अतिचालकता और टिन
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
अतिचालकता और टिन के बीच अंतर
अतिचालकता vs. टिन
सामान्य चालकों तथा अतिचालकों में ताप के साथ प्रतिरोधकता का परिवर्तन जब किसी मैटेरियल को 0°k तक ठंडा किया जाता है तो उसका प्रतिरोध पूर्णतः शून्य प्रतिरोधकता प्रदर्शित करते हैं। उनके इस गुण को अतिचालकता (superconductivity) कहते हैं। शून्य प्रतिरोधकता के अलावा अतिचालकता की दशा में पदार्थ के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र भी शून्य हो जाता है जिसे मेसनर प्रभाव (Meissner effect) के नाम से जाना जाता है। सुविदित है कि धात्विक चालकों की प्रतिरोधकता उनका ताप घटाने पर घटती जाती है। किन्तु सामान्य चालकों जैसे ताँबा और चाँदी आदि में, अशुद्धियों और दूसरे अपूर्णताओं (defects) के कारण एक सीमा के बाद प्रतिरोधकता में कमी नहीं होती। यहाँ तक कि ताँबा (कॉपर) परम शून्य ताप पर भी अशून्य प्रतिरोधकता प्रदर्शित करता है। इसके विपरीत, अतिचालक पदार्थ का ताप क्रान्तिक ताप से नीचे ले जाने पर, इसकी प्रतिरोधकता तेजी से शून्य हो जाती है। अतिचालक तार से बने हुए किसी बंद परिपथ की विद्युत धारा किसी विद्युत स्रोत के बिना सदा के लिए स्थिर रह सकती है। अतिचालकता एक प्रमात्रा-यांत्रिक दृग्विषय (quantum mechanical phenomenon.) है। अतिचालक पदार्थ चुंबकीय परिलक्षण का भी प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। इन सबका ताप-वैद्युत-बल शून्य होता है और टामसन-गुणांक बराबर होता है। संक्रमण ताप पर इनकी विशिष्ट उष्मा में भी अकस्मात् परिवर्तन हो जाता है। यह विशेष उल्लेखनीय है कि जिन परमाणुओं में बाह्य इलेक्ट्रॉनों की संख्या 5 अथवा 7 है उनमें संक्रमण ताप उच्चतम होता है और अतिचालकता का गुण भी उत्कृष्ट होता है। . वंग या रांगा या टिन (Tin) एक रासायनिक तत्त्व है। लैटिन में इसका नाम स्टैन्नम (Stannum) है जिससे इसका रासायनिक प्रतीक Sn लिया गया है। यह आवर्त सारणी के चतुर्थ मुख्य समूह (main group) की एक धातु है। वंग के दस स्थायी समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ११२, ११४, ११५, ११६, ११७, ११८, ११९, १२०, १२२ तथा १२४) प्राप्त हैं। इनके अतिरिक्त चार अन्य रेडियोऐक्टिव समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या ११३, १२१, १२३ और १२५) भी निर्मित हुए हैं। .
अतिचालकता और टिन के बीच समानता
अतिचालकता और टिन आम में 2 बातें हैं (यूनियनपीडिया में): धातु, मिश्रातु।
'धातु' के अन्य अर्थों के लिए देखें - धातु (बहुविकल्पी) ---- '''धातुएँ''' - मानव सभ्यता के पूरे इतिहास में सर्वाधिक प्रयुक्त पदार्थों में धातुएँ भी हैं लुहार द्वारा धातु को गर्म करने पर रसायनशास्त्र के अनुसार धातु (metals) वे तत्व हैं जो सरलता से इलेक्ट्रान त्याग कर धनायन बनाते हैं और धातुओं के परमाणुओं के साथ धात्विक बंध बनाते हैं। इलेक्ट्रानिक मॉडल के आधार पर, धातु इलेक्ट्रानों द्वारा आच्छादित धनायनों का एक लैटिस हैं। धातुओं की पारम्परिक परिभाषा उनके बाह्य गुणों के आधार पर दी जाती है। सामान्यतः धातु चमकीले, प्रत्यास्थ, आघातवर्धनीय और सुगढ होते हैं। धातु उष्मा और विद्युत के अच्छे चालक होते हैं जबकि अधातु सामान्यतः भंगुर, चमकहीन और विद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं। .
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इस्पात एक मिश्रधातु है दो या अधिक धात्विक तत्वों के आंशिक या पूर्ण ठोस-विलयन को मिश्रातु या मिश्र धातु (Alloy) कहते हैं। इस्पात एक मिश्र धातु है। प्रायः मिश्र धातुओं के गुण उस मिश्रधातु को बनाने वाले संघटकों के गुणों से भिन्न होते हैं। इस्पात, लोहे की अपेक्षा अधिक मजबूत होता है। काँसा, पीतल, टाँका (सोल्डर) आदि मिश्रातु हैं। .
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सूची के ऊपर निम्न सवालों के जवाब
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अतिचालकता और टिन के बीच तुलना
अतिचालकता 17 संबंध है और टिन 22 है। वे आम 2 में है, समानता सूचकांक 5.13% है = 2 / (17 + 22)।
संदर्भ
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