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अनुभव और चेतना

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अनुभव और चेतना के बीच अंतर

अनुभव vs. चेतना

प्रयोग अथवा परीक्षा द्वारा प्राप्त ज्ञान अनुभव कहलाता है। प्रत्यक्ष ज्ञान अथवा बोध। स्मृति (याददास्त) से भिन्न ज्ञान। तर्कसंग्रह के अनुसार ज्ञान के दो भेद हैं - स्मृति और अनुभव। संस्कार मात्र से उत्पन्न ज्ञान को स्मृति और इससे भिन्न ज्ञान को अनुभव कहते हैं। अनुभव के दो भेद हैं - यथार्थ अनुभव तथा अयथार्थ अनुभव। प्रथम को प्रमा तथा द्वितीय को अप्रमा कहते हैं। यथार्थ अनुभव के चार भेद हैं- (1) प्रत्यक्ष, (2) अनुमिति, (3) उपमिति, तथा (4) शाब्द इनके अतिरिक्त मीमांसा के प्रसिद्ध आचार्य प्रभाकर के अनुयायी अर्थपत्ति, भाट्टमतानुयायी अनुपलब्धि, पौराणिक सांभविका और ऐतिह्यका तथा तांत्रिक चंष्टिका को भी यथार्थ अनुभव के भेद मानते हैं। इन्हें क्रम से प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द, अर्थापत्ति, अनुलब्धि, संभव, ऐतिह्य तथा चेष्टा से प्राप्त किया जा सकता है। अयथार्थ अनुभव के तीन भेद हैं- (1) संशय, (2) विपर्यय तथा (3) तर्क। संदिग्ध ज्ञान को संशय, मिथ्या ज्ञान को विपर्यय एवं ऊह (संभावना) को तर्क कहते है। . १७वीं सदी से चेतना का एक चित्रण चेतना कुछ जीवधारियों में स्वयं के और अपने आसपास के वातावरण के तत्वों का बोध होने, उन्हें समझने तथा उनकी बातों का मूल्यांकन करने की शक्ति का नाम है। विज्ञान के अनुसार चेतना वह अनुभूति है जो मस्तिष्क में पहुँचनेवाले अभिगामी आवेगों से उत्पन्न होती है। इन आवेगों का अर्थ तुरंत अथवा बाद में लगाया जाता है। .

अनुभव और चेतना के बीच समानता

अनुभव और चेतना आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।

सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

अनुभव और चेतना के बीच तुलना

अनुभव 4 संबंध है और चेतना 5 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (4 + 5)।

संदर्भ

यह लेख अनुभव और चेतना के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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