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अनुभववाद और तर्कशास्त्र

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अनुभववाद और तर्कशास्त्र के बीच अंतर

अनुभववाद vs. तर्कशास्त्र

अनुभववाद (एंपिरिसिज्म) एक दार्शनिक सिद्धांत है जिसमें इंदियों को ज्ञान का माध्यम माना जाता है और जिसका मनोविज्ञान के संवेदनवाद (सेंसेशनलिज़्म) का विकास अनुभववाद में हुआ। इस वाद के अनुसार प्रत्यक्षीकरण संवेदनाओं और प्रतिमाओं का साहचर्य हैं। हॉब्स और लॉक की परंपरा के अनूभववादियों ने स्थापना की कि मन स्थिति जन्मजात न होकर अनुभवजन्य होती हैं। बर्कले ने प्रथम बार यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि मूलत: अनुभव में स्पर्श और दृश्य संस्कारों के साथ सहचरित हो जानेवाले पदार्थों की गति का प्रत्यक्ष आधारित रहता हैं। अनुभववाद के प्रमुख समथर्क हॉक, बर्कले, ह्मम तथा हार्टले हैं। फ्रांस मे कांडीलिक, लामेट्री और बीने, स्काटलैंड में रीड,डेविड ह्यूम और थामस ब्राउन तथा इंग्लैड में जेम्स मिल,जान स्टूअर्ट मिल एवं बेन का समर्थन इस वाद को मिला। सर चार्ल्स बुल, जोहनेस मिलर, हैलर, लॉट्ज और वुंट इत्यादि उन्नीसवीं शती के दैहिक मनोवैज्ञानिकों ने अनुभववाद को दैहिकी रूप प्रदान किया। अंतत: शरीरवेत्ताओं की दैहिकी व्याख्या और दार्शनिकों के संवेदनात्मक मनोविज्ञान का समन्वय हो गया। इस समन्वय का प्रतिनिधित्व ब्राउन, लॉट्ज, हेल्महोलत्ज तथा वुंट का अनुभववादी मनोविज्ञान करता है जिसमें सहजज्ञानवाद का स्पष्ट खंडन है। बीसवीं शताब्दी के मनोविज्ञान में प्राकृत बोधवाद तथा अनुभववाद की समस्याएँ नहीं है। प्राकृत बोधवाद की समस्या ने घटना-क्रिया-विज्ञान (फिनॉमिनॉलॉजी) एवं अनुभववाद मं व्यवहारवाद (बिहेवियरिज़्म) तथा संक्रियावाद (आपरेशनिज्म) का रूप ले लिया हैं। . तर्कशास्त्र शब्द अंग्रेजी 'लॉजिक' का अनुवाद है। प्राचीन भारतीय दर्शन में इस प्रकार के नामवाला कोई शास्त्र प्रसिद्ध नहीं है। भारतीय दर्शन में तर्कशास्त्र का जन्म स्वतंत्र शास्त्र के रूप में नहीं हुआ। अक्षपाद! गौतम या गौतम (३०० ई०) का न्यायसूत्र पहला ग्रंथ है, जिसमें तथाकथित तर्कशास्त्र की समस्याओं पर व्यवस्थित ढंग से विचार किया गया है। उक्त सूत्रों का एक बड़ा भाग इन समस्याओं पर विचार करता है, फिर भी उक्त ग्रंथ में यह विषय दर्शनपद्धति के अंग के रूप में निरूपित हुआ है। न्यायदर्शन में सोलह परीक्षणीय पदार्थों का उल्लेख है। इनमें सर्वप्रथम प्रमाण नाम का विषय या पदार्थ है। वस्तुतः भारतीय दर्शन में आज के तर्कशास्त्र का स्थानापन्न 'प्रमाणशास्त्र' कहा जा सकता है। किंतु प्रमाणशास्त्र की विषयवस्तु तर्कशास्त्र की अपेक्षा अधिक विस्तृत है। .

अनुभववाद और तर्कशास्त्र के बीच समानता

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अनुभववाद और तर्कशास्त्र के बीच तुलना

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संदर्भ

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