अद्वैत वेदान्त और शैतान
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
अद्वैत वेदान्त और शैतान के बीच अंतर
अद्वैत वेदान्त vs. शैतान
अद्वैत वेदान्त वेदान्त की एक शाखा। अहं ब्रह्मास्मि अद्वैत वेदांत यह भारत में प्रतिपादित दर्शन की कई विचारधाराओँ में से एक है, जिसके आदि शंकराचार्य पुरस्कर्ता थे। भारत में परब्रह्म के स्वरूप के बारे में कई विचारधाराएं हैँ। जिसमें द्वैत, अद्वैत या केवलाद्वैत, विशिष्टाद्वैत, शुद्धाद्वैत, द्वैताद्वैत जैसी कई सैद्धांतिक विचारधाराएं हैं। जिस आचार्य ने जिस रूप में ब्रह्म को जाना उसका वर्णन किया। इतनी विचारधाराएं होने पर भी सभी यह मानते है कि भगवान ही इस सृष्टि का नियंता है। अद्वैत विचारधारा के संस्थापक शंकराचार्य हैं, जिसे शांकराद्वैत या केवलाद्वैत भी कहा जाता है। शंकराचार्य मानते हैँ कि संसार में ब्रह्म ही सत्य है। बाकी सब मिथ्या है (ब्रह्म सत्य, जगत मिथ्या)। जीव केवल अज्ञान के कारण ही ब्रह्म को नहीं जान पाता जबकि ब्रह्म तो उसके ही अंदर विराजमान है। उन्होंने अपने ब्रह्मसूत्र में "अहं ब्रह्मास्मि" ऐसा कहकर अद्वैत सिद्धांत बताया है। वल्लभाचार्य अपने शुद्धाद्वैत दर्शन में ब्रह्म, जीव और जगत, तीनों को सत्य मानते हैं, जिसे वेदों, उपनिषदों, ब्रह्मसूत्र, गीता तथा श्रीमद्भागवत द्वारा उन्होंने सिद्ध किया है। अद्वैत सिद्धांत चराचर सृष्टि में भी व्याप्त है। जब पैर में काँटा चुभता है तब आखोँ से पानी आता है और हाथ काँटा निकालनेके लिए जाता है। ये अद्वैत का एक उत्तम उदाहरण है। शंकराचार्य का ‘एकोब्रह्म, द्वितीयो नास्ति’ मत था। सृष्टि से पहले परमब्रह्म विद्यमान थे। ब्रह्म सत और सृष्टि जगत असत् है। शंकराचार्य के मत से ब्रह्म निर्गुण, निष्क्रिय, सत-असत, कार्य-कारण से अलग इंद्रियातीत है। ब्रह्म आंखों से नहीं देखा जा सकता, मन से नहीं जाना जा सकता, वह ज्ञाता नहीं है और न ज्ञेय ही है, ज्ञान और क्रिया के भी अतीत है। माया के कारण जीव ‘अहं ब्रह्म’ का ज्ञान नहीं कर पाता। आत्मा विशुद्ध ज्ञान स्वरूप निष्क्रिय और अनंत है, जीव को यह ज्ञान नहीं रहता। . शैतान शैतान (अंग्रेज़ी:Satan सेटन या Devil डेविल), इब्रानी:שָׂטָן शातान, अरबी:شيطان शैतान। शाब्दिक अर्थ: दुश्मन, विरोधी या अभियोगी) इब्राहिमी सम्प्रदायों में सबसे दुष्ट अस्तित्वी का नाम है, जो दुनिया की सारी बुराई का प्रतीक है। इन सम्प्रदायों में ईश्वर को सारी अच्छाई प्रदान की जाती है और बुराई शैतान को। हिन्दू धर्म में शैतान जैसी चीज़ का कोई अस्तित्व नहीं है, क्योंकि दुनिया में पाप और दुख मनुष्य स्वयं अपने कर्मो और अपने अज्ञान द्वारा उत्पन्न करता है। ईसाई, इस्लाम और यहूदी मतों के अनुसार शैतान पहले ईश्वर का एक फ़रिश्ता था, जिसने ईश्वर से विद्रोह किया और इसके बदले ईश्वर ने उसे स्वर्ग से निकाल दिया। शैतान पृथ्वी पर मानवों को पाप के लिये उकसाता है। कई उसे नरक का राजा भी मानते हैं। शैतान शब्द अन्य दुष्ट भूत-प्रेतों और दुष्ट देवों के लिये भी प्रयुक्त होता है। शैतानी धर्म में शैतान की पूजा की जाती है। .
अद्वैत वेदान्त और शैतान के बीच समानता
अद्वैत वेदान्त और शैतान आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या अद्वैत वेदान्त और शैतान लगती में
- यह आम अद्वैत वेदान्त और शैतान में है क्या
- अद्वैत वेदान्त और शैतान के बीच समानता
अद्वैत वेदान्त और शैतान के बीच तुलना
अद्वैत वेदान्त 10 संबंध है और शैतान 9 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (10 + 9)।
संदर्भ
यह लेख अद्वैत वेदान्त और शैतान के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: