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अत्तिला और बाल्कन

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अत्तिला और बाल्कन के बीच अंतर

अत्तिला vs. बाल्कन

सिंहासन पर अत्तिला हूण अत्तिला (406-453) या अत्तिला हूण वर्ष 434 से अपनी मृत्यु तक हूणों का राजा था। यह हूण साम्राज्य का नेता था यह मूल रूप से भारत में आये स्वेत हूंणों का ही वंशज था जो मूल रूप से गुर्जर वंश के थे हूंणों के परिवार के सदस्य कंषान गुर्जर कुषान/ड के परिवार के थे। जर्मनी से यूराल नदी और डैन्यूब नदी से बाल्टिक सागर तक फैला हुआ था। अपने राजकाल में यह पश्चिमी और पूर्वी रोमन साम्राज्य का सबसे भयानक शत्रु था। इसे बाद के इतिहासकारों ने ' भगवान का कोड़ा' (Scourge of God.) कहा। इसने दो बार बाल्कन क्षेत्र पर हमला किया, गोल (आधुनिक फ्रांस) में यह ऑर्लेयाँ तक पहुँच गया, पर इसने इस्तानबुल या रोम पर कभी आक्रमण नहीं किया। लगभग सारे पश्चिमी यूरोप में इसे क्रूरता और लोभ के परम उदाहरण के रूप में याद किया जाता है, लेकिन कुछ ऐतिहासिक विवरणों और कहानियों में अटिला को महान सम्राट के रूप में दर्शाया गया है। नोर्स गाथाओं में अटिला की प्रमुख भूमिका है। अत्तिला के पिता का नाम मुंदजुक था। उसके जन्म से कुछ पहले ही कास्पियन सागर के उत्तरवर्ती प्रदेशों के हूण दानूब नदी की घाटों में जा बसे थे। अत्तिला के पिता का परिवार भी उन्हीं हूणों में से था। चाचा रुआस के मरने पर अपने भाई ब्लेदा के साथ अत्तिला दानूबतटीय हूणों का संयुक्त राजा बना। रुआस का शासनकाल हूणों के यूरोप में विशेष उत्कर्ष का था। उसने जर्मन और स्लाव जातियों पर आधिपत्य कर लिया था और उसका दबदबा कुछ ऐसा बढ़ा कि पूर्वी रोमन सम्राट उसे वार्षिक कर देने लगा। चाचा के ऐश्वर्य का अत्तिला ने प्रभूत प्रसार किया और आठ वर्षों में वह कास्पियन और बाल्टिक सागर के बीच के समूचे राज्यों का, राइन नदी तक, स्वामी बन गया। 450 ई. के पश्चात्‌ अत्तिला पूर्वी साम्राज्य को छोड़ पश्चिमी साम्राज्य की ओर बढ़ा। पश्चिमी साम्राज्य का सम्राट तब वालेंतीनियन तृतीय था। सम्राट की भगिनी जुस्ताग्राता होनोरिया ने अपने भाई के विरुद्ध सहायता के अर्थ अत्तिला को अपनी अँगूठी भेजी थी। इसे विवाह का प्रस्ताव मान हूणराज ने सम्राट से भगिनी के यौतुक में आधा राज्य माँगा और अपनी सेना लिए वह गाल को रौंदता, मेत्स को लूटता, ल्वार नदी के तट पर बसे और्लियाँ जा पहुँचा, पर रोमन सेना ने पश्चिमी गोथों और नगरवासियों की सहायता से हूणों को नगर का घेरा उठा लेने को मजबूर किया। फिर दो महीने बाद जून, 451 में इतिहास की सबसे भयंकर खूनी लड़ाइयों में से एक लड़ी गई, जब दोनों सेनाएँ सेन नदी के तट पर त्रॉय के निकट परस्पर मिलीं। भीषण युद्ध हुआ और जीवन में बस एक वार हारकर अत्तिला को भागना पड़ा। पर अत्तिला चुप बैठने वाला आदमी न था। अगले साल सेना लेकर शक्ति केंद्र स्वयं इटली पर उसने धावा बोल दिया और देखते-देखते उसका उत्तरी लोंबार्दी का प्रांत उजाड़ डाला। उखड़े, भागे हुए लोगों ने आर्द्रियातिक सागर पहुँच वहाँ के प्रसिद्ध नगर वेनिस की नींव डाली। सम्राट बालेंतीनियन ने भागकर रावेना में शरण ली। पर पोप लिओ प्रथम ने रोम की रक्षा के लिए मिंचिओ नदी के तीर पड़ाव डाले अत्तिला से प्रार्थना की। कुछ पोप के अनुनय से, कुछ हूणों के बीच प्लेग फूट पड़ने से अत्तिला ने इटली छोड़ देना स्वीकार किया। इटली से लौटकर उसने बर्गडों को राजकुमारी इल्दिको को ब्याह पर अपनी सुहागरात को ही वह रक्तचाप से मस्तिष्क की नली फट जाने के कारण पानीनिया में मर गया। अत्तिला ने पश्चिमी रोमन साम्राज्य की रीढ़ तोड़ दी। उसके और हूणों के नाम से यूरोपीय जनता थरथर काँपने लगी। हंगरी में बसकर तो उन्होंने उस देश को अपना नाम दिया हो, उनका शासन नार्वे और स्वीडेन तक चला। चीन के उत्तर-पूर्वी प्रांत कासू से उनका निकास हुआ था और वहाँ से यूरोप तक हूणों ने अपना खूनी आधिपत्य कायम किया। उन्हीं की धाराओं पर धाराओं ने दक्षिण बहकर भारत के गुप्त साम्राज्य को भी कमर तोड़ दी। . दक्षिण-पूर्वी यूरोप का बाल्कन प्रायद्वीप बाल्कन या बाल्कन प्रायद्वीप दक्षिण-पूर्वी यूरोप का एक क्षेत्र है जो भौगोलिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से अपना अलग पहचान बना चुका है। इसका कुल क्षेत्रफल 5,50,000 वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या लगभग साढ़े 5 करोड़ है। इसे बाल्कन प्रायद्वीप भी कहा जाता है जिसका कारण इसकी भौगोलिक स्थिति है। दक्षिणी यूरोप का यह सबसे पूर्वी प्रायद्वीप है। यह तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है - इसके पूर्व में काला सागर, ईजियन सागर, मरमरा सागर, दक्षिण में भूमध्यसागर, पश्चिम में इयोनियन सागर तथा एड्रियाटिक सागर हैं तथा उत्तर में सावा, कूपा और डैन्यूब नदियाँ बहती हैं। इस प्रकार संपूर्ण अल्बानिया, यूनान, बुल्गारिया, यूगोस्लाविया और रोमानिया के कुछ भाग को बॉल्कन प्रायद्वीप कहा जाता है। इन छह देशों को 'बॉल्कन स्टेट' भी कहा जाता है। यह पहाड़ी क्षेत्र है तथा इसकी मुख्य पर्वतमालाएँ डिनैरिक ऐल्प्स, बॉल्कन पर्वत तथा रोड़ोषे पर्वत हैं। यहाँ की मुख्य नदियाँ मोरावा, वारदार, स्ट्रूमा (struma), मेस्ता तथा मैरित्सा हैं। जलवायु महाद्वीपीय है परंतु एड्रिऐटिक, इयोनियन तथा इजिऐन समुद्रों के तट पर रूमसागरीय जलवायु पाई जाती है, यह संपूर्ण क्षेत्र कृषिप्रधान है। इसके अलावा यहाँ पर लोहा, कोयला, मैंगनीज, ताँबा, जस्ता तथा सीस आदि के कीमती खनिज भी पाए जाते हैं। यहाँ पर अनेक मानव जातियाँ बसी हुई हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से यह कई बड़े संघर्षों तथा आन्दोलनों का केन्द्र रहा है। .

अत्तिला और बाल्कन के बीच समानता

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अत्तिला और बाल्कन के बीच तुलना

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संदर्भ

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