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अतियथार्थवाद और लुइस कैरल

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अतियथार्थवाद और लुइस कैरल के बीच अंतर

अतियथार्थवाद vs. लुइस कैरल

मैक्स अर्न्स्ट की रचना - 'द एलिफैण्ट सेलिबिस' (सन् १९२१) अतियथार्थवाद (सर्रियलिज्म / Surrealism), कला और साहित्य के क्षेत्र में प्रथम महायुद्ध के लगभग प्रचलित होने वाली शैली और आंदोलन था। चित्रण और मूर्तिकला में तो (चित्रपट के चित्रों में भी) यह आधुनिकतम शैली और तकनीक हैं। इसके प्रचारकों और कलाकारों में चिरिको, दालों, मोरो, आर्प, ब्रेतों, मासं आदि प्रधान हैं। कला में इस सृष्टि का दार्शनिक निरूपण 1924 में आंद्रे ब्रेतों ने अपनी अतियथार्थवादी घोषणा (सर्रियलिस्ट मैनिफेस्टो) में किया। अतियथार्थवाद कला की, सामाजिक यथार्थवाद के अतिरिक्त, नवीनतम शैली है और इधर, मनोविज्ञान की प्रगति से प्रभावित, प्रभूत लोकप्रिय हुई है। . लुइस कैरल चार्ल्स लटविज डॉजसन (अंग्रेज़ी: Charles Lutwidge Dodgson) (27 जनवरी, 1832 - 14 जनवरी, 1898), या उसका पेन नाम लुइस कैरल (अंग्रेज़ी: Lewis Carroll), एक अंग्रेज़ लेखक, गणितज्ञ, न्याय शास्त्री,दार्शनिक, एंग्लिकन पुरोहित और फ़ोटो खींचने वाला था। उसके सबसे प्रसिद्ध साहित्यों ऐलिसस अडवेंचर्स इन वंडरलैंड और उसके दूसरे भाग थ्रू द लूकिंग-ग्लास और कविताओं द हंटिंग ऑफ़ द शार्क और जैबरवॉकी हैं। उसके सब साहित्य के प्रकार साहित्यिक बकवास सोचकर हैं। .

अतियथार्थवाद और लुइस कैरल के बीच समानता

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अतियथार्थवाद और लुइस कैरल के बीच तुलना

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संदर्भ

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