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अपरिमेय संख्या और बीजीय संख्या

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अपरिमेय संख्या और बीजीय संख्या के बीच अंतर

अपरिमेय संख्या vs. बीजीय संख्या

गणित में, अपरिमेय संख्या (irrational number) वह वास्तविक संख्या है जो परिमेय नहीं है, अर्थात् जिसे भिन्न p /q के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता है, जहां p और q पूर्णांक हैं, जिसमें q गैर-शून्य है और इसलिए परिमेय संख्या नहीं है। अनौपचारिक रूप से, इसका मतलब है कि एक अपरिमेय संख्या को एक सरल भिन्न के रूप में प्रदर्शित नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिये २ का वर्गमूल, और पाई अपरिमेय संख्याएँ हैं। यह साबित हो सकता है कि अपरिमेय संख्याएं विशिष्ट रूप से ऐसी वास्तविक संख्याएं हैं जिन्हें समापक या सतत दशमलव के रूप में नहीं दर्शाया जा सकता है, हालांकि गणितज्ञ इसे परिभाषा के रूप में नहीं लेते हैं। कैंटर प्रमाण के परिणामस्वरूप कि वास्तविक संख्याएं अगणनीय हैं (और परिमेय गणनीय) यह मानता है कि लगभग सभी वास्तविक संख्याएं अपरिमेय हैं। शायद, सर्वाधिक प्रसिद्ध अपरिमेय संख्याएं हैं π, e और √२. गणित में बीजीय संख्या (algebraic number) उन संख्याओं को कहते हैं जो किसी एक चर वाले, परिमेय गुणांकों वाले, अशून्य बहुपद का मूल (रूट) हो। π आदि संख्याएँ बीजीय नहीं है। इन्हे अबीजीय (transcendental) कहते हैं। .

अपरिमेय संख्या और बीजीय संख्या के बीच समानता

अपरिमेय संख्या और बीजीय संख्या आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): बहुपद, गणित

बहुपद

7 घात वाले एक बहुपद का कार्तीय निरेशांक प्रणाली में ग्राफ प्रारंभिक बीजगणित में धन (+) और ऋण (-) चिह्नों से संबंद्ध कई पदों के व्यंजक (expression) को बहुपद (Polynomial) कहते हैं, यथा (3a+2b-5c).

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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अपरिमेय संख्या और बीजीय संख्या के बीच तुलना

अपरिमेय संख्या 34 संबंध है और बीजीय संख्या 4 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 5.26% है = 2 / (34 + 4)।

संदर्भ

यह लेख अपरिमेय संख्या और बीजीय संख्या के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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