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अन्तिम वस्तु और मूल्य (अर्थशास्त्र)

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अन्तिम वस्तु और मूल्य (अर्थशास्त्र) के बीच अंतर

अन्तिम वस्तु vs. मूल्य (अर्थशास्त्र)

अर्थशास्त्र में, कोई भी पण्य जो उत्पादित किया जाएँ और तत्पश्चात् उपभोक्ता द्वारा अपनी इच्छाओं और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपभुक्त किया जाएँ, वह एक उपभोक्ता वस्तु (consumer good) अथवा अन्तिम वस्तु (final good) है। उपभोक्ता वस्तु वे वस्तु होते हैं, जो अन्य वस्तु के उत्पादन में उपयुक्त होने के बजाए, अन्ततः उपभुक्त कियें जाते हैं। उदाहरणार्थ, एक माइक्रोवेव ओवन या बाइसिकल जो उपभोक्ता को बेचे जाते हैं, एक अन्तिम वस्तु अथवा उपभोक्ता वस्तु है; जबकि जो कॉम्पोनेन्ट उन वस्तुओं में उपयुक्त होने के लिए बेचे जाते हैं, मध्यवर्ती वस्तु कह लाते हैं। उदाहरणार्थ, टेक्सटाइल या ट्रांज़िस्टर, जिनका उपयोग और भी कुछ वस्तु बनाने में हो सकता हैं। श्रेणी:चित्र जोड़ें. आर्थिक मूल्य, किसी आर्थिक एजेंट को कोई वस्तु या सेवा द्वारा प्रदत्त लाभ का माप हैं। यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि आर्थिक मूल्य और बाज़ार भाव समान नहीं हैं, और ना ही आर्थिक मूल्य और बाज़ार मूल्य एक समान हैं। मूल्य की अवधारणा अर्थशास्त्र में केन्द्रीय है। इसको मापने का एक तरीका वस्तु का बाजार भाव है। एडम स्मिथ ने श्रम को मूल्य के मुख्य श्रोत के रूप में परिभाषित किया। "मूल्य के श्रम सिद्धान्त" को कार्ल मार्क्स सहित कई अर्थशास्त्रियों ने प्रतिपादित किया है। इस सिद्धान्त के अनुसार किसी सेवा या वस्तु का मूल्य उसके उत्पादन में प्रयुक्त श्रम के बराबर होत है। अधिकांश लोगों का मानना है कि इसका मूल्य वस्तु के दाम निर्धारित करता है। दाम का यह श्रम सिद्धान्त "मूल्य के उत्पादन लागत सिद्धान्त" से निकटता से जुड़ा हुआ है। .

अन्तिम वस्तु और मूल्य (अर्थशास्त्र) के बीच समानता

अन्तिम वस्तु और मूल्य (अर्थशास्त्र) आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): अर्थशास्त्र

अर्थशास्त्र

---- विश्व के विभिन्न देशों की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (सन २०१४) अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है और समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा है। अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध इत्यदि। प्रो.

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अन्तिम वस्तु और मूल्य (अर्थशास्त्र) के बीच तुलना

अन्तिम वस्तु 5 संबंध है और मूल्य (अर्थशास्त्र) 4 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 11.11% है = 1 / (5 + 4)।

संदर्भ

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