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अधातु और ऊष्मा चालन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अधातु और ऊष्मा चालन के बीच अंतर

अधातु vs. ऊष्मा चालन

अधातु (non-metals) रासायनिक वर्गीकरण में प्रयुक्त होने वाला एक शब्द है। आवर्त सारणी का प्रत्येक तत्व अपने रासायनिक और भौतिक गुणों के आधार पर धातु अथवा अधातु श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता है। (कुछ तत्व जिनमें दोनों के गुण पाये जाते हैं उन्हें उपधातु (metaloid) की श्रेणी में रखा जाता है।) आवर्त सारणी में ये १४वें (XIV) से लेकर १८वें (XVIII) समूह में दाहिने-ऊपरी कोने में स्थित हैं। इसके अलावा प्रथम समूह में सबसे उपर स्थित उदजन भी अधातु है। हाइड्रोजन के अलावा जारक, प्रांगार, भूयाति, गंधक, भास्वर, हैलोजन, तथा अक्रिय गैसें अधातु मानी जाती हैं। प्रायः आवर्त सारणी के केवल 18 तत्व अधातु की श्रेणी में गिने जाते हैं जबकि धातु की श्रेणी में 80 से भी अधिक तत्व आते हैं। फिर भी पृथ्वी के गर्भ का, वायुमण्डल और जलमण्डल का अधिकांश भाग अधातुएँ ही हैं। जीवों की संरचना में भी अधातुओं का ही अधिकांशता है। . किसी पिण्ड के अन्दर सूक्ष्म विसरण तथा कणों के टक्कर के द्वारा जो ऊष्मा का अन्तरण होता है उसे ऊष्मा चालन (Thermal conduction) कहते हैं। यहाँ 'कण' से आशय अणु, परमाणु, इलेक्ट्रान और फोटॉन से है। चालन द्वारा ऊष्मा अन्तरण ठोस, द्रव, गैस और प्लाज्मा - सभी प्रावस्थाओं में होती है। .

अधातु और ऊष्मा चालन के बीच समानता

अधातु और ऊष्मा चालन आम में 10 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): ऊष्मा चालकता, एल्युमिनियम, ताम्र, निकल, पारा, लिथियम, लोहा, सोना, सीसा, जस्ता

ऊष्मा चालकता

भौतिकी में, ऊष्मा चालकता (थर्मल कण्डक्टिविटी) पदार्थों का वह गुण है जो दिखाती है कि पदार्थ से होकर ऊष्मा आसानी से प्रवाहित हो सकती है या नहीं। ऊष्मा चालकता को k, λ, या κ से निरूपित करते हैं। जिन पदार्थों की ऊष्मा चालकता अधिक होती है उनसे होकर समान समय में अधिक ऊष्मा प्रवाहित होती है (यदि अन्य परिस्थितियाँ, जैसे ताप का अन्तर, पदार्थ की लम्बाई और क्षेत्रफल आदि समान हों)। जिन पदार्थों की ऊष्मा चालकता बहुत कम होती हैं उन्हें ऊष्मा का कुचालक (थर्मल इन्सुलेटर) कहा जाता है। ऊष्मा चालकता के व्युत्क्रम (रेसिप्रोकल) को उष्मा प्रतिरोधकता (thermal resistivity) कहते हैं। .

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एल्युमिनियम

एलुमिनियम एक रासायनिक तत्व है जो धातुरूप में पाया जाता है। यह भूपर्पटी में सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली धातु है। एलुमिनियम का एक प्रमुख अयस्क है - बॉक्साईट। यह मुख्य रूप से अलुमिनियम ऑक्साईड, आयरन आक्साईड तथा कुछ अन्य अशुद्धियों से मिलकर बना होता है। बेयर प्रक्रम द्वारा इन अशुद्धियों को दूर कर दिया जाता है जिससे सिर्फ़ अलुमिना (Al2O3) बच जाता है। एलुमिना से विद्युत अपघटन द्वारा शुद्ध एलुमिनियम प्राप्त होता है। एलुमिनियम धातु विद्युत तथा ऊष्मा का चालक तथा काफ़ी हल्की होती है। इसके कारण इसका उपयोग हवाई जहाज के पुर्जों को बनाने में किया जाता है। भारत में जम्मू कश्मीर, मुंबई, कोल्हापुर, जबलपुर, रांची, सोनभद्र, बालाघाट तथा कटनी में बॉक्साईट के विशाल भंडार पाए जाते है। उड़ीसा स्थित नाल्को (NALCO) दुनिया की सबसे सस्ती अलुमिनियम बनाने वाली कम्पनी है। .

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ताम्र

तांबा (ताम्र) एक भौतिक तत्त्व है। इसका संकेत Cu (अंग्रेज़ी - Copper) है। इसकी परमाणु संख्या 29 और परमाणु भार 63.5 है। यह एक तन्य धातु है जिसका प्रयोग विद्युत के चालक के रूप में प्रधानता से किया जाता है। मानव सभ्यता के इतिहास में तांबे का एक प्रमुख स्थान है क्योंकि प्राचीन काल में मानव द्वारा सबसे पहले प्रयुक्त धातुओं और मिश्रधातुओं में तांबा और कांसे (जो कि तांबे और टिन से मिलकर बनता है) का नाम आता है। .

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निकल

निकल एक रासायनिक तत्व है जो रासायनिक रूप से संक्रमण धातु समूह का सदस्य है। यह एक श्वेत-चाँदी रंग की धातु है जिसमें ज़रा-सी सुनहरी आभा भी दिखती है। यह सख़्त और तन्य होता है। हालाँकि निकल के बड़े टुकड़ों पर ओक्साइड की परत बन जाती है जिस से अंदर की धातु सुरक्षित रहती है, निकल वैसे ओक्सीजन से तेज़ी से रासायनिक अभिक्रिया (रियेक्शन) कर लेता है। इस कारणवश पृथ्वी की सतह पर निकल शुद्ध रूप में नहीं मिलता और अगर मिलता है तो इसका स्रोत अंतरिक्ष से गिरे लौह उल्का होते हैं। वैज्ञानिक यह मानते हैं कि पृथ्वी का क्रोड निकल-लौह के मिश्रित धातु का बना हुआ है। .

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पारा

साधारण ताप पर पारा द्रव रूप में होता है। पारे का अयस्क पारा या पारद (संकेत: Hg) आवर्त सारिणी के डी-ब्लॉक का अंतिम तत्व है। इसका परमाणु क्रमांक ८० है। इसके सात स्थिर समस्थानिक ज्ञात हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ १९६, १९८, १९९, २००, २०१, २०२ और २०४ हैं। इनके अतिरिक्त तीन अस्थिर समस्थानिक, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ १९५, १९७ तथा २०५ हैं, कृत्रिम साधनों से निर्मित किए गए हैं। रासायनिक जगत् में केवल यही धातु साधारण ताप और दाब पर द्रव रूप होती है। .

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लिथियम

लिथियम एक रासायनिक तत्व है। साधारण परिस्थितियों में यह प्रकृति की सबसे हल्की धातु और सबसे कम घनत्व-वाला ठोस पदार्थ है। रासायनिक दृष्टि से यह क्षार धातु समूह का सदस्य है और अन्य क्षार धातुओं की तरह अत्यंत अभिक्रियाशील (रियेक्टिव) है, यानि अन्य पदार्थों के साथ तेज़ी से रासायनिक अभिक्रिया कर लेता है। यदी इसे हवा में रखा जाये तो यह जल्दी ही वायु में मौजूद ओक्सीजन से अभिक्रिया करने लगता है, जो इसके शीघ्र ही आग पकड़ लेने में प्रकट होता है। इस कारणवश इसे तेल में डुबो कर रखा जाता है। तेल से निकालकर इसे काटे जाने पर यह चमकीला होता है लेकिन जल्द ही पहले भूरा-सा बनकर चमक खो देता है और फिर काला होने लगता है। अपनी इस अधिक अभिक्रियाशीलता की वजह से यह प्रकृति में शुद्ध रूप में कभी नहीं मिलता बल्कि केवल अन्य तत्वों के साथ यौगिकों में ही पाया जाता है। अपने कम घनत्व के कारण लिथियम बहुत हलका होता है और धातु होने के बावजूद इसे आसानी से चाकू से काटा जा सकता है। .

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लोहा

एलेक्ट्रोलाइटिक लोहा तथा उसका एक घन सेमी का टुकड़ा लोहा या लोह (Iron) आवर्त सारणी के आठवें समूह का पहला तत्व है। धरती के गर्भ में और बाहर मिलाकर यह सर्वाधिक प्राप्य तत्व है (भार के अनुसार)। धरती के गर्भ में यह चौथा सबसे अधिक पाया जाने वाला तत्व है। इसके चार स्थायी समस्थानिक मिलते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या 54, 56, 57 और 58 है। लोह के चार रेडियोऐक्टिव समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 52, 53, 55 और 59) भी ज्ञात हैं, जो कृत्रिम रीति से बनाए गए हैं। लोहे का लैटिन नाम:- फेरस .

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सोना

सोना या स्वर्ण (Gold) अत्यंत चमकदार मूल्यवान धातु है। यह आवर्त सारणी के प्रथम अंतर्ववर्ती समूह (transition group) में ताम्र तथा रजत के साथ स्थित है। इसका केवल एक स्थिर समस्थानिक (isotope, द्रव्यमान 197) प्राप्त है। कृत्रिम साधनों द्वारा प्राप्त रेडियोधर्मी समस्थानिकों का द्रव्यमान क्रमश: 192, 193, 194, 195, 196, 198 तथा 199 है। .

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सीसा

विद्युत अपघटन द्वारा शुद्ध किया हुआ सीस; १ घन सेमी से घन के साथ (तुलना के लिए) सीस, सीसा या लेड (अंग्रेजी: Lead, संकेत: Pb लैटिन शब्द प्लंबम / Plumbum से) एक धातु एवं तत्त्व है। काटने पर यह नीलिमा लिए सफ़ेद होता है, लेकिन हवा का स्पर्श होने पर स्लेटी हो जाता है। इसे इमारतें बनाने, विद्युत कोषों, बंदूक की गोलियाँ और वजन बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। यह सोल्डर में भी मौजूद होता है। यह सबसे घना स्थिर तत्त्व है। यह एक पोस्ट-ट्रांज़िशन धातु है। इसका परमाणु क्रमांक ८२, परमाणु भार २०७.२१, घनत्व ११.३६, गलनांक ३,२७.४ डिग्री सें., क्वथनांक १६२०डिग्री से.

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जस्ता

जस्ता या ज़िन्क एक रासायनिक तत्व है जो संक्रमण धातु समूह का एक सदस्य है। रासायनिक दृष्टि से इसके गुण मैगनीसियम से मिलते-जुलते हैं। मनुष्य जस्ते का प्रयोग प्राचीनकाल से करते आये हैं। कांसा, जो ताम्बे व जस्ते की मिश्र धातु है, १०वीं सदी ईसापूर्व से इस्तेमाल होने के चिन्ह छोड़ गया है। ९वीं शताब्दी ईपू से राजस्थान में शुद्ध जस्ता बनाये जाने के चिन्ह मिलते हैं और ६ठीं शताब्दी ईपू की एक जस्ते की खान भी राजस्थान में मिली है। लोहे पर जस्ता चढ़ाने से लोहा ज़ंग खाने से बचा रहता है और जस्ते का प्रयोग बैट्रियों में भी बहुत होता है। .

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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब

अधातु और ऊष्मा चालन के बीच तुलना

अधातु 109 संबंध है और ऊष्मा चालन 41 है। वे आम 10 में है, समानता सूचकांक 6.67% है = 10 / (109 + 41)।

संदर्भ

यह लेख अधातु और ऊष्मा चालन के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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