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अंबिकादत्त व्यास और विज्ञान कथा साहित्य

शॉर्टकट: मतभेद, समानता, समानता गुणांक, संदर्भ

अंबिकादत्त व्यास और विज्ञान कथा साहित्य के बीच अंतर

अंबिकादत्त व्यास vs. विज्ञान कथा साहित्य

भारतेन्दु मण्डल के प्रसिद्ध कवि अंबिकादत्त व्यास का जन्म सन् १८४८ ई. में तथा मृत्यु सन् १९०० ई. में हुई। इन्होंने कवित्त सवैया की प्रचलित शैली में ब्रजभाषा में रचना की। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के समकालीन हिन्दी सेवियों में पंडित अंबिकादत्त व्यास बहुत प्रसिद्ध लेखक और कवि हैं। . विज्ञान कथा, काल्पनिक साहित्य की ही वह विधा है जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संभावित परिवर्तनों को लेकर उपजी मानवीय प्रतिक्रिया को कथात्मक अभिव्यक्ति देती है। मेरी शेली की 'द फ्रन्केनस्टआईन' पहली विज्ञान कथात्मक कृति मानी जाती है। अमेरिका और ब्रिटेन में विगत सदी में बेह्तरीन विज्ञान कथाएं लिखी गयी है- आइजक आजीमोव, आर्थर सी क्लार्क, रोबर्ट हेनलीन प्रसिद्ध विज्ञान कथा लेखक रहे हैं। अब तीनों दिवंगत हैं। .

अंबिकादत्त व्यास और विज्ञान कथा साहित्य के बीच समानता

अंबिकादत्त व्यास और विज्ञान कथा साहित्य आम में एक बात है (यूनियनपीडिया में): भारतेन्दु हरिश्चंद्र

भारतेन्दु हरिश्चंद्र

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (९ सितंबर १८५०-७ जनवरी १८८५) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था, 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी। उनका कार्यकाल युग की सन्धि पर खड़ा है। उन्होंने रीतिकाल की विकृत सामन्ती संस्कृति की पोषक वृत्तियों को छोड़कर स्वस्थ्य परम्परा की भूमि अपनाई और नवीनता के बीज बोए। हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है। भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध भारतेन्दु जी ने देश की गरीबी, पराधीनता, शासकों के अमानवीय शोषण का चित्रण को ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया। हिन्दी को राष्ट्र-भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में उन्होंने अपनी प्रतिभा का उपयोग किया। भारतेन्दु बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। हिंदी पत्रकारिता, नाटक और काव्य के क्षेत्र में उनका बहुमूल्य योगदान रहा। हिंदी में नाटकों का प्रारंभ भारतेन्दु हरिश्चंद्र से माना जाता है। भारतेन्दु के नाटक लिखने की शुरुआत बंगला के विद्यासुंदर (१८६७) नाटक के अनुवाद से होती है। यद्यपि नाटक उनके पहले भी लिखे जाते रहे किंतु नियमित रूप से खड़ीबोली में अनेक नाटक लिखकर भारतेन्दु ने ही हिंदी नाटक की नींव को सुदृढ़ बनाया। उन्होंने 'हरिश्चंद्र पत्रिका', 'कविवचन सुधा' और 'बाल विबोधिनी' पत्रिकाओं का संपादन भी किया। वे एक उत्कृष्ट कवि, सशक्त व्यंग्यकार, सफल नाटककार, जागरूक पत्रकार तथा ओजस्वी गद्यकार थे। इसके अलावा वे लेखक, कवि, संपादक, निबंधकार, एवं कुशल वक्ता भी थे।। वेबदुनिया। स्मृति जोशी भारतेन्दु जी ने मात्र ३४ वर्ष की अल्पायु में ही विशाल साहित्य की रचना की। पैंतीस वर्ष की आयु (सन् १८८५) में उन्होंने मात्रा और गुणवत्ता की दृष्टि से इतना लिखा, इतनी दिशाओं में काम किया कि उनका समूचा रचनाकर्म पथदर्शक बन गया। .

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अंबिकादत्त व्यास और विज्ञान कथा साहित्य के बीच तुलना

अंबिकादत्त व्यास 4 संबंध है और विज्ञान कथा साहित्य 37 है। वे आम 1 में है, समानता सूचकांक 2.44% है = 1 / (4 + 37)।

संदर्भ

यह लेख अंबिकादत्त व्यास और विज्ञान कथा साहित्य के बीच संबंध को दर्शाता है। जानकारी निकाला गया था, जिसमें से एक लेख का उपयोग करने के लिए, कृपया देखें:

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