अक्रम सिद्धान्त और अर्थशास्त्र
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अक्रम सिद्धान्त और अर्थशास्त्र के बीच अंतर
अक्रम सिद्धान्त vs. अर्थशास्त्र
अक्रम सिद्धान्त (Chaos theory/चेओस थिअरी), गणित की एक शाखा है जो उन गतिक निकायों पर अपाना ध्यान केन्द्रित करती है जिनका व्यवहार उनके आरम्भिक दशा (initial conditions) पर बहुत अधिक निर्भर करता है। वास्तव में ऐसे बहुत से निकाय हैं जिनमें अव्यवस्था ही अव्यवस्था दिखती है (व्यवहार में कोई पैटर्न नहीं दिखता) किन्तु वे रैण्डम निकाय नहीं होते बल्कि अत्यधिक अरैखिक अक्रमी निकाय होते हैं। अक्रम सिद्धान्त श्रेणी:अरैखिक निकाय. ---- विश्व के विभिन्न देशों की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (सन २०१४) अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है और समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा है। अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध इत्यदि। प्रो.
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संदर्भ
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