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अगर और विषाणु

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अगर और विषाणु के बीच अंतर

अगर vs. विषाणु

200px अगर एक कालिलीय (कोलायडल) पदार्थ है जिसे विभिन्न प्रकार के लाल शैवालों से प्राप्त किया जाता है। इसमें सूक्ष्मजीवों का कल्चर करते है। सुक्ष्मजीवों के आवश्यकता अनुसार अगर में विभिन्न पदार्थ रखे होते है। अगर के पदार्थ अनुसार अगर भिन्न होते है। इसमें गैलेक्टोस और सल्फेट होता है। यह विभिन्न प्रकार से प्रयोगों में लाया जाता है। आरेचक (लैक्ज़ेटिव) के रूप में इसका उपयोग अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। प्रयोगशाला में इसका उपयोग सूक्ष्म जीवों के भोज्य पदार्थों (माइक्रोबियल कल्चर मीडिया) का ठोस बनाने के लिए किया जाता है। मिष्ठान्नशाला में तथा मांस संवेष्ठन उद्योगों (मीट पैकिंग इंडस्ट्रीज) में भी अगर का उपयोग होता है। भेषजीय उत्पादन में यह प्रनिलंबक अभिकर्ता (इमल्सीफाइंग एजेंट) के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। अगर के पौधों को इकट्ठा करके तुरंत सुखाया जाता है। इसके बाद कारखाने में भेज दिया जाता है, जहाँ पर ये धोए जाते हैं। विशेष प्रयोग में लाए जाने वाले अगर की उपलब्धि के लिए उक्त पौधों को विरंजित (ब्लीच्ड) करके पुन शुद्ध किया जाता है। तत्पश्चात्‌ म्यूसीलेज को कुछ घंटों के लिए उबाला जाता है और अनेक छननों से छानते हुए विभिन्न फ्रेमों में जेली के रूप में प्रवाहित किया जाता है। तत्पश्चात्‌ ठंढा करके जमा दिया जाता है। पानी को फेंककर जेली सुखाई जाती है और अंत में इसे चूर्ण का रूप दिया जाता है। इसका प्रयोग भिन्न-भिन्न प्रकार से किया जाता है। इससे अगरबत्तियाँ भी बनाई जाती है। . विषाणु अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं। ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं, शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं। इन्हे क्रिस्टल के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है। एक विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता है। यह सैकड़ों वर्षों तक सुशुप्तावस्था में रह सकता है और जब भी एक जीवित मध्यम या धारक के संपर्क में आता है उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता है और जीव बीमार हो जाता है। एक बार जब विषाणु जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है, वह कोशिका के मूल आरएनए एवं डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है। विषाणु का अंग्रेजी शब्द वाइरस का शाब्दिक अर्थ विष होता है। सर्वप्रथम सन १७९६ में डाक्टर एडवर्ड जेनर ने पता लगाया कि चेचक, विषाणु के कारण होता है। उन्होंने चेचक के टीके का आविष्कार भी किया। इसके बाद सन १८८६ में एडोल्फ मेयर ने बताया कि तम्बाकू में मोजेक रोग एक विशेष प्रकार के वाइरस के द्वारा होता है। रूसी वनस्पति शास्त्री इवानोवस्की ने भी १८९२ में तम्बाकू में होने वाले मोजेक रोग का अध्ययन करते समय विषाणु के अस्तित्व का पता लगाया। बेजेर्निक और बोर ने भी तम्बाकू के पत्ते पर इसका प्रभाव देखा और उसका नाम टोबेको मोजेक रखा। मोजेक शब्द रखने का कारण इनका मोजेक के समान तम्बाकू के पत्ते पर चिन्ह पाया जाना था। इस चिन्ह को देखकर इस विशेष विषाणु का नाम उन्होंने टोबेको मोजेक वाइरस रखा। विषाणु लाभप्रद एवं हानिकारक दोनों प्रकार के होते हैं। जीवाणुभोजी विषाणु एक लाभप्रद विषाणु है, यह हैजा, पेचिश, टायफायड आदि रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर मानव की रोगों से रक्षा करता है। कुछ विषाणु पौधे या जन्तुओं में रोग उत्पन्न करते हैं एवं हानिप्रद होते हैं। एचआईवी, इन्फ्लूएन्जा वाइरस, पोलियो वाइरस रोग उत्पन्न करने वाले प्रमुख विषाणु हैं। सम्पर्क द्वारा, वायु द्वारा, भोजन एवं जल द्वारा तथा कीटों द्वारा विषाणुओं का संचरण होता है परन्तु विशिष्ट प्रकार के विषाणु विशिष्ट विधियों द्वारा संचरण करते हैं। .

अगर और विषाणु के बीच समानता

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संदर्भ

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