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अट्टकथा और मज्झिम निकाय

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अट्टकथा और मज्झिम निकाय के बीच अंतर

अट्टकथा vs. मज्झिम निकाय

अट्ठकथा (अर्थकथा) पालि ग्रंथों पर लिखे गए भाष्य हैं। मूल पाठ की व्याख्या स्पष्ट करने के लिए पहले उससे संबद्ध कथा का उल्लेख कर दिया जाता है, फिर उसके शब्दों के अर्थ बताए जाते हैं। त्रिपिटक के प्रत्येक ग्रंथ पर ऐसी अट्ठकथा प्राप्त होती है। अट्ठकथा की परंपरा मूलतः कदाचित् लंका में सिंहल भाषा में प्रचलित हुई थी। आगे चलकर जब भारतवर्ष में बौद्ध धर्म का ह्रास होने लगा तब लंका से अट्ठकथा लाने की आवश्यकता हुई। इसके लिए चौथी शताब्दी में आचार्य रेवत ने अपने प्रतिभाशाली शिष्य बुद्धघोष को लंका भेजा। बुद्धघोष ने विसुद्धिमग्ग जैसा प्रौढ़ ग्रंथ लिखकर लंका के स्थविरों को संतुष्ट किया और सिंहली ग्रंथों के पालि अनुवाद करने में उनका सहयोग प्राप्त किया। आचार्य बुद्धदत्त और धम्मपाल ने भी इसी परंपरा में कतिपय ग्रंथों पर अट्ठकथाएँ लिखीं। . मज्झिमनिकाय, बौद्ध धर्मग्रन्थ है। यह सुत्तपिटक के पाँच बौद्ध निकायों में से दूसरा निकाय है। इसकी रचना ३री शताब्दी ईसापूर्व से लेकर २री शताब्दी ई के मध्य हुई। .

अट्टकथा और मज्झिम निकाय के बीच समानता

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संदर्भ

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