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वाहितमल उपचार

सूची वाहितमल उपचार

मलजल प्रशोधन का उद्देश्य - समुदायों के लिए कोई मुसीबत पैदा किए बिना या नुकसान पहुंचाए बिना निषकासनयोग्य उत्प्रवाही जल को उत्पन्न करना और प्रदूषण को रोकना है।1 मलजल प्रशोधन, या घरेलू अपशिष्ट जल प्रशोधन, अपवाही (गन्दा जल) और घरेलू दोनों प्रकार के अपशिष्ट जल और घरेलू मलजल से संदूषित पदार्थों को हटाने की प्रक्रिया है। इसमें भौतिक, रासायनिक और जैविक संदूषित पदार्थों को हटाने की भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाएं शामिल हैं। इसका उद्देश्य एक अपशिष्ट प्रवाह (या प्रशोधित गन्दा जल) और एक ठोस अपशिष्ट या कीचड़ का उत्पादन करना है जो वातावरण में निर्वहन या पुनर्प्रयोग के लिए उपयुक्त होता है। यह सामग्री अक्सर अनजाने में कई विषाक्त कार्बनिक और अकार्बनिक यौगिकों से संदूषित हो जाती है। .

68 संबंधों: चूना पत्थर, एल्युमिनियम, तेल, तेहरान, दक्षिण अमेरिका, नदी, नाइट्रेट, नाइट्रोजन, नाइट्रीकरण, नील हरित शैवाल, परमाणु, पराबैंगनी, पशुपालन, पारिस्थितिकी, पंक, प्रजीवगण, पीने का पानी, फास्फोरस, बायोगैस, ब्रिटिश कोलम्बिया, भस्मीकरण, मध्य पूर्व, मिथेन, मुम्बई, मृदा, मेथेनॉल, रेडॉक्स, लवण, लैगून, लोहा, शर्करा, शैवाल, साबुनीकरण, सिंचाई, स्वदेशी, सूक्ष्मजीव, हाथी, हार्मोन, हाइड्रोजन सल्फाइड, जर्मनी, जलजीवशाला, जीवाणु, ईरान, विभवांतर, विषाणु, विषविज्ञान, वेनेज़ुएला, खाड़ी, गंगा नदी, ऑक्सीजन, ..., ओज़ोन, आनुवंशिकी, इंग्लैण्ड, कार्बन, कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बनिक यौगिक, किण्वन, क्लोरीन, कैलगरी, कोक, अपजल, अमोनिया, अल्बर्टा, अवायवीय अपघटन, अवक्षेपण, उत्तर अमेरिका, उप-सहारा अफ़्रीका, उर्वरक सूचकांक विस्तार (18 अधिक) »

चूना पत्थर

thumb चूना पत्थर (Limestone) एक अवसादी चट्टान है जो, मुख्य रूप से कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) के विभिन्न क्रिस्टलीय रूपों जैसे कि खनिज केल्साइट और/या एरेगोनाइट से मिलकर बनी होती है। चूना पत्थर वस्तुत: कैलसियम कार्बोनेट है, पर इसमें सिलिका, ऐल्यूमिना और लोहे इत्यादि सदृश अपद्रव्य अंतर्मिश्रित रहते हैं। गृहनिर्माण के लिये चूनापत्थर बहुत अच्छा होता है और भारत के विभिन्न भागों की स्तरित चट्टानों से सुविधापूर्वक यह उत्खनित होता है। चूना पत्थर अनेक किस्मों में उपलब्ध है। यह रंग, विन्यास, कठोरता और टिकाऊपन में विभिन्न गुणों का होता है। सघन कणवाले गहन ओर मणिभीय पत्थर गृहनिर्माण के लिये उत्कृष्ट होते हैं। ये कार्यसाधक, दृढ़ और टिकाऊ होते हैं। चूना पत्थर पर तनु अम्ल की क्रिया बड़ी सरलता से होती है, अत: औद्योगिक नगरों के निकट गृहनिर्माण के लिये यह पत्थर ठीक नहीं होता। बनावट और अन्य गुणों की विभिन्नता के कारण चूना पत्थर की दृढ़ता विभिन्न होती है। इसलिये गृहनिर्माण के पूर्व पत्थर की परीक्षा कर लेनी चाहिए। बहुत बड़ी मात्रा में चूना पत्थर का चूने के निर्माण में उपयोग होता है। १०० किलोग्राम चूने के पत्थर से लगभग ६५ किलोग्राम चूना प्राप्त होता है। शुद्ध चूना पत्थर या खड़िया से, जिसमें छ: प्रतिशत से अधिक सिलिका, ऐल्यूमिना तथा अन्य अपद्रव्य न हों, उत्कृष्ट चूना प्राप्त होता है। चार से सात प्रतिशत संयुक्त सिलिका ऐल्यूमिना वाले मिट्टीयुक्त चूना पत्थर से मध्यम श्रेणी का जलचूना और ११-२५ प्रतिशत संयुक्त सिलिकावाले चूनापत्थर से सर्वोत्कृष्ट श्रेणी का जलचूना प्राप्त होता है। .

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एल्युमिनियम

एलुमिनियम एक रासायनिक तत्व है जो धातुरूप में पाया जाता है। यह भूपर्पटी में सबसे अधिक मात्रा में पाई जाने वाली धातु है। एलुमिनियम का एक प्रमुख अयस्क है - बॉक्साईट। यह मुख्य रूप से अलुमिनियम ऑक्साईड, आयरन आक्साईड तथा कुछ अन्य अशुद्धियों से मिलकर बना होता है। बेयर प्रक्रम द्वारा इन अशुद्धियों को दूर कर दिया जाता है जिससे सिर्फ़ अलुमिना (Al2O3) बच जाता है। एलुमिना से विद्युत अपघटन द्वारा शुद्ध एलुमिनियम प्राप्त होता है। एलुमिनियम धातु विद्युत तथा ऊष्मा का चालक तथा काफ़ी हल्की होती है। इसके कारण इसका उपयोग हवाई जहाज के पुर्जों को बनाने में किया जाता है। भारत में जम्मू कश्मीर, मुंबई, कोल्हापुर, जबलपुर, रांची, सोनभद्र, बालाघाट तथा कटनी में बॉक्साईट के विशाल भंडार पाए जाते है। उड़ीसा स्थित नाल्को (NALCO) दुनिया की सबसे सस्ती अलुमिनियम बनाने वाली कम्पनी है। .

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तेल

तेल से तात्पर्य निम्नलिखित वस्तुओं से होता है-.

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तेहरान

ईरान के जिले तेहरान (फारसी: تهران) ईरान ईरान के तेहरान प्रान्त का एक शहर और ईरान की राजधानी है। इस शहर की जनसंख्या वर्ष २००६ की जनगणना के अनुसार ७,७९७,५२० है। स्थिति: 35°44' उo अo तथा 51°30' पूo देo। यह नगर ईरान देश तथा तेहरान प्रदेश की राजधानी और एक महत्वपूर्ण औद्योगिक, सांस्कृतिक एवं रेल, सड़क तथा वायुमार्गों का केन्द्र है। समुद्रतल से 1,175 मीटर की ऊँचाई पर कैस्पियन सागर से 105 किलोमीटर दक्षिण तथा एलबुर्ज पर्वत श्रेणी से 16 किलोमीटर दक्षिण स्थित है। इस नगर से डेमावंड पर्वत नामक सुप्त ज्वालामुखी (5,665 मीटर) की हिमाच्छादित नुकीली चोटी दिखाई देती है। यहाँ के दर्शनीय भवनों में राजभवन, संग्रहालय, मस्जिदें इत्यादि हैं। राजभवन में वह मयूरसिंहासन है, जो 1939 ईo में नादिरशाह द्वारा दिल्ली से लाया गया था। कजार वंश के संस्थापक आग़ा मुहम्मद खान ने 1788 ईo में इस नगर को अपनी राजधानी बनाया। तत्पश्चात्‌ नगर का विकास तीव्र गति से होता गया। यह उपजाऊ खेतिहर प्रदेश में स्थित है, जहाँ गेहूँ, चुकंदर, फल तथा कपास उत्पादन महत्वपूर्ण है। कपड़ा, सीमेंट, धातु का सामान, रासायनिक पदार्थ, काच, चीनी, दियासलाई, सिगरेट, साबुन इत्यादि के उद्योग मुख्य हैं। यह फारस की खाड़ी तथा कैस्पियन सागर से रेलमार्गों द्वारा जुड़ा है। नगर से 5.6 मिलोमीटर पश्चिम में हराबाद हवाई अड्डा स्थित है, जहाँ से कई विदेशी वायुमार्ग गुज़रते हैं। 1935 ईo से स्थापित तेहरान विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का केन्द्र है। .

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दक्षिण अमेरिका

दक्षिण अमेरिका (स्पेनी: América del Sur; पुर्तगाली: América do Sul) उत्तर अमेरिका के दक्षिण पूर्व में स्थित पश्चिमी गोलार्द्ध का एक महाद्वीप है। दक्षिणी अमेरिका उत्तर में १३० उत्तरी अक्षांश (गैलिनस अन्तरीप) से दक्षिण में ५६० दक्षिणी अक्षांश (हार्न अन्तरीप) तक एवं पूर्व में ३५० पश्चिमी देशान्तर (रेशिको अन्तरीप) से पश्चिम में ८१० पश्चिमी देशान्तर (पारिना अन्तरीप) तक विस्तृत है। इसके उत्तर में कैरीबियन सागर तथा पनामा नहर, पूर्व तथा उत्तर-पूर्व में अन्ध महासागर, पश्चिम में प्रशान्त महासागर तथा दक्षिण में अण्टार्कटिक महासागर स्थित हैं। भूमध्य रेखा इस महाद्वीप के उत्तरी भाग से एवं मकर रेखा मध्य से गुजरती है जिसके कारण इसका अधिकांश भाग उष्ण कटिबन्ध में पड़ता है। दक्षिणी अमेरिका की उत्तर से दक्षिण लम्बाई लगभग ७,२०० किलोमीटर तथा पश्चिम से पूर्व चौड़ाई ५,१२० किलोमीटर है। विश्व का यह चौथा बड़ा महाद्वीप है, जो आकार में भारत से लगभग ६ गुना बड़ा है। पनामा नहर इसे पनामा भूडमरुमध्य पर उत्तरी अमरीका महाद्वीप से अलग करती है। किंतु पनामा देश उत्तरी अमरीका में आता है। ३२,००० किलोमीटर लम्बे समुद्रतट वाले इस महाद्वीप का समुद्री किनारा सीधा एवं सपाट है, तट पर द्वीप, प्रायद्वीप तथा खाड़ियाँ कम हैं जिससे अच्छे बन्दरगाहों का अभाव है। खनिज तथा प्राकृतिक सम्पदा में धनी यह महाद्वीप गर्म एवं नम जलवायु, पर्वतों, पठारों घने जंगलों तथा मरुस्थलों की उपस्थिति के कारण विकसित नहीं हो सका है। यहाँ विश्व की सबसे लम्बी पर्वत-श्रेणी एण्डीज पर्वतमाला एवं सबसे ऊँची टीटीकाका झील हैं। भूमध्यरेखा के समीप पेरू देश में चिम्बोरेजो तथा कोटोपैक्सी नामक विश्व के सबसे ऊँचे ज्वालामुखी पर्वत हैं जो लगभग ६,०९६ मीटर ऊँचे हैं। अमेजन, ओरीनिको, रियो डि ला प्लाटा यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं। दक्षिण अमेरिका की अन्य नदियाँ ब्राज़ील की साओ फ्रांसिस्को, कोलम्बिया की मैगडालेना तथा अर्जेण्टाइना की रायो कोलोरेडो हैं। इस महाद्वीप में ब्राज़ील, अर्जेंटीना, चिली, उरुग्वे, पैराग्वे, बोलिविया, पेरू, ईक्वाडोर, कोलोंबिया, वेनेज़ुएला, गुयाना (ब्रिटिश, डच, फ्रेंच) और फ़ाकलैंड द्वीप-समूह आदि देश हैं। .

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नदी

भागीरथी नदी, गंगोत्री में नदी भूतल पर प्रवाहित एक जलधारा है जिसका स्रोत प्रायः कोई झील, हिमनद, झरना या बारिश का पानी होता है तथा किसी सागर अथवा झील में गिरती है। नदी शब्द संस्कृत के नद्यः से आया है। संस्कृत में ही इसे सरिता भी कहते हैं। नदी दो प्रकार की होती है- सदानीरा या बरसाती। सदानीरा नदियों का स्रोत झील, झरना अथवा हिमनद होता है और वर्ष भर जलपूर्ण रहती हैं, जबकि बरसाती नदियाँ बरसात के पानी पर निर्भर करती हैं। गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, अमेज़न, नील आदि सदानीरा नदियाँ हैं। नदी के साथ मनुष्य का गहरा सम्बंध है। नदियों से केवल फसल ही नहीं उपजाई जाती है बल्कि वे सभ्यता को जन्म देती हैं अपितु उसका लालन-पालन भी करती हैं। इसलिए मनुष्य हमेशा नदी को देवी के रूप में देखता आया है। .

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नाइट्रेट

नाइट्रेट (nitrate) कार्बन और नाइट्रोजन तत्वों का बना एक ऋणायन (निगेटिव आवेश वाला आयन) होता है। इसका रासायनिक सूत्र NO3− है। यह अमोनियम नाइट्रेट जैसे कई रासायनिक यौगिकों (कम्पाउंड) का अंश है। धातुओं अथवा उनके ऑक्साइड पर नाइट्रिक अम्ल की अभिक्रिया द्वारा उत्पन्न लवणों को नाइट्रेट कहते हैं। सामान्य ताप पर नाइट्रेट ठोस क्रिस्टल होते हैं। अधिकतर नाइट्रेट श्वेत रंग के पदार्थ हैं, परंतु कुछ जलीय नाइट्रेट (जैसे कोबाल्ट, निकेल, ताम्र नाइट्रेट) रंगीन भी होते हैं। गरम करने पर इनका विघटन हो जाता है। सामान्यत: नाइट्रेट जल में विलेय होते हैं। अनेक नाइट्रेट वायुमंडल से जलवाष्प का अवशोषण कर लेते हैं। इन्हें आर्द्रताग्राही (hygroscopic) पदार्थ कहते हैं। गरम करने पर विघटन द्वारा नाइट्रेट की कुछ मात्रा ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाती है और उससे नाइट्रिक अम्ल मुक्त होता है। क्षारीय विलयन में नाइट्रेट का ऐल्यूमिनियम अथवा जिंक द्वारा अपचयन हो जाता है। इस क्रिया का उपयोग नाइट्रेट के मात्रात्मक परिमापनों (quantitative measurements) में किया जाता है। .

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नाइट्रोजन

नाइट्रोजन (Nitrogen), भूयाति या नत्रजन एक रासायनिक तत्व है जिसका प्रतीक N है। इसका परमाणु क्रमांक 7 है। सामान्य ताप और दाब पर यह गैस है तथा पृथ्वी के वायुमण्डल का लगभग 78% नाइट्रोजन ही है। यह सर्वाधिक मात्रा में तत्व के रूप में उपलब्ब्ध पदार्थ भी है। यह एक रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन और प्रायः अक्रिय गैस है। इसकी खोज 1772 में स्कॉटलैण्ड के वैज्ञनिक डेनियल रदरफोर्ड ने की थी। आवर्त सारणी के १५ वें समूह का प्रथम तत्व है। नाइट्रोजन का रसायन अत्यंत मनोरंजक विषय है, क्योंकि समस्त जैव पदार्थों में इस तत्व का आवश्यक स्थान है। इसके दो स्थायी समस्थानिक, द्रव्यमान संख्या 14, 15 ज्ञात हैं तथा तीन अस्थायी समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 13, 16, 17) भी बनाए गए हैं। नाइट्रोजन तत्व की पहचान सर्वप्रथम 1772 ई. में रदरफोर्ड और शेले ने स्वतंत्र रूप से की। शेले ने उसी वर्ष यह स्थापित किया कि वायु में मुख्यत: दो गैसें उपस्थित हैं, जिसमें एक सक्रिय तथा दूसरी निष्क्रिय है। तभी प्रसिद्ध फ्रांसीसी वैज्ञानिक लाव्वाज़्ये ने नाइट्रोजन गैस को ऑक्सीजन (सक्रिय अंश) से अलग कर इसका नाम 'ऐजोट' रखा। 1790 में शाप्टाल (Chaptal) ने इसे नाइट्रोजन नाम दिया। .

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नाइट्रीकरण

नाइट्रोजन चक्र नाइट्रीकरण जैव रासायनिक क्रिया है, इसमें अमोनिया के आक्सीकरण से नाइट्राइट एवं नाइट्रेट बनते हैं। यह नाइट्रोजन चक्र की एक महत्वपूर्ण अवस्था है। सर्वप्रथम नाइट्राइट जीवाणु नाइट्रोसोमोनास एवं नाइट्रोकॉकस अमोनिया का ऑक्सीकरण नाइट्राइट (NO2) में करते हैं। उसके पश्चात नाइट्रेट जीवाणु-नाइट्रोबैक्टर नाइट्राइट का परिवर्तन नाइट्रेट में करते हैं। यह नाइट्रेट फिर पादपों द्वारा भूमि से जड़ों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है और इस प्रकार नाइट्रोजन आहार शृंखला में प्रवेश करता है। नाइट्रीकरण की क्रिया दो समूह के जीवों द्वारा होती है, अमोनिया का आक्सीकरण करने वाले जीवाणु तथा अमोनिया का आक्सीकरण करने वाले आर्किया .

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नील हरित शैवाल

नील हरित शैवाल (अंग्रेज़ी:ब्लू-ग्रीन ऐल्गी, सायनोबैक्टीरिया) एक जीवाणु फायलम होता है, जो प्रकाश संश्लेषण से ऊर्जा उत्पादन करते हैं। यहां जीवाणु के नीले रंग के कारण इसका नाम सायनो (यूनानी:κυανός अर्थात नीला) से पड़ा है। नील हरित काई वायुमंडलीय नाइट्रोजन यौगिकीकरण कर, धान के फसल को आंशिक मात्रा में की नाइट्रोजन पूर्ति करता है। यह जैविक खाद नत्रजनधारी रासायनिक उर्वरक का सस्ता व सुलभ विकल्प है जो धान के फसल को, न सिर्फ 25-30 किलो ग्राम नत्रजन प्रति हैक्टेयर की पूर्ति करता है, बल्कि उस धान के खेत में नील हरित काई के अवशेष से बने सेन्द्रीय खाद के द्वारा उसकी गुणवत्ता व उर्वरता कायम रखने में मददगार साबित होती है। .

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परमाणु

एक परमाणु किसी भी साधारण से पदार्थ की सबसे छोटी घटक इकाई है जिसमे एक रासायनिक तत्व के गुण होते हैं। हर ठोस, तरल, गैस, और प्लाज्मा तटस्थ या आयनन परमाणुओं से बना है। परमाणुओं बहुत छोटे हैं; विशिष्ट आकार लगभग 100 pm (एक मीटर का एक दस अरबवें) हैं। हालांकि, परमाणुओं में अच्छी तरह परिभाषित सीमा नहीं होते है, और उनके आकार को परिभाषित करने के लिए अलग अलग तरीके होते हैं जोकि अलग लेकिन काफी करीब मूल्य देते हैं। परमाणुओं इतने छोटे है कि शास्त्रीय भौतिकी इसका काफ़ी गलत परिणाम देते हैं। हर परमाणु नाभिक से बना है और नाभिक एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन्स से सीमित है। नाभिक आम तौर पर एक या एक से अधिक न्यूट्रॉन और प्रोटॉन की एक समान संख्या से बना है। प्रोटान और न्यूट्रान न्यूक्लिऑन कहलाता है। परमाणु के द्रव्यमान का 99.94% से अधिक भाग नाभिक में होता है। प्रोटॉन पर सकारात्मक विद्युत आवेश होता है, इलेक्ट्रॉन्स पर नकारात्मक विद्युत आवेश होता है और न्यूट्रान पर कोई भी विद्युत आवेश नहीं होता है। एक परमाणु के इलेक्ट्रॉन्स इस विद्युत चुम्बकीय बल द्वारा एक परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन की ओर आकर्षित होता है। नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन एक अलग बल, यानि परमाणु बल के द्वारा एक दूसरे को आकर्षित करते है, जोकि विद्युत चुम्बकीय बल जिसमे सकारात्मक आवेशित प्रोटॉन एक दूसरे से पीछे हट रहे हैं, की तुलना में आम तौर पर शक्तिशाली है। परमाणु के केन्द्र में नाभिक (न्यूक्लिअस) होता है जिसका घनत्व बहुत अधिक होता है। नाभिक के चारो ओर ऋणात्मक आवेश वाले एलेक्ट्रान चक्कर लगाते रहते हैं जिसको एलेक्ट्रान घन (एलेक्ट्रान क्लाउड) कहते हैं। नाभिक, धनात्मक आवेश वाले प्रोटानों एवं अनावेशित (न्यूट्रल) न्यूट्रानों से बना होता है। जब किसी परमाणु में एलेक्ट्रानों की संख्या उसके नाभिक में स्थित प्रोटानों की संख्या के समान होती है तब परमाणु वैद्युकीय दृष्टि से अनावेशित होता है; अन्यथा परमाणु धनावेशित या ऋणावेशित ऑयन के रूप में होता है। आधुनिक रसायनशास्त्र में शताधिक मूल भूत माने गए हैं, जिनमें से कुछ तो धातुएँ हैं जैसे ताँबा, सोना, लोहा, सीसा, चाँदी, राँगा, जस्ता; कुछ और खनिज हैं, जैसे, गंधक, फासफरस, पोटासियम, अंजन, पारा, हड़ताल, तथा कुछ गैस हैं, जैसे, आक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन आदि। इन्हीं मूल भूतों के अनुसार परमाणु आधुनिक रसायन में माने जाते हैं। पहले समझा जाता था कि ये अविभाज्य हैं। अब इनके भी टुकड़े कर दिए गए हैं। नाभिक में प्रोटॉन की संख्या किसी रासायनिक तत्व को परिभाषित करता है: जैसे सभी तांबा के परमाणु में 29 प्रोटॉन होते हैं। न्यूट्रॉन की संख्या तत्व के समस्थानिक को परिभाषित करता है। इलेक्ट्रॉनों की संख्या एक परमाणु के चुंबकीय गुण को प्रभावित करता है। परमाणु अणु के रूप में रासायनिक यौगिक बनाने के लिए रासायनिक आबंध द्वारा एक या अधिक अन्य परमाणुओं को संलग्न कर सकते हैं। परमाणु की संघटित और असंघटित करने की क्षमता प्रकृति में हुए बहुत से भौतिक परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है, और रसायन शास्त्र के अनुशासन का विषय है। .

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पराबैंगनी

सौर्य एवं हैलियोस्फेरिक वेधशाला (SOHO) अंतरिक्ष वाहन से लिया गया था। पृथ्वी की पराबैंगनी छायांकन, जो कि चंद्रमा से अपोलो 16 अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा लिया गया था पराबैंगनी किरण (पराबैंगनी लिखीं जाती हैं) एक प्रकार का विद्युत चुम्बकीय विकिरण हैं, जिनकी तरंग दैर्घ्य प्रत्यक्ष प्रकाश से छोटी हो एवं कोमल एक्स किरण से अधिक हो। इनकी ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि, इनका वर्णक्रम लिए होता है विद्युत चुम्बकीय तरंग जिनकी आवृत्ति मानव द्वारा दर्शन योग्य बैंगनी वर्ण से ऊपर होती हैं।परा का मतलब होता है कि इस से अधिक अर्थात बैगनी से अधिक आवृत्ति की तरंग। .

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पशुपालन

भेड़ें और पशु चर रहे हैं। पशुपालन कृषि विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पालतू पशुओं के विभिन्न पक्षों जैसे भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य, प्रजनन आदि का अध्ययन किया जाता है। पशुपालन का पठन-पाठन विश्व के विभिन्न विश्वविद्यालयों में एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में किया जा रहा है। .

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पारिस्थितिकी

260 px 95px 173px 115px 125px पारिस्थितिकी का वैज्ञानिक साम्राज्य वैश्विक प्रक्रियाओं (ऊपर), से सागरीय एवं पार्थिव सतही प्रवासियों (मध्य) से लेकर अन्तर्विशःइष्ट इंटरैक्शंस जैसे प्रिडेशन एवं परागण (नीचे) तक होता है। पारिस्थितिकी (अंग्रेज़ी:इकोलॉजी) जीवविज्ञान की एक शाखा है जिसमें जीव समुदायों का उसके वातावरण के साथ पारस्परिक संबंधों का अध्ययन करतें हैं। प्रत्येक जन्तु या वनस्पति एक निशिचत वातावरण में रहता है। पारिस्थितिज्ञ इस तथ्य का पता लगाते हैं कि जीव आपस में और पर्यावरण के साथ किस तरह क्रिया करते हैं और वह पृथ्वी पर जीवन की जटिल संरचना का पता लगाते हैं।। हिन्दुस्तान लाइव। २ मई २०१०। पारिस्थितिकी को एन्वायरनमेंटल बायोलॉजी भी कहा जाता है। इस विषय में व्यक्ति, जनसंख्या, समुदायों और इकोसिस्टम का अध्ययन होता है। इकोलॉजी अर्थात पारिस्थितिकी (जर्मन: Oekologie) शब्द का प्रथम प्रयोग १८६६ में जर्मन जीववैज्ञानिक अर्नेस्ट हैकल ने अपनी पुस्तक "जनरेल मोर्पोलॉजी देर ऑर्गैनिज़्मेन" में किया था। बीसवीं सदी के आरम्भ में मनुष्य और उसके पर्यावरण के बीच संबंधों पर अध्ययन प्रारंभ हुआ और एक साथ कई विषयों में इस ओर ध्यान दिया गया। परिणामस्वरूप मानव पारिस्थितिकी की संकलपना आयी। प्राकृतिक वातावरण बेहद जटिल है इसलिए शोधकर्ता अधिकांशत: किसी एक किस्म के प्राणियों की नस्ल या पौधों पर शोध करते हैं। उदाहरण के लिए मानवजाति धरती पर निर्माण करती है और वनस्पति पर भी असर डालती है। मनुष्य वनस्पति का कुछ भाग सेवन करते हैं और कुछ भाग बिल्कुल ही अनोपयोगी छोड़ देते हैं। वे पौधे लगातार अपना फैलाव करते रहते हैं। बीसवीं शताब्दी सदी में ये ज्ञात हुआ कि मनुष्यों की गतिविधियों का प्रभाव पृथ्वी और प्रकृति पर सर्वदा सकारात्मक ही नहीं पड़ता रहा है। तब मनुष्य पर्यावरण पर पड़ने वाले गंभीर प्रभाव के प्रति जागरूक हुए। नदियों में विषाक्त औद्योगिक कचरे का निकास उन्हें प्रदूषित कर रहा है, उसी तरह जंगल काटने से जानवरों के रहने का स्थान खत्म हो रहा है। पृथ्वी के प्रत्येक इकोसिस्टम में अनेक तरह के पौधे और जानवरों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनके अध्ययन से पारिस्थितिज्ञ किसी स्थान विशेष के इकोसिस्टम के इतिहास और गठन का पता लगाते हैं। इसके अतिरिक्त पारिस्थितिकी का अध्ययन शहरी परिवेश में भी हो सकता है। वैसे इकोलॉजी का अध्ययन पृथ्वी की सतह तक ही सीमित नहीं, समुद्री जनजीवन और जलस्रोतों आदि पर भी यह अध्ययन किया जाता है। समुद्री जनजीवन पर अभी तक अध्ययन बहुत कम हो पाया है, क्योंकि बीसवीं शताब्दी में समुद्री तह के बारे में नई जानकारियों के साथ कई पुराने मिथक टूटे और गहराई में अधिक दबाव और कम ऑक्सीजन पर रहने वाले जीवों का पता चला था। .

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पंक

पंक (mud) पानी और धूल का मिश्रण होती है। नदी या तालाब के तल की मिट्टी को त्वचा के लिए स्वास्थ्य और सौंदर्यवर्धक माना गया है। इसमें से भी मुल्तानी मिट्टी सर्वश्रेष्ठ समझी जाती है। आयुर्वेद में अनेक उपचारों में शरीर पर इसके लेप का विधान है। इसको सृष्टि की रचना और शरीर की रचना में प्रयुक्त 5 तत्वों में से एक समझा जाता है। .

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प्रजीवगण

प्रजीवगण (प्रोटोज़ोआ) एक एककोशिकीय जीव है। इनकी कोशिका प्रोकैरियोटिक प्रकार की होती है। ये साधारण सूक्ष्मदर्शी यंत्र से आसानी से देखे जा सकते हैं। कुछ प्रोटोज़ोआ जन्तुओं या मनुष्य में रोग उत्पन्न करते हैं, उन्हे रोगकारक प्रोटोज़ोआ कहते हैं। श्रेणी:प्रोटोज़ोआ श्रेणी:मलेरिया.

