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अफ़्रीका और गुदना

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अफ़्रीका और गुदना के बीच अंतर

अफ़्रीका vs. गुदना

अफ़्रीका वा कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 37°14' उत्तरी अक्षांश से 34°50' दक्षिणी अक्षांश एवं 17°33' पश्चिमी देशान्तर से 51°23' पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित है। अफ्रीका के उत्तर में भूमध्यसागर एवं यूरोप महाद्वीप, पश्चिम में अंध महासागर, दक्षिण में दक्षिण महासागर तथा पूर्व में अरब सागर एवं हिन्द महासागर हैं। पूर्व में स्वेज भूडमरूमध्य इसे एशिया से जोड़ता है तथा स्वेज नहर इसे एशिया से अलग करती है। जिब्राल्टर जलडमरूमध्य इसे उत्तर में यूरोप महाद्वीप से अलग करता है। इस महाद्वीप में विशाल मरुस्थल, अत्यन्त घने वन, विस्तृत घास के मैदान, बड़ी-बड़ी नदियाँ व झीलें तथा विचित्र जंगली जानवर हैं। मुख्य मध्याह्न रेखा (0°) अफ्रीका महाद्वीप के घाना देश की राजधानी अक्रा शहर से होकर गुजरती है। यहाँ सेरेनगेती और क्रुजर राष्‍ट्रीय उद्यान है तो जलप्रपात और वर्षावन भी हैं। एक ओर सहारा मरुस्‍थल है तो दूसरी ओर किलिमंजारो पर्वत भी है और सुषुप्‍त ज्वालामुखी भी है। युगांडा, तंजानिया और केन्या की सीमा पर स्थित विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झीलहै। यह झील दुनिया की सबसे लम्बी नदी नील के पानी का स्रोत भी है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्‍यता की जन्‍मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं (मिस्र एवं कार्थेज) का भी विकास हुआ था। अफ्रीका के बहुत से देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए हैं एवं सभी अपने आर्थिक विकास में लगे हुए हैं। अफ़्रीका अपनी बहुरंगी संस्कृति और जमीन से जुड़े साहित्य के कारण भी विश्व में जाना जाता है। . गोदना या अंकन गुदना (tatoo) को पछेना या अंकन भी कहते हैं। शरीर की त्वचा पर रंगीन आकृतियाँ उत्कीर्ण करने के लिए अंग विशेष पर घाव करके, चीरा लगाकर अथवा सतही छेद करके उनके अंदर लकड़ी के कोयले का चूर्ण, राख या फिर रँगने के मसाले भर दिए जाते हैं। घाव भर जाने पर खाल के ऊपर स्थायी रंगीन आकृति विशेष बन जाती है। गुदनों का रंग प्राय: गहरा नीला, काला या हल्का लाल रहता है। अंकन की एक विधि और भी है जिससे बनने वाले व्रणरोपण को क्षतचिह्न या क्षतांक कहा जाता है। इसमें किसी एक ही स्थान की त्वचा को बार-बार काटते हैं और घाव के ठीक हो जाने के बाद उक्त स्थान पर एक अर्बुद या उभरा हुआ चकत्ता बन जाता है जो देखने में रेशेदार लगता है। पशुओं मे गोदना पहचान या ब्रांडिंग के लिए उपयोग किया जाता है पर मनुष्यों मे गोदना का उद्देश्य सजावटी शरीर संशोधन है। कुछ देशों या जातियों में रंगीन गुदने गुदवाने की प्रथा है तो कुछ में केवल क्षतचिह्नों की। परंतु कुछ ऐसी भी जातियाँ हैं जिनमें दोनों प्रकार के अंकन प्रचलित हैं यथा, दक्षिण सागर द्वीप के निवासी। ऐडमिरैस्टी द्वीप में रहने वालों, फिजी निवासियों, भारत के गोड़ एवं टोडो, ल्यू क्यू द्वीप के बाशिंदों और अन्य कई जातियों में रंगीन गुदने गुदवाने की प्रथा केवल स्त्रियों तक सीमित है या थी। मिस्र में नील नदी की उर्ध्व उपत्यका में बसने वाले लटुका लोग केवल स्त्रियों के शरीरों पर क्षतचिह्न बनवाते हैं। रंगीन गुदनों के पीछे प्राय: अलंकरण की प्रवृत्ति होती है जब कि क्षतचिह्नों का महत्व अधिकतर कबीलों की पहचान के लिए रहता है। अफ्रीका के अनेक आदिम कबीले क्षतचिह्नों को पसंद करते हैं और मध्य कांगों के बगल शरीर अलंकरण हेतु पूरे शरीर पर क्षतांक बनवाते हैं। कहीं-कहीं विवाह और गुदनों में परस्पर गहरा संबंध रहता है। सालामन द्वीप में लड़कियों का विवाह तब तक नहीं हो पाता जब तक कि उनके चेहरों और वक्षस्थलों पर गुदने न गुदवा दिए जाएँ। आस्ट्रेलिया के आदिवासियों में विवाह से पूर्व लड़कियों का पीठ पर क्षतचिह्नों का होना अनिवार्य है। फारमोसा निवासियों में विवाह से पहले लड़कियों के चेहरों पर गुदने गुदवाए जाते हैं और न्यूगिनी के पापुअन विवाह से पूर्व लड़कियों के पूरे शरीर पर (मुँह को छोड़कर) गुदने गुदवाते हैं। न्यूजीलैंड के माओरिस लोगों तथा जापानियों ने रंगीन गुदनों का विकास उच्च कलात्मक रूप में किया था। किंतु अन्य कई जातियों की तरह इन दोनों ने भी सभ्यता के प्रकाश में गुदना प्रथा को अधिकतर त्याग दिया है। मलय जाति में गुदनों को पुरस्कारस्वरूप ग्रहण किया जाता है और केवल सफल तथा प्रमुख शिकारी ही गुदने गुदवाने के अधिकारी होते हैं। सभ्य देशों के नाविक भी बहुधा किसी एक रंग के गुदने अपने हाथों और छातियों पर गुदवाते हैं जिनकी आकृति प्राय: तारे या ध्वज की होती है। भारत के स्त्रियाँ ही गुदनों की शौकीन होती हैं लेकिन पुरुषों में वैष्णव लोग शंख, चक्र, गदा, पद्म विष्णु के चार आयुधों के चिह्न छपवाते हैं और दक्षिण के शैव लोग त्रिशूल या शिवलिंग के। रामानुज संप्रदाय के सदस्यों में इसका चलन अधिक है। द्वारिका इसके लिए प्रसिद्ध स्थान है। ओम का चिह्न भी लोग हाथों पर बनवाते हैं और बहुत सी स्त्रियाँ पति के नाम बाहों पर गुदवा लेती हैं। .

अफ़्रीका और गुदना के बीच समानता

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अफ़्रीका और गुदना के बीच तुलना

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संदर्भ

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