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साहित्य अकादमी पुरस्कार बंगाली

सूची साहित्य अकादमी पुरस्कार बंगाली

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और बंगाली भाषा इन में से एक भाषा हैं। .

131 संबंधों: तपस्वी ओ तरंगिणी, ताराशंकर बंद्योपाध्याय, ताल बेताल, तिस्ता पारेर वृत्तांत, द सर्पेण्ट एंड द रोप, दिव्येन्दु पालित, द्वैपायन ह्रदेर धारे, देवेश राय, ध्रुवपुत्र, न हन्यते, नरेश गुहा, निर्मल वर्मा, निशि–कुटुंब, नवनीता, नवनीता देव सेन, नवारुण भट्टाचार्य, नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती, परशुराम (राजशेखर बोस), पागली तोमार संगे, पिया मन भाबे, पंचाशटि गल्प, प्रफुल्ल राय, प्रेमेन्द्र मित्र, बने आज कनचेर्टो, बाणी बसु, बाबरेर प्रार्थना, बाउल फकिर कथा, बाङ्ला भाषा, बिनय मजूमदार, बिमल कर, बुद्धदेव बोस, बीरासन, भारतेर शक्ति–साधना ओ शाक्त–साहित्य, भारतीय साहित्य अकादमी, मणिमहेश, मति नंदी, मनोज बसु, मनींद्र गुप्ता, मरमी करात, महात्मा गांधी, महाश्वेता देवी, मानव जमीन, मैत्रेयी देवी, यशपाल, राधारमण मित्र, राजनगर, राजा राव, शशिभूषण दासगुप्ता, शाहजादा दाराशुकोह, शांब, ..., शंख घोष, शंकरीप्रसाद बसु, शक्ति चट्टोपाध्याय, श्यामल गंगोपाध्याय, श्रेष्ठ कविता, शेष नमस्कार, शोनो जवाफुल, शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय, समरेन्द्र सेनगुप्त, समरेश बसु कालकूट, समरेश मजूमदार, सादा खाम, साहित्य अकादमी पुरस्कार, साख्तियात पस–साख्तियात और मशरीक़ी शेरियात, सागर थेके फेरा, संतोष कुमार घोष, संदीपन चट्टोपाध्याय, सुधीर चक्रवर्ती, सुनील गंगोपाध्याय, सुब्रत मुखोपाध्याय, सुबोध सरकार, सुभाष मुखोपाध्याय, स्मृति सत्ता भविष्यत्, सौरीन भट्टाचार्य, सैयद मुस्तफ़ा सिराज, सेई समय, हरबर्ट, हासपाताले लेखा कवितागुच्छ, हजारी प्रसाद द्विवेदी, जत दुरेई जाई, जय गोस्वामी, जापाने, ज्योतिराव गोविंदराव फुले, जेते पारि किन्तु केनो जाबो, जीवनानंद दास, घरे फेरार दिन, विनोबा भावे, विष्णु दे, विवेकानंद ओ समकालीन भारतवर्ष, खना मिहिरेर ढिपि, खुँजते खुँजते एत दूर, गिरीश कर्नाड, गजेन्द्र कुमार मित्र, गौरी धर्मपाल, गोपीचंद नारंग, आधुनिकता ओ रवीन्द्रनाथ, आनंदीबाई इत्यादि गल्प, आमार समय अल्प, आमि ओ बनबिहारी, आरोग्य निकेतन, आलोक सरकार, आलोकरंजन दासगुप्ता, इंदिरा पार्थसारथी, कबीर, कमल दास, कलिकाता दर्पण, कालबेला, काव्य, कव्वे और काला पानी, कुरुति पुनल, क्रान्तिकाल, कृष्णा सोबती, कैफ़ी आज़मी, केनो आमरा रवीन्द्रनाथके चाइ एवं कीभावे, कोलकातार काछेई, अतीन बंद्योपाध्याय, अनुभव, अन्नदाशंकर राय, अबू सईद अय्यूब, अमर मित्र, अमिय चक्रवर्ती, अमियभूषण मजूमदार, अमृतस्य पुत्री, अरण्येर अधिकार, अरुण मित्र, अलीक मानुष, अशोक मित्र, असमय, उत्पलकुमार बसु, उमाप्रसाद मुखोपाध्याय, उलंग राजा सूचकांक विस्तार (81 अधिक) »

तपस्वी ओ तरंगिणी

तपस्वी ओ तरंगिणी बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार बुद्धदेव बोस द्वारा रचित एक काव्य–नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 1967 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ताराशंकर बंद्योपाध्याय

ताराशंकर बंद्योपाध्याय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास आरोग्य निकेतन के लिये उन्हें सन् 1956 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ताल बेताल

ताल बेताल बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार अशोक मित्र द्वारा रचित एक निबंध है जिसके लिये उन्हें सन् 1996 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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तिस्ता पारेर वृत्तांत

तिस्ता पारेर वृत्तांत बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार देवेश राय द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1990 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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द सर्पेण्ट एंड द रोप

द सर्पेण्ट एंड द रोप अंग्रेज़ी भाषा के विख्यात साहित्यकार राजा राव द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1963 में अंग्रेज़ी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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दिव्येन्दु पालित

दिव्येन्दु पालित बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास अनुभव के लिये उन्हें सन् 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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द्वैपायन ह्रदेर धारे

द्वैपायन ह्रदेर धारे बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार सुबोध सरकार द्वारा रचित एक कविता-संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2013 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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देवेश राय

देवेश राय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास तिस्ता पारेर वृत्तांत के लिये उन्हें सन् 1990 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ध्रुवपुत्र

ध्रुवपुत्र बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार अमर मित्र द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2006 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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न हन्यते

न हन्यते बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार मैत्रेयी देवी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1976 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नरेश गुहा

नरेश गुहा बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह कविता संग्रह के लिये उन्हें सन् 1995 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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निर्मल वर्मा

निर्मल वर्मा निर्मल वर्मा (३ अप्रैल १९२९- २५ अक्तूबर २००५) हिन्दी के आधुनिक कथाकारों में एक मूर्धन्य कथाकार और पत्रकार थे। शिमला में जन्मे निर्मल वर्मा को मूर्तिदेवी पुरस्कार (१९९५), साहित्य अकादमी पुरस्कार (१९८५) उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान पुरस्कार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। परिंदे (१९५८) से प्रसिद्धि पाने वाले निर्मल वर्मा की कहानियां अभिव्यक्ति और शिल्प की दृष्टि से बेजोड़ समझी जाती हैं। ब्रिटिश भारत सरकार के रक्षा विभाग में एक उच्च पदाधिकारी श्री नंद कुमार वर्मा के घर जन्म लेने वाले आठ भाई बहनों में से पांचवें निर्मल वर्मा की संवेदनात्मक बुनावट पर हिमांचल की पहाड़ी छायाएं दूर तक पहचानी जा सकती हैं। हिन्दी कहानी में आधुनिक-बोध लाने वाले कहानीकारों में निर्मल वर्मा का अग्रणी स्थान है। उन्होंने कम लिखा है परंतु जितना लिखा है उतने से ही वे बहुत ख्याति पाने में सफल हुए हैं। उन्होंने कहानी की प्रचलित कला में तो संशोधन किया ही, प्रत्यक्ष यथार्थ को भेदकर उसके भीतर पहुंचने का भी प्रयत्न किया है। हिन्दी के महान साहित्यकारों में से अज्ञेय और निर्मल वर्मा जैसे कुछ ही साहित्यकार ऐसे रहे हैं जिन्होंने अपने प्रत्यक्ष अनुभवों के आधार पर भारतीय और पश्चिम की संस्कृतियों के अंतर्द्वन्द्व पर गहनता एवं व्यापकता से विचार किया है।। सृजन शिल्पी। ७ अक्टूबर २००६ .

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निशि–कुटुंब

निशि–कुटुंब बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार मनोज बसु द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1966 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नवनीता

नवनीता बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार नवनीता देव सेन द्वारा रचित एक काव्य और कथा–साहित्य है जिसके लिये उन्हें सन् 1999 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नवनीता देव सेन

नवनीता देव सेन बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक काव्य और कथा–साहित्य नवनीता के लिये उन्हें सन् 1999 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नवारुण भट्टाचार्य

नवारुण भट्टाचार्य बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास हरबर्ट के लिये उन्हें सन् 1997 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती

नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती (जन्म १९ अक्टूबर १९२४) बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह उलंग राजा के लिये उन्हें सन् १९७४ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हे २०१६ में साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप से सम्मानित किया गया। .

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परशुराम (राजशेखर बोस)

परशुराम (राजशेखर बोस) बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह आनंदीबाई इत्यादि गल्प के लिये उन्हें सन् 1958 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पागली तोमार संगे

पागली तोमार संगे बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार जय गोस्वामी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2000 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पिया मन भाबे

पिया मन भाबे बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार उत्‍पल कुमार बसु द्वारा रचित एक कविता है जिसके लिये उन्हें सन् 2014 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पंचाशटि गल्प

पंचाशटि गल्प बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार अतीन बंद्योपाध्याय द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2001 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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प्रफुल्ल राय

प्रफुल्ल राय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास क्रान्तिकाल के लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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प्रेमेन्द्र मित्र

प्रेमेन्द्र मित्र बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह सागर थेके फेरा के लिये उन्हें सन् 1957 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बने आज कनचेर्टो

बने आज कनचेर्टो बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार मनींद्र गुप्ता द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2011 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बाणी बसु

बाणी बसु बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास खना मिहिरेर ढिपि के लिये उन्हें सन् 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बाबरेर प्रार्थना

बाबरेर प्रार्थना बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार शंख घोष द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1977 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बाउल फकिर कथा

बाउल फकिर कथा बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार सुधीर चक्रवर्ती द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 2004 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बाङ्ला भाषा

बाङ्ला भाषा अथवा बंगाली भाषा (बाङ्ला लिपि में: বাংলা ভাষা / बाङ्ला), बांग्लादेश और भारत के पश्चिम बंगाल और उत्तर-पूर्वी भारत के त्रिपुरा तथा असम राज्यों के कुछ प्रान्तों में बोली जानेवाली एक प्रमुख भाषा है। भाषाई परिवार की दृष्टि से यह हिन्द यूरोपीय भाषा परिवार का सदस्य है। इस परिवार की अन्य प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, नेपाली, पंजाबी, गुजराती, असमिया, ओड़िया, मैथिली इत्यादी भाषाएँ हैं। बंगाली बोलने वालों की सँख्या लगभग २३ करोड़ है और यह विश्व की छठी सबसे बड़ी भाषा है। इसके बोलने वाले बांग्लादेश और भारत के अलावा विश्व के बहुत से अन्य देशों में भी फ़ैले हैं। .

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बिनय मजूमदार

बिनय मजूमदार बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह हासपाताले लेखा कवितागुच्छ के लिये उन्हें सन् 2005 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बिमल कर

बिमल कर बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास असमय के लिये उन्हें सन् 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बुद्धदेव बोस

बुद्धदेव बोस को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७० में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये पश्चिम बंगाल राज्य से थे। श्रेणी:१९७० पद्म भूषण श्रेणी:1908 में जन्मे लोग श्रेणी:१९७४ में निधन.

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बीरासन

बीरासन बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार सुब्रत मुखोपाध्याय द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2012 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भारतेर शक्ति–साधना ओ शाक्त–साहित्य

भारतेर शक्ति–साधना ओ शाक्त–साहित्य बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार शशिभूषण दासगुप्ता द्वारा रचित एक शाक्त सम्प्रदाय का अध्ययन है जिसके लिये उन्हें सन् 1961 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

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मणिमहेश

मणिमहेश बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार उमाप्रसाद मुखोपाध्याय द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत है जिसके लिये उन्हें सन् 1971 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मति नंदी

मति नंदी बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास सादा खाम के लिये उन्हें सन् 1991 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मनोज बसु

मनोज बसु बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास निशि–कुटुंब के लिये उन्हें सन् 1966 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मनींद्र गुप्ता

मनींद्र गुप्ता बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह बने आज कनचेर्टो के लिये उन्हें सन् 2011 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मरमी करात

मरमी करात बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार आलोकरंजन दासगुप्ता द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1992 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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महात्मा गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ - ३० जनवरी १९४८) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। .

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महाश्वेता देवी

महाश्वेता देवी (14 जनवरी 1926 – 28 जुलाई 2016) रेमन मैगसेसे पुरस्कार.

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मानव जमीन

मानव जमीन बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1989 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मैत्रेयी देवी

मैत्रेयी देवी बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास न हन्यते के लिये उन्हें सन् 1976 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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यशपाल

---- यशपाल (३ दिसम्बर १९०३ - २६ दिसम्बर १९७६) का नाम आधुनिक हिन्दी साहित्य के कथाकारों में प्रमुख है। ये एक साथ ही क्रांतिकारी एवं लेखक दोनों रूपों में जाने जाते है। प्रेमचंद के बाद हिन्दी के सुप्रसिद्ध प्रगतिशील कथाकारों में इनका नाम लिया जाता है। अपने विद्यार्थी जीवन से ही यशपाल क्रांतिकारी आन्दोलन से जुड़े, इसके परिणामस्वरुप लम्बी फरारी और जेल में व्यतीत करना पड़ा। इसके बाद इन्होने साहित्य को अपना जीवन बनाया, जो काम कभी इन्होने बंदूक के माध्यम से किया था, अब वही काम इन्होने बुलेटिन के माध्यम से जनजागरण का काम शुरु किया। यशपाल को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९७० में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। .

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राधारमण मित्र

राधारमण मित्र बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक स्थानीय इतिहास और संस्कृति कलिकाता दर्पण के लिये उन्हें सन् 1981 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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राजनगर

राजनगर बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार अमियभूषण मजूमदार द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1986 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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राजा राव

राजा राव को साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन १९६९ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये संयुक्त राज्य अमेरिका से हैं। श्रेणी:पद्म भूषण श्रेणी:साहित्य अकादमी फ़ैलोशिप से सम्मानित‎.

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शशिभूषण दासगुप्ता

शशिभूषण दासगुप्ता बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक शाक्त सम्प्रदाय का अध्ययन भारतेर शक्ति–साधना ओ शाक्त–साहित्य के लिये उन्हें सन् 1961 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शाहजादा दाराशुकोह

शाहजादा दाराशुकोह बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार श्यामल गंगोपाध्याय द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1993 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शांब

शांब बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार समरेश बसु ‘कालकूट’ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1980 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शंख घोष

शंख घोष सरस्वती सम्मान से सम्मानित साहित्यकार हैं। .

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शंकरीप्रसाद बसु

शंकरीप्रसाद बसु बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक जीवनी और संस्कृतिक इतिहास विवेकानंद ओ समकालीन भारतवर्ष के लिये उन्हें सन् 1978 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शक्ति चट्टोपाध्याय

शक्ति चट्टोपाध्याय (जन्म २५ नवम्बर १९३४ - मृत्यु २३ मार्च १९९५) (শক্তি চট্টোপাধ্যায়) बांग्ला साहित्य के भुखी पीढी आन्दोलन के नेता माने जाते हैं, जो सन १९६१ में एक मेनिफेस्टो के जरिये कोलकाता को आश्चर्य चकित कर दिये थे। वह दक्षिण २४ परगणा के जयनगर-मजिलपुर गांव में एक गरीब परिबार में पैदा हुये। प्रेसिडेन्सि कालेज में बि॰ए॰ पढ्ते समय वह कविता लिखना शुरु किये एवम कालेज से गायब होकर चाइबासा अपने प्रिय मित्र समीर रायचौधुरी के घर जा कर बसे। चाइबासा में दो साल के जीवनकाल में उन्होने श्रेष्ठ कवितायें लिखे। उनको जीवनानंद दास के बाद के बांग्ला लिरिक कवियों में प्रधान माना गया है। अपने जीवनकाल में वह ३४ काव्यग्रन्थ प्रकाश किये। शान्तिनिकेतन में आधुनिकता पर पडाते समय १९९५ स्न मे उनका मृत्यु हुया। मरणोपरान्त उनके बहुत सारे अप्रकाशित कवितायों का संकलन उनके मित्र समीर सेनगुप्ता ने सम्पादित किये। सन १९८३ में जेते पारि किन्तु केनो जाबो काव्यग्रन्थ के लिये उनको साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किय गया था। .

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श्यामल गंगोपाध्याय

श्यामल गंगोपाध्याय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास शाहजादा दाराशुकोह के लिये उन्हें सन् 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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श्रेष्ठ कविता

श्रेष्ठ कविता बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार जीवनानंद दास द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1955 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शेष नमस्कार

शेष नमस्कार बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार संतोष कुमार घोष द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1972 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शोनो जवाफुल

शोनो जवाफुल बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार आलोक सरकार द्वारा रचित एक कविता है जिसके लिये उन्हें सन् 2015 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय

शीर्षेन्दु मुखोपाध्याय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास मानव जमीन के लिये उन्हें सन् 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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समरेन्द्र सेनगुप्त

समरेन्द्र सेनगुप्त बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह आमार समय अल्प के लिये उन्हें सन् 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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समरेश बसु कालकूट

समरेश बसु कालकूट बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास शांब के लिये उन्हें सन् 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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समरेश मजूमदार

समरेश मजूमदार बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास कालबेला के लिये उन्हें सन् 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सादा खाम

सादा खाम बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार मति नंदी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1991 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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साहित्य अकादमी पुरस्कार

साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है, जो साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल २२ भारतीय भाषाओं के अलावा ये राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा; याने कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। .

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साख्तियात पस–साख्तियात और मशरीक़ी शेरियात

साख्तियात पस–साख्तियात और मशरीक़ी शेरियात उर्दू भाषा के विख्यात साहित्यकार गोपी चंद नारंग द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1995 में उर्दू भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सागर थेके फेरा

सागर थेके फेरा बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार प्रेमेन्द्र मित्र द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1957 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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संतोष कुमार घोष

संतोष कुमार घोष बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास शेष नमस्कार के लिये उन्हें सन् 1972 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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संदीपन चट्टोपाध्याय

संदीपन चट्टोपाध्याय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास आमि ओ बनबिहारी के लिये उन्हें सन् 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सुधीर चक्रवर्ती

सुधीर चक्रवर्ती बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना बाउल फकिर कथा के लिये उन्हें सन् 2004 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सुनील गंगोपाध्याय

सुनील गंगोपाध्याय या सुनील गांगुली (সুনীল গঙ্গোপাধ্যায়), (7 सितम्बर 1934 – 23 अक्टूबर 2012) सरस्वती सम्मान से सम्मानित साहित्यकार थे। वो कवि और उपन्यासकार थे। .

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सुब्रत मुखोपाध्याय

सुब्रत मुखोपाध्याय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास बीरासन के लिये उन्हें सन् 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सुबोध सरकार

सुबोध सरकार बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता-संग्रह द्वैपायन ह्रदेर धारे के लिये उन्हें सन् 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सुभाष मुखोपाध्याय

सुभाष मुखोपाध्याय एक बांग्ला साहित्यकार हैं। इन्हें 1991 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सुभाष मुखोपाध्यायको सन २००३ में भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ये पश्चिम बंगाल राज्य से हैं। .

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स्मृति सत्ता भविष्यत्

स्मृति सत्ता भविष्यत् बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार विष्णु दे द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1965 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सौरीन भट्टाचार्य

सौरीन भट्टाचार्य बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध–संकलन केनो आमरा रवीन्द्रनाथके चाइ एवं कीभावे के लिये उन्हें सन् 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सैयद मुस्तफ़ा सिराज

सैयद मुस्तफ़ा सिराज बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास अलीक मानुष के लिये उन्हें सन् 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सेई समय

सेई समय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार सुनील गंगोपाध्याय द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1985 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हरबर्ट

हरबर्ट बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार नवारुण भट्टाचार्य द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1997 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हासपाताले लेखा कवितागुच्छ

हासपाताले लेखा कवितागुच्छ बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार बिनय मजूमदार द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2005 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हजारी प्रसाद द्विवेदी

हजारी प्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979) हिन्दी के मौलिक निबन्धकार, उत्कृष्ट समालोचक एवं सांस्कृतिक विचारधारा के प्रमुख उपन्यासकार थे। .

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जत दुरेई जाई

जत दुरेई जाई बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार सुभाष मुखोपाध्याय द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1964 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जय गोस्वामी

जय गोस्वामी बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह पागली तोमार संगे के लिये उन्हें सन् 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जय गोस्वामी की कविता 'माँ और बेटी' उसके प्रकाशित वर्ष की सर्वोत्तम बांग्ला कविताओं में से एक थी। .

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जापाने

जापाने बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार अन्नदाशंकर राय द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत है जिसके लिये उन्हें सन् 1962 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ज्योतिराव गोविंदराव फुले

ज्योतिराव गोविंदराव फुले (जन्म - ११ अप्रैल १८२७, मृत्यु - २८ नवम्बर १८९०) एक भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे। इन्हें 'महात्मा फुले' एवं 'ज्‍योतिबा फुले' के नाम से भी जाना जाता है। सितम्बर १८७३ में इन्होने महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। महिलाओं व दलितों के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक कार्य किए। समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के ये प्रबल समथर्क थे। वे भारतीय समाज में प्रचलित जाति पर आधारित विभाजन और भेदभाव के विरुद्ध थे। .

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जेते पारि किन्तु केनो जाबो

जेते पारि किन्तु केनो जाबो बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार शक्ति चट्टोपाध्याय द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1983 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जीवनानंद दास

जीवनान्द दास जीवनानंद दास (१७ फ़रवरी १८९९- २२ अक्तुबर १९५४) बोरिशाल (बांग्लादेश) में जन्मे बांग्ला के सबसे जनप्रिय रवीन्द्रोत्तर कवि हैं। उन्हें १९५५ में मरणोपरांत श्रेष्ठ कविता के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। १९२६ में उनका पहला कविता संग्रह प्रकाशित हुआ। झरा पालक, धूसर पांडुलिपि, बनलता सेन, महापृथिबी, रूपसी बांगला आदि उनकी बहुचर्चित कृतियाँ हैं। रबीन्द्रनाथके रुमानी कविता के प्रभावको अस्वीकार कर उनहोनें अपनाहि एक अलग काव्यभाषा का जन्म दिया जो पहले पाठक-समाज को गवारा नहीं था। परन्तु २०वीं सदी के शेष भाग से वह उभर कर आयें और पाठक के दिलोदिमाग को चा गये। पहले तो रबीन्द्रनाथ भी उनके काव्यभाषा के खिलाफ कटु आलोचना किये थे। उनके जीवनकाल में वह केवल २६९ कवितायें प्रकाश कर पाये थे जिसमें १६२ था उनके प्रकाशित संकलनों में। उनके मृत्यु के बाद उनके सारे अप्रकाशित कवितायें प्रकाश होने के पश्चात यह संख्या ८०० से भी ज्यादा हो चुका है। यंहा तक की उनके घर से १२ अप्रकाशित उपन्यास मिले जो अपने-आप में अभिनव था। इसके अलावे ३५ कहानियाँ भी मिलीं। उनका पारिवारिक जीवन बहुत ही दुखद था। १९५४ में जब एकदिन वह कोलकाता के ट्रामसे कुचले पाये गये तो लोगों का मानना था कि वह आत्महत्या कर लिये हैं। .

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घरे फेरार दिन

घरे फेरार दिन बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार अमिय चक्रवर्ती द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1963 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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विनोबा भावे

आचार्य विनोबा भावे (11 सितम्बर 1895 - 15 नवम्बर 1982) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता तथा प्रसिद्ध गांधीवादी नेता थे। उनका मूल नाम विनायक नरहरी भावे था। उन्हे भारत का राष्ट्रीय आध्यापक और महात्मा गांधी का आध्यातमिक उत्तराधीकारी समझा जाता है। उन्होने अपने जीवन के आखरी वर्ष पोनार, महाराष्ट्र के आश्रम में गुजारे। उन्होंने भूदान आन्दोलन चलाया। इंदिरा गांधी द्वारा घोषित आपातकाल को 'अनुशासन पर्व' कहने के कारण वे विवाद में भी थे। .

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विष्णु दे

विष्णु दे बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह स्मृति सत्ता भविष्यत् के लिये उन्हें सन् 1965 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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विवेकानंद ओ समकालीन भारतवर्ष

विवेकानंद ओ समकालीन भारतवर्ष बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार शंकरीप्रसाद बसु द्वारा रचित एक जीवनी और संस्कृतिक इतिहास है जिसके लिये उन्हें सन् 1978 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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खना मिहिरेर ढिपि

खना मिहिरेर ढिपि बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार बाणी बसु द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2010 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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खुँजते खुँजते एत दूर

खुँजते खुँजते एत दूर बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार अरुण मित्र द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1987 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गिरीश कर्नाड

गिरीश कार्नाड (जन्म 19 मई, 1938 माथेरान, महाराष्ट्र) भारत के जाने माने समकालीन लेखक, अभिनेता, फ़िल्म निर्देशक और नाटककार हैं। कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा दोनों में इनकी लेखनी समानाधिकार से चलती है। 1998 में ज्ञानपीठ सहित पद्मश्री व पद्मभूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों के विजेता कार्नाड द्वारा रचित तुगलक, हयवदन, तलेदंड, नागमंडल व ययाति जैसे नाटक अत्यंत लोकप्रिय हुये और भारत की अनेकों भाषाओं में इनका अनुवाद व मंचन हुआ है। प्रमुख भारतीय निदेशको - इब्राहीम अलकाजी, प्रसन्ना, अरविन्द गौड़ और बी.वी. कारंत ने इनका अलग- अलग तरीके से प्रभावी व यादगार निर्देशन किया हैं। .

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गजेन्द्र कुमार मित्र

गजेन्द्र कुमार मित्र बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास कोलकातार काछेई के लिये उन्हें सन् 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गौरी धर्मपाल

गौरी धर्मपाल (जन्म १९३१) भारत की एक कवयित्री, संस्कृत विदुषी, तथा लेडी ब्रेबान महाविद्यालय की भूतपूर्व संस्कृत विभागाध्यक्षा हैं। २०१० में भारत के राष्ट्रपति से उन्हें प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुआ। .

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गोपीचंद नारंग

गोपीचंद नारंग को भारत सरकार द्वारा सन २००४ में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये दिल्ली राज्य से हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना साख्तियात पस–साख्तियात और मशरीक़ी शेरियात के लिये उन्हें सन् १९९५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से सम्मानित किया गया। .

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आधुनिकता ओ रवीन्द्रनाथ

आधुनिकता ओ रवीन्द्रनाथ बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार अबू सईद अय्यूब द्वारा रचित एक समालोचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1970 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आनंदीबाई इत्यादि गल्प

आनंदीबाई इत्यादि गल्प बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार ‘परशुराम’ (राजशेखर बोस) द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1958 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आमार समय अल्प

आमार समय अल्प बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार समरेन्द्र सेनगुप्त द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2007 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आमि ओ बनबिहारी

आमि ओ बनबिहारी बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार संदीपन चट्टोपाध्याय द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2002 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आरोग्य निकेतन

आरोग्य निकेतन बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार ताराशंकर बंद्योपाध्याय द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1956 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आलोक सरकार

आलोक सरकार बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता शोनो जवाफुल के लिये उन्हें सन् 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आलोकरंजन दासगुप्ता

आलोकरंजन दासगुप्ता बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह मरमी करात के लिये उन्हें सन् 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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इंदिरा पार्थसारथी

इंदिरा पार्थसारथी सरस्वती सम्मान से सम्मानित साहित्यकार हैं। .

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कबीर

कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे। इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनके लेखन सिक्खों के आदि ग्रंथ में भी मिला जा सकता है। Encyclopædia Britannica (2015)Accessed: July 27, 2015 वे हिन्दू धर्म व इस्लाम के आलोचक थे। उन्होंने यज्ञोपवीत और ख़तना को बेमतलब क़रार दिया और इन जैसी धार्मिक प्रथाओं की सख़्त आलोचना की थी। उनके जीवनकाल के दौरान हिन्दू और मुसलमान दोनों ने उन्हें अपने विचार के लिए धमकी दी थी। कबीर पंथ नामक धार्मिक सम्प्रदाय इनकी शिक्षाओं के अनुयायी हैं। .

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कमल दास

कमल दास बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास अमृतस्य पुत्री के लिये उन्हें सन् 1982 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कलिकाता दर्पण

कलिकाता दर्पण बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार राधारमण मित्र द्वारा रचित एक स्थानीय इतिहास और संस्कृति है जिसके लिये उन्हें सन् 1981 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कालबेला

कालबेला बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार समरेश मजूमदार द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1984 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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काव्य

काव्य, कविता या पद्य, साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। भारत में कविता का इतिहास और कविता का दर्शन बहुत पुराना है। इसका प्रारंभ भरतमुनि से समझा जा सकता है। कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों की शृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है। काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो। अर्थात् वहजिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है। रसगंगाधर में 'रमणीय' अर्थ के प्रतिपादक शब्द को 'काव्य' कहा है। 'अर्थ की रमणीयता' के अंतर्गत शब्द की रमणीयता (शब्दलंकार) भी समझकर लोग इस लक्षण को स्वीकार करते हैं। पर 'अर्थ' की 'रमणीयता' कई प्रकार की हो सकती है। इससे यह लक्षण बहुत स्पष्ट नहीं है। साहित्य दर्पणाकार विश्वनाथ का लक्षण ही सबसे ठीक जँचता है। उसके अनुसार 'रसात्मक वाक्य ही काव्य है'। रस अर्थात् मनोवेगों का सुखद संचार की काव्य की आत्मा है। काव्यप्रकाश में काव्य तीन प्रकार के कहे गए हैं, ध्वनि, गुणीभूत व्यंग्य और चित्र। ध्वनि वह है जिस, में शब्दों से निकले हुए अर्थ (वाच्य) की अपेक्षा छिपा हुआ अभिप्राय (व्यंग्य) प्रधान हो। गुणीभूत ब्यंग्य वह है जिसमें गौण हो। चित्र या अलंकार वह है जिसमें बिना ब्यंग्य के चमत्कार हो। इन तीनों को क्रमशः उत्तम, मध्यम और अधम भी कहते हैं। काव्यप्रकाशकार का जोर छिपे हुए भाव पर अधिक जान पड़ता है, रस के उद्रेक पर नहीं। काव्य के दो और भेद किए गए हैं, महाकाव्य और खंड काव्य। महाकाव्य सर्गबद्ध और उसका नायक कोई देवता, राजा या धीरोदात्त गुंण संपन्न क्षत्रिय होना चाहिए। उसमें शृंगार, वीर या शांत रसों में से कोई रस प्रधान होना चाहिए। बीच बीच में करुणा; हास्य इत्यादि और रस तथा और और लोगों के प्रसंग भी आने चाहिए। कम से कम आठ सर्ग होने चाहिए। महाकाव्य में संध्या, सूर्य, चंद्र, रात्रि, प्रभात, मृगया, पर्वत, वन, ऋतु, सागर, संयोग, विप्रलम्भ, मुनि, पुर, यज्ञ, रणप्रयाण, विवाह आदि का यथास्थान सन्निवेश होना चाहिए। काव्य दो प्रकार का माना गया है, दृश्य और श्रव्य। दृश्य काव्य वह है जो अभिनय द्वारा दिखलाया जाय, जैसे, नाटक, प्रहसन, आदि जो पढ़ने और सुनेन योग्य हो, वह श्रव्य है। श्रव्य काव्य दो प्रकार का होता है, गद्य और पद्य। पद्य काव्य के महाकाव्य और खंडकाव्य दो भेद कहे जा चुके हैं। गद्य काव्य के भी दो भेद किए गए हैं- कथा और आख्यायिका। चंपू, विरुद और कारंभक तीन प्रकार के काव्य और माने गए है। .

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कव्वे और काला पानी

कव्वे और काला पानी साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कहानी-संग्रह है जिसमें निर्मल वर्मा की सात कहानियाँ- धूप का एक टुकड़ा, दूसरी दुनिया, ज़िंदगी यहाँ और वहाँ, सुबह की सैर, आदमी और लड़की, कव्वे और काला पानी, एक दिन का मेहमा और सुबह की सैर शामिल हैं। इनमें से कुछ कहानियाँ यदि भारतीय परिवेश को उजागर करती हैं तो कुछ हमें यूरोपीय जमीन से परिचित कराती हैं, लेकिन मानवीय संवेदना का स्तर इससे कहीं विभाजित नहीं होता। मानव-संबंधों में आज जो ठहराव और ठंडापन है, जो उदासी और बेचारगी है, वह इन कहानियों के माध्यम से हमें गहरे तक झकझोरती हैं और उन लेखकीय अनुभवों तक ले जाती है, जो किसी इकाई तक सीमित नहीं हैं। घटनाएँ उनके लिए उतनी महत्त्वपूर्ण नहीं, जितना कि परिवेश, जिसकी वे उपज हैं। मात्र व्यक्ति ही नहीं, चरित्र के रूप में एक वातावरण हमारे सामने होता है, जिसे हम अपने बाहर और भीतर महसूस करते हैं। हर कहानी एक गूँज की तरह कहीं भीतर ठहर जाती है और धीरे-धीरे पाठकीय संवेदना में ज़ज्ब होती रहती है। दूसरे शब्दों में, अपने दौर की ये महत्त्वपूर्ण कहानियाँ देर तक और दूर तक हमारा साथ देती हैं। निर्मल वर्मा के भाव-बोध में एक खुलापन निश्चय ही है। न केवल रिश्तों की लहूलुहान पीड़ा के प्रति बल्कि मनुष्य के उस अनुभव और उस वृत्ति के प्रति भी, जो उसे जिन्दगी के मतलब की खोज में प्रवृत्त करती है। यह अकारण नहीं है कि 'कव्वे और काला पानी' के त्रास अंधेरे के बीचोंबीच वे बड़े भाई की दृष्टि से छोटे भाई को देखना और छोटे भाई की दृष्टि से बड़े भाई को देखना और एक निरपेक्ष पीठिका परिवेश में दोनों के प्रति न्याय करना भी आवश्यक पाते हैं। .

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कुरुति पुनल

कुरुति पुनल तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार इंदिरा पार्थसारथी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1977 में तमिल भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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क्रान्तिकाल

क्रान्तिकाल बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार प्रफुल्ल राय द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कृष्णा सोबती

कृष्णा सोबती (१८ फ़रवरी १९२५, गुजरात (अब पाकिस्तान में)) हिन्दी की कल्पितार्थ (फिक्शन) एवं निबन्ध लेखिका हैं। उन्हें १९८० में साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा १९९६ में साहित्य अकादमी अध्येतावृत्ति से सम्मानित किया गया था। अपनी संयमित अभिव्यक्ति और सुथरी रचनात्मकता के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने हिंदी की कथा भाषा को विलक्षण ताज़गी़ दी है। उनके भाषा संस्कार के घनत्व, जीवन्त प्रांजलता और संप्रेषण ने हमारे समय के कई पेचीदा सत्य उजागर किए हैं। .

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कैफ़ी आज़मी

कैफ़ी आज़मी (असली नाम: अख्तर हुसैन रिजवी) उर्दू के एक अज़ीम शायर थे। उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए भी कई प्रसिद्ध गीत व ग़ज़लें भी लिखीं, जिनमें देशभक्ति का अमर गीत -"कर चले हम फिदा, जान-ओ-तन साथियों" भी शामिल है। .

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केनो आमरा रवीन्द्रनाथके चाइ एवं कीभावे

केनो आमरा रवीन्द्रनाथके चाइ एवं कीभावे बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार सौरीन भट्टाचार्य द्वारा रचित एक निबंध–संकलन है जिसके लिये उन्हें सन् 2009 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कोलकातार काछेई

कोलकातार काछेई बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार गजेन्द्र कुमार मित्र द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1959 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अतीन बंद्योपाध्याय

अतीन बंद्योपाध्याय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह पंचाशटि गल्प के लिये उन्हें सन् 2001 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अनुभव

प्रयोग अथवा परीक्षा द्वारा प्राप्त ज्ञान अनुभव कहलाता है। प्रत्यक्ष ज्ञान अथवा बोध। स्मृति (याददास्त) से भिन्न ज्ञान। तर्कसंग्रह के अनुसार ज्ञान के दो भेद हैं - स्मृति और अनुभव। संस्कार मात्र से उत्पन्न ज्ञान को स्मृति और इससे भिन्न ज्ञान को अनुभव कहते हैं। अनुभव के दो भेद हैं - यथार्थ अनुभव तथा अयथार्थ अनुभव। प्रथम को प्रमा तथा द्वितीय को अप्रमा कहते हैं। यथार्थ अनुभव के चार भेद हैं- (1) प्रत्यक्ष, (2) अनुमिति, (3) उपमिति, तथा (4) शाब्द इनके अतिरिक्त मीमांसा के प्रसिद्ध आचार्य प्रभाकर के अनुयायी अर्थपत्ति, भाट्टमतानुयायी अनुपलब्धि, पौराणिक सांभविका और ऐतिह्यका तथा तांत्रिक चंष्टिका को भी यथार्थ अनुभव के भेद मानते हैं। इन्हें क्रम से प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द, अर्थापत्ति, अनुलब्धि, संभव, ऐतिह्य तथा चेष्टा से प्राप्त किया जा सकता है। अयथार्थ अनुभव के तीन भेद हैं- (1) संशय, (2) विपर्यय तथा (3) तर्क। संदिग्ध ज्ञान को संशय, मिथ्या ज्ञान को विपर्यय एवं ऊह (संभावना) को तर्क कहते है। .

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अन्नदाशंकर राय

अन्नदाशंकर राय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत जापाने के लिये उन्हें सन् 1962 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अबू सईद अय्यूब

अबू सईद अय्यूब बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक समालोचना आधुनिकता ओ रवीन्द्रनाथ के लिये उन्हें सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अमर मित्र

अमर मित्र बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास ध्रुवपुत्र के लिये उन्हें सन् 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अमिय चक्रवर्ती

अमिय चक्रवर्ती बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह घरे फेरार दिन के लिये उन्हें सन् 1963 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अमियभूषण मजूमदार

अमियभूषण मजूमदार बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास राजनगर के लिये उन्हें सन् 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अमृतस्य पुत्री

अमृतस्य पुत्री बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार कमल दास द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1982 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अरण्येर अधिकार

अरण्येर अधिकार बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार महाश्वेता देवी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1979 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अरुण मित्र

अरुण मित्र बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह खुँजते खुँजते एत दूर के लिये उन्हें सन् 1987 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अलीक मानुष

अलीक मानुष बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार सैयद मुस्तफ़ा सिराज द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1994 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अशोक मित्र

अशोक मित्र (10 अप्रैल 1928 – 1 मई 2018)पश्चिम बंगाल से एक अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार थे। वे पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे की सरकार में वर्ष 1977 से 1987 तक वित्त मंत्री रहे। इसके अलावा वे वर्ष 1970 से 1972 तक केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार भी थे। बंगाली साहित्य में योगदान के लिए उन्हें साहित्य अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इनके द्वारा रचित एक निबंध ताल बेताल के लिये उन्हें सन् 1996 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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असमय

असमय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार बिमल कर द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1975 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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उत्पलकुमार बसु

उत्पल कुमार बसु (३ अगस्त १९३९) (উৎপলকুমার বসু) बांग्ला सहित्य के भूखी पीढ़ी (हंगरी जनरेशन) आन्दोलन के एक प्रमुख कवि हैं। १९६० तक वह कृत्तिवास गोष्ठी के सदस्य थे। भुखी पीढी आन्दोलन में योगदान के कारण उनके खिलाफ भी कोलकाता पुलिस समन निकाला था। इसके चलते उन्हे योगमाया देवी कालेज के प्राध्यापक के नौकरि से बरखास्त किया गया था। ततपश्चात वह विदेश चले गये एवम दस साल के लिये कविता लिखना त्याग दिया। दस साल बाद कोलकाता लौट कर उन्होने जो कवितायें प्रकाश करने लगे, साहित्य जगत में मानो तहलका मचा दिया। भुखी पीढी आन्दोलन के समय लिखे उनका पोपेर समाधि को सराहा गया है। .

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उमाप्रसाद मुखोपाध्याय

उमाप्रसाद मुखोपाध्याय बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत मणिमहेश के लिये उन्हें सन् 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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उलंग राजा

उलंग राजा बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार नीरेन्द्रनाथ चक्रवर्ती द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1974 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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