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सुलोचना गाडगील

सूची सुलोचना गाडगील

सुलोचना गादगील भारत के बंगलौर में वायुमंडलीय और महासागर विज्ञान केंद्र (सीएओएस) में भारतीय मौसम विज्ञानविद् है। उनके शोध ने मॉनसून क्लाउड बैंड में उप-मौसमी बदलाव की बुनियादी सुविधा की खोज का नेतृत्व किया। उसने दिखाया कि मानसून एक विशाल भूमि-समुद्र की हवा नहीं है बल्कि इसके बजाय एक ग्रहों के पैमाने के तंत्र के मौसमी प्रवास का एक अभिव्यक्ति है, जो कि गैर-मानसून क्षेत्रों में भी देखा जाता है। उनका जन्म १९४४ में पुणे में हुआ था। उनके दादाजी और पिता भौतिक विज्ञानिक थे। उसने अपनी शुरुआती स्कूली शिक्षा पुणे में, मराठी माध्यम में की थी और फिर वह आंध्र प्रदेश में एक बोर्डिंग स्कूल ऋषि घाटी चली गई। वह फर्ग्यूसन कॉलेज में अपनी स्नातक की पढ़ाई के लिए पुणे लौटे, जहां उन्होंने प्राकृतिक विज्ञानों का चयन किया और रसायन शास्त्र, भौतिकी और गणित में मेजर पढाई की। वह भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान में सीएसआईआर पूल अधिकारी थी २ साल। इस अवधि के दौरान उन्होंने आर.

2 संबंधों: मराठी भाषा, मौसम विज्ञान

मराठी भाषा

मराठी भारत के महाराष्ट्र प्रांत में बोली जानेवाली सबसे मुख्य भाषा है। भाषाई परिवार के स्तर पर यह एक आर्य भाषा है जिसका विकास संस्कृत से अपभ्रंश तक का सफर पूरा होने के बाद आरंभ हुआ। मराठी भारत की प्रमुख भाषओं में से एक है। यह महाराष्ट्र और गोवा में राजभाषा है तथा पश्चिम भारत की सह-राजभाषा हैं। मातृभाषियों कि संख्या के आधार पर मराठी विश्व में पंद्रहवें और भारत में चौथे स्थान पर है। इसे बोलने वालों की कुल संख्या लगभग ९ करोड़ है। यह भाषा 900 ईसवी से प्रचलन में है और यह भी हिन्दी के समान संस्कृत आधारित भाषा है। .

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मौसम विज्ञान

वायुवेगमापी ऋतुविज्ञान या मौसम विज्ञान (Meteorology) कई विधाओं को समेटे हुए विज्ञान है जो वायुमण्डल का अध्ययन करता है। मौसम विज्ञान में मौसम की प्रक्रिया एवं मौसम का पूर्वानुमान अध्ययन के केन्द्रबिन्दु होते हैं। मौसम विज्ञान का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है किन्तु अट्ठारहवीं शती तक इसमें खास प्रगति नहीं हो सकी थी। उन्नीसवीं शती में विभिन्न देशों में मौसम के आकड़ों के प्रेक्षण से इसमें गति आयी। बीसवीं शती के उत्तरार्ध में मौसम की भविष्यवाणी के लिये कम्प्यूटर के इस्तेमाल से इस क्षेत्र में क्रान्ति आ गयी। मौसम विज्ञान के अध्ययन में पृथ्वी के वायुमण्डल के कुछ चरों (variables) का प्रेक्षण बहुत महत्व रखता है; ये चर हैं - ताप, हवा का दाब, जल वाष्प या आर्द्रता आदि। इन चरों का मान व इनके परिवर्तन की दर (समय और दूरी के सापेक्ष) बहुत हद तक मौसम का निर्धारण करते हैं। .

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