रमणों से पीड़ित होकर बलबन (१२६६ -१२८६ ई0) के राज्यकाल में ‘’शरणार्थी के रूप में भारत में आ बसे थे। खुसरो की माँ बलबनके युद्धमंत्री इमादुतुल मुल्क की पुत्री तथा एक भारतीय मुसलमान महिला थी। सात वर्ष की अवस्था में खुसरो के पिता का देहान्त हो गया। किशोरावस्था में उन्होंने कविता लिखना प्रारम्भ किया और २० वर्ष के होते होते वे कवि के रूप में प्रसिद्ध हो गए। खुसरो में व्यवहारिक बुद्धि की कोई कमी नहीं थी। सामाजिक जीवन की खुसरो ने कभी अवहेलना नहीं की। खुसरो ने अपना सारा जीवन राज्याश्रय में ही बिताया। राजदरबार में रहते हुए भी खुसरो हमेशा कवि, कलाकार, संगीतज्ञ और सैनिक ही बने रहे। साहित्य के अतिरिक्त संगीत के क्षेत्र में भी खुसरो का महत्वपूर्ण योगदान है I उन्होंने भारतीय और ईरानी रागों का सुन्दर मिश्रण किया और एक नवीन राग शैली इमान, जिल्फ़, साजगरी आदि को जन्म दिया I भारतीय गायन में क़व्वालीऔर सितार को इन्हीं की देन माना जाता है। इन्होंने गीत के तर्ज पर फ़ारसी में और अरबी ग़जल के शब्दों को मिलाकर कई पहेलियाँ और दोहे भी लिखे हैं। . वीणा भारत के लोकप्रिय वाद्ययंत्र में से एक है जिसका प्रयोग प्राय: शास्त्रीय संगीत में किया जाता है। वीणा सुर ध्वनिओं के लिये भारतीय संगीत में प्रयुक्त सबसे प्राचीन वाद्ययंत्र है। समय के साथ इसके कई प्रकार विकसित हुए हैं (रुद्रवीणा, विचित्रवीणा इत्यादि)। किन्तु इसका प्राचीनतम रूप है। कुछ लोग कहते हैं मध्यकाल में जनाब अमीर खुसरो दहलवी ने सितार की रचना वीणा और बैंजो (जो इस्लामी सभ्यताओं में लोकप्रिय था) को मिलाकर किया, कुछ इसे गिटार का भी रूप बताते हैं। इसके इतिहास के बारे में अनेक मत हैं किंतु अपनी पुस्तक भारतीय संगीत वाद्य में प्रसिद्ध विचित्र वीणा वादक डॉ लालमणि मिश्र ने इसे प्राचीन त्रितंत्री वीणा का विकसित रूप सिद्ध किया। सितार पूर्ण भारतीय वाद्य है क्योंकि इसमें भारतीय वाद्योँ की तीनों विशेषताएं हैं। वीणा वस्तुत: तंत्री वाद्यों का सँरचनात्मक नाम है। तंत्री या तारों के अलावा इसमें घुड़च, तरब के तार तथा सारिकाएँ होती हैं। सामान्य तौर पर इसमें चार तार होते हैं और तारों की लंबाई में किसी प्रकार का विभाजन (fret) नहीं होता (जबकि सितार में विभाजन किया जाता है)। इस कारण वीणा प्राचीन संगीत के लिये ज्यादा उपयुक्त है। वीणा में तारों की कंपन एक गोलाकार घड़े से तीव्रतर होती है तथा कई आवृत्ति ("frequency") की ध्वनियों के मिलने से "harmonic" ध्वनि का जनन होता है। सुरवाद्य होने के लिये ऐसी ध्वनियाँ आवश्यक हैं। विचित्र वीणा से प्रभावित हो कई कलाकार इसके आकार को छोटा करने का प्रयास कर चुके हैं किन्तु उससे ध्वनि का गाम्भीर्य भी परिवर्तित हो जाता है। गिटार को कुछ परिवर्तनों के साथ भारतीय सन्गीत हेतु उपयुक्त बना विश्वमोहन भट्ट उसे मोहन वीणा के नाम से प्रचलित कर चुके हैं यद्यपि यह चौकोर सपाट ब्रिज के अभाव में वीणा की अवधारणा पूरी नहीं करता। यह कमी पूरी करती है। .

अमीर ख़ुसरो और वीणा के बीच समानता

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अमीर ख़ुसरो और वीणा के बीच तुलना

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संदर्भ

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