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पीने का पानी

नल का पानी पीने का पानी या पीने योग्य पानी, समुचित रूप से उच्च गुणवत्ता वाला पानी होता है जिसका तत्काल या दीर्घकालिक नुकसान के न्यूनतम खतरे के साथ सेवन या उपयोग किया जा सकता है। अधिकांश विकसित देशों में घरों, व्यवसायों और उद्योगों में जिस पानी की आपूर्ति की जाती है वह पूरी तरह से पीने के पानी के स्तर का होता है, लेकिन वास्तविकता में इसके एक बहुत ही छोटे अनुपात का उपयोग सेवन या खाद्य सामग्री तैयार करने में किया जाता है। दुनिया के ज्यादातर बड़े हिस्सों में पीने योग्य पानी तक लोगों की पहुंच अपर्याप्त होती है और वे बीमारी के कारकों, रोगाणुओं या विषैले तत्वों के अस्वीकार्य स्तर या मिले हुए ठोस पदार्थों से संदूषित स्रोतों का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह का पानी पीने योग्य नहीं होता है और पीने या भोजन तैयार करने में इस तरह के पानी का उपयोग बड़े पैमाने पर त्वरित और दीर्घकालिक बीमारियों का कारण बनता है, साथ ही कई देशों में यह मौत और विपत्ति का एक प्रमुख कारण है। विकासशील देशों में जलजनित रोगों को कम करना सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक प्रमुख लक्ष्य है। सामान्य जल आपूर्ति नेटवर्क पीने योग्य पानी नल से उपलब्ध कराते हैं, चाहे इसका उपयोग पीने के लिए या कपड़े धोने के लिए या जमीन की सिंचाई के लिए किया जाना हो.

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फास्फोरस

‎भास्वर (फ़ॉस्फ़ोरस) एक रासायनिक तत्व है जिसका संकेत या P है तथा परमाणु संख्या 15। यह शब्द ग्रीक (यूनानी) भाषा के फॉस (प्रकाश) तथा फोरस (धारक) से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ हुआ प्रकाश का धारक। ये फॉस्फेट चट्टानों में पाया जाता है। इसकी संयोजकता 1, 3 और 5 होती है। तत्वों की आवर्त सारणी में ये भूयाति के समूह में आता है। ‎फ़ॉस्फ़ोरस एक अभिक्रियाशील तत्व है इसकारण ये मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है। कुछ खनिजों में धातुओं के फॉस्फेट मिलते हैं। पशुओं की हड्डियों में 56% कैल्शियम फॉस्फेट पाया जाता है। जन्तुओं तथा पौधों के लिए यह एक अनिवार्य तत्व है। इसका अस्तित्व कई जैव अवयवों में मिलता है। .

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बायोगैस

बायोगैसचालित बस (स्वीडेन) जैवगैस या बायोगैस (Biogas) वह गैस मिश्रण है जो आक्सीजन की अनुपस्थिति में जैविक सामग्री के विघटन से उत्पन्न होती है। यह सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की तरह ही नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। बायोगैस स्थानीय उपलब्ध कच्चे पदार्थों एवं कचरा से पैदा की जा सकती है। यह पर्यावरण-मित्र और CO2-न्यूट्रल है। .

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ब्रिटिश कोलम्बिया

कनाडा में ब्रिटिश कोलम्बिया प्रान्त की स्थिति। ब्रिटिश कोलम्बिया, (अंग्रेज़ी: British Columbia, फ्राँसीसी: a Colombie-Britannique) कनाडा का एक प्रान्त है जो कनाडा के प्रशान्त महासागर से लगते पश्चिमी तट पर स्थित है। यह कनाडा का तीसरा सबसे बड़ा प्रान्त है जिसका क्षेत्रफल ९,४४,७३५ वर्ग किमी है। २००६ की जनगणना के अनुसार इस प्रान्त की कुल जनसंख्या ४१,१३,४८७ थी। इस प्रान्त की राजधानी विक्टोरिया है और राज्य का सबसे बड़ा नगर वैंकूवर है। इसी नगर में ब्रिटिश कोलम्बिया की लगभग आधी जनसंख्या निवास करती है (२० लाख)। अन्य बड़े नगर हैं: केलोव्ना, अबोट्स्फोर्ड, कैम्लूप्स, नानाइमो और प्रिन्स जॉर्ज। इस प्रान्त के बड़े उद्योग हैं: वानिकी, पर्यटन, खनन और मछलीपालन। यह प्रान्त १९७१ में कनाडा से जुड़ा। इस प्रान्त की सीमांकन को लेकर कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में कुछ असहमति थी। दक्षिणी सीमा ४९वें समानान्तर पर स्थित है, जैसा ऑरेगन सन्धि में स्वीकृत किया गया था जो १८४६ में हुई थी। सान जुआन द्वीपों और अलास्का की सीमा से भी कुछ विवाद थे, पर वह सुलझा लिए गए। इस प्रान्त के प्रमुख गॉर्डन कैम्पबेल हैं और वे लिब्रल पार्टी के नेता हैं। २०१० के शीतकालीन ओलम्पिक खेल इस प्रान्त के सबसे बड़े नगर वैंकूवर में आयोजित किए जाएंगे। स्कींग प्रतियोगिताएँ व्हिस्लर में आयोजित होंगी जो एक विश्व-प्रसिद्ध स्कींग स्थान है। .

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भस्मीकरण

भस्मीकरण (incineration) एक रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें किसी सामग्री, विषेशकर कार्बनिक रसायन वाली सामग्री, को जलाया जाता है और उसके बड़े भाग को राख व धूएँ में परिवर्तित किया जाता है। यह अपशिष्ट प्रबंधन (waste treatment) में बहुत उपयोगी है। .

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मध्य पूर्व

मध्य पूर्व का राजनीतिक नक्शा मध्य पूर्व (या पूर्व में ज्यादा प्रचलित पूर्व के करीब (Near East)) दक्षिण पश्चिम एशिया, दक्षिण पूर्वी यूरोप और उत्तरी पूर्वी अफ़्रीका में विस्तारित क्षेत्र है। इसकी कोई स्पष्ट सीमा रेखा नहीं है, अक्सर इस शब्द का प्रयोग पूर्व के पास (Near East) के एक पर्याय के रूप में प्रयोग किया जाता, ठीक सुदूर पूर्व (Far East) के विपरित। मध्य पूर्व शब्द का प्रचलन १९०० के आसपास के यूनाइटेड किंगडम में शुरू हुआ। .

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मिथेन

मिथेन अल्केन श्रेणी का प्रथम सदस्य है। यह सबसे साधारण हाइड्रोकार्बन है। .

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मुम्बई

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुंंबई (पूर्व नाम बम्बई), भारतीय राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है। मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार का 40%, एवं भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक एक्स्चेंज, नेशनल स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। .

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मृदा

पृथ्वी ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को मृदा (मिट्टी / soil) कहते हैं। ऊपरी सतह पर से मिट्टी हटाने पर प्राय: चट्टान (शैल) पाई जाती है। कभी कभी थोड़ी गहराई पर ही चट्टान मिल जाती है। 'मृदा विज्ञान' (Pedology) भौतिक भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें मृदा के निर्माण, उसकी विशेषताओं एवं धरातल पर उसके वितरण का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता हैं। पृथऽवी की ऊपरी सतह के कणों को ही (छोटे या बडे) soil कहा जाता है .

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मेथेनॉल

कोई विवरण नहीं।

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रेडॉक्स

रेडॉक्स (Redox; 'Reduction and Oxidation' का लघुकृत रूप) अभिक्रियाएँ के अन्तर्गत वे सब रासायनिक अभिक्रियाएँ सम्मिलित हैं जिनमें परमाणुओं के आक्सीकरण अवस्थाएँ बदल जातीं हैं। सामान्यतः रेडॉक्स अभिक्रियाओं के अभिकारकों के परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रानों का आदान-प्रदान होता है। कभी भी आक्सीकरण या अपचयन अभिक्रिया अकेले नहीं होती। दोनो साथ-साथ होतीं हैं। एक ही अभिक्रिया में यदि किसी चीज का आक्सीकरण होता है तो किसी दूसरी का अपचयन होता है। इसीलिये इनका अलग-अलग अध्ययन न करके एकसाथ अध्ययन करने हैं और दोनों को मिलाकर 'रेडॉक्स' कहते हैं। .

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लवण

लवण (Salt) वह यौगिक है जो किसी अम्ल के एक, या अधिक हाइड्रोजन परमाणु को किसी क्षारक के एक, या अधिक धनायन से प्रतिस्थापित करने पर बनता है। खानेवाला नमक एक प्रमुख लवण है। रसायनत: यह नमक सोडियम और क्लोरीन का सोडियम क्लोराइड नामक यौगिक है। पोटैशियम नाइट्रेट एक दूसरा लवण है, जो नाइट्रिक अम्ल के हाइड्रोजन आयन को पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के पोटैशियम आयन (धनायन) द्वारा प्रतिस्थापित करने से बनता है। नाइट्रिक अम्ल के अणु में केवल एक हाइड्रोजन होता है, जो पोटैशियम से प्रतिस्थापित होता है। सल्फ्यूरिक अम्ल में प्रतिस्थापनीय हाइड्रोजन की संख्या दो है। अत: सोडियम द्वारा सल्फ्यूरिक अम्ल के दोनों हाइड्रोजन के प्रतिस्थापित होने पर सोडियम सल्फेट नामक लवण प्राप्त होता है। दोनों ही यौगिक लवण कहलाते हैं। पहला नॉर्मल (normal) लवण और दूसरा अम्लीय लवण कहलाता है। विविध अम्लों और विविध क्षारों के सहयोग से अनेक लवण बने हैं। .

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लैगून

लैगून किसी विस्तृत जलस्रोत जैसे समुद्र या महासागर के किनारे पर बनने वाला एक उथला जल क्षेत्र होता है जो किसी पतली स्थलीय पेटी या अवरोध (रोध, रोधिका, भित्ति आदि) द्वारा सागर से अंशतः अथवा पूर्णतः अलग होता है। इसका निर्माण अधिकांशतः अपतट रोधिका, रोध, प्रवालभित्ति अथवा प्रवाल वलय द्वारा तटवर्ती जल को मुख्य सागर से पृथक् कर देने से होता है। किसी खाड़ी या लघु निवेशिका के सम्मुख पंक, रेत, बजरी आदि के निक्षेप से जब किसी रोधिका या रोध का निर्माण होता है, सागर तट और रोधिका या रोध के मध्य उथला सागरीय जल बन्द हो जाता है तथा लैगून बनता है। उड़ीसा के तट पर चिलका झील इसका उदाहरण है। इसी प्रकार तटीय प्रवाल भित्ति, अवरोधक भित्ति अथवा प्रवाल वलय से घिरा समुद्री जल लैगून बनाता है। .

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लोहा

एलेक्ट्रोलाइटिक लोहा तथा उसका एक घन सेमी का टुकड़ा लोहा या लोह (Iron) आवर्त सारणी के आठवें समूह का पहला तत्व है। धरती के गर्भ में और बाहर मिलाकर यह सर्वाधिक प्राप्य तत्व है (भार के अनुसार)। धरती के गर्भ में यह चौथा सबसे अधिक पाया जाने वाला तत्व है। इसके चार स्थायी समस्थानिक मिलते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्या 54, 56, 57 और 58 है। लोह के चार रेडियोऐक्टिव समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 52, 53, 55 और 59) भी ज्ञात हैं, जो कृत्रिम रीति से बनाए गए हैं। लोहे का लैटिन नाम:- फेरस .

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शर्करा

डेट्राइट, मिशिगनआवर्धित रूप में चीनी के दाने शक्कर, शर्करा या चीनी (Sugar) एक क्रिस्टलीय खाद्य पदार्थ है। इसमें मुख्यत: सुक्रोज, लैक्टोज एवं फ्रक्टोज उपस्थित होता है। मानव की स्वाद ग्रन्थियाँ मस्तिष्क को इसका स्वाद मीठा बताती हैं। चीनी मुख्यत: गन्ना (या ईख) एवं चुकन्दर से तैयार की जाती है। यह फलों, मधु एवं अन्य कई स्रोतों में भी पायी जाती है। इसे मारवाडी भाषा में 'खोड' अथवा ' मुरस ' कहा जाता है। चीनी की अत्यधिक मात्रा खाने से प्रकार-२ का मधुमेह होने की घटनाएँ अधिक देखी गयीं हैं। इसके अलावा मोटापा और दाँतों का क्षरण भी होता है। विश्व में ब्राजील में प्रति व्यक्ति चीनी की खपत सर्वाधिक होती है। भारत में एक देश के रूप में सर्वाधिक चीनी का खपत होती है। .

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शैवाल

एक शैवाल लौरेंशिया शैवाल (Algae /एल्गी/एल्जी; एकवचन:एल्गै) सरल सजीव हैं। अधिकांश शैवाल पौधों के समान सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वंय बनाते हैं अर्थात् स्वपोषी होते हैं। ये एक कोशिकीय से लेकर बहु-कोशिकीय अनेक रूपों में हो सकते हैं, परन्तु पौधों के समान इसमें जड़, पत्तियां इत्यादि रचनाएं नहीं पाई जाती हैं। ये नम भूमि, अलवणीय एवं लवणीय जल, वृक्षों की छाल, नम दीवारों पर हरी, भूरी या कुछ काली परतों के रूप में मिलते हैं। .

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साबुनीकरण

जिस प्रक्रिया द्वारा साबुन का निर्माण किया जाता है उसे साबुनीकरण (Saponification) कहते हैं। श्रेणी:रासायनिक अभिक्रिया.

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सिंचाई

गेहूं की सिंचाई पंजाब में सिंचाईसिंचाई मिट्टी को कृत्रिम रूप से पानी देकर उसमे उपलब्ध जल की मात्रा में वृद्धि करने की क्रिया है और आमतौर पर इसका प्रयोग फसल उगाने के दौरान, शुष्क क्षेत्रों या पर्याप्त वर्षा ना होने की स्थिति में पौधों की जल आवश्यकता पूरी करने के लिए किया जाता है। कृषि के क्षेत्र में इसका प्रयोग इसके अतिरिक्त निम्न कारणें से भी किया जाता है: -.

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स्वदेशी

स्वदेशी का अर्थ है- 'अपने देश का' अथवा 'अपने देश में निर्मित'। वृहद अर्थ में किसी भौगोलिक क्षेत्र में जन्मी, निर्मित या कल्पित वस्तुओं, नीतियों, विचारों को स्वदेशी कहते हैं। वर्ष 1905 के बंग-भंग विरोधी जनजागरण से स्वदेशी आन्दोलन को बहुत बल मिला, यह 1911 तक चला और गाँधी जी के भारत में पदार्पण के पूर्व सभी सफल अन्दोलनों में से एक था। अरविन्द घोष, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, वीर सावरकर, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय स्वदेशी आन्दोलन के मुख्य उद्घोषक थे। आगे चलकर यही स्वदेशी आन्दोलन महात्मा गांधी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का भी केन्द्र-बिन्दु बन गया। उन्होंने इसे "स्वराज की आत्मा" कहा। .

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सूक्ष्मजीव

जीवाणुओं का एक झुंड वे जीव जिन्हें मनुष्य नंगी आंखों से नही देख सकता तथा जिन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र की आवश्यकता पड़ता है, उन्हें सूक्ष्मजीव (माइक्रोऑर्गैनिज्म) कहते हैं। सूक्ष्मजैविकी (microbiology) में सूक्ष्मजीवों का अध्ययन किया जाता है। सूक्ष्मजीवों का संसार अत्यन्त विविधता से बह्रा हुआ है। सूक्ष्मजीवों के अन्तर्गत सभी जीवाणु (बैक्टीरिया) और आर्किया तथा लगभग सभी प्रोटोजोआ के अलावा कुछ कवक (फंगी), शैवाल (एल्गी), और चक्रधर (रॉटिफर) आदि जीव आते हैं। बहुत से अन्य जीवों तथा पादपों के शिशु भी सूक्ष्मजीव ही होते हैं। कुछ सूक्ष्मजीवविज्ञानी विषाणुओं को भी सूक्ष्मजीव के अन्दर रखते हैं किन्तु अन्य लोग इन्हें 'निर्जीव' मानते हैं। सूक्ष्मजीव सर्वव्यापी होते हैं। यह मृदा, जल, वायु, हमारे शरीर के अंदर तथा अन्य प्रकार के प्राणियों तथा पादपों में पाए जाते हैं। जहाँ किसी प्रकार जीवन संभव नहीं है जैसे गीज़र के भीतर गहराई तक, (तापीय चिमनी) जहाँ ताप 100 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा हुआ रहता है, मृदा में गहराई तक, बर्फ की पर्तों के कई मीटर नीचे तथा उच्च अम्लीय पर्यावरण जैसे स्थानों पर भी पाए जाते हैं। जीवाणु तथा अधिकांश कवकों के समान सूक्ष्मजीवियों को पोषक मीडिया (माध्यमों) पर उगाया जा सकता है, ताकि वृद्धि कर यह कालोनी का रूप ले लें और इन्हें नग्न नेत्रों से देखा जा सके। ऐसे संवर्धनजन सूक्ष्मजीवियों पर अध्ययन के दौरान काफी लाभदायक होते हैं। .

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हाथी

अफ़्रीकी हाथी का कंकाल हाथी जमीन पर रहने वाला एक विशाल आकार का प्राणी है। यह जमीन पर रहने वाला सबसे विशाल स्तनपायी है। यह एलिफैन्टिडी कुल और प्रोबोसीडिया गण का प्राणी है। आज एलिफैन्टिडी कुल में केवल दो प्रजातियाँ जीवित हैं: ऍलिफ़स तथा लॉक्सोडॉण्टा। तीसरी प्रजाति मैमथ विलुप्त हो चुकी है।जीवित दो प्रजातियों की तीन जातियाँ पहचानी जाती हैं:- ''लॉक्सोडॉण्टा'' प्रजाति की दो जातियाँ - अफ़्रीकी खुले मैदानों का हाथी (अन्य नाम: बुश या सवाना हाथी) तथा (अफ़्रीकी जंगलों का हाथी) - और ऍलिफ़स जाति का भारतीय या एशियाई हाथी।हालाँकि कुछ शोधकर्ता दोनों अफ़्रीकी जातियों को एक ही मानते हैं,अन्य मानते हैं कि पश्चिमी अफ़्रीका का हाथी चौथी जाति है।ऍलिफ़ॅन्टिडी की बाकी सारी जातियाँ और प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं। अधिकतम तो पिछले हिमयुग में ही विलुप्त हो गई थीं, हालाँकि मैमथ का बौना स्वरूप सन् २००० ई.पू.

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हार्मोन

ऑक्सीटोसिन हार्मोन का चित्र आड्रेनालिन (Adrenaline) नामक हार्मोन की रासायनिक संरचना हार्मोन या ग्रन्थिरस या अंत:स्राव जटिल कार्बनिक पदार्थ हैं जो सजीवों में होने वाली विभिन्न जैव-रसायनिक क्रियाओं, वृद्धि एवं विकास, प्रजनन आदि का नियमन तथा नियंत्रण करता है। ये कोशिकाओं तथा ग्रन्थियों से स्रावित होते हैं। हार्मोन साधारणतः अपने उत्पत्ति स्थल से दूर की कोशिकाओं या ऊतकों में कार्य करते हैं इसलिए इन्हें 'रासायनिक दूत' भी कहते हैं। इनकी सूक्ष्म मात्रा भी अधिक प्रभावशाली होती है। इन्हें शरीर में अधिक समय तक संचित नहीं रखा जा सकता है अतः कार्य समाप्ति के बाद ये नष्ट हो जाते हैं एवं उत्सर्जन के द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिए जाते हैं। हार्मोन की कमी या अधिकता दोनों ही सजीव में व्यवधान उत्पन्न करती हैं। .

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हाइड्रोजन सल्फाइड

हाइड्रोजन सल्फाइड एक अकार्बनिक यौगिक है। हाइड्रोजन सल्फाइड (Hydrogen sulfide) एक अकार्बनिक रासायनिक यौगिक है जिसका अणुसूत्र है। यह एक रंगहीन गैस है जिसकी गंध सड़े अण्डे जैसी होती है। यह हवा से भारी है, बहुत विषैली, ज्वलनशील, विस्फोटक और संक्षारक (कोरोसिव) है। .

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जर्मनी

कोई विवरण नहीं।

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जलजीवशाला

जलजीवशाला (Aquarium) या कृत्रिमजलाशय, पानी से भरे बर्तन, या कांच के हौज को कहते हैं, जिसमें जीवित जलचरों या पौधों को रखा जाता है। ये शालाएँ मुख्यत: मछलियों को पालने और उनके कौतुक देखने दिखाने के काम में आती हैं। .

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जीवाणु

जीवाणु जीवाणु एक एककोशिकीय जीव है। इसका आकार कुछ मिलिमीटर तक ही होता है। इनकी आकृति गोल या मुक्त-चक्राकार से लेकर छड़, आदि आकार की हो सकती है। ये अकेन्द्रिक, कोशिका भित्तियुक्त, एककोशकीय सरल जीव हैं जो प्रायः सर्वत्र पाये जाते हैं। ये पृथ्वी पर मिट्टी में, अम्लीय गर्म जल-धाराओं में, नाभिकीय पदार्थों में, जल में, भू-पपड़ी में, यहां तक की कार्बनिक पदार्थों में तथा पौधौं एवं जन्तुओं के शरीर के भीतर भी पाये जाते हैं। साधारणतः एक ग्राम मिट्टी में ४ करोड़ जीवाणु कोष तथा १ मिलीलीटर जल में १० लाख जीवाणु पाए जाते हैं। संपूर्ण पृथ्वी पर अनुमानतः लगभग ५X१०३० जीवाणु पाए जाते हैं। जो संसार के बायोमास का एक बहुत बड़ा भाग है। ये कई तत्वों के चक्र में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, जैसे कि वायुमंडलीय नाइट्रोजन के स्थरीकरण में। हलाकि बहुत सारे वंश के जीवाणुओं का श्रेणी विभाजन भी नहीं हुआ है तथापि लगभग आधी प्रजातियों को किसी न किसी प्रयोगशाला में उगाया जा चुका है। जीवाणुओं का अध्ययन बैक्टिरियोलोजी के अन्तर्गत किया जाता है जो कि सूक्ष्म जैविकी की ही एक शाखा है। मानव शरीर में जितनी भी मानव कोशिकाएं है, उसकी लगभग १० गुणा संख्या तो जीवाणु कोष की ही है। इनमें से अधिकांश जीवाणु त्वचा तथा अहार-नाल में पाए जाते हैं। हानिकारक जीवाणु इम्यून तंत्र के रक्षक प्रभाव के कारण शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते। कुछ जीवाणु लाभदायक भी होते हैं। अनेक प्रकार के परजीवी जीवाणु कई रोग उत्पन्न करते हैं, जैसे - हैजा, मियादी बुखार, निमोनिया, तपेदिक या क्षयरोग, प्लेग इत्यादि.

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ईरान

ईरान (جمهوری اسلامی ايران, जम्हूरीए इस्लामीए ईरान) जंबुद्वीप (एशिया) के दक्षिण-पश्चिम खंड में स्थित देश है। इसे सन १९३५ तक फारस नाम से भी जाना जाता है। इसकी राजधानी तेहरान है और यह देश उत्तर-पूर्व में तुर्कमेनिस्तान, उत्तर में कैस्पियन सागर और अज़रबैजान, दक्षिण में फारस की खाड़ी, पश्चिम में इराक और तुर्की, पूर्व में अफ़ग़ानिस्तान तथा पाकिस्तान से घिरा है। यहां का प्रमुख धर्म इस्लाम है तथा यह क्षेत्र शिया बहुल है। प्राचीन काल में यह बड़े साम्राज्यों की भूमि रह चुका है। ईरान को १९७९ में इस्लामिक गणराज्य घोषित किया गया था। यहाँ के प्रमुख शहर तेहरान, इस्फ़हान, तबरेज़, मशहद इत्यादि हैं। राजधानी तेहरान में देश की १५ प्रतिशत जनता वास करती है। ईरान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः तेल और प्राकृतिक गैस निर्यात पर निर्भर है। फ़ारसी यहाँ की मुख्य भाषा है। ईरान में फारसी, अजरबैजान, कुर्द और लूर सबसे महत्वपूर्ण जातीय समूह हैं .

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विभवांतर

सूत्र- Va-Vb.

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विषाणु

विषाणु अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं। ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं, शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं। इन्हे क्रिस्टल के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है। एक विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता है। यह सैकड़ों वर्षों तक सुशुप्तावस्था में रह सकता है और जब भी एक जीवित मध्यम या धारक के संपर्क में आता है उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता है और जीव बीमार हो जाता है। एक बार जब विषाणु जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है, वह कोशिका के मूल आरएनए एवं डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है। विषाणु का अंग्रेजी शब्द वाइरस का शाब्दिक अर्थ विष होता है। सर्वप्रथम सन १७९६ में डाक्टर एडवर्ड जेनर ने पता लगाया कि चेचक, विषाणु के कारण होता है। उन्होंने चेचक के टीके का आविष्कार भी किया। इसके बाद सन १८८६ में एडोल्फ मेयर ने बताया कि तम्बाकू में मोजेक रोग एक विशेष प्रकार के वाइरस के द्वारा होता है। रूसी वनस्पति शास्त्री इवानोवस्की ने भी १८९२ में तम्बाकू में होने वाले मोजेक रोग का अध्ययन करते समय विषाणु के अस्तित्व का पता लगाया। बेजेर्निक और बोर ने भी तम्बाकू के पत्ते पर इसका प्रभाव देखा और उसका नाम टोबेको मोजेक रखा। मोजेक शब्द रखने का कारण इनका मोजेक के समान तम्बाकू के पत्ते पर चिन्ह पाया जाना था। इस चिन्ह को देखकर इस विशेष विषाणु का नाम उन्होंने टोबेको मोजेक वाइरस रखा। विषाणु लाभप्रद एवं हानिकारक दोनों प्रकार के होते हैं। जीवाणुभोजी विषाणु एक लाभप्रद विषाणु है, यह हैजा, पेचिश, टायफायड आदि रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर मानव की रोगों से रक्षा करता है। कुछ विषाणु पौधे या जन्तुओं में रोग उत्पन्न करते हैं एवं हानिप्रद होते हैं। एचआईवी, इन्फ्लूएन्जा वाइरस, पोलियो वाइरस रोग उत्पन्न करने वाले प्रमुख विषाणु हैं। सम्पर्क द्वारा, वायु द्वारा, भोजन एवं जल द्वारा तथा कीटों द्वारा विषाणुओं का संचरण होता है परन्तु विशिष्ट प्रकार के विषाणु विशिष्ट विधियों द्वारा संचरण करते हैं। .

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विषविज्ञान

जीवों के उपर रसायनों के प्रतिकूल प्रभावों के अध्ययन से सम्बन्धित विधा को विषविज्ञान (Toxicology) कहते हैं। इसमें विषाक्तता के लक्षणों, प्रक्रिया (मेकेनिज्म), चिकित्सा, एवं जाँच आदि का अध्ययन किया जाता है। .

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वेनेज़ुएला

वेनेज़ुएला दक्षिणी अमरीका महाद्वीप में स्थित एक देश है। राजधानी काराकास है। यह दक्षिण अमरीका के उत्तर मे स्थित एक उश्नकटिबन्धिय प्रदेश है। इसके पूर्व मे गुयेना, दक्षिण मे ब्राजील एंव पश्चिम मे कोलम्बिआ राष्ट्र है। इसकी उत्तरी सीमा २८०० कि॰मी॰ कि है, इसके उत्तर में कैरेबियन द्वीपसमुह एंवम् उत्तर पूर्व मे अंट्लान्टिक महासागर है। वेनेजुएला की इनकम का सोर्स तेल है .

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खाड़ी

अरब सागर की दो खाड़ियाँ गुजरात से लगती हैं: खम्भात की खाड़ी और कच्छ की खाड़ी खाड़ी समुद्री पानी के ऐसे जलाशय को कहते हैं जो किसी ओर से सागर या महासागर से तो जुड़ी हो लेकिन जिसके इर्द-गिर्द काफ़ी हद तक धरती का घेरा हो। ध्यान दें कि समुद्री तट में छोटे-से मोड़ को यह दर्जा नहीं दिया जाता और केवल महत्वपूर्ण क्षेत्रफल वाले जलाशयों को ही 'खाड़ी' बुलाया जाता है।, pp.

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गंगा नदी

गंगा (गङ्गा; গঙ্গা) भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है। यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर २,५१० किलोमीटर (कि॰मी॰) की दूरी तय करती हुई उत्तराखण्ड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुन्दरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। देश की प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं, जन-जन की भावनात्मक आस्था का आधार भी है। २,०७१ कि॰मी॰ तक भारत तथा उसके बाद बांग्लादेश में अपनी लंबी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गंगा का यह मैदान अपनी घनी जनसंख्या के कारण भी जाना जाता है। १०० फीट (३१ मी॰) की अधिकतम गहराई वाली यह नदