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अधकपारी और बोटुलिनम टॉक्सिन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अधकपारी और बोटुलिनम टॉक्सिन के बीच अंतर

अधकपारी vs. बोटुलिनम टॉक्सिन

अधकपारी या माइग्रेन एक जटिल विकार है जिसमें बार-बार मध्यम से गंभीर सिरदर्द होता है और अक्सर इसके साथ कई स्वैच्छिक तंत्रिका तंत्र से संबंधित लक्षण भी होते हैं। आमतौर पर सिरदर्द एक हिस्से को प्रभावित करता है और इसकी प्रकृति धुकधुकी जैसी होती है जो 2 से लेकर 72 घंटों तक बना रहता है। संबंधित लक्षणों में मितली, उल्टी, फोटोफोबिया (प्रकाश के प्रति अतिरिक्त संवेदनशीलता), फोनोफोबिया (ध्वनि के प्रति अतिरिक्त संवेदनशीलता) शामिल हैं और दर्द सामान्य तौर पर शारीरिक गतिविधियों से बढ़ता है। माइग्रेन सिरदर्द से पीड़ित एक तिहाई लोगों को ऑरा के माध्यम इसका पूर्वाभास हो जाता है, जो कि क्षणिक दृष्य, संवेदन, भाषा या मोटर (गति पैदा करने वाली नसें) अवरोध होता है और यह संकेत देता है कि शीघ्र ही सिरदर्द होने वाला है। माना जाता है कि माइग्रेन पर्यावरणीय और आनुवांशिकीय कारकों के मिश्रण से होते हैं। लगभग दो तिहाई मामले पारिवारिक ही होते हैं। अस्थिर हार्मोन स्तर भी एक भूमिका निभा सकते हैं: माइग्रेन यौवन पूर्व की उम्र वाली लड़कियों को लड़कों की अपेक्षा थोड़ा अधिक प्रभावित करता है लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं को दो से तीन गुना अधिक प्रभावित करता है। आम तौर पर गर्भावस्था के दौरान माइग्रेन की प्रवृत्ति कम होती है।माइग्रेन की सटीक क्रियाविधि की जानकारी नहीं है। हलांकि इसको न्यूरोवेस्कुलर विकार माना जाता है। प्राथमिक सिद्धांत सेरेब्रल कॉर्टेक्स (प्रमस्तिष्कीय आवरण) की बढ़ी हुयी उत्तेजना तथा ब्रेनस्टेम(रीढ़ के पास का मस्तिष्क का हिस्सा) के ट्राइगेमिनल न्यूक्लियस (त्रिपृष्ठी नाभिक) में न्यूरॉन्स दर्द के असमान्य नियंत्रण से संबंधित है। आरंभिक अनुशंसित प्रबंधन में, सिरदर्द के लिये सामान्य दर्दनाशक दवाएं जैसे आइब्युप्रोफेन और एसिटामिनोफेन, मितली और शुरुआती समस्याओं के लिये मितलीरोधी दवायें दी जाती हैं। जहां पर सामान्य दर्दनाशक दवायें प्रभावी नहीं होती हैं वहां पर विशिष्ट एजेन्ट जैसे ट्रिप्टन्स या एरगोटामाइन्स का उपयोग किया जा सकता है। आयुर्वेद में इसे अर्धावभेदक कहा गया है। अर्धावभेदक का वर्णन आयुर्वेद शास्त्र के चरक संहिता में किया गया है जो कि इस प्रकार है - . बोटुलिनम टॉक्सिन (बी टी एक्स)न्यूरोटोक्सिक प्रोटीन है। बैक्टीरियम क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम और उससे संबंधित प्रजातियों द्वारा निर्मित है। इसका चिकित्सा, कॉस्मेटिक, और अनुसंधान के उपयोग के लिए व्यावसायिक रूप से निर्माण किया जाता है। इसका व्यावसायिक निर्माण दो प्रकार से होता हैं: बोटुलिनम टाइप ए एवं बोटुलिनम टाइप बी। जीवाणु संक्रमण के साथ यह एक बहुत ही संभावित घातक बीमारी बोटुलिज़्म में परिणत हो जाती है। बोटुलिनम टाइप ए एवं बोटुलिनम टाइप बी का प्रयोग चिकित्सा के क्षेत्र में निम्नलिखित बिमारियों में होता है: अप्पर मोटर न्यूरॉन सिंड्रोम, फोकल हाइपरहइड्रोसिस, ब्लेफरोस्पाज्म, तिर्यकदृष्टि, क्रोनिक माइग्रेन और ब्रुक्सिस्म। कॉस्मेटिक चिकित्सा में भी इसका व्यापक उपयोग होता है। अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने यह अनिवार्य किया है की इस इंजेक्शन के लेबल पर एक चेतावनी भी लिखी होनी चाहिए की यह इंजेक्शन लगने वाली जगह से अन्य जगहों पे भी फ़ैल सकता है और बोटुलिज़्म रोग में परिणत हो सकता है। बोटॉक्स का निर्माण आलरगन द्वारा किया जाता है। .

अधकपारी और बोटुलिनम टॉक्सिन के बीच समानता

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अधकपारी और बोटुलिनम टॉक्सिन के बीच तुलना

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संदर्भ

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