अन्तर्दर्शन और चेतना
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अन्तर्दर्शन और चेतना के बीच अंतर
अन्तर्दर्शन vs. चेतना
अंतर्दर्शन (इंट्रास्पेक्शन) का तात्पर्य अंदर देखने से है। इसे आत्म निरीक्षण या आत्म चेतना भी कहा जाता है। मनोविज्ञान की यह एक पद्धति है। इसका उद्देश्य मानसिक प्रक्रियाओं का स्वयं अध्ययन कर उनकी व्याख्या करना है। इस पद्धति के सहारे हम अपनी अनुभूतियों के रूप को समझना चाहते हैं। केवल आत्मविचार (सेल्फ-रिफ्लेक्शन) ही अंतर्दर्शन नहीं है। अंतर्दर्शन के विकास में तीन सीढ़ियों का होना आवश्यक है- (1) किसी बाह्य वस्तु के निरीक्षण क्रम में अपनी ही मानसिक क्रिया पर विचार करना, (2) अपनी ही मानसिक क्रियाओं के कारणों पर विचार करना और (3) अपनी मानसिक क्रियाओं के सुधार के बारे में सोचना। इस पद्धति के अनुसार एक ही मानसिक प्रक्रिया के बारे में लोग विभिन्न मत दे सकते हैं। अतः यह पद्धति अवैधानिक है। वैयक्तिक होने के कारण इससे केवल एक ही व्यक्ति कीे मानसिक दशा का पता चल सकता है। अंतर्दर्शन की सहायता के लिए बहिर्दर्शन पद्धति आवश्यक है। अंतर्दर्शन पद्धति का सबसे बड़ा गुण यह है कि इसमें निरीक्षण की वस्तु सदा हमारे साथ रहती है और हम अपने सुविधानुसार चाहे जब अंतर्दर्शन कर सकते हैं। . १७वीं सदी से चेतना का एक चित्रण चेतना कुछ जीवधारियों में स्वयं के और अपने आसपास के वातावरण के तत्वों का बोध होने, उन्हें समझने तथा उनकी बातों का मूल्यांकन करने की शक्ति का नाम है। विज्ञान के अनुसार चेतना वह अनुभूति है जो मस्तिष्क में पहुँचनेवाले अभिगामी आवेगों से उत्पन्न होती है। इन आवेगों का अर्थ तुरंत अथवा बाद में लगाया जाता है। .
अन्तर्दर्शन और चेतना के बीच समानता
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अन्तर्दर्शन और चेतना के बीच तुलना
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संदर्भ
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