अथर्ववेद संहिता और राष्ट्रभाषा
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
अथर्ववेद संहिता और राष्ट्रभाषा के बीच अंतर
अथर्ववेद संहिता vs. राष्ट्रभाषा
अथर्ववेद संहिता हिन्दू धर्म के पवित्रतम और सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदों में से चौथे वेद अथर्ववेद की संहिता अर्थात मन्त्र भाग है। इसमें देवताओं की स्तुति के साथ जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के भी मन्त्र हैं। अथर्ववेद संहिता के बारे में कहा गया है कि जिस राजा के रज्य में अथर्ववेद जानने वाला विद्वान् शान्तिस्थापन के कर्म में निरत रहता है, वह राष्ट्र उपद्रवरहित होकर निरन्तर उन्नति करता जाता हैः अथर्ववेद के रचियता श्री ऋषि अथर्व हैं और उनके इस वेद को प्रमाणिकता स्वंम महादेव शिव की है, ऋषि अथर्व पिछले जन्म मैं एक असुर हरिन्य थे और उन्होंने प्रलय काल मैं जब ब्रह्मा निद्रा मैं थे तो उनके मुख से वेद निकल रहे थे तो असुर हरिन्य ने ब्रम्ह लोक जाकर वेदपान कर लिया था, यह देखकर देवताओं ने हरिन्य की हत्या करने की सोची| हरिन्य ने डरकर भगवान् महादेव की शरण ली, भगवन महादेव ने उसे अगले अगले जन्म मैं ऋषि अथर्व बनकर एक नए वेद लिखने का वरदान दिया था इसी कारण अथर्ववेद के रचियता श्री ऋषि अथर्व हुए| . राष्ट्रभाषा एक देश की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, जिसे सम्पूर्ण राष्ट्र में भाषा कार्यों में (जैसे लिखना, पढ़ना और वार्तालाप) के लिए प्रमुखता से प्रयोग में लाया जाता है। वह भाषा जिसमें राष्ट्र के काम किए जायें। राष्ट्र के काम-धाम या सरकारी कामकाज के लिये स्वीकृत भाषा। .
अथर्ववेद संहिता और राष्ट्रभाषा के बीच समानता
अथर्ववेद संहिता और राष्ट्रभाषा आम में 0 बातें हैं (यूनियनपीडिया में)।
सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
- क्या अथर्ववेद संहिता और राष्ट्रभाषा लगती में
- यह आम अथर्ववेद संहिता और राष्ट्रभाषा में है क्या
- अथर्ववेद संहिता और राष्ट्रभाषा के बीच समानता
अथर्ववेद संहिता और राष्ट्रभाषा के बीच तुलना
अथर्ववेद संहिता 22 संबंध है और राष्ट्रभाषा 30 है। वे आम 0 में है, समानता सूचकांक 0.00% है = 0 / (22 + 30)।
संदर्भ
यह लेख अथर्ववेद संहिता और राष्ट्रभाषा के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: