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साहित्य अकादमी पुरस्कार बोड़ो

सूची साहित्य अकादमी पुरस्कार बोड़ो

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और बोड़ो भाषा इन में से एक भाषा हैं। अकादमी ने २००५ से इस भाषा के लिए पुरस्कारों को पेश किया। .

35 संबंधों: दाइनि?, दुमफावनि फिथा, देलफिनि अन्‍थाह मोदाइ आरो गुबुन गुबुन खन्‍थाह, प्रेमचंद, प्रेमानंद मोसाहारी, बर’ खन्थाय, बायदि देंखो बायदि गाब, बिद्यासागर नार्जारी, बिरगोस्रिनि थुंग्रि, ब्रजेन्‍द्र कुमार ब्रह्म, बोड़ो भाषा, भारतीय साहित्य अकादमी, मनोरंजन लाहारी, महाश्वेता देवी, मंगलसिं हाजवारि, रबीन्द्रनाथ ठाकुर, राहुल सांकृत्यायन, सानमोखांआरि लामाजों, साहित्य अकादमी पुरस्कार, सोदोबनि सोलेर, जिउनि मोगथां बिसम्बि आरो आर’ज, वोल्गा से गंगा, वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य, गुणेश्वर मोसाहारी, गोदान (बहुविकल्पी), इयारुइंगम, इंदिरा रायसम गोस्वामी, कातिन्द्र सोरगियारि, अनिल बर, अनिल कुमार ब्रह्म, अरण्येर अधिकार, अरविन्द उजीर, अखाफोरनि दैमा, उदांनिफ्राय गिदिंफिन्‍नानै, उर्खाव गोरा ब्रह्म

दाइनि?

दाइनि? बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार *मनोरंजन लाहारी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2009 में बोडो भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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दुमफावनि फिथा

दुमफावनि फिथा बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार अनिल कुमार ब्रह्म द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2007 में बोडो भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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देलफिनि अन्‍थाह मोदाइ आरो गुबुन गुबुन खन्‍थाह

देलफिनि अन्‍थाह मोदाइ आरो गुबुन गुबुन खन्‍थाह बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार अनिल बर' द्वारा रचित एक कविता-संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2013 में बोडो भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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प्रेमचंद

प्रेमचंद (३१ जुलाई १८८० – ८ अक्टूबर १९३६) हिन्दी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। मूल नाम धनपत राय प्रेमचंद को नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी। उनका लेखन हिन्दी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिन्दी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा। वे एक संवेदनशील लेखक, सचेत नागरिक, कुशल वक्ता तथा सुधी (विद्वान) संपादक थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में, जब हिन्दी में तकनीकी सुविधाओं का अभाव था, उनका योगदान अतुलनीय है। प्रेमचंद के बाद जिन लोगों ने साहित्‍य को सामाजिक सरोकारों और प्रगतिशील मूल्‍यों के साथ आगे बढ़ाने का काम किया, उनमें यशपाल से लेकर मुक्तिबोध तक शामिल हैं। .

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प्रेमानंद मोसाहारी

प्रेमानंद मोसाहारी बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह अखाफोरनि दैमा के लिये उन्हें सन् 2011 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बर’ खन्थाय

बर’ खन्थाय बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार गुणेश्वर मोसाहारी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2012 में बोडो भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बायदि देंखो बायदि गाब

बायदि देंखो बायदि गाब बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार ब्रजेन्‍द्र कुमार ब्रह्म द्वारा रचित एक कविता है जिसके लिये उन्हें सन् 2015 में बोडो भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बिद्यासागर नार्जारी

बिद्यासागर नार्जारी बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास बिरगोस्रिनि थुंग्रि के लिये उन्हें सन् 2008 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बिरगोस्रिनि थुंग्रि

बिरगोस्रिनि थुंग्रि बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार बिद्यासागर नार्जारी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2008 में बोडो भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ब्रजेन्‍द्र कुमार ब्रह्म

ब्रजेन्‍द्र कुमार ब्रह्म बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता बायदि देंखो बायदि गाब के लिये उन्हें सन् 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बोड़ो भाषा

बोड़ो या बड़ो एक तिब्बती-बर्मी भाषा है जिसे भारत के उत्तरपूर्व, नेपाल और बांग्लादेश मे रहने वाले बोडो लोग बोलते हैं। बोडो भाषा भारतीय राज्य असम की आधिकारिक भाषाओं में से एक है। भारत में यह विशेष संवैधानिक दर्जा प्राप्त २२ अनुसूचित भाषाओं में से एक है। बोडो भाषा आधिकारिक रूप से देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। .

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भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

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मनोरंजन लाहारी

मनोरंजन लाहारी बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास दाइनि? के लिये उन्हें सन् 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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महाश्वेता देवी

महाश्वेता देवी (14 जनवरी 1926 – 28 जुलाई 2016) रेमन मैगसेसे पुरस्कार.

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मंगलसिं हाजवारि

मंगलसिं हाजवारि बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह जिउनि मोगथां बिसम्बि आरो आरज के लिये उन्हें सन् 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रबीन्द्रनाथ ठाकुर

रवीन्द्रनाथ ठाकुर (बंगाली: রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর रोबिन्द्रोनाथ ठाकुर) (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। वे विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबल पुरस्कार विजेता हैं। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बाँग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। .

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राहुल सांकृत्यायन

राहुल सांकृत्यायन जिन्हें महापंडित की उपाधि दी जाती है हिन्दी के एक प्रमुख साहित्यकार थे। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद् थे और बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत/यात्रा साहित्य तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। वह हिंदी यात्रासहित्य के पितामह कहे जाते हैं। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। इसके अलावा उन्होंने मध्य-एशिया तथा कॉकेशस भ्रमण पर भी यात्रा वृतांत लिखे जो साहित्यिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। २१वीं सदी के इस दौर में जब संचार-क्रान्ति के साधनों ने समग्र विश्व को एक ‘ग्लोबल विलेज’ में परिवर्तित कर दिया हो एवं इण्टरनेट द्वारा ज्ञान का समूचा संसार क्षण भर में एक क्लिक पर सामने उपलब्ध हो, ऐसे में यह अनुमान लगाना कि कोई व्यक्ति दुर्लभ ग्रन्थों की खोज में हजारों मील दूर पहाड़ों व नदियों के बीच भटकने के बाद, उन ग्रन्थों को खच्चरों पर लादकर अपने देश में लाए, रोमांचक लगता है। पर ऐसे ही थे भारतीय मनीषा के अग्रणी विचारक, साम्यवादी चिन्तक, सामाजिक क्रान्ति के अग्रदूत, सार्वदेशिक दृष्टि एवं घुमक्कड़ी प्रवृत्ति के महान पुरूष राहुल सांकृत्यायन। राहुल सांकृत्यायन के जीवन का मूलमंत्र ही घुमक्कड़ी यानी गतिशीलता रही है। घुमक्कड़ी उनके लिए वृत्ति नहीं वरन् धर्म था। आधुनिक हिन्दी साहित्य में राहुल सांकृत्यायन एक यात्राकार, इतिहासविद्, तत्वान्वेषी, युगपरिवर्तनकार साहित्यकार के रूप में जाने जाते है। .

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सानमोखांआरि लामाजों

सानमोखांआरि लामाजों बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार कातिन्द्र सोरगियारि द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2006 में बोडो भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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साहित्य अकादमी पुरस्कार

साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है, जो साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल २२ भारतीय भाषाओं के अलावा ये राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा; याने कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। .

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सोदोबनि सोलेर

सोदोबनि सोलेर बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार अरविन्द उजीर द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2010 में बोडो भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जिउनि मोगथां बिसम्बि आरो आर’ज

जिउनि मोगथां बिसम्बि आरो आर’ज बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार मंगलसिं हाजवारि द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2005 में बोडो भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वोल्गा से गंगा

वोल्गा से गंगा, राहुल सांकृत्यायन की प्रसिद्ध कृति है। यह मातृसत्तात्मक समाज में स्त्री के बर्चस्व की बेजोड़ रचना है। यह राहुल सांकृत्यायन द्वारा लिखी गई बीस कहानियों का संग्रह है। इसकी कहानियाँ आठ हजार वर्षों तथा दस हजार किलोमीटर की परिधि में बँधी हुई हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि यह कहानियाँ भारोपीय मानवों की सभ्यता के विकास की पूरी कड़ी को सामने रखने में सक्षम हैं। 6000 ई.पू.

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वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य

वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य (१ अप्रैल, १९२४ - ६ अगस्त, १९९७) असमिया साहित्यकार थे। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास इयारुइंगम के लिये उन्हें सन् १९६१ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (असमिया) से सम्मानित किया गया। इन्हें १९७९ में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। समाजवादी विचारों से प्रेरित श्री भट्टाचार्य कहानीकार, कवि, निबंधकार और पत्रकार थे। वे साहित्य अकादमी, दिल्ली और असम साहित्य सभा के अध्यक्ष रहे। उन्होंने १९५० में संपादित असमी पत्रिका रामधेनु का संपादन कर असमिया साहित्य को नया मोड़ दिया। इनके चर्चित उपन्यासों इयारूंगम, मृत्युंजय, राजपथे, रिंगियाई, आई, प्रितपद, शतघ्नी, कालर हुमुनियाहहैं। इनके दो कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए, कलंग आजियो बोइ और सातसरी। .

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गुणेश्वर मोसाहारी

गुणेश्वर मोसाहारी बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह बर खन्थाय के लिये उन्हें सन् 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गोदान (बहुविकल्पी)

* गोदान प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यास है।.

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इयारुइंगम

इयारुइंगम असमिया भाषा के विख्यात साहित्यकार बीरेन्द्रकुमार भट्टाचार्य द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1961 में असमिया भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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इंदिरा रायसम गोस्वामी

इंदिरा गोस्वामी (१४ नवम्बर १९४२ - नवम्बर, २०१०) असमिया साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर थीं। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित श्रीमती गोस्वामी असम की चरमपंथी संगठन उल्फा यानि युनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम और भारत सरकार के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने की राजनैतिक पहल करने में अहम भूमिका निभाई। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास मामरे धरा तरोवाल अरु दुखन उपन्यास के लिये उन्हें सन् १९८२ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (असमिया) से सम्मानित किया गया। .

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कातिन्द्र सोरगियारि

कातिन्द्र सोरगियारि बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास सानमोखांआरि लामाजों के लिये उन्हें सन् 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अनिल बर

अनिल बर बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता-संग्रह देलफिनि अन्‍थाह मोदाइ आरो गुबुन गुबुन खन्‍थाह के लिये उन्हें सन् 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अनिल कुमार ब्रह्म

अनिल कुमार ब्रह्म बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह दुमफावनि फिथा के लिये उन्हें सन् 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अरण्येर अधिकार

अरण्येर अधिकार बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार महाश्वेता देवी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1979 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अरविन्द उजीर

अरविन्द उजीर बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह सोदोबनि सोलेर के लिये उन्हें सन् 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अखाफोरनि दैमा

अखाफोरनि दैमा बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार प्रेमानंद मोसाहारी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2011 में बोडो भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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उदांनिफ्राय गिदिंफिन्‍नानै

उदांनिफ्राय गिदिंफिन्‍नानै बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार उर्खाव गोरा ब्रह्म द्वारा रचित एक कविता है जिसके लिये उन्हें सन् 2014 में बोडो भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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उर्खाव गोरा ब्रह्म

उर्खाव गोरा ब्रह्म बोडो भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता उदांनिफ्राय गिदिंफिन्‍नानै के लिये उन्हें सन् 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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