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हिन्द-यवन राज्य

सूची हिन्द-यवन राज्य

पहले हिन्द-यवन राजा दीमीत्रीयस प्रथम (अनुमानित जीवनकाल: २०५ ई॰पू॰ - १७० ई॰पू॰) द्वारा गढ़ा सिक्का - हाथीनुमा टोपी उनका भारतीय क्षेत्र पर राज दर्शाती है हिन्द-यवन राज्य(भारत-यूनान राज्य) भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तरी क्षेत्र में स्थित २०० ईसापूर्व से १० ईसवी तक के काल में यूनानी मूल के राजाओं द्वारा प्रशासित राज्य थे। इस दौरान यहाँ ३० से भी अधिक हिन्द-यवन राजा रहे जो आपस में भी लड़ा करते थे। इन राज्यों का सिलसिला तब आरम्भ हुआ जब बैक्ट्रिया के दीमीत्रीयस प्रथम नामक यवन राजा ने १८० ई॰पू॰ में हिन्दू-कुश पर्वत शृंखला पार करके पश्चिमोत्तर भारतीय क्षेत्रों पर धावा बोल दिया। अपने काल में इन शासकों ने भाषा, वेशभूषा, चिह्नों, शासन प्रणाली और रहन-सहन में यूनानी-भारतीय संस्कृतियों में गहरा मिश्रण किया और बहुत से हिन्दू और बौद्ध धर्म के तत्वों को अपनाया। हिन्द-यवनों का राज शक लोगों के आक्रमणों से अंत हुआ, हालांकि १० ई॰ के बाद भी इक्की-दुक्की जगहों पर कुछ देर तक यूनानी समुदाय अपनी पहचान बनाए हुए थे। समय के साथ उनका भारतीय समाज में विलय हो गया। .

18 संबंधों: तक्षशिला, दीमीत्रीयस प्रथम, पारसी धर्म, पाली, प्राचीन इतिहास, प्राकृत, ब्राह्मी लिपि, बैक्ट्रिया, भारतीय उपमहाद्वीप, यूनानी, यूनानी भाषा, यूनानी वर्णमाला, शक, सियालकोट, संस्कृत भाषा, हिन्दु कुश, हिन्दू धर्म, खरोष्ठी

तक्षशिला

तक्षशिला में प्राचीन बौद्ध मठ के भग्नावशेष तक्षशिला (पालि: तक्कसिला) प्राचीन भारत में गांधार देश की राजधानी और शिक्षा का प्रमुख केन्द्र था। यहाँ का विश्वविद्यालय विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में शामिल है। यह हिन्दू एवं बौद्ध दोनों के लिये महत्व का केन्द्र था। चाणक्य यहाँ पर आचार्य थे। ४०५ ई में फाह्यान यहाँ आया था। ऐतिहासिक रूप से यह तीन महान मार्गों के संगम पर स्थित था- (१) उत्तरापथ - वर्तमान ग्रैण्ड ट्रंक रोड, जो गंधार को मगध से जोड़ता था, (२) उत्तरपश्चिमी मार्ग - जो कापिश और पुष्कलावती आदि से होकर जाता था, (३) सिन्धु नदी मार्ग - श्रीनगर, मानसेरा, हरिपुर घाटी से होते हुए उत्तर में रेशम मार्ग और दक्षिण में हिन्द महासागर तक जाता था। वर्तमान समय में तक्षशिला, पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के रावलपिण्डी जिले की एक तहसील तथा महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है जो इस्लामाबाद और रावलपिंडी से लगभग ३२ किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है। ग्रैंड ट्रंक रोड इसके बहुत पास से होकर जाता है। यह स्थल १९८० से यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में सम्मिलित है। वर्ष २०१० की एक रिपोर्ट में विश्व विरासत फण्ड ने इसे उन १२ स्थलों में शामिल किया है जो अपूरणीय क्षति होने के कगार पर हैं। इस रिपोर्ट में इसका प्रमुख कारण अपर्याप्त प्रबन्धन, विकास का दबाव, लूट, युद्ध और संघर्ष आदि बताये गये हैं। .

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दीमीत्रीयस प्रथम

यह बैक्ट्रिया के शासक यूथीडेमस का पुत्र था। 190 ई० पू० में अपने पिता की मृत्यु के बाद वह बैक्ट्रिया की गद्दी पर बैठा। डेमेट्रियस महत्वाकांक्षी शासक था। उसने अपनी महत्वाकांक्षाओ को पूरा करने के लिए भारत पर भी अभियान किया। कुछ इतिहासकार मानते है कि पतंजलि के महाभाष्य एवं गार्गी संहिता में जिस यवन आक्रमण का उल्लेख है उसका नेता डेमेट्रियस ही था।.

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पारसी धर्म

पारसी धर्म ईरान का प्राचीन काल से प्रचलित धर्म है। ये ज़न्द अवेस्ता नाम के धर्मग्रंथ पर आधारित है। इसके प्रस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र हैं, इसलिये इस धर्म को ज़रथुष्ट्री धर्म (Zoroastrianism) भी कहते हैं। .

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पाली

पाली राजस्थान में उपर्युक्त ज़िले में बाँडी नदी के दाहिने किनारे पर स्थित नगर है। पाली की पूर्वी सीमाएँ अरावली पर्वत श्रृंखला से जुड़ी हैं। पाली की सीमाएँ उत्तर में नागौर और पश्चिम में जालौर से मिलती हैं। पाली शहर पालीवाल ब्राह्मणों का निवास स्थान था जब मुग़लों ने क़त्लेआम मचा दिया तो उन्हें यह शहर छोड़ कर जाना पड़ा। वीर योद्धा महाराणा प्रताप का यहीं ननिहाल है | यह भी मान्यता है की महाराणा प्रताप का जन्म पाली में ही हुआ है। यह नगर तीन बार उजड़ा और बसा। पाली के प्रसिद्ध जैन मंदिर भक्तों के साथ-साथ इतिहासवेत्ताओं को भी आकर्षित करते हैं। पाली के मुख्य उद्योगों में सूती कपड़े की रँगाई, छपाई, ताँबे का काम आदि प्रमुख हैं। पाली नगर में स्कूल, अस्पताल तथा कई मंदिर भी हैं। सोमनाथ तथा नौलखा आदि प्रसिद्ध मंदिर हैं। श्रेणी:राजस्थान के शहर bpy:পালি (ললিতপুর) pi:पमुख पत्त Pamukha patta.

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प्राचीन इतिहास

प्राचीन इतिहास अतीत की घटनाओं का समुच्चय है। इसकी शुरआत दर्ज किये गए मानव इतिहास से प्रारंभिक मध्य युग, यहाँ तक कि वैदिक युग तक विस्तृत है। इतिहास की अवधि 5000 साल है जिसकी शुरुआत सुमेरियन क्यूनीफ़ॉर्म लिपि, जो 30 वीं सदी की प्राचीनतम व सुसंगत लेखन पद्दति है, से होती है।, "History" .

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प्राकृत

सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र । इसकी रचना मूलतः तीसरी-चौथी शताब्दी ईसापूर्व में की गयी थी। भारतीय आर्यभाषा के मध्ययुग में जो अनेक प्रादेशिक भाषाएँ विकसित हुई उनका सामान्य नाम प्राकृत है और उन भाषाओं में जो ग्रंथ रचे गए उन सबको समुच्चय रूप से प्राकृत साहित्य कहा जाता है। विकास की दृष्टि से भाषावैज्ञानिकों ने भारत में आर्यभाषा के तीन स्तर नियत किए हैं - प्राचीन, मध्यकालीन और अर्वाचीन। प्राचीन स्तर की भाषाएँ वैदिक संस्कृत और संस्कृत हैं, जिनके विकास का काल अनुमानत: ई. पू.

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ब्राह्मी लिपि

कान्हेरी गुफा की एक शिला पर ब्राह्मी लेख ब्राह्मी एक प्राचीन लिपि है जिससे कई एशियाई लिपियों का विकास हुआ है। देवनागरी सहित अन्य दक्षिण एशियाई, दक्षिण-पूर्व एशियाई, तिब्बती तथा कुछ लोगों के अनुसार कोरियाई लिपि का विकास भी इसी से हुआ था। इथियोपियाई लिपि पर ब्राह्मी लिपि का स्पष्ट प्रभाव है। .

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बैक्ट्रिया

बैक्ट्रिया के प्राचीन शहर बैक्ट्रिया या बाख़्तर (संस्कृत: वाह्लिका, फ़ारसी: बाख़्तर, यूनानी: Βακτριανή बाक्त्रिआई), जिसे तुषारिस्तान, तुख़ारिस्तान और तुचारिस्तान भी कहा जाता है, मध्य एशिया के उस ऐतिहासिक क्षेत्र का प्राचीन नाम है जो हिन्दु कुश पर्वत श्रंखला और अमू दरिया के बीच पड़ता है। आधुनिक राजनितिक इकाइयों के अनुसार यह अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान और पाकिस्तान में बँटा हुआ है। .

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भारतीय उपमहाद्वीप

भारतीय उपमहाद्वीप का भौगोलिक मानचित्र भारतीय उपमहाद्वीप, एशिया के दक्षिणी भाग में स्थित एक उपमहाद्वीप है। इस उपमहाद्वीप को दक्षिण एशिया भी कहा जाता है भूवैज्ञानिक दृष्टि से भारतीय उपमहाद्वीप का अधिकांश भाग भारतीय प्रस्तर (या भारतीय प्लेट) पर स्थित है, हालाँकि इस के कुछ भाग इस प्रस्तर से हटकर यूरेशियाई प्रस्तर पर भी स्थित हैं। .

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यूनानी

यूनानी का अर्थ यूनान-सम्बन्धी -- लोग, भाषा, संस्कृति अत्यदि। यूनानियों ने भारत को इंडिया कहा .

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यूनानी भाषा

यूनानी या ग्रीक (Ελληνικά या Ελληνική γλώσσα), हिन्द-यूरोपीय (भारोपीय) भाषा परिवार की स्वतंत्र शाखा है, जो ग्रीक (यूनानी) लोगों द्वारा बोली जाती है। दक्षिण बाल्कन से निकली इस भाषा का अन्य भारोपीय भाषा की तुलना में सबसे लंबा इतिहास है, जो लेखन इतिहास के 34 शताब्दियों में फैला हुआ है। अपने प्राचीन रूप में यह प्राचीन यूनानी साहित्य और ईसाईयों के बाइबल के न्यू टेस्टामेंट की भाषा है। आधुनिक स्वरूप में यह यूनान और साइप्रस की आधिकारिक भाषा है और करीबन 2 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। लेखन में यूनानी अक्षरों का उपयोग किया जाता है। यूनानी भाषा के दो ख़ास मतलब हो सकते हैं.

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यूनानी वर्णमाला

यूनानी वर्णमाला (Greek alphabet) चौबीस अक्षरों की वर्ण व्यवस्था है जिनके प्रयोग से यूनानी भाषा को आठवीं सदी ईसा-पूर्व से लिखा जा रहा है। प्रत्येक स्वर एवं व्यंजन लिए पृथक चिन्ह वाली यह पहली एवं प्राचीनतम वर्णमाला है। यह वर्णमाला फ़ोनीशियाई वर्णमाला से उत्पन्न हुई थी और यूरोप की कई वर्ण-व्यवस्थाएँ इसी से जन्मी हैं। अंग्रेज़ी लिखने के लिये प्रयुक्त रोमन लिपि तथा रूसी भाषा लिखने के लिए प्रयोग की जाने वाली सीरिलिक वर्णमाला दोनों यूनानी लिपि से जन्मी हैं। दूसरी शताब्दी ईसापूर्व के बाद गणितज्ञों ने यूनानी अक्षरों को अंक दर्शाने के लिए भी प्रयोग करना शुरू कर दिया। यूनानी वर्णों का प्रयोग विज्ञान के कई क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे भौतिकी में तत्वों के नाम, सितारों के नाम, बिरादरी एवं साथी सम्प्रदाय के नाम, ऊष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के नाम के लिए। .

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शक

सरमतिया मध्य एशिया का भौतिक मानचित्र, पश्चिमोत्तर में कॉकस से लेकर पूर्वोत्तर में मंगोलिया तक स्किथियों के सोने के अवशेष, बैक्ट्रिया की तिलिया तेपे पुरातन-स्थल से ३०० ईसापूर्व में मध्य एशिया के पज़ियरिक क्षेत्र से शक (स्किथी) घुड़सवार शक प्राचीन मध्य एशिया में रहने वाली स्किथी लोगों की एक जनजाति या जनजातियों का समूह था। इनकी सही नस्ल की पहचान करना कठिन रहा है क्योंकि प्राचीन भारतीय, ईरानी, यूनानी और चीनी स्रोत इनका अलग-अलग विवरण देते हैं। फिर भी अधिकतर इतिहासकार मानते हैं कि 'सभी शक स्किथी थे, लेकिन सभी स्किथी शक नहीं थे', यानि 'शक' स्किथी समुदाय के अन्दर के कुछ हिस्सों का जाति नाम था। स्किथी विश्व के भाग होने के नाते शक एक प्राचीन ईरानी भाषा-परिवार की बोली बोलते थे और इनका अन्य स्किथी-सरमती लोगों से सम्बन्ध था। शकों का भारत के इतिहास पर गहरा असर रहा है क्योंकि यह युएझ़ी लोगों के दबाव से भारतीय उपमहाद्वीप में घुस आये और उन्होंने यहाँ एक बड़ा साम्राज्य बनाया। आधुनिक भारतीय राष्ट्रीय कैलंडर 'शक संवत' कहलाता है। बहुत से इतिहासकार इनके दक्षिण एशियाई साम्राज्य को 'शकास्तान' कहने लगे हैं, जिसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, सिंध, ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा और अफ़्ग़ानिस्तान शामिल थे।, Vesta Sarkhosh Curtis, Sarah Stewart, I.B.Tauris, 2007, ISBN 978-1-84511-406-0,...

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सियालकोट

सियालकोट पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के उत्तर-पूर्व में स्थित सियालकोट जिले का मुख्यालय एवं सैनिक छावनी है। नगर उत्तरी-पश्चिमी रेलमार्ग पर लाहौर से १०० किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है। यह नगर अनेक व्यवसायों एवं उद्योगों का केंद्र है। नगर में १०वीं शताब्दी के एक किले के भग्नावशेष हैं जो एक टीले पर खड़े हैं। इतिहासकारों का अनुमान है कि यह टीला किले से अधिक प्राचीन है। कुछ इतिहासकारों ने नगर की पहचान प्राचीन 'शाकल नगर' से की है। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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हिन्दु कुश

हिन्दु कुश उत्तरी पाकिस्तान के विवादीत भाग से मध्य अफ़्ग़ानिस्तान तक विस्तृत एक ८०० किमी चलने वाली पर्वत शृंखला है। इसका सबसे ऊँचा पहाड़ पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रान्त के चित्राल ज़िले में स्थित ७,७०८ मीटर (२५,२८९ फ़ुट) लम्बा तिरिच मीर पर्वत है।, Michael Palin, Basil Pao, Macmillan, 2005, ISBN 978-0-312-34162-6,...

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हिन्दू धर्म

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) एक धर्म (या, जीवन पद्धति) है जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में हैं। इसे विश्व का प्राचीनतम धर्म कहा जाता है। इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' भी कहते हैं जिसका अर्थ है कि इसकी उत्पत्ति मानव की उत्पत्ति से भी पहले से है। विद्वान लोग हिन्दू धर्म को भारत की विभिन्न संस्कृतियों एवं परम्पराओं का सम्मिश्रण मानते हैं जिसका कोई संस्थापक नहीं है। यह धर्म अपने अन्दर कई अलग-अलग उपासना पद्धतियाँ, मत, सम्प्रदाय और दर्शन समेटे हुए हैं। अनुयायियों की संख्या के आधार पर ये विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। संख्या के आधार पर इसके अधिकतर उपासक भारत में हैं और प्रतिशत के आधार पर नेपाल में हैं। हालाँकि इसमें कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन वास्तव में यह एकेश्वरवादी धर्म है। इसे सनातन धर्म अथवा वैदिक धर्म भी कहते हैं। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम" है। हिन्दू केवल एक धर्म या सम्प्रदाय ही नहीं है अपितु जीवन जीने की एक पद्धति है। .

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खरोष्ठी

तारिम द्रोणी में मिला खरोष्ठी में लिखा एक काग़ज़ का टुकड़ा (दूसरी से पाँचवी सदी ईसवी) सिंधु घाटी की चित्रलिपि को छोड़ कर, खरोष्ठी भारत की दो प्राचीनतम लिपियों में से एक है। यह दाएँ से बाएँ को लिखी जाती थी। सम्राट अशोक ने शाहबाजगढ़ी और मनसेहरा के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में ही लिखवाए हैं। इसके प्रचलन की देश और कालपरक सीमाएँ ब्राह्मी की अपेक्षा संकुचित रहीं और बिना किसी प्रतिनिधि लिपि को जन्म दिए ही देश से इसका लोप भी हो गया। ब्राह्मी जैसी दूसरी परिष्कृत लिपि की विद्यमानता अथवा देश की बाएँ से दाहिने लिखने की स्वाभाविक प्रवृत्ति संभवत: इस लिपि के विलुप्त होने का कारण रहा हो। .

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