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अंतःक्षेपी संचन

सूची अंतःक्षेपी संचन

एक अंतःक्षेपी संचन मशीन स्क्रू पर आधारित अंतःक्षेपी संचन मशीन का सामान्य रूप (१) स्क्रू (२) गुटिका प्रक्षेपक (३) नोजल (४) तथा (६) सांचे के दो भाग (५) खाली स्थान में गर्म पदार्थ (५) निर्मित उत्पाद अंतःक्षेपी संचन (Injection molding) एक निर्माण प्रक्रिया है जो थर्मोप्लास्टिक पदार्थों तथा थर्मोसेटिंग पदार्थों से विभिन्न वस्तुएँ बनाने में प्रयुक्त होती है। इस प्रक्रिया में पदार्थ को एक गर्म नाल (बैरल) में ले जाया जाता है, मिश्रित किया जाता है और साँचा कोटर (मोल्ड कैविटी) में बलपूर्वक घुसा दिया जाता है। यहाँ ठंडा होकर कठोर हो जाता है और कोटर का आकार ग्रहण कर लेता है। जब किसी उत्पाद की डिजाइन पूरी हो जाती है तो साँचे की डिजाइन करने वाले किसी धातु (प्रायः इस्पात या अलुमिनियम) से मोल्ड का निर्माण करते हैं। अंतःक्षेपी संचन का उपयोग बहुतायत में होता है और इस प्रक्रिया द्वारा छोटे-से-छोटा अवयव से लेकर कारों की सम्पूर्ण शरीर तक बनाया जाता है। .

1 संबंध: इस्पात

इस्पात

इस्पात (Steel), लोहा, कार्बन तथा कुछ अन्य तत्वों का मिश्रातु है। इसकी तन्य शक्ति (tensile strength) अधिक होती है जबकि प्रति टन मूल्य कम होने के कारण यह भवनों, अधोसंरचना, औजार, जलयान, वाहन, और मशीनों के निर्माण में प्रयुक्त होता है। 'इस्पात' शब्द इतने विविध प्रकार के परस्पर अत्यधिक भिन्न गुणोंवाले पदार्थो के लिए प्रयुक्त होता है कि इस शब्द की ठीक-ठीक परिभाषा करना वस्तुत: असंभव है। परंतु व्यवहारत: इस्पात से लोहे तथा कार्बन (कार्बन) की मिश्र धातु ही समझी जाती है (दूसरे तत्व भी साथ में चाहे हों अथवा न हों)। इसमें कार्बन की मात्रा साधारणतया 0.002% से 2.14% तक होती है। किसी अन्य तत्व की अपेक्षा कार्बन, लोहे के गुणों को अधिक प्रभावित करता है; इससे अद्वितीय विस्तार में विभिन्न गुण प्राप्त होते हैं। वेसे तो कई अन्य साधारण तत्व भी मिलाए जाने पर लोहे तथा इस्पात के गुणों को बहुत बदल देते हैं, परंतु इनमें कार्बन ही प्रधान मिश्रधातुकारी तत्व है। यह लोहे की कठोरता तथा पुष्टता समानुपातिक मात्रा में बढ़ाता है, विशेषकर उचित उष्मा उपचार के उपरांत। इस्पात एक मिश्रण है जिसमें अधिकांश हिस्सा लोहा का होता है। इस्पात में 0.2 प्रतिशत से 2.14 प्रतिशत के बीच कार्बन होता है। लोहा के साथ कार्बन सबसे किफायत मिश्रक होता है, लेकिन जरूरत के अनुसार, इसमें मैंगनीज, क्रोमियम, वैंनेडियम और टंग्सटन भी मिलाए जाते हैं। कार्बन और दूसरे पदार्थ मिश्र-धातु को कठोरता प्रदान करते हैं। लौहे के साथ, उचित मात्रा में मिश्रक मिलाकर लोहे को आवश्यक कठोरता, तन्यता और सुघट्यता प्रदान किया जाता है। लौहे में जितना ज्यादा कार्बन मिलाते हैं इस्पात उतना ही कठोर बनता जाता है, कठोरता बढ़ने के साथ ही उसकी भंगुरता भी बढ़ती जाती है। 1149 डिग्री सेल्सियस पर लौहे में कार्बन की अधिकतम घुल्यता 2.14 प्रतिशत है। कम तापमान पर अगर लौहे में ज्यादा मात्रा में कार्बन हो तो इससे सिमेंटाइट का निर्माण होगा। लौहे में अगर इससे ज्यादा कार्बन हो तो यह कास्ट आयरन कहलाता है, क्योंकि इसका गलनाक कम हो जाता है। इस्पात, कास्ट आयरन से इसलिए भी अलग होता है क्योंकि इसमें दूसरे तत्वों की मात्रा अत्यंत कम होती है यानी 1 से तीन प्रतिशत के करीब.

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