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अक्रम सिद्धान्त और भौतिकवाद

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अक्रम सिद्धान्त और भौतिकवाद के बीच अंतर

अक्रम सिद्धान्त vs. भौतिकवाद

अक्रम सिद्धान्त (Chaos theory/चेओस थिअरी), गणित की एक शाखा है जो उन गतिक निकायों पर अपाना ध्यान केन्द्रित करती है जिनका व्यवहार उनके आरम्भिक दशा (initial conditions) पर बहुत अधिक निर्भर करता है। वास्तव में ऐसे बहुत से निकाय हैं जिनमें अव्यवस्था ही अव्यवस्था दिखती है (व्यवहार में कोई पैटर्न नहीं दिखता) किन्तु वे रैण्डम निकाय नहीं होते बल्कि अत्यधिक अरैखिक अक्रमी निकाय होते हैं। अक्रम सिद्धान्त श्रेणी:अरैखिक निकाय. भौतिकवाद (Materialism) दार्शनिक एकत्ववाद का एक प्रकार हैं, जिसका यह मत है कि प्रकृति में पदार्थ ही मूल द्रव्य है, और साथ ही, सभी दृग्विषय, जिस में मानसिक दृग्विषय और चेतना भी शामिल हैं, भौतिक परस्पर संक्रिया के परिणाम हैं। भौतिकवाद का भौतिकतावाद (Physicalism) से गहरा सम्बन्ध हैं, जिसका यह मत है कि जो कुछ भी अस्तित्व में हैं, वह अंततः भौतिक हैं। भौतिक विज्ञानों की ख़ोज के साथ, दार्शनिक भौतिकतावाद भौतिकवाद से क्रम-विकासित हुआ, ताकि सिर्फ़ सामान्य पदार्थ के बजाए भौतिकता के अधिक परिष्कृत विचारों को समाहित किया जा सकें, जैसे कि, दिक्-काल, भौतिक ऊर्जाएँ और बल, डार्क मैटर, इत्यादि। अतः, कुछ लोग "भौतिकवाद" से बढ़कर "भौतिकतावाद" शब्द को वरीयता देते हैं, जबकि कुछ इन शब्दों का प्रयोग समानार्थी शब्दों के रूप में करते हैं। भौतिकवाद या भौतिकतावाद से विरुद्ध दर्शनों में आदर्शवाद, बहुलवाद, द्वैतवाद और एकत्ववाद के कुछ प्रकार सम्मिलित हैं। .

अक्रम सिद्धान्त और भौतिकवाद के बीच समानता

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अक्रम सिद्धान्त और भौतिकवाद के बीच तुलना

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संदर्भ

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