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शोगुन

सूची शोगुन

मिनामोतो योरितोमो जो ११९२-११९९ के काल में जापान के पहले शोगुन रहे शोगुन (जापानी: 将軍, अर्थ: सेनापति, महामंत्री) यह एक राजकीय उपाधि थी जो सन् ११९२ से १८६७ तक जापान के सम्राट के महामंत्री या सेनापति को दी जाती थी। यह सैन्य तानाशाह होते थे और अपने वंश चलाते थे। इस काल के जापानी इतिहास को इन्ही शोगुन वंशों के कालों में बांटा जाता है। औपचारिक रूप से जापान का शासक जापान का सम्राट होता था लेकिन वह केवल नाम का शासक था क्योंकि राजसी शक्तियाँ पूरी तरह शोगुन के नियंत्रण में थी। जब पुर्तगाली १५४३ में जापानियों से संपर्क में आने वाले पहले यूरोपीय शक्ति बने तो उन्होंने ब्यौरा दिया की शोगुन का ठाठ-बाठ भी पूरा राजाओं वाला होता था और वे खुले रूप से शासन करते थे। सम्राट को केवल धार्मिक दृष्टि से जापान का प्रमुख होने का आदर प्राप्त था। शोगुन इतने शक्तिशाली थे की यदि कोई सम्राट उनकी बात न मानता तो वे उन्हें गद्दी छोड़ने पे मजबूर तक कर सकते थे। कामाकुरा काल में पहले शोगुन की मृत्यु के उपरांत होजो वंश और तोकुसो वंश को शिक्केन की उपाधि प्राप्त हुई(शिक्केन का अर्थ है शोगुन के राज्याधिकारी या रीजेंट) और इन्होने जापान के शासक के रूप में राज किया,「執権 (一)」(『国史大辞典 6』(吉川弘文館、1985年) ISBN 978-4-642-00506-7) शोगुन केवल इनकी कठपुतली बनकर रह गए थे जैसे सम्राट शोगुन का था। सन् १८६७ में शोगुन व्यवस्था समाप्त हुई। तोकुगावा योशिनोबू (徳川 慶喜) अंतिम शोगुन रहे और उनके बाद "मेइजी पुनर्स्थापन" नाम के क्रांतिकारी बदलाव में शासन की शक्तियाँ सम्राट के पास लौट आई। शोगुन के शासन को जापानी में बकुफु जाता है जिसका अर्थ होता है दफ्तर या सरकार, अंग्रेजी में बकुफु को शोगुनत कहते हैं। शोगुन का दर्जा लगभग राज्यपाल के बराबर होता था बस फरक यह है कि शासन पूरी तरह से शोगुन के हाथ में होता था। .

14 संबंधों: दाईम्यो, पुर्तगाल, मंगोल साम्राज्य, मेइजी पुनर्स्थापन, यूरोप, राज्याधिकारी, समुराई, होक्काइदो, जापान, जापान का इतिहास, जापानी भाषा, गो-तोबा, आइनू लोग, क्योटो

दाईम्यो

सात्सुमा क्षेत्र के दाईम्यो, शिमजु नारिअकिरा    यह मध्यकालीन जापान के सामंत या प्रान्तपाल थे जो काफी शक्तिशाली थे और सम्पूर्ण जापान में लगभग इन्ही का राज चलता था।  इसका शाब्दिक अर्थ होता है  "बड़ा", और  "म्यो" यह शब्द म्योदेन (名田?) से आया है , जिसका अर्थ है निजी भूमि.

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पुर्तगाल

पुर्तगाली गणराज्य यूरोप खंड में स्थित देश है। यह देश स्पेन के साथ आइबेरियन प्रायद्वीप बनाता है। इस राष्ट्र का भाषा पुर्तगाली भाषा है। इस राष्ट्र का राजधानी लिस्बन है। पुर्तगाली नाविक वास्को द गामा ने 1498 AD में भारत के समुद्री मार्ग की खोज की थी। .

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मंगोल साम्राज्य

हलाकू (बायें), खलीफा अल-मुस्तसिम को भूख से मारने के लिये उसके खजाने में कैद करते हुए मांगके खान की मृत्यु के समय (१२५९ ई में) मंगोल साम्राज्य मंगोल साम्राज्य 13 वीं और 14 वीं शताब्दियों के दौरान एक विशाल साम्राज्य था। इस साम्राज्य का आरम्भ चंगेज खान द्वारा मंगोलिया के घूमन्तू जनजातियों के एकीकरण से हुआ। मध्य एशिया में शुरू यह राज्य अंततः पूर्व में यूरोप से लेकर पश्चिम में जापान के सागर तक और उत्तर में साइबेरिया से लेकर दक्षिण में भारतीय उपमहाद्वीप तक फैल गया। आमतौर पर इसे दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ा सन्निहित साम्राज्य माना जाना जाता है। अपने शीर्ष पर यह 6000 मील (9700 किमी) तक फैला था और 33,000,000 वर्ग कि॰मी॰ (12,741,000 वर्ग मील) के क्षेत्र को कवर करता था। इस समय पृथ्वी के कुल भू क्षेत्रफल का 22% हिस्सा इसके कब्ज़े में था और इसकी आबादी 100 करोड़ थी। मंगोल शासक पहले बौद्ध थे, लेकिन बाद में धीरे-धीरे तुर्कों के सम्पर्क में आकर उन्होंने इस्लाम को अपना लिया। .

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मेइजी पुनर्स्थापन

मेइजी पुनर्स्थापन के अंत में शोगुन ने अपने शासक-अधिकार औपचारिक रूप से सम्राट मेइजी को सौंप दिए १८७० में बने इस चित्र में चित्रकार ने जापान की पुरानी और नयी व्यवस्था की मुठभेड़ दर्शाने की कोशिश करी इतो हिरोबुमी मेइजी पुनर्स्थापन संग्राम के एक मुख्य नेता थे मेइजी पुनर्स्थापन (明治維新, मेइजी इशिन) उन्नीसवी शताब्दी में जापान में एक घटनाक्रम था जिस से सन् 1868 में सम्राट का शासन फिर से बहाल हुआ। इस से जापान के राजनैतिक और सामाजिक वातावरण में बहुत महत्वपूर्ण बदलाव आये जिनसे जापान तेज़ी से आर्थिक, औद्योगिक और सैन्य विकास की ओर बढ़ने लगा। इस क्रान्ति ने जापान के एदो काल का अंत किया और मेइजी काल को आरम्भ किया। इस पुनर्स्थापन से पहले जापान का सम्राट केवल नाम का शासक था और वास्तव में शोगुन (将軍) की उपाधि वाले सैनिक तानाशाह राज करता था। .

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यूरोप

यूरोप पृथ्वी पर स्थित सात महाद्वीपों में से एक महाद्वीप है। यूरोप, एशिया से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। यूरोप और एशिया वस्तुतः यूरेशिया के खण्ड हैं और यूरोप यूरेशिया का सबसे पश्चिमी प्रायद्वीपीय खंड है। एशिया से यूरोप का विभाजन इसके पूर्व में स्थित यूराल पर्वत के जल विभाजक जैसे यूराल नदी, कैस्पियन सागर, कॉकस पर्वत शृंखला और दक्षिण पश्चिम में स्थित काले सागर के द्वारा होता है। यूरोप के उत्तर में आर्कटिक महासागर और अन्य जल निकाय, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्य सागर और दक्षिण पश्चिम में काला सागर और इससे जुड़े जलमार्ग स्थित हैं। इस सबके बावजूद यूरोप की सीमायें बहुत हद तक काल्पनिक हैं और इसे एक महाद्वीप की संज्ञा देना भौगोलिक आधार पर कम, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आधार पर अधिक है। ब्रिटेन, आयरलैंड और आइसलैंड जैसे देश एक द्वीप होते हुए भी यूरोप का हिस्सा हैं, पर ग्रीनलैंड उत्तरी अमरीका का हिस्सा है। रूस सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यूरोप में ही माना जाता है, हालाँकि इसका सारा साइबेरियाई इलाका एशिया का हिस्सा है। आज ज़्यादातर यूरोपीय देशों के लोग दुनिया के सबसे ऊँचे जीवनस्तर का आनन्द लेते हैं। यूरोप पृष्ठ क्षेत्रफल के आधार पर विश्व का दूसरा सबसे छोटा महाद्वीप है, इसका क्षेत्रफल के १०,१८०,००० वर्ग किलोमीटर (३,९३०,००० वर्ग मील) है जो पृथ्वी की सतह का २% और इसके भूमि क्षेत्र का लगभग ६.८% है। यूरोप के ५० देशों में, रूस क्षेत्रफल और आबादी दोनों में ही सबसे बड़ा है, जबकि वैटिकन नगर सबसे छोटा देश है। जनसंख्या के हिसाब से यूरोप एशिया और अफ्रीका के बाद तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला महाद्वीप है, ७३.१ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह विश्व की जनसंख्या में लगभग ११% का योगदान करता है, तथापि, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार (मध्यम अनुमान), २०५० तक विश्व जनसंख्या में यूरोप का योगदान घटकर ७% पर आ सकता है। १९०० में, विश्व की जनसंख्या में यूरोप का हिस्सा लगभग 25% था। पुरातन काल में यूरोप, विशेष रूप से यूनान पश्चिमी संस्कृति का जन्मस्थान है। मध्य काल में इसी ने ईसाईयत का पोषण किया है। यूरोप ने १६ वीं सदी के बाद से वैश्विक मामलों में एक प्रमुख भूमिका अदा की है, विशेष रूप से उपनिवेशवाद की शुरुआत के बाद.

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राज्याधिकारी

राज्याधिकारी, उप शासक या सह शासक (अंग्रेजी: Co-Regent) यह अधिकारिक उपाधि है जो किसी व्यक्ति को तब दी जाती है जब किसी राज्य या साम्राज्य का शासक राज करने की स्थिति में न हो(शासक की उम्र कम हो या कोई अन्य कारण), एक उप-शासक राजा के साथ साथ भी शासन कर सकता है जैसा की पश्चिमी सभ्यताओ में होता है। जब किसी राज्य का एक से अधिक शासक हो तो उसे उपशासक शासन या राज्याधिकारी शासन (अंग्रेजी:coregency) कहते है। श्रेणी:भारतीय राजनीति.

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समुराई

समुराई जापान के परंपरागत योद्घा वर्ग हैं। ये बुशीदो नामक आचार सन्हिता का पालन करते हैं। बेहद स्वामिभ्क्त होते हैं। अपमान के बजाय मृत्यु को पहला विकल्प देते है। ये झेन धर्म का पालन करते हैं। ‍ श्रेणी:जापान का इतिहास श्रेणी:जापानी योद्धा श्रेणी:जापान का सैन्य इतिहास.

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होक्काइदो

होक्काइदो का नक़्शा मध्य होक्काइदो में स्थित शोवा-शिंज़न ज्वालामुखीय चट्टान सप्पोरो हिम त्यौहार के दौरान ओदोरी उद्यान का दृश्य होक्काइदो (जापानी: 北海道) जापान का दूसरा सब से बड़ा द्वीप है और जापान के प्रान्तों में से सब से बड़ा और सब से उत्तरी प्रांत है। यह होन्शू द्वीप से उत्तर में है और इन दोनों के बीच त्सुगारू जलडमरू का समुद्री क्षेत्र आता है।Nussbaum, Louis-Frédéric.

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जापान

जापान, एशिया महाद्वीप में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि प्रशांत महासागर में स्थित हैं। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान में वहाँ का मूल निवासियों की जनसंख्या ९८.५% है। बाकी 0.5% कोरियाई, 0.4 % चाइनीज़ तथा 0.6% अन्य लोग है। जापानी अपने देश को निप्पॉन कहते हैं, जिसका मतलब सूर्योदय है। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका और क्योटो हैं। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है और जापान की जनसंख्या में 96% बौद्ध अनुयायी है। .

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जापान का इतिहास

जापान के प्राचीन इतिहास के संबंध में कोई निश्चयात्मक जानकारी नहीं प्राप्त है। जापानी लोककथाओं के अनुसार विश्व के निर्माता ने सूर्य देवी तथा चन्द्र देवी को भी रचा। फिर उसका पोता क्यूशू द्वीप पर आया और बाद में उनकी संतान होंशू द्वीप पर फैल गए। हँलांकि यह लोककथा है पर इसमें कुछ सच्चाई भी नजर आती है। पौराणिक मतानुसार जिम्मू नामक एक सम्राट् ९६० ई. पू.

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जापानी भाषा

जापानी भाषा (जापानी: 日本語 नीहोंगो) जापान देश की मुख्यभाषा और राजभाषा है। द्वितीय महायुद्ध से पहले कोरिया, फार्मोसा और सखालीन में भी जापानी बोली जाती थी। अब भी कोरिया और फार्मोसा में जापानी जाननेवालों की संख्या पर्याप्त है, परंतु धीरे धीरे उनकी संख्या कम होती जा रही है। भाषाविद इसे 'अश्लिष्ट-योगात्मक भाषा' मानते हैं। जापानी भाषा चीनी-तिब्बती भाषा-परिवार में नहीं आती। भाषाविद इसे ख़ुद की जापानी भाषा-परिवार में रखते हैं (कुछ इसे जापानी-कोरियाई भाषा-परिवार में मानते हैं)। ये दो लिपियों के मिश्रण में लिखी जाती हैं: कांजी लिपि (चीन की चित्र-लिपि) और काना लिपि (अक्षरी लिपि जो स्वयं चीनी लिपिपर आधारित है)। इस भाषा में आदर-सूचक शब्दों का एक बड़ा तंत्र है और बोलने में "पिच-सिस्टम" ज़रूरी होता है। इसमें कई शब्द चीनी भाषा से लिये गये हैं। जापानी भाषा किस भाषा कुल में सम्मिलित है इस संबंध में अब तक कोई निश्चित मत स्थापित नहीं हो सका है। परंतु यह स्पष्ट है कि जापानी और कोरियाई भाषाओं में घनिष्ठ संबंध है और आजकल अनेक विद्वानों का मत है कि कोरियाई भाषा अलटाइक भाषाकुल में संमिलित की जानी चाहिए। जापानी भाषा में भी उच्चारण और व्याकरण संबंधी अनेक विशेषताएँ है जो अन्य अलटाइ भाषाओं के समान हैं परंतु ये विशेषताएँ अब तक इतनी काफी नहीं समझी जाती रहीं जिनमें हम निश्चित रूप से कह सकें कि जापानी भाषा अलटाइक भाषाकुल में ऐ एक है। हाइकु इसकी प्रमुख काव्य विधा है। .

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गो-तोबा

गो-तोबा गो-तोबा (Go-Toba; 後鳥羽天皇) (अगस्त ६, ११८० – मार्च २८, १२३९) जापान के ८२वें सम्राट थे। वें कवि भी थे। सम्राट गो-तोबा का नाम ७४वे सम्राट, सम्राट तोबा के नाम से लिया गया है .

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आइनू लोग

अपने परम्परागत परिधान में कुछ आइनू लोग एक आइनू पुरुष (सन् 1880 में खींची गई तस्वीर) आइनू (जापानी: アイヌ) जापान के उत्तरी भाग और रूस के सुदूर पूर्वी भाग में बसने वाली एक जनजाति है। यह होक्काइडो द्वीप, कुरिल द्वीपसमूह और साख़ालिन द्वीप पर रहते हैं। समय के साथ-साथ इन्होने जापानी लोगों से शादियाँ कर लीं हैं और उनमें मिश्रित हो चुके हैं। इस वजह से इनकी संख्या का सही अनुमान लगा पाना कठिन है। अंदाज़ा लगाया जाता है कि विश्व में 25,000 से 2,00,000 के बीच आइनू रहते हैं।Poisson, B. 2002, The Ainu of Japan, Lerner Publications, Minneapolis, p.5.

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क्योटो

क्योतो जापान के यमाशिरों प्रांत में स्थित नगर है। क्वामू शासन काल में इसे 'हे यान जो' अर्थात् 'शांति का नगर' की संज्ञा दी गई थी। ११वीं शताब्दी तक क्योतो जापान की राजधानी था और आज भी पश्चिमी प्रदेश की राजधानी है। १८९० ई. में इस नगर को बीवा झील सें लगभग ७ मील लंबी नहर द्वारा संबंधित कर दिया गया। विशाल मंदिरों, भव्य प्रासादों और कलात्मक भवनों के लिए क्योतो संपूर्ण जापान में प्रसिद्ध है। यहाँ रेशम के कपड़े, चीनी मिट्टी के बर्तन, कसीदाकारी, रंगनिर्माण, पंखा, खिलौना और अन्य प्रकार के धातु के बर्तनों का उद्योग अधिक विकसित है। यह जापान में बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा केंद्र है। यहाँ एक विश्वविद्यालय तथा एक कलाकेंद्र हैं। क्योतो नगर का बिहंगम दृष्य .

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