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अति परवलय और गणित

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अति परवलय और गणित के बीच अंतर

अति परवलय vs. गणित

एक अति परवलय का ग्राफ. गणित में अतिपरवलय एक ऐसा शांकव होता है जिसकी उत्केन्द्रता इकाई से अधिक होती है। एक अन्य परिभाषा के अनुसार अतिपरवलय ऐसे बिन्दुओं का बिन्दुपथ है जिनकी दो निश्चित बिन्दुओं से दूरियों का अंतर सदैव अचर रहता है। इन निश्चित बिन्दुओं को अतिपरवलय की नाभियाँ(focus) कहते हैं। एक अतिपरवलय, एक द्विविमीय समतलीय वक्र है, जो इसके ज्यामितीय गुणों या समीकरणों द्वारा परिभाषित किया जाता है। एक अतिपरवलय में दो भाग होते हैं, जिन्हें संयुग्मी घटक कहा जाता है, जो एक-दूसरे की दर्पण छवियां होती हैं और दोनों अनंत लंबे धनुष की तरह होती हैं। अतिपरवलय, शंकु परिच्छेद के तीन प्रकारों में से एक है, जो एक समतल और एक द्विशंकु द्वारा प्रतिच्छेदन पर निर्मित होता है। (अन्य शंकु परिच्छेद परवलय और दीर्घवृत्त हैं। एक वृत्त एक दीर्घवृत्त का एक विशेष रूप है।) यदि एक समतल, एक द्विशंकु के दोनों हिस्सों को प्रतिच्छेद करता है लेकिन वह समतल शंकुओं के शीर्ष से नहीं गुजरता है, तो शांकव एक अतिपरवलय होता है ।एक अतिपरवलय दो भागों वाला एक खुला वक्र होता है, जो एक समतल द्वारा किसी द्विशंकु के दोनों भागों को प्रतिच्छेदित करने पर बनता है (बशर्ते यह समतल शंकुओं की अक्ष के समांतर न हो)। प्रत्येक स्थिति में, अतिपरवलय सममित होता है। . पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

अति परवलय और गणित के बीच समानता

अति परवलय और गणित आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): गणित

गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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अति परवलय और गणित के बीच तुलना

अति परवलय 7 संबंध है और गणित 78 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 1.18% है = 1 / (7 + 78)।

संदर्भ

यह लेख अति परवलय और गणित के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें: