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वेरीनाग

सूची वेरीनाग

वेरिनाग भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य में अनंतनाग जिले में स्थिति तहसील(शाहबाद बाला वेरिनाग) के साथ एक पर्यटन स्थल और एक अधिसूचित क्षेत्रीय समिति है। यह अनंतनाग से लगभग 26 किलोमीटर दूर और श्रीनगर से लगभग 78 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व है जो जम्मू और कश्मीर राज्य की गर्मियों की राजधानी है। जम्मू से श्रीनगर के लिए सड़क यात्रा करते समय, वेरिनाग कश्मीर घाटी का पहला पर्यटन स्थल है। यह जवाहर सुरंग को पार करने के बाद कश्मीर घाटी के प्रवेश बिंदु पर स्थित है और इसे गेटवे ऑफ कश्मीर भी कहा जाता है। कश्मीर की वितस्ता नदी उद्भव वेरीनाग नामी नगर में है। कश्मीरी भाषा में "नाग" शब्द का मतलब "पानी का चश्मा" होता है और "वेरी" शब्द की जड़ संस्कृत का "विरह" शब्द है जिसका मतलब "वापस जाना" होता है। इसका सम्बन्ध एक शिव-पार्वती के क़िस्से से है जिसमें झेलम नदी कहीं और से उत्पन्न होना चाहती थी लेकिन उसे वापस इसी जगह से चश्मे के रूप में उत्पन्न होने पर मजबूर किया गया। यहाँ हर साल भादों के महीने के कृष्ण-पक्ष की तेहरवी तारीख़ को कश्मीरी हिन्दू झेलम नदी का जन्मदिन मनाते है, जिसे "व्येथ त्रुवाह" कहते हैं। कश्मीरी में "त्रुवाह" का मतलब "तेहरवी" है और "व्येथ" झेलम नदी का कश्मीरी नाम है, यानि "व्येथ त्रुवाह" का मतलब "झेलम तेहरवी" है। पर्यटन/इतिहास- इस जगह का प्रमुख पर्यटक आकर्षण है वेरिनाग स्प्रिंग है, जिसके नाम प्सर स्थान का नाम वेरीनाग है। वेरिनाग स्प्रिंग में एक अष्टकोनी पत्थर बेसिन है और इसके आसपास के एक आर्केड है जो मुगल सम्राट जहांगीर द्वारा 1620 ई.पू.

6 संबंधों: झेलम नदी, पानी का चश्मा, पुरातत्व स्थल, संस्कृत भाषा, कश्मीर, कश्मीरी भाषा

झेलम नदी

320px झेलम उत्तरी भारत में बहनेवाली एक नदी है। वितस्ता झेलम नदी का वास्तविक नाम है। कश्मीरी भाषा में इसे व्यथ कहते हैं। इसका उद्भव वेरीनाग नामी नगर में है। .

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पानी का चश्मा

अमेरिका के मिशिगन राज्य में स्थित मैकिनैक द्वीप पर एक चश्मा पानी का चश्मा ऐसी जगह को बोलते हैं जहाँ ज़मीन में बनी दरार या छेद से ज़मीन के भीतर के किसी जलाशय का पानी अनायास ही बाहर बहता रहता है। .

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पुरातत्व स्थल

पुरातत्व स्थल (archaeological site) ऐसे स्थान या स्थानों के समूह को बोलते हैं जहाँ इतिहास या प्रागैतिहास (प्रेईहिस्टरी) में बीती हुई घटनाओं व जीवन के चिह्न मिलें। इनका अध्ययन करना इतिहास मालूम करने के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और पुरातत्वशास्त्र (पुरातत्व स्थलों की छानबीन करना) इतिहास की एक जानीमानी शाखा है। .

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संस्कृत भाषा

संस्कृत (संस्कृतम्) भारतीय उपमहाद्वीप की एक शास्त्रीय भाषा है। इसे देववाणी अथवा सुरभारती भी कहा जाता है। यह विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है। संस्कृत एक हिंद-आर्य भाषा हैं जो हिंद-यूरोपीय भाषा परिवार का एक शाखा हैं। आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे, हिंदी, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बंजारों की रोमानी भाषा भी शामिल है। संस्कृत में वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ लिखे गये हैं। बौद्ध धर्म (विशेषकर महायान) तथा जैन मत के भी कई महत्त्वपूर्ण ग्रंथ संस्कृत में लिखे गये हैं। आज भी हिंदू धर्म के अधिकतर यज्ञ और पूजा संस्कृत में ही होती हैं। .

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कश्मीर

ये लेख कश्मीर की वादी के बारे में है। इस राज्य का लेख देखने के लिये यहाँ जायें: जम्मू और कश्मीर। एडवर्ड मॉलीनक्स द्वारा बनाया श्रीनगर का दृश्य कश्मीर (कश्मीरी: (नस्तालीक़), कॅशीर) भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे उत्तरी भौगोलिक क्षेत्र है। कश्मीर एक मुस्लिमबहुल प्रदेश है। आज ये आतंकवाद से जूझ रहा है। इसकी मुख्य भाषा कश्मीरी है। जम्मू और कश्मीर के बाक़ी दो खण्ड हैं जम्मू और लद्दाख़। .

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कश्मीरी भाषा

कश्मीरी भाषा एक भारतीय-आर्य भाषा है जो मुख्यतः कश्मीर घाटी तथा चेनाब घाटी में बोली जाती है। वर्ष २००१ की जनगणना के अनुसार भारत में इसके बोलने वालों की संख्या लगभग ५६ लाख है। पाक-अधिकृत कश्मीर में १९९८ की जनगणना के अनुसार लगभग १ लाख कश्मीरी भाषा बोलने वाले हैं। कश्मीर की वितस्ता घाटी के अतिरिक्त उत्तर में ज़ोजीला और बर्ज़ल तक तथा दक्षिण में बानहाल से परे किश्तवाड़ (जम्मू प्रांत) की छोटी उपत्यका तक इस भाषा के बोलने वाले हैं। कश्मीरी, जम्मू प्रांत के बानहाल, रामबन तथा भद्रवाह में भी बोली जाती है। प्रधान उपभाषा किश्तवाड़ की "कश्तवाडी" है। कश्मीर की भाषा कश्मीरी (कोशुर) है ये कश्मीर में वर्तमान समय में बोली जाने वाली भाषा है। कश्मीरी भाषा के लिए विभिन्न लिपियों का उपयोग किया गया है, जिसमें मुख्य लिपियां हैं- शारदा, देवनागरी, रोमन और परशो-अरबी है। कश्मीर वादी के उत्तर और पश्चिम में बोली जाने वाली भाषाएं - दर्ददी, श्रीन्या, कोहवाड़ कश्मीरी भाषा के उलट थीं। यह भाषा इंडो-आर्यन और हिंदुस्तानी-ईरानी भाषा के समान है। भाषाविदों का मानना ​​है कि कश्मीर के पहाड़ों में रहने वाले पूर्व नागावासी जैसे गंधर्व, यक्ष और किन्नर आदि,बहुत पहले ही मूल आर्यन से अलग हो गए। इसी तरह कश्मीरी भाषा को आर्य भाषा जैसा बनने में बहुत समय लगा। नागा भाषा स्वतः ही विकसित हुई है इस सब के बावजूद, कश्मीरी भाषा ने अपनी विशिष्ट स्वर शैली को बनाए रखा और 8 वीं-9 वीं शताब्दी में अन्य आधुनिक भारतीय भाषाओं की तरह, कई चरणों से गुजरना पड़ा। .

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