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अपक्षय और ब्रह्माण्ड किरण

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अपक्षय और ब्रह्माण्ड किरण के बीच अंतर

अपक्षय vs. ब्रह्माण्ड किरण

अपक्षय (Weathering) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पृथ्वी की सतह पर मौजूद चट्टानें में टूट-फूट होती है। यह अपरदन से अलग है, क्योंकि इसमें टूटने से निर्मित भूपदार्थों का एक जगह से दूसरी जगह स्थानान्तरण या परिवहन नहीं होता। यह अवघटना इन सितु (अपने ही स्थान पर) होती है, इसके बाद निर्मित पदार्थों का कुछ हिस्सा अवश्य अपरदन के कारकों द्वारा परिवहन हेतु उपलब्ध हो जाता है। आमतौर पर इसे एक जटिल प्रक्रिया माना जाता है जिसमें वातावरण का तापमान, नमी, चट्टान की संरचना, दाब और विविध रासायनिक और जैविक कारक एक साथ मिलकर कार्य करते हैं। चट्टानों के टूटने के कारण के आधार पर अपक्षय के तीन प्रकार बताये जाते हैं: भौतिक, रासायनिक और जैविक अपक्षय। . ब्रह्माण्डीय किरण का उर्जा-स्पेक्ट्रम ब्रह्माण्ड किरणें (cosmic ray) अत्यधिक उर्जा वाले कण हैं जो बाहरी अंतरिक्ष में पैदा होते हैं और छिटक कर पृथ्वी पर आ जाते हैं। लगभग ९०% ब्रह्माण्ड किरण (कण) प्रोटॉन होते हैं; लगभग १०% हिलियम के नाभिक होते हैं; तथा १% से कम ही भारी तत्व तथा इलेक्ट्रॉन (बीटा मिनस कण) होते हैं। वस्तुत: इनको "किरण" कहना ठीक नहीं है क्योंकि धरती पर पहुँचने वाले ब्रह्माण्डीय कण अकेले होते हैं न कि किसी पुंज या किरण के रूप में। .

अपक्षय और ब्रह्माण्ड किरण के बीच समानता

अपक्षय और ब्रह्माण्ड किरण आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): पृथ्वी

पृथ्वी

पृथ्वी, (अंग्रेज़ी: "अर्थ"(Earth), लातिन:"टेरा"(Terra)) जिसे विश्व (The World) भी कहा जाता है, सूर्य से तीसरा ग्रह और ज्ञात ब्रह्माण्ड में एकमात्र ग्रह है जहाँ जीवन उपस्थित है। यह सौर मंडल में सबसे घना और चार स्थलीय ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। रेडियोधर्मी डेटिंग और साक्ष्य के अन्य स्रोतों के अनुसार, पृथ्वी की आयु लगभग 4.54 बिलियन साल हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण, अंतरिक्ष में अन्य पिण्ड के साथ परस्पर प्रभावित रहती है, विशेष रूप से सूर्य और चंद्रमा से, जोकि पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह हैं। सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान, पृथ्वी अपनी कक्षा में 365 बार घूमती है; इस प्रकार, पृथ्वी का एक वर्ष लगभग 365.26 दिन लंबा होता है। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान इसके धुरी में झुकाव होता है, जिसके कारण ही ग्रह की सतह पर मौसमी विविधताये (ऋतुएँ) पाई जाती हैं। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार-भाटे आते है, यह पृथ्वी को इसकी अपनी अक्ष पर स्थिर करता है, तथा इसकी परिक्रमण को धीमा कर देता है। पृथ्वी न केवल मानव (human) का अपितु अन्य लाखों प्रजातियों (species) का भी घर है और साथ ही ब्रह्मांड में एकमात्र वह स्थान है जहाँ जीवन (life) का अस्तित्व पाया जाता है। इसकी सतह पर जीवन का प्रस्फुटन लगभग एक अरब वर्ष पहले प्रकट हुआ। पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के लिये आदर्श दशाएँ (जैसे सूर्य से सटीक दूरी इत्यादि) न केवल पहले से उपलब्ध थी बल्कि जीवन की उत्पत्ति के बाद से विकास क्रम में जीवधारियों ने इस ग्रह के वायुमंडल (the atmosphere) और अन्य अजैवकीय (abiotic) परिस्थितियों को भी बदला है और इसके पर्यावरण को वर्तमान रूप दिया है। पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन की वर्तमान प्रचुरता वस्तुतः जीवन की उत्पत्ति का कारण नहीं बल्कि परिणाम भी है। जीवधारी और वायुमंडल दोनों अन्योन्याश्रय के संबंध द्वारा विकसित हुए हैं। पृथ्वी पर श्वशनजीवी जीवों (aerobic organisms) के प्रसारण के साथ ओजोन परत (ozone layer) का निर्माण हुआ जो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र (Earth's magnetic field) के साथ हानिकारक विकिरण को रोकने वाली दूसरी परत बनती है और इस प्रकार पृथ्वी पर जीवन की अनुमति देता है। पृथ्वी का भूपटल (outer surface) कई कठोर खंडों या विवर्तनिक प्लेटों में विभाजित है जो भूगर्भिक इतिहास (geological history) के दौरान एक स्थान से दूसरे स्थान को विस्थापित हुए हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से धरातल का करीब ७१% नमकीन जल (salt-water) के सागर से आच्छादित है, शेष में महाद्वीप और द्वीप; तथा मीठे पानी की झीलें इत्यादि अवस्थित हैं। पानी सभी ज्ञात जीवन के लिए आवश्यक है जिसका अन्य किसी ब्रह्मांडीय पिण्ड के सतह पर अस्तित्व ज्ञात नही है। पृथ्वी की आतंरिक रचना तीन प्रमुख परतों में हुई है भूपटल, भूप्रावार और क्रोड। इसमें से बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है और एक ठोस लोहे और निकल के आतंरिक कोर (inner core) के साथ क्रिया करके पृथ्वी मे चुंबकत्व या चुंबकीय क्षेत्र को पैदा करता है। पृथ्वी बाह्य अंतरिक्ष (outer space), में सूर्य और चंद्रमा समेत अन्य वस्तुओं के साथ क्रिया करता है वर्तमान में, पृथ्वी मोटे तौर पर अपनी धुरी का करीब ३६६.२६ बार चक्कर काटती है यह समय की लंबाई एक नाक्षत्र वर्ष (sidereal year) है जो ३६५.२६ सौर दिवस (solar day) के बराबर है पृथ्वी की घूर्णन की धुरी इसके कक्षीय समतल (orbital plane) से लम्बवत (perpendicular) २३.४ की दूरी पर झुका (tilted) है जो एक उष्णकटिबंधीय वर्ष (tropical year) (३६५.२४ सौर दिनों में) की अवधी में ग्रह की सतह पर मौसमी विविधता पैदा करता है। पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (natural satellite) है, जिसने इसकी परिक्रमा ४.५३ बिलियन साल पहले शुरू की। यह अपनी आकर्षण शक्ति द्वारा समुद्री ज्वार पैदा करता है, धुरिय झुकाव को स्थिर रखता है और धीरे-धीरे पृथ्वी के घूर्णन को धीमा करता है। ग्रह के प्रारंभिक इतिहास के दौरान एक धूमकेतु की बमबारी ने महासागरों के गठन में भूमिका निभाया। बाद में छुद्रग्रह (asteroid) के प्रभाव ने सतह के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण बदलाव किया। .

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अपक्षय और ब्रह्माण्ड किरण के बीच तुलना

अपक्षय 4 संबंध है और ब्रह्माण्ड किरण 15 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 5.26% है = 1 / (4 + 15)।

संदर्भ

यह लेख अपक्षय और ब्रह्माण्ड किरण के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: