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सोमनाथ मेला

सूची सोमनाथ मेला

सोमनाथ मेला एक हिमालयी क्षेत्र की सभ्यता व संस्कृति का ऐतिहासिक मेला है। यह भारतवर्ष के उत्तराखण्ड प्रदेश के कुमाऊँ क्षेत्र के अन्तर्गत तल्ला गेवाड़ नामक घाटी में मॉंसी व मॉंसी के समीप होता है। यह ऐतिहासिक सोमनाथ कहा जाने वाला मेला कनौंणियॉं अथवा कनौंणियॉं बिष्ट व मॉंसीवाल नामक उपनाम के स्थानीय मूल निवासियों की प्राचीन ऐतिहासिक पृष्टभूमि से सम्बन्धित है। इसे सोमनाथ, सोमनाथ मेला, सल्डिया सोमनाथ, ऐतिहासिक सोमनाथ या कई स्थानीय लोग स्थानीय बोली में भिड़च्यपौ कौतीक भी कहते हैं। इसका शुभारम्भ बैशाख माह के अन्तिम सोमवार की पूर्व संध्या से होता है और सात दिनों तक चलता है। .

10 संबंधों: डांग, चौखुटिया तहसील, पाली पछांऊॅं, मॉंसी, सोमनाथेश्वर महादेव, आदीग्राम कनौणियॉं, कनौंणी, काला चौना, कुमाऊँ, उत्तराखण्ड, उत्तराखण्ड की संस्कृति

डांग, चौखुटिया तहसील

डांग, चौखुटिया तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है। यह गाँव रामगंगा नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। यह कनौंणियॉं बिष्ट नामक उपनाम से विख्यात कुमांऊॅंनी हिन्दू राजपूतों का पुश्तैनी गाँव है। यह अपनी ऐतिहासिक व सॉस्कृतिक विरासत, ठेठ कुमांऊॅंनी सभ्यता व संस्कृति, पर्वतीय जीवन शैली तथा समतल उपजाऊ भूमि के लिए पहचाना जाता है। .

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पाली पछांऊॅं

पाली पछांऊॅं एक क्षेत्र का नाम है जो भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य में कुमाऊँ मण्डल के अन्तर्गत अल्मोड़ा जिले में है। कत्यूरी राजवंश से लेकर 14 अगस्त, 1947 तक पाली पछांऊॅं कुमांऊँ क्षेत्र का एक परगना अर्थात् तत्कालीन तहसील रूपी केन्द्र था। .

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मॉंसी

मॉंसी एक गाँव है जो रामगंगा नदी के पूर्वी किनारे पर चौखुटिया (गनांई) तहसील के तल्ला गेवाड़ पट्टी में भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमांऊँ क्षेत्र के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह मूलत: मासीवाल नामक उपनाम से विख्यात कुमांऊॅंनी हिन्दुओं का पुश्तैनी गाँव है। यह अपनी ऐतिहासिक व सॉस्कृतिक विरासत, ठेठ कुमांऊॅंनी सभ्यता व संस्कृति, पर्वतीय जीवन शैली तथा समतल उपजाऊ भूमि के लिए पहचाना जाता है। .

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सोमनाथेश्वर महादेव

सोमनाथेश्वर महादेव एक प्राचीनतम शिवालय है, जो रामगंगा नदी के पश्चिमी तट पर चौखुटिया तहसील के तल्ला गेवाड़ नामक पट्टी में भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमांऊॅं क्षेत्र के अल्मोड़ा जनपद में प्राण-प्रतीष्ठित है। सोमनाथेश्वर शब्द श्रीनाथेश्वर शब्द का ही रूपांतरण है, जिसका मानसखण्ड में समुचित उल्लेख पाया जाता है। .

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आदीग्राम कनौणियॉं

आदीग्राम कनौंणियॉं रामगंगा नदी के पश्चिमी किनारे पर चौखुटिया ब्लॉक के तल्ला गेवाड़ नामक पट्टी में भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले में स्थित कनौंणियॉं बिष्ट नामक उपनाम से विख्यात कुमांऊॅंनी हिन्दू राजपूतों का एक पुश्तैनी गाँव है। यह अपनी ऐतिहासिक व सॉस्कृतिक विरासत, ठेठ कुमांऊॅंनी सभ्यता व संस्कृति, पर्वतीय जीवन शैली तथा समतल उपजाऊ भूमि के लिए प्रसिद्ध है। तल्ला गेवाड़ के वर्तमान मॉंसी में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले ऐतिहासिक सोमनाथ मेले की तत्कालीन ऐतिहासिक आराध्य भूमि, प्रस्तुत आदीग्राम कनौणियॉं का ही पर्याय है। .

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कनौंणी

कनौंणी एक गाँव है जो रामगंगा नदी के पश्चिमी किनारे पर चौखुटिया ब्लॉक के तल्ला गेवाड़ नामक पट्टी में भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह कनौंणियॉं नामक उपनाम से विख्यात कुमांऊॅंनी हिन्दू राजपूतों का पुश्तैनी गाँव है। यह गाँव अपनी ऐतिहासिक व सॉंस्कृतिक विरासत, ठेठ कुमांऊॅंनी सभ्यता व संस्कृति, पर्वतीय जीवन शैली तथा अलौकिक प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता है। .

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काला चौना

काला चौना एक गॉंव है। यह रामगंगा नदी के पूर्वी किनारे पर चौखुटिया तहसील के तल्ला गेवाड़ नामक पट्टी में, भारतवर्ष के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। यह गॉंव मूलरूप से कनौंणियॉं नामक उपनाम से विख्यात कुमांऊॅंनी हिन्दू राजपूतों का प्राचीन और पुश्तैनी चार गाँवों में से एक है। दक्षिणी हिमालय की तलहटी में बसा यह काला चौना अपनी ऐतिहासिक व सॉंस्कृतिक विरासत, ठेठ कुमांऊॅंनी सभ्यता व संस्कृति, पर्वतीय जीवन शैली, प्रकृति संरक्षण, अलौकिक प्राकृतिक छटा तथा समतल-उपजाऊ भूमि के लिए पहचाना जाता है। .

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कुमाऊँ

कुमाऊँ शब्द एक बहुविकल्पी शब्द हैै, इस शब्द के कई रूपांतरण और भेद हैं.

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उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है। .

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उत्तराखण्ड की संस्कृति

उत्तराखण्ड की संस्कृति इस प्रदेश के मौसम और जलवायु के अनुरूप ही है। उत्तराखण्ड एक पहाड़ी प्रदेश है और इसलिए यहाँ ठण्ड बहुत होती है। इसी ठण्डी जलवायु के आसपास ही उत्तराखण्ड की संस्कृति के सभी पहलू जैसे रहन-सहन, वेशभूषा, लोक कलाएँ इत्यादि घूमते हैं। .

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