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अज़रबाइजान और निज़ामी गंजवी

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अज़रबाइजान और निज़ामी गंजवी के बीच अंतर

अज़रबाइजान vs. निज़ामी गंजवी

आज़रबाइजान(अन्य वर्तनी:अज़रबैजान या अज़रबाइजान) (Respublikası), कॉकेशस के पूर्वी भाग में एक गणराज्य है, पूर्वी यूरोप और एशिया के मध्य में बसा हुआ। भौगोलिक रूप से यह एशिया का ही भाग है। इसके सीमांत देश हैं: अर्मेनिया, जॉर्जिया, रूस, ईरान, तुर्की और इसका तटीय भाग कैस्पियन सागर से लगता हुआ है। यह १९९१ तक भूतपूर्व सोवियत संघ का भाग था। अज़रबैजान एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वर्ष २००१ से काउंसिल का सदस्य है। अधिकांश जनसंख्या इस्लाम धर्म की अनुयायी है और यह देश इस्लामी सम्मेलन संघ का सदस्य राष्ट्र भी है। यह देश धीरे-धीरे औपचारिक लेकिन सत्तावादी लोकतंत्र की ओर बढ़ रहा है। . निज़ामी निज़ामी (1141-1209, इलियास यूसफ़ ओग्लु) एक फ़ारसी तथा अज़ेरी कवि थे जो लैली व मजनूं (लैला मजनू) तथा 'सात सुंदरियां' जैसी किताबों के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका जन्म 12वीं सदी में वर्तमान आज़रबैजान के गंजा में हुआ था। इन्होंने बाद के कई फ़ारसी शायरों पर अपना प्रभाव डाला था जिनमें हफ़ीज़ शिराज़ी, रुमी तथा अमीर ख़ुसरो का नाम भी शामिल है। निज़ामी की प्रसिद्धि पाँच काव्यों के पर आधारित है जो सामूहिक रूप से खम्सा (पंचक) के नाम से विख्यात है। यह सामान्य रूप से प्रचलित है कि निज़ामी फिरदौसी के पश्चात् फारसी का सबसे महान् मसनवी लेखक हुआ है। वह अपनी शैली की प्रांजलता, अपने काव्यमय लाक्षणिक चित्रण और अपनी अनेक साहित्यिक सूझों के कौशलमय प्रयोग में अद्वितीय है। इससे उत्तरकालीन अनेक कवियों की स्पर्धा एवं श्लाघा प्रबुद्ध हुई है, जैसे दिल्ली के अमीर खुसरो और बगदाद के फुज़ूली ने इसका उत्तर लिखा है। उनमें से सर्वोत्तम, निस्संदेह रूप से खुसरू का है जिसे पंजगंज भी कहा जाता है। खम्सा पर अनेक भाष्य एवं टिप्पणियाँ लिखी गई हैं, और कविताएँ भिन्न -भिन्न भाषाओं में पूर्णतः या आंशिक रूप से अनूदित की गई हैं। निजामुद्दीन अबू मुहम्मद इलियास बिन यूसुफ का जन्म ११४०-४१ ई. में हुआ था। जब वे अभी छोटे बालक ही थे तभी उनके पिता का देहान्त हो गया। उनका और उनके भाई दोनों का लालन पालन उनके चाचा ने किया और उन्हें शिक्षित भी कराया। बाद में उनके भाई भी कवि के रूप में प्रसिद्ध हुए और 'क़िवामी मुतर्रिज़ी' उपनाम से लिखते थे। निज़ामी के तीन विवाह हुए किन्तु उनके केवल एक ही पुत्र मुहम्मद का नाम ज्ञात है। वह अधिकतर शांत, स्थिर एवं विरक्त जीवन व्यतीत करते थे। उनकी लगभग सभी कृतियाँ समकालीन शाहजादों को ही समर्पित की गई थीं यद्यपि वे कभी भी नियमित रूप से जानेवाले दरबारी नहीं थे। ६३ वर्ष से अधिक अवस्था में १२०३-४ ई. में उनकी मृत्यु हुई। .

अज़रबाइजान और निज़ामी गंजवी के बीच समानता

अज़रबाइजान और निज़ामी गंजवी आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): सिकंदर

सिकंदर

सिकंदर (Alexander) (356 ईपू से 323 ईपू) मकदूनियाँ, (मेसेडोनिया) का ग्रीक प्रशासक था। वह एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी जाना जाता है। इतिहास में वह कुशल और यशस्वी सेनापतियों में से एक माना गया है। अपनी मृत्यु तक वह उन सभी भूमि मे से लगभग आधी भूमि जीत चुका था, जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को थी(सत्य ये है की वह पृथ्वी के मात्र 5 प्रतीशत हिस्से को ही जीत पाया था) और उसके विजय रथ को रोकने में सबसे मुख्य भूमिका भारत के महान राजा पुरु (जिन्हे युनानी इतिहासकारों नें पोरस से सम्बोधित किया है।)और भारत के क्षेत्रीय सरदारो की थी, जिन्होंने सिकंदर की सेना में अपने पराक्रम के दम पर भारत के प्रति खौफ पैदा कर उसके हौसले पस्त कर दिये और उसे भारत से लौटने पर मजबूर कर दिया।। उसने अपने कार्यकाल में इरान, सीरिया, मिस्र, मसोपोटेमिया, फिनीशिया, जुदेआ, गाझा, बॅक्ट्रिया और भारत में पंजाब(जिसके राजा पुरु थे।) तक के प्रदेश पर विजय हासिल की थी परन्तु बाद में वो मगध की विशाल सेना से डर कर लौट गया ।।उल्लेखनीय है कि उपरोक्त क्षेत्र उस समय फ़ारसी साम्राज्य के अंग थे और फ़ारसी साम्राज्य सिकन्दर के अपने साम्राज्य से कोई 40 गुना बड़ा था। फारसी में उसे एस्कंदर-ए-मक्दुनी (मॅसेडोनिया का अलेक्ज़ेंडर, एस्कन्दर का अपभ्रंश सिकन्दर है) औऱ हिंदी में अलक्षेन्द्र कहा गया है। .

अज़रबाइजान और सिकंदर · निज़ामी गंजवी और सिकंदर · और देखें »

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अज़रबाइजान और निज़ामी गंजवी के बीच तुलना

अज़रबाइजान 19 संबंध है और निज़ामी गंजवी 12 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 3.23% है = 1 / (19 + 12)।

संदर्भ

यह लेख अज़रबाइजान और निज़ामी गंजवी के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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