अक्षर कोडन और पूर्ण विराम
शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ।
अक्षर कोडन और पूर्ण विराम के बीच अंतर
अक्षर कोडन vs. पूर्ण विराम
अक्षर कूटन या संप्रतीक कूटन (character encoding) के अन्तर्गत किसी लेखन पद्धति में प्रयुक्त सभी अक्षरों एवं प्रतीकों के लिये अलग-अलग संख्याएँ निर्धारित कर दी जाती हैं। उदाहरण के लिये आस्की (ASCII) में लैटिन अक्षर A को निरूपित करने के लिये संख्या 65 निर्धारित की गयी है; B के लिये 66, C के लिये 67 आदि। इन्हीं संख्याओं को 'कूट' या 'संप्रतीक कूट' कहा जाता है। कम्प्युटर के अन्दर किसी टेक्स्ट को सहेजने या निरुपित करने के लिये इन्हीं संख्याओं का प्रयोग होता है। मोर्स कोड, आस्की और नवीनतम यूनिकोड, 'अक्षर कूटन' के कुछ प्रकार हैं। 'अक्षर कूटन' के स्थान पर 'संप्रतीक सेट', 'संप्रतीक मैप' और 'कूट पृष्ट' आदि शब्दों का प्रयोग भी किया जाता है। कभी-कभी 'अक्षर कूटन' से सीमित अर्थ लगाया जाता है। यूनिकोड के आने के बाद पुराने अक्षर कोडिंग को 'लिगेसी कोडिंग' कहा जाने लगा है। देवनागरी के लिये कृतिदेव, सुशा, चाणक्य आदि पुराने कोडिंग प्रयोग होते थे। . संस्कृत, हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में वाक्य के अन्त में (प्रश्नवाचक वाक्यों को छोड़कर) जो विराम चिह्न उपयोग में लाया जाता है उसे पूर्ण विराम कहते हैं। हिन्दी में इसे 'खड़ी पाई' भी कहते हैं। देवनागरी लिपि में इसके लिए (।) चिह्न का प्रयोग होता है। कुछ लोग एवं प्रकाशन इसके स्थान पर रोमन 'फुल स्टॉप' (.) का भी प्रयोग करते हैं। किन्तु यह तर्कसंगत नहीं है। कुछ लोग इसे देवनागरी लिपि की परम्परा और वैज्ञानिकता से छेड़-छाड़ करने के बराबर मानते है। देवनागरी लिपि की वर्णमाला को देखने से स्पष्ट हो जाता है कि उसमें सर्वत्र खड़ी पाई का ही बोलबाला है। लगभग हर वर्ण में खड़ी पाई या तो पूर्ण रूप से विद्यमान है अथवा आंशिक रूप से। विद्वानों का यहां तक मत है कि हिंदी का एक नाम खड़ी बोली इसलिए है क्योंकि इसमें खड़ी पाई सभी जगह पाई जाती है। इसलिए खड़ी पाई देवनागरी लिपि की प्रकृति के अनुकूल है। इसे ही विराम चिह्न के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए। खड़ी पाई के पक्ष में एक अन्य बात भी है। केवल यही एक हिंदी का अपना विराम चिह्न है, बाकी सब अंग्रेजी के हैं। तब फिर उसे क्यों छोड़ा जाए। फुल स्टॉप्प का प्रयोग न करने के पक्ष में एक ठोस तर्क यह भी है कि हिंदी में 'बिंदी' का बहुत अधिक उपयोग होता है - नुक्ता के रूप में, बहुवचन सूचित करने के लिए, दशमलव चिह्न के रूप में, और ङ जैसे कुछ अक्षरों में तो वह पहले से ही विद्यमान है। इस तरह हिंदी में बिंदी शब्द के आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, सभी जगह लगाई जाती है। अब विराम चिह्न के लिए भी उसका उपयोग करने से भारी गड़बड़ी फैल जाएगी। दूसरी बात कंप्यूटर स्क्रीन पर उसके ठीक से दिखने से संबंधित है। बहुत कम पिक्सेल आकार में बिंदी ठीक से नहीं दिखाई देती है अथवा उसके आस-पास के पिक्सलों में वह विलीन हो जाती है। इसलिए बहुत छोटे टाइप साइसों में 'हिंदी', 'पढ़', आदि की बिंदी दिखाई ही नहीं देती। यदि हम विराम चिह्न के लिए भी बिंदी का प्रयोग करने लगें, तो बहुत छोटे टाइपसाइसों में यह पता ही नहीं चल पाएगा कि वाक्य कहां समाप्त हो रहा है। .
अक्षर कोडन और पूर्ण विराम के बीच समानता
अक्षर कोडन और पूर्ण विराम आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): देवनागरी।
'''देवनागरी''' में लिखी ऋग्वेद की पाण्डुलिपि देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएँ तथा कई विदेशी भाषाएं लिखीं जाती हैं। यह बायें से दायें लिखी जाती है। इसकी पहचान एक क्षैतिज रेखा से है जिसे 'शिरिरेखा' कहते हैं। संस्कृत, पालि, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, सिन्धी, कश्मीरी, डोगरी, नेपाली, नेपाल भाषा (तथा अन्य नेपाली उपभाषाएँ), तामाङ भाषा, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मगही, भोजपुरी, मैथिली, संथाली आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्थितियों में गुजराती, पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमानी और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी में लिखी जाती हैं। देवनागरी विश्व में सर्वाधिक प्रयुक्त लिपियों में से एक है। मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया की एक ट्राम पर देवनागरी लिपि .
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अक्षर कोडन और पूर्ण विराम के बीच तुलना
अक्षर कोडन 14 संबंध है और पूर्ण विराम 8 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 4.55% है = 1 / (14 + 8)।
संदर्भ
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