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विलुप्ति घटना

सूची विलुप्ति घटना

इस प्रकार के एस्टेरोइड घटना से भी धरती का विनाश हो सकता हैं। विलुप्ति घटना (extinction event) या महाविलुप्ति या सामूहिक विलुप्ति (mass extinction) एक विशेष प्रकार की घटना होती है जिसमें एक छोटे से काल में बहुत सी जातियाँ विलुप्त हो जाती हैं और पूरी पृथ्वी के सम्पूर्ण जीवन में कमी आती है।, A. Hallam, P. B. Wignall, Oxford University Press, 1997, ISBN 978-0-19-854916-1,...

8 संबंधों: ट्राइऐसिक-जुरैसिक विलुप्ति घटना, परवर्ती डेवोनियन विलुप्ति घटना, पर्मियन-ट्राइऐसिक विलुप्ति घटना, जाति (जीवविज्ञान), जीवाश्मविज्ञान, विलुप्ति, ऑर्डोविशी-सिल्यूरियन विलुप्ति घटनाएँ, क्रीटेशस-पैलियोजीन विलुप्ति घटना

ट्राइऐसिक-जुरैसिक विलुप्ति घटना

ट्राइऐसिक-जुरैसिक विलुप्ति घटना (Triassic–Jurassic extinction event) पृथ्वी के ट्राइऐसिक युग को जुरैसिक कल्प से अलग करती है और यह आज से लगभग २०.१३ करोड़ वर्ष पूर्व घटी। अनुमान लगाया जाता है कि इस विलुप्ति घटना में उस समय पृथ्वी पर रह रही जातियों में से ५०% या उस से भी अधिक हमेशा के लिये विलुप्त हो गई। अनुमान लगाया जाता है कि यह विलुप्ति घटना बहुत तेज़ी से घटी और १०,००० वर्षों के काल में यह जातियाँ विलुप्त हो चुकी थीं। यह माना जाता है कि इन विलुप्तियों से धरती पर कई पारिस्थितिक स्थान खुल गये जिसके कारण डायनासोरों को उभरकर विस्तृत होने का मौक़ा मिल गया। .

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परवर्ती डेवोनियन विलुप्ति घटना

परवर्ती डेवोनियन विलुप्ति घटनाएँ (Late Devonian extinction events) पृथ्वी के डिवोनी कल्प (Devonian period) के फ़ामेनियन काल (Famennian) कहलाए जाने वाले अंतिम चरण में हुई दो विलुप्ति घटनाओं को कहते हैं। पहली घटना इस काल के आरम्भ में और दूसरी इसके अंत में हुई थी। यह विलुप्तियाँ आज से लगभग ३७.५ से ३६.० करोड़ वर्ष पूर्व घटीं। इन घटनाओं में अनुमान लगाया जाता है कि, कुल मिलाकर १९% जीववैज्ञानिक कुल (families) और ५०% जीववैज्ञानिक वंश (genera) विनाशित हो गये। .

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पर्मियन-ट्राइऐसिक विलुप्ति घटना

पर्मियन-ट्राइऐसिक विलुप्ति घटना (Permian–Triassic extinction event) पृथ्वी के पेलियोज़ोइक (पुराजीवी) महाकल्प के पर्मियन कहलाने वाले अंतिम युग और उसके उपरांत आने वाले ट्राइऐसिक युग के बीच घटित विलुप्ति घटना को कहते हैं। आज से लगभग २५.२ करोड़ वर्ष पूर्व घटी इस महाविलुप्ति में पृथ्वी की लगभग ९६% समुद्री जीव जातियाँ और ज़मीन पर रहने वाली लगभग ७०% कशेरुकी (रीढ़-वाली) जीव जातियाँ हमेशा के लिये विलुप्त हो गई। यह पृथ्वी के अब तक के पूरे इतिहास की सब से भयंकर महाविलुप्ति रही है। यह पृथ्वी की इकलौती ज्ञात विलुप्ति घटना है जिसमें कीटों की भी सामूहिक विलुप्ति हुई। अनुमान लगाया जाता है कि, कुल मिलाकर ७०% जीववैज्ञानिक कुल (families) और ८३% जीववैज्ञानिक वंश (genera) विनाशित हो गये। इतने बड़े पैमाने पर जैव विविधता खोने के बाद पृथ्वी को फिर से पूरी तरह जीवों से परिपूर्ण होते हुए अन्य विलुप्ति घटनाओं की तुलना में अधिक समय लगा। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि विश्व में फिर जीव-संख्या और विविधता बनते-बनते १ करोड़ वर्ष लग गये। .

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जाति (जीवविज्ञान)

जाति (स्पीशीज़) जीववैज्ञानिक वर्गीकरण की सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी है जाति (अंग्रेज़ी: species, स्पीशीज़) जीवों के जीववैज्ञानिक वर्गीकरण में सबसे बुनियादी और निचली श्रेणी होती है। जीववैज्ञानिक नज़रिए से ऐसे जीवों के समूह को एक जाति बुलाया जाता है जो एक दुसरे के साथ संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो और जिनकी संतान स्वयं आगे संतान जनने की क्षमता रखती हो। उदाहरण के लिए एक भेड़िया और शेर आपस में बच्चा पैदा नहीं कर सकते इसलिए वे अलग जातियों के माने जाते हैं। एक घोड़ा और गधा आपस में बच्चा पैदा कर सकते हैं (जिसे खच्चर बुलाया जाता है), लेकिन क्योंकि खच्चर आगे बच्चा जनने में असमर्थ होते हैं, इसलिए घोड़े और गधे भी अलग जातियों के माने जाते हैं। इसके विपरीत कुत्ते बहुत अलग आकारों में मिलते हैं लेकिन किसी भी नर कुत्ते और मादा कुत्ते के आपस में बच्चे हो सकते हैं जो स्वयं आगे संतान पैदा करने में सक्षम हैं। इसलिए सभी कुत्ते, चाहे वे किसी नसल के ही क्यों न हों, जीववैज्ञानिक दृष्टि से एक ही जाति के सदस्य समझे जाते हैं।, Sahotra Sarkar, Anya Plutynski, John Wiley & Sons, 2010, ISBN 978-1-4443-3785-3,...

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जीवाश्मविज्ञान

जीवाश्मिकी या जीवाश्म विज्ञान या पैलेन्टोलॉजी (Paleontology), भौमिकी की वह शाखा है जिसका संबंध भौमिकीय युगों के उन प्राणियों और पादपों के अवशेषों से है जो अब भूपर्पटी के शैलों में ही पाए जाते हैं। जीवाश्मिकी की परिभाषा देते हुए ट्वेब होफ़ेल और आक ने लिखा है: जीवाश्मिकी वह विज्ञान है, जो आदिम पौधें तथा जंतुओं के अश्मीभूत अवशेषों द्वारा प्रकट भूतकालीन भूगर्भिक युगों के जीवनकी व्याख्या करता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि जीवाश्म विज्ञान आदिकालीन जीवजंतुओं का, उने अश्मीभूत अवशेषों के आधार पर अध्ययन करता है। जीवाश्म शब्द से ही यह इंगित होता है कि जीव + अश्म (अश्मीभूत जीव) का अध्ययन है। अँग्रेजी का Palaentology शब्द भी Palaios .

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विलुप्ति

मॉरीशस का डोडो पक्षी मानव शिकार के कारण विलुप्त हो गया जीव विज्ञान में विलुप्ति (extinction) उस घटना को कहते हैं जब किसी जीव जाति का अंतिम सदस्य मर जाता है और फिर विश्व में उस जाति का कोई भी जीवित जीव अस्तित्व में नहीं होता। अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि किसी जीव का प्राकृतिक वातावरण बदल जाता है और उसमें इन बदली परिस्थितियों में पनपने और जीवित रहने की क्षमता नहीं होती। अंतिम सदस्य की मृत्यु के साथ ही उस जाति में प्रजनन द्वारा वंश वृद्धि की संभावनाएँ समाप्त हो जाती हैं। पारिस्थितिकी में कभी कभी विलुप्ति शब्द का प्रयोग क्षेत्रीय स्तर पर किसी जीव प्रजाति की विलुप्ति से भी लिया जाता है। अध्ययन से पता चला है कि अपनी उत्पत्ति के औसतन १ करोड़ वर्ष बाद जाति विलुप्त हो जाती है, हालांकि कुछ जातियाँ दसियों करोड़ों वर्षों तक जारी रहती हैं। पृथ्वी पर मानव के विकसित होने से पहले विलुप्तियाँ प्राकृतिक वजहों से हुआ करती थीं। माना जाता है कि पूरे इतिहास में जितनी भी जातियाँ पृथ्वी पर उत्पन्न हुई हैं उनमें से लगभग ९९.९% विलुप्त हो चुकी हैं।, Denise Walker, Evans Brothers, 2006, ISBN 978-0-237-53010-5,...

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ऑर्डोविशी-सिल्यूरियन विलुप्ति घटनाएँ

ऑर्डोविशी-सिल्यूरियन विलुप्ति घटनाएँ (Ordovician–Silurian extinction events), जिन्हें ऑर्डोविशी विलुप्ति (Ordovician extinction) भी कहते हैं, आज से ४४.७ से ४४.३ करोड़ वर्ष पूर्व हुई दो घटनाओं का क्रम था जिसमें पृथ्वी के समुद्रों में रहने वाली ६०% अकशेरुकी (बिना रीढ़ की हड्डियों वाली) जातियाँ हमेशा के लिये विलुप्त हो गई। ध्यान दें कि वैज्ञानिकों के अनुसार उस काल में पृथ्वी पर जीवन केवल समुद्रों में ही उपस्थित था। अनुमान है कि यह दो विलुप्ति घटनाएँ एक-दूसरे से ४० लाख सालों के अंतराल में हुईं। ऑर्डोविशी-सिल्यूरियन विलुप्ति घटनाएँ ऑर्डोविशी कल्प को सिल्यूरियन काल से अलग करतीं हैं। .

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क्रीटेशस-पैलियोजीन विलुप्ति घटना

एक क्षुद्रग्रह के पृथ्वी पर प्रहार का काल्पनिक चित्रण अमेरिका में मिला यह पत्थर के-टी सीमा साफ़​ दर्शाता है - बीच की पतली परत में पत्थर के ऊपरी व निचले हिस्सों से १००० गुना अधिक मात्रा में इरिडियम है क्रीटेशस-पैलियोजीन विलुप्ति घटना (Cretaceous–Paleogene extinction event), जिसे क्रीटेशस-टरश्यरी विलुप्ति (Cretaceous–Tertiary extinction) भी कहते हैं, आज से लगभग ६.६ करोड़ साल पूर्व गुज़रा वह घटनाक्रम है जिसमें बहुत तेज़ी से पृथ्वी की तीन-चौथाई वनस्पति व जानवर जातियाँ हमेशा के लिये विलुप्त हो गई। सूक्ष्म रूप से इसे "के-टी विलुप्ति" (K–T extinction) या "के-पीजी विलुप्ति" (K–Pg extinction) भी कहा जाता है। इस घटना के साथ पृथ्वी के प्राकृतिक​ इतिहास के मध्यजीवी महाकल्प (Mesozoic Era, मीसोज़ोइक महाकल्प) का चाकमय कल्प (Cretaceous Period, क्रीटेशस काल) नामक अंतिम चरण ख़त्म हुआ और नूतनजीव महाकल्प (Cenozoic Era, सीनोज़ोइक महाकल्प) आरम्भ हुआ, जो कि आज तक जारी है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

महाविलुप्ति घटनाओं, विलुप्ति घटनाएँ, सामूहिक विलुप्ति

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