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अतियथार्थवाद और स्वप्न

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अतियथार्थवाद और स्वप्न के बीच अंतर

अतियथार्थवाद vs. स्वप्न

मैक्स अर्न्स्ट की रचना - 'द एलिफैण्ट सेलिबिस' (सन् १९२१) अतियथार्थवाद (सर्रियलिज्म / Surrealism), कला और साहित्य के क्षेत्र में प्रथम महायुद्ध के लगभग प्रचलित होने वाली शैली और आंदोलन था। चित्रण और मूर्तिकला में तो (चित्रपट के चित्रों में भी) यह आधुनिकतम शैली और तकनीक हैं। इसके प्रचारकों और कलाकारों में चिरिको, दालों, मोरो, आर्प, ब्रेतों, मासं आदि प्रधान हैं। कला में इस सृष्टि का दार्शनिक निरूपण 1924 में आंद्रे ब्रेतों ने अपनी अतियथार्थवादी घोषणा (सर्रियलिस्ट मैनिफेस्टो) में किया। अतियथार्थवाद कला की, सामाजिक यथार्थवाद के अतिरिक्त, नवीनतम शैली है और इधर, मनोविज्ञान की प्रगति से प्रभावित, प्रभूत लोकप्रिय हुई है। . आधुनिक मनोवैज्ञानिकों के अनुसार सोते समय की चेतना की अनुभूतियों को स्वप्न कहते हैं। स्वप्न के अनुभव की तुलना मृगतृष्णा के अनुभवों से की गई है। यह एक प्रकार का विभ्रम है। स्वप्न में सभी वस्तुओं के अभाव में विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ दिखाई देती हैं। स्वप्न की कुछ समानता दिवास्वप्न से की जा सकती है। परंतु दिवास्वप्न में विशेष प्रकार के अनुभव करनेवाला व्यक्ति जानता है कि वह अमुक प्रकार का अनुभव कर रहा है। स्वप्न अवस्था में 99.9% अनुभवकर्ता नहीं जानते कि वह स्वप्न देख रहा है, लेकिन इस दुनिया में कुछ ऐसे बुद्धजीवी लोग है जिनका दिमाग क्षमता से अधिक सोचने लगता जो कि स्वप्न में भी खुद को पहचान लेते है। एक प्रयोग के दौरान कुछ वैज्ञानिको ने भी माना कि ऐसा संभव लेकिन जब वो स्वप्न में खुद को पहचान लेगें तो उस स्वप्न से बाहर आना काफी मसक्कत भरा होगा और इससे कमजोर दिमाग वाले व्यक्ति के कोमा में जाने के आसार काफी बढ़ जाते है ऐसी घटना किसी व्यक्ति के साथ होना किसी चमत्कार से कम नहीं है। स्वप्न की घटनाएँ वर्तमान काल से संबंध रखती हैं। दिवास्वप्न की घटनाएँ भूतकाल तथा भविष्यकाल से संबंध रखती हैं। भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार स्वप्न चेतना की चार अवस्थाओं में से एक विशेष अवस्था है। बाकी तीन अवस्थाएँ जाग्रतावस्था, सुषुप्ति अवस्था और तुरीय अवस्था हैं। स्वप्न और जाग्रताअवस्था में अनेक प्रकार की समानताएँ हैं। अतएव जाग्रतावस्था के आधार पर स्वप्न अनुभवों को समझाया जाता है। इसी प्रकार स्वप्न अनुभवों के आधार पर जाग्रताअवस्था के अनुभवों को भी समझाया जाता है। स्वप्न इंसान की यादों, भावनाओ, कल्पनाओ, सोच, विचारों, इच्छाओं और सबसे बड़ा उसके डर का मिला एक प्रारूप है। .

अतियथार्थवाद और स्वप्न के बीच समानता

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अतियथार्थवाद और स्वप्न के बीच तुलना

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संदर्भ

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