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अगम्यगमन और सम्भोग

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अगम्यगमन और सम्भोग के बीच अंतर

अगम्यगमन vs. सम्भोग

अगम्यगमन (Incest) अथवा कौटुम्बिक व्यभिचार वो होता है जब एक पुरुष किसी ऐसी महिला जो उसके खून के रिश्ते मे आती हो या उसके विवाह से सम्बंधित हो जैसे माँ, बहिन,पुत्री, भतीजी,साली, सास, चची,भाभी, बहु इत्यादि से सेक्सुअल सम्बन्ध बनता है उसे कोटुम्भिक व्यभिचार बोलते है। कोटुम्भिक व्याभिचार न केवल कानूनी दृष्टि से अपितु नैतिक दृष्टि से भी एक अपराध माना जाता है। कोटुम्भिक व्याभिचार मे किसी बालक के साथ किये गए सेक्सुअल एक्टिविटी को भी रखा जाता है (जब निष्क्रिय माध्यम(पीड़ित) अपराधी के रिश्तदार हो)।;विश्व मे स्थिति: इंग्लैंड तथा दुसरे कुछ पश्चिमी देशो मे इसे एक गंभीर अपराध माना जाता है। इस अपराध मे निष्क्रिय माध्यम का सहमति देना भी क्पोई मायने नहीं रखता था अपराधी पर मुकदमा चलता है।;भारत मे स्थिति: इंग्लैंड की तरह भारत मे इस तरह के अपराध के लिए कोई अलग से कानून नही बनाया गया व्यभिचार है भारत मे इस तरह के अपराध कोई मायने नहीं रखते जब तक वो धारा 376 (बलात्कार की श्रेणी) धारा 377 (अप्राक्र्तीक सेक्स / या अनल सेक्स अपराध की श्रेणी) या धारा 497 (Adultery/व्यभिचार ki श्रेणी) मे नहीं आता हो। श्रेणी:व्यभिचार श्रेणी:चित्र जोड़ें. सम्भोग (अंग्रेजी: Sexual intercourse या सेक्सुअल इन्टरकोर्स) मैथुन या सेक्स की उस क्रिया को कहते हैं जिसमे नर का लिंग मादा की योनि में प्रवेश करता हैं। सम्भोग अलग अलग जीवित प्रजातियों के हिसाब से अलग अलग प्रकार से हो सकता हैं। सम्भोग को योनि मैथुन, काम-क्रीड़ा, रति-क्रीड़ा भी कहते हैं। संभोग की क्रिया केवल पति-पत्नी के बीच ही हो सकती है । यदि कोई महिला या पुरुष अपने पति-पत्नी के अलावा किसी और से संबंध बनाता है । तो वह अपराध की श्रेणी में आता है। इस अपराध की सजा भारत मे 30 साल की उम्रकैद है। यदि कोई स्त्री पुरुष अपने पति पत्नी को छोड़कर किसी अन्य से संबंध बनाता बनाती है । तो उस स्त्री अथवा पुरुष का उसकी पति अथवा पत्नी से तलाक हो जाता है । तथा उस स्त्री अथवा पुरुष को 30 साल की जेल होती है। विवाह से पूर्व संभोग करने भी अपराध की श्रेणी में आता है । इसकी दज यह है कि उस उन दोनों का विवाह करना अनिवार्य हो जाता है । तथा वे एक-दूसरे से जीवन भर तलाक नही ले सकते है । और किसी अन्य से संभोग भी नही कर सकते है । सृष्टि में आदि काल से सम्भोग का मुख्य काम वंश को आगे चलाना व बच्चे पैदा करना है। जहाँ कई जानवर व पक्षी सिर्फ अपने बच्चे पैदा करने के लिए उपयुक्त मौसम में ही सम्भोग करते हैं वहीं इंसानों में सम्भोग इस वजह के बिना भी हो सकता हैं। सम्भोग इंसानों में सुख प्राप्ति या प्यार या जज्बात दिखाने का भी एक रूप हैं। सम्भोग अथवा मैथुन से पूर्व की क्रिया, जजिसे अंग्रेजी में फ़ोर प्ले कहते हैं, के दौरान हर प्राणी के शरीर से कुछ विशेष प्रकार की गन्ध (फ़ीरोमंस) उत्सर्जित होती है जो विषमलिंगी को मैथुन के लिये अभिप्रेरित व उत्तेजित करती है। कुछ प्राणियों में यह मौसम के अनुसार भी पाया जाता है। वस्तुत: फ़ोर प्ले से लेकर चरमोत्कर्ष की प्राप्ति तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया ही सम्भोग कहलाती है बशर्ते कि लिंग व्यवहार का यह कार्य विषमलिंगियों के बीच हो रहा हो। कई ऐसे प्रकार के सम्भोग भी हैं जिसमें लिंग का उपयोग नर और मादा के बीच नहीं होता जैसे मुख मैथुन, हस्तमैथुन अथवा गुदा मैथुन उन्हें मैथुन तो कहा जा सकता है परन्तु सम्भोग कदापि नहीं। उपरोक्त प्रकार के मैथुन अस्वाभाविक अथवा अप्राकृतिक व्यवहार के अन्तर्गत आते हैं या फिर सम्भोग के साधनों के अभाव में उन्हें केवल मनुष्य की स्वाभाविक आत्मतुष्टि का उपाय ही कहा जा सकता है, सम्भोग नहीं। .

अगम्यगमन और सम्भोग के बीच समानता

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अगम्यगमन और सम्भोग के बीच तुलना

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संदर्भ

यह लेख अगम्यगमन और सम्भोग के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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