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साहित्य अकादमी पुरस्कार कोंकणी

सूची साहित्य अकादमी पुरस्कार कोंकणी

साहित्य अकादमी पुरस्कार एक साहित्यिक सम्मान है जो कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं और कोंकणी भाषा इन में से एक भाषा हैं। अकादमी ने १९७७ से इस भाषा के लिए पुरस्कारों को पेश किया। .

99 संबंधों: चांफेल्ली सांज, चंद्रकांत केणी, चौरंग, एन. शिवदास, एस. एल. भैरप्प, डी. के. सुखठणकर, तंरगां, तकजि शिवशंकर पिल्लै, तुलसीदास, तुकाराम रामा शेट, दत्ता दामोदर नायक, दामोदर माऊज़ो, दिलीप बोरकार, दिका, देविदास रा. कदम, दोर्या गाज़ोता, नागेश करमली, नीळें नीळें ब्र्रह्म, पणजी आतम म्हातारी जाल्या, परीघ, पांडुरंग राजाराम शनै मांगी, पुंडलीक नारायण नायक, प्रकाश दामोदर पाडगाँवकर, प्रकृतिचो पास, पीसोलिम, बालकृष्ण भगवन्त बोरकर, बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय, भारतीय साहित्य अकादमी, भांगरसाळ, भितोरमें तूफान, भुयंचाफीं, भोगदंड, मनमोतयां, मनोहर सरदेसाई, महात्मा गांधी, महाबलेश्वर सैल, महाश्वेता देवी, माधव बोरकर, माधवी सरदेसाई, मानी पुनव, मास्ती वेंकटेश अयंगार, मंथन, मेल्विन रोड्रीगस, मीना काकोडकर, यमन, रबीन्द्रनाथ ठाकुर, रमेश भगवंत वेळुस्कर, रागदरबारी, रवीन्द्र केलकर, लक्ष्मणराव सरदेसाई, ..., शरतचंद्र शेणै, शशांक सीताराम, शंकर रामानी, श्रीरामचरितमानस, श्रीलाल शुक्ल, शीला कोळम्बकार, सपनफलां, ससया, सात पगलां आकाशमां, साहित्य अकादमी पुरस्कार, सावुलगोरी, सोंशयाचे कान, हन्व मोनिस अश्वत्थामो, हिमालयांत, हेमा नायक, जयंती नायक, जाय काय जूय?, जे.बी. मोरेस, जॅस फेर्नांडिस, जॉन बैप्टिस्ट सिक्वेरा, घणाघाय नियतीचे, वंशकुळाचें देणें, व्हंकल पावणी, खबरी, गोमांचल ते हिमालय, आनन्द मठ, आर. वी. पंडित, कर्ण पर्व, कलि–कथा : वाया बाइपास, कार्मेलिन, काशिनाथ शांबा लोलयेंकार, कावळ्याचें स्राद्ध, काव्यसूत्र, किरवंट, कुंदनिका कापडीआ, के. गोकुलदास प्रभु, कोटा शिवराम कारन्त, कोंकणी भाषा, अथांग, अमिताव घोष, अरण्येर अधिकार, अरविन्द एन. मांब्रो, अरुण साखरदांडे, अशोक एस. कामत, अशीं अस्लिम ल्हाराँ, अंतरनाद, अंतरआयामी, उडुपी राजगोपालाचार्य अनंतमूर्ति, उदय भेंब्रे सूचकांक विस्तार (49 अधिक) »

चांफेल्ली सांज

चांफेल्ली सांज कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार पांडुरंग राजाराम शनै मांगी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2000 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चंद्रकांत केणी

चंद्रकांत केणी कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह व्हंकल पावणी के लिये उन्हें सन् 1988 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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चौरंग

चौरंग कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार पुंडलीक नारायण नायक द्वारा रचित एक एकांकी है जिसके लिये उन्हें सन् 1984 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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एन. शिवदास

एन.

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एस. एल. भैरप्प

एस.

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डी. के. सुखठणकर

डी.

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तंरगां

तंरगां कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार महाबलेश्वर सैल द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1993 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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तकजि शिवशंकर पिल्लै

तकाजी शिवशंकरा पिल्लै (मलयालम: तकऴि शिवशंकरप्पिळ्ळ) मलयालम भाषा के विख्यात साहित्यकार थे। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास चेम्मीन के लिये उन्हें सन् १९५७ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। १९८४ में उन्हे ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।.

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तुलसीदास

गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिंदी साहित्य के महान कवि थे। इनका जन्म सोरों शूकरक्षेत्र, वर्तमान में कासगंज (एटा) उत्तर प्रदेश में हुआ था। कुछ विद्वान् आपका जन्म राजापुर जिला बाँदा(वर्तमान में चित्रकूट) में हुआ मानते हैं। इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस का कथानक रामायण से लिया गया है। रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्वपूर्ण काव्य है। महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। .

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तुकाराम रामा शेट

तुकाराम रामा शेट कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध-संग्रह मनमोतयां के लिये उन्हें सन् 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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दत्ता दामोदर नायक

दत्ता दामोदर नायक कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह जाय काय जूय? के लिये उन्हें सन् 2006 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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दामोदर माऊज़ो

दामोदर माऊज़ो (जन्म: १ अगस्त १९४४) गोवा के उपन्यासकार, कथाकार, आलोचक और निबन्धकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास कार्मेलिन के लिये उन्हें सन् १९८३ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (कोंकणी) से सम्मानित किया गया। .

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दिलीप बोरकार

दिलीप बोरकार कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत गोमांचल ते हिमालय के लिये उन्हें सन् 1995 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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दिका

दिका कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार देविदास रा. कदम द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2007 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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देविदास रा. कदम

देविदास रा.

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दोर्या गाज़ोता

दोर्या गाज़ोता कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार आर. वी. पंडित द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1979 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नागेश करमली

नागेश करमली कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह वंशकुळाचें देणें के लिये उन्हें सन् 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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नीळें नीळें ब्र्रह्म

नीळें नीळें ब्र्रह्म कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार शंकर रामानी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1996 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पणजी आतम म्हातारी जाल्या

पणजी आतम म्हातारी जाल्या कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार अरविन्द एन. मांब्रो द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1987 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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परीघ

परीघ कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार शशांक सीताराम द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2003 में कोंकणी भाषा के लिए मरणोपरांत साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पांडुरंग राजाराम शनै मांगी

पांडुरंग राजाराम शनै मांगी कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह चांफेल्ली सांज के लिये उन्हें सन् 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पुंडलीक नारायण नायक

पुंडलीक नारायण नायक कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक एकांकी चौरंग के लिये उन्हें सन् 1984 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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प्रकाश दामोदर पाडगाँवकर

प्रकाश दामोदर पाडगाँवकर कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह हन्व मोनिस अश्वत्थामो के लिये उन्हें सन् 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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प्रकृतिचो पास

प्रकृतिचो पास कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार मेल्विन रोड्रीगस द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2011 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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पीसोलिम

पीसोलिम कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार मनोहर सरदेसाई द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1980 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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बालकृष्ण भगवन्त बोरकर

बालकृष्ण भगवन्त बोरकर (कोंकणी: बाळकृष्ण भगवन्त शेणय बोरकार) (1910–1984) भारत के गोवा राज्य के एक कवि थे। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह ससया के लिये उन्हें सन् १९८१ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (कोंकणी) से सम्मानित किया गया। उन्हें 'बा-कि-बाब' नाम से भी जाना जाता है। बा भा बोरकर ने कम आयु से ही कविताएँ लिखना आरम्भ कर दिया था। वी सा खाण्डेकर, बोरकर की कविताओं के एक प्रारम्भिक समर्थक थे। बोरकर ने 1950 के दशक में गोवा के स्वतन्त्रता संग्राम से जुड़े और पूना चले गए जहाँ उन्होंने रेडियों सेवा में काम किया। उनका अधिकांश साहित्य मराठी में लिखा हुआ है लेकिन कोंकणी भाषा में भी उन्होंने बहुत साहित्य लिखा था। उन्होंने कहा कि साथ ही एक गद्य लेखक के रूप में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। वे गद्य लेखक के रूप में भी उत्कृष्ट लेख रहे थे। उनके द्वारा लिखी गई कविताएँ महात्मायन (गाँधी जी को समर्पित एक अधूरी कविता) और तमहस्तोत्र (मधुमेह और बुढ़ापे के कारण अन्धेपन की सम्भावना पर) प्रसिद्ध हैं। .

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बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय

'''वन्दे मातरम्''' के रचयिता बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (बंगाली: বঙ্কিমচন্দ্র চট্টোপাধ্যায়) (२७ जून १८३८ - ८ अप्रैल १८९४) बंगाली के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। भारत के राष्ट्रीय गीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था। रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है। आधुनिक युग में बंगला साहित्य का उत्थान उन्नीसवीं सदी के मध्य से शुरु हुआ। इसमें राजा राममोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, प्यारीचाँद मित्र, माइकल मधुसुदन दत्त, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय, रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अग्रणी भूमिका निभायी। इसके पहले बंगाल के साहित्यकार बंगला की जगह संस्कृत या अंग्रेजी में लिखना पसन्द करते थे। बंगला साहित्य में जनमानस तक पैठ बनाने वालों मे शायद बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय पहले साहित्यकार थे। .

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भारतीय साहित्य अकादमी

भारत की साहित्य अकादमी भारतीय साहित्य के विकास के लिये सक्रिय कार्य करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। इसका गठन १२ मार्च १९५४ को भारत सरकार द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य उच्च साहित्यिक मानदंड स्थापित करना, भारतीय भाषाओं और भारत में होनेवाली साहित्यिक गतिविधियों का पोषण और समन्वय करना है। .

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भांगरसाळ

भांगरसाळ कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार एन. शिवदास द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2005 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भितोरमें तूफान

भितोरमें तूफान कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार जे.बी. मोरेस द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1985 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भुयंचाफीं

भुयंचाफीं कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार शीला कोळम्बकार द्वारा रचित एक रेखाचित्र है जिसके लिये उन्हें सन् 1997 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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भोगदंड

भोगदंड कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हेमा नायक द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2002 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मनमोतयां

मनमोतयां कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार तुकाराम रामा शेट द्वारा रचित एक निबंध-संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2013 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मनोहर सरदेसाई

मनोहर सरदेसाई कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह पीसोलिम के लिये उन्हें सन् 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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महात्मा गांधी

मोहनदास करमचन्द गांधी (२ अक्टूबर १८६९ - ३० जनवरी १९४८) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को आजादी दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले १९१५ में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था।। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में બાપુ बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई १९४४ को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष २ अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है। सबसे पहले गान्धी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना शुरू किया। १९१५ में उनकी भारत वापसी हुई। उसके बाद उन्होंने यहाँ के किसानों, मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिये एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण व आत्मनिर्भरता के लिये अस्पृश्‍यता के विरोध में अनेकों कार्यक्रम चलाये। इन सबमें विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाला स्वराज की प्राप्ति वाला कार्यक्रम ही प्रमुख था। गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध में १९३० में नमक सत्याग्रह और इसके बाद १९४२ में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रखे। .

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महाबलेश्वर सैल

महाबलेश्वर सैल कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह तंरगां के लिये उन्हें सन् 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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महाश्वेता देवी

महाश्वेता देवी (14 जनवरी 1926 – 28 जुलाई 2016) रेमन मैगसेसे पुरस्कार.

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माधव बोरकर

माधव बोरकर कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह यमन के लिये उन्हें सन् 2001 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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माधवी सरदेसाई

माधवी सरदेसाई एक भारतीय अकादमिक थी, जो कोंकणी साहित्यिक जर्नल जाग के संपादक थी और लेखिका भी, जो मुख्य रूप से गोवा में कोंकणी भाषा में काम करती थी। वह गोवा विश्वविद्यालय के कोंकणी विभाग की प्रमुख थी। इनके द्वारा रचित एक निबंध-संग्रह मंथन के लिये उन्हें सन् २०१४ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (कोंकणी) से सम्मानित किया गया। उन्होंने अंग्रेजी में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की कोंकणी पर लेक्सिकल प्रभावों की तुलनात्मक भाषावैज्ञानिक और सांस्कृतिक अध्ययन पर। सरदेसाई ने अपनी प्राथमिक शिक्षा को कोंकणी माध्यम से किया था और चौगुले महाविद्यालय, मडगांव से अंग्रेजी और दर्शन में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। कैंसर के साथ एक निश्चित लड़ाई के बाद उनका २२ दिसंबर, २०१४ को निधन हो गया। .

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मानी पुनव

मानी पुनव कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार डी. के. सुखठणकर द्वारा रचित एक ललित निबंध है जिसके लिये उन्हें सन् 1978 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मास्ती वेंकटेश अयंगार

मास्ती वेंकटेश अयंगार (६ जून १८९१ - ६ जून १९८६) कन्नड भाषा के एक जाने माने साहित्यकार थे। वे भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किये गये हैं। यह सम्मान पाने वाले वे कर्नाटक के चौथे लेखक थे। 'चिक्कवीरा राजेंद्र' नामक कथा के लिये उनको सन् १९८३ में ज्ञानपीठ पंचाट से प्रशंसित किया गया था। मास्तीजी ने कुल मिलाकर १३७ पुस्तकें लिखीं जिसमे से १२० कन्नड भाषा में थीं तथा शेष अंग्रेज़ी में। उनके ग्रन्थ सामाजिक, दार्शनिक, सौंदर्यात्मक विषयों पर आधारित हैं। कन्नड भाषा के लोकप्रिय साहित्यिक संचलन, "नवोदया" में वे एक प्रमुख लेखक थे। वे अपनी क्षुद्र कहानियों के लिये बहुत प्रसिद्ध थे। वे अपनी सारी रचनाओं को 'श्रीनिवास' उपनाम से लिखते थे। मास्तीजी को प्यार से मास्ती कन्नडदा आस्ती कहा नजाता था, क्योंकि उनको कर्नाटक के एक अनमोल रत्न माना जाता था। मैसूर के माहाराजा नलवाडी कृष्णराजा वडियर ने उनको राजसेवासकता के पदवी से सम्मानित किया था।। .

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मंथन

मंथन कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार माथवी सरदेसाय द्वारा रचित एक निबंध-संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2014 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मेल्विन रोड्रीगस

मेल्विन रोड्रीगस कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह प्रकृतिचो पास के लिये उन्हें सन् 2011 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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मीना काकोडकर

मीना काकोडकर (२१ सितंबर १९४४) कोंकणी की जानी मानी लेखिका है। उनका जन्म गोआ में पोलोलम नामक स्थान पर हुआ। डोगर चन्वला, सपन फुलां कहानी संग्रह तथा सत्कान्तलों जादूगर (बाल नाटक) उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं। उन्हें १९९१ में साहित्य अकादमी के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। .

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यमन

यमन (अरबी भाषा: اليَمَن अल-यमन), आधिकारिक तौर पर यमन गणराज्य (अरबी भाषा: الجمهورية اليمنية अल-जम्हूरिया अल-यमन) मध्यपूर्व एशिया का एक देश है, जो अरब प्रायद्वीप में दक्षिण पश्चिम में स्थित है। 2 करोड़ वाली आबादी वाले देश यमन की सीमा उत्तर में सऊदी अरब, पश्चिम में लाल सागर, दक्षिण में अरब सागर और अदन की खाड़ी और पूर्व में ओमान से मिलती है। यमन की भौगोलिक सीमा में लगभग 200 से ज्यादा द्वीप भी शामिल हैं, जिनमें सोकोत्रा द्वीप सबसे बड़ा है। .

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रबीन्द्रनाथ ठाकुर

रवीन्द्रनाथ ठाकुर (बंगाली: রবীন্দ্রনাথ ঠাকুর रोबिन्द्रोनाथ ठाकुर) (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। वे विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबल पुरस्कार विजेता हैं। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान जन गण मन और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बाँग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। .

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रमेश भगवंत वेळुस्कर

रमेश भगवंत वेळुस्कर कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह सावुलगोरी के लिये उन्हें सन् 1990 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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रागदरबारी

रागदरबारी विख्यात हिन्दी साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल की प्रसिद्ध व्यंग्य रचना है जिसके लिये उन्हें सन् 1970 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह ऐसा उपन्यास है जो गाँव की कथा के माध्यम से आधुनिक भारतीय जीवन की मूल्यहीनता को सहजता और निर्ममता से अनावृत करता है। शुरू से अन्त तक इतने निस्संग और सोद्देश्य व्यंग्य के साथ लिखा गया हिंदी का शायद यह पहला वृहत् उपन्यास है। ‘राग दरबारी’ का लेखन 1964 के अन्त में शुरू हुआ और अपने अन्तिम रूप में 1967 में समाप्त हुआ। 1968 में इसका प्रकाशन हुआ और 1969 में इस पर श्रीलाल शुक्ल को साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला। 1986 में एक दूरदर्शन-धारावाहिक के रूप में इसे लाखों दर्शकों की सराहना प्राप्त हुई। राग दरबारी व्यंग्य-कथा नहीं है। इसमें श्रीलाल शुक्ल जी ने स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत-दर-परत उघाड़ कर रख दिया है। राग दरबारी की कथा भूमि एक बड़े नगर से कुछ दूर बसे गाँव शिवपालगंज की है जहाँ की जिन्दगी प्रगति और विकास के समस्त नारों के बावजूद, निहित स्वार्थों और अनेक अवांछनीय तत्वों के आघातों के सामने घिसट रही है। शिवपालगंज की पंचायत, कॉलेज की प्रबन्ध समिति और कोआपरेटिव सोसाइटी के सूत्रधार वैद्यजी साक्षात वह राजनीतिक संस्कृति हैं जो प्रजातन्त्र और लोकहित के नाम पर हमारे चारों ओर फल फूल रही हैं। .

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रवीन्द्र केलकर

रवीन्द्र केलकर (7 मार्च 1925 – 27 अगस्त 2010) कोंकणी साहित्य के सबसे मजबूत स्तंभ थे। 85 वर्षीय इस महान हस्ती को वर्ष 2006 का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। उनकी प्रमुख रचनाओं में आमची भास कोंकणीच, 'बहुभाषिक भारतान्त भाषान्चे समाजशास्त्र' शामिल हैं। रवीन्द्र केलकर का जन्म ७ मार्च १९२५ में दक्षिण गोवा के कोकुलिम क्षेत्र में हुआ। कोंकणी, हिन्दी और मराठी में उनकी 32 से अधिक मौलिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। वह स्वतंत्रता संग्राम और गोवा के मुक्ति संग्राम से जुड़े रहे। वह आधुनिक कोंकणी आंदोलन के प्रणेता थे और कोंकणी भाषा मंडल की स्थापना में उनकी अहम भूमिका रही। केलकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार के अलावा 1976 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2008 में पद्मभूषण प्रदान किया गया था और 2007 में उन्हें साहित्य अकादमी का फैलो चुना गया था। .

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लक्ष्मणराव सरदेसाई

लक्ष्मणराव सरदेसाई कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह खबरी के लिये उन्हें सन् 1982 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शरतचंद्र शेणै

शरतचंद्र शेणै कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह अंतरनाद के लिये उन्हें सन् 1999 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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शशांक सीताराम

शशांक सीताराम कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह परीघ के लिये उन्हें सन् 2003 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया। .

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शंकर रामानी

शंकर रामानी कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह नीळें नीळें ब्र्रह्म के लिये उन्हें सन् 1996 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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श्रीरामचरितमानस

गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीरामचरितमानस का आवरण श्री राम चरित मानस अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा १६वीं सदी में रचित एक महाकाव्य है। इस ग्रन्थ को हिंदी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है। इसे सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है। रामचरितमानस भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान रखता है। उत्तर भारत में 'रामायण' के रूप में बहुत से लोगों द्वारा प्रतिदिन पढ़ा जाता है। शरद नवरात्रि में इसके सुन्दर काण्ड का पाठ पूरे नौ दिन किया जाता है। रामायण मण्डलों द्वारा शनिवार को इसके सुन्दरकाण्ड का पाठ किया जाता है। श्री रामचरित मानस के नायक राम हैं जिनको एक महाशक्ति के रूप में दर्शाया गया है जबकि महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण में श्री राम को एक मानव के रूप में दिखाया गया है। तुलसी के प्रभु राम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। त्रेता युग में हुए ऐतिहासिक राम-रावण युद्ध पर आधारित और हिन्दी की ही एक लोकप्रिय भाषा अवधी में रचित रामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया। .

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श्रीलाल शुक्ल

श्रीलाल शुक्ल (31 दिसम्बर 1925 - 28 अक्टूबर 2011) हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार थे। वह समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात थे। श्रीलाल शुक्ल (जन्म-31 दिसम्बर 1925 - निधन- 28 अक्टूबर 2011) को लखनऊ जनपद के समकालीन कथा-साहित्य में उद्देश्यपूर्ण व्यंग्य लेखन के लिये विख्यात साहित्यकार माने जाते थे। उन्होंने 1947 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा पास की। 1949 में राज्य सिविल सेवासे नौकरी शुरू की। 1983 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से निवृत्त हुए। उनका विधिवत लेखन 1954 से शुरू होता है और इसी के साथ हिंदी गद्य का एक गौरवशाली अध्याय आकार लेने लगता है। उनका पहला प्रकाशित उपन्यास 'सूनी घाटी का सूरज' (1957) तथा पहला प्रकाशित व्यंग 'अंगद का पाँव' (1958) है। स्वतंत्रता के बाद के भारत के ग्रामीण जीवन की मूल्यहीनता को परत दर परत उघाड़ने वाले उपन्यास 'राग दरबारी' (1968) के लिये उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनके इस उपन्यास पर एक दूरदर्शन-धारावाहिक का निर्माण भी हुआ। श्री शुक्ल को भारत सरकार ने 2008 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है। .

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शीला कोळम्बकार

शीला कोळम्बकार कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक रेखाचित्र भुयंचाफीं के लिये उन्हें सन् 1997 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सपनफलां

सपनफलां कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार मीना काकोडकर द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1991 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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ससया

ससया कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार बी. बी. बोरकर द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1981 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सात पगलां आकाशमां

सात पगलां आकाशमां गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार कुंदनिका कापडीआ द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1985 में गुजराती भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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साहित्य अकादमी पुरस्कार

साहित्य अकादमी पुरस्कार भारत में एक साहित्यिक सम्मान है, जो साहित्य अकादमी प्रतिवर्ष भारत की अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त प्रमुख भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल २२ भारतीय भाषाओं के अलावा ये राजस्थानी और अंग्रेज़ी भाषा; याने कुल २४ भाषाओं में प्रदान किया जाता हैं। पहली बार ये पुरस्कार सन् 1955 में दिए गए। पुरस्कार की स्थापना के समय पुरस्कार राशि 5,000/- रुपए थी, जो सन् 1983 में ब़ढा कर 10,000/- रुपए कर दी गई और सन् 1988 में ब़ढा कर इसे 25,000/- रुपए कर दिया गया। सन् 2001 से यह राशि 40,000/- रुपए की गई थी। सन् 2003 से यह राशि 50,000/- रुपए कर दी गई है। .

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सावुलगोरी

सावुलगोरी कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार रमेश भगवंत वेळुस्कर द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1990 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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सोंशयाचे कान

सोंशयाचे कान कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार चा. फ्र. डि’ कोश्‍टा द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1989 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हन्व मोनिस अश्वत्थामो

हन्व मोनिस अश्वत्थामो कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार प्रकाश दामोदर पाडगाँवकर द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1986 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हिमालयांत

हिमालयांत कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार रवीन्द्र केळेकार द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत है जिसके लिये उन्हें सन् 1977 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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हेमा नायक

हेमा नायक कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास भोगदंड के लिये उन्हें सन् 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जयंती नायक

जयंती नायक कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह अथांग के लिये उन्हें सन् 2004 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जाय काय जूय?

जाय काय जूय? कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार दत्ता दामोदर नायक द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2006 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जे.बी. मोरेस

जे.बी.

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जॅस फेर्नांडिस

जॅस फेर्नांडिस कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह किरवंट के लिये उन्हें सन् 2009 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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जॉन बैप्टिस्ट सिक्वेरा

जॉन बैप्टिस्ट सिक्वेरा कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह अशीं अस्लिम ल्हाराँ के लिये उन्हें सन् 1998 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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घणाघाय नियतीचे

घणाघाय नियतीचे कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार अशोक एस. कामत द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2008 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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वंशकुळाचें देणें

वंशकुळाचें देणें कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार नागेश करमली द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1992 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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व्हंकल पावणी

व्हंकल पावणी कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार चंद्रकांत केणी द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1988 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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खबरी

खबरी कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार लक्ष्मणराव सरदेसाई द्वारा रचित एक निबंध–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1982 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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गोमांचल ते हिमालय

गोमांचल ते हिमालय कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार दिलीप बोरकार द्वारा रचित एक यात्रा–वृत्तांत है जिसके लिये उन्हें सन् 1995 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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आनन्द मठ

आनन्द मठ के रचनाकार बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय। आनन्द मठ बांग्ला भाषा का एक उपन्यास है जिसकी रचना बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने १८८२ में की थी। इस कृति का भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और स्वतन्त्रता के क्रान्तिकारियों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम् इसी उपन्यास से लिया गया है। आनंदमठ राजनीतिक उपन्यास है। इस उपन्यास में उत्तर बंगाल में 1773 के सन्यासी विद्रोह का वर्णन किया गया है। इस पुस्तक में देशभक्ति की भावना है। .

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आर. वी. पंडित

आर.

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कर्ण पर्व

कर्ण पर्व कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार उदय भेंब्रे द्वारा रचित एक नाटक है जिसके लिये उन्हें सन् 2015 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कलि–कथा : वाया बाइपास

कलि–कथा: वाया बाइपास हिन्दी के विख्यात साहित्यकार अलका सरावगी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 2001 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कार्मेलिन

कार्मेलिन कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार दामोदर मावज़ो द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1983 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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काशिनाथ शांबा लोलयेंकार

काशिनाथ शांबा लोलयेंकार कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह काव्यसूत्र के लिये उन्हें सन् 2012 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कावळ्याचें स्राद्ध

कावळ्याचें स्राद्ध कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार अरुण साखरदांडे द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2010 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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काव्यसूत्र

काव्यसूत्र कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार काशिनाथ शांबा लोलयेंकार द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2012 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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किरवंट

किरवंट कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार जॅस फेर्नांडिस द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2009 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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कुंदनिका कापडीआ

कुंदनिका कापडीआ गुजराती भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास सात पगलां आकाशमां के लिये उन्हें सन् 1985 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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के. गोकुलदास प्रभु

के.

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कोटा शिवराम कारन्त

कोटा शिवराम कारन्त (October 10, 1902 - December 9, 1997) ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता। वह कन्नड लेखक, यक्षगान कलाकार और फिल्म के निदेशक आदि थे। इनके द्वारा रचित एक लोक नाट्य–विवेचन यक्षगान बायलाट के लिये उन्हें सन् १९५९ में साहित्य अकादमी पुरस्कार () से सम्मानित किया गया। .

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कोंकणी भाषा

कोंकणी गोवा, महाराष्ट्र के दक्षिणी भाग, कर्नाटक के उत्तरी भाग, केरल के कुछ क्षेत्रों में बोली जाती है। भाषायी तौर पर यह 'आर्य' भाषा परिवार से संबंधित है और मराठी से इसका काफी निकट का संबंध है। राजनैतिक तौर पर इस भाषा को अपनी पहचान के लिये मराठी भाषा से काफी संघर्ष करना पड़ा है। अब भारतीय संविधान के तहत कोंकणी को आठवीं अनुसूची में स्थान प्राप्त है। १९८७ में गोवा में कोंकणी को मराठी के बराबर राजभाषा का दर्जा दिया गया किन्तु लिपि पर असहमति के कारण आजतक इस पर अमल नहीं किया जा सका। कोंकणी अनेक लिपियों में लिखी जाती रही है; जैसे - देवनागरी, कन्नड, मलयालम और रोमन। गोवा को राज्य का दर्जा मिलने के बाद दवनागरी लिपि में कोंकणी को वहाँ की राजभाषा घोषित किया गया है। .

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अथांग

अथांग कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार जयंती नायक द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2004 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अमिताव घोष

अमिताव घोष अंग्रेज़ी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास द शैडो लाइन्स के लिये उन्हें सन् 1989 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अरण्येर अधिकार

अरण्येर अधिकार बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार महाश्वेता देवी द्वारा रचित एक उपन्यास है जिसके लिये उन्हें सन् 1979 में बंगाली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अरविन्द एन. मांब्रो

अरविन्द एन.

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अरुण साखरदांडे

अरुण साखरदांडे कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह कावळ्याचें स्राद्ध के लिये उन्हें सन् 2010 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अशोक एस. कामत

अशोक एस.

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अशीं अस्लिम ल्हाराँ

अशीं अस्लिम ल्हाराँ कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार जॉन बैप्टिस्ट सिक्वेरा द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1998 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अंतरनाद

अंतरनाद कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार शरतचंद्र शेणै द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1999 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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अंतरआयामी

अंतरआयामी कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार के. गोकुलदास प्रभु द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 1994 में कोंकणी भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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उडुपी राजगोपालाचार्य अनंतमूर्ति

उडुपी राजगोपालाचार्य अनंतमूर्ति (२१ दिसम्बर १९३२ - २२ अगस्त २०१४) समकालीन कन्नड़ साहित्यकार, आलोचक और शिक्षाविद् हैं। इन्हें कन्नड़ साहित्य के नव्या आंदोलन का प्रणेता माना जाता है। इनकी सबसे प्रसिद्ध रचना संस्कार है। ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले आठ कन्नड़ साहित्यकारों में वे छठे हैं। उन्होंने महात्मा गांधी विश्वविद्यालय तिरुअनन्तपुरम् और केंद्रीय विश्वविद्यालय गुलबर्गा के कुलपति के रूप में भी काम किया था। साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सन १९९८ में भारत सरकार द्वारा इन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। २०१३ के मैन बुकर पुरस्कार पाने वाले उम्मीदवारों की अंतिम सूची में इन्हें भी चुना गया था। २२ अगस्त २०१४ को ८१ वर्ष की अवस्था में बंगलूर (कर्नाटक) में इनका निधन हो गया। <ref>मशहूर साहित्यकार अनंतमूर्ति का निधन - BBC Hindi - भारत http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2014/08/140822_ananthamurthy_obituary_du.shtml </ref> .

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उदय भेंब्रे

उदय भेंब्रे कोंकणी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक नाटक कर्ण पर्व के लिये उन्हें सन् 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। .

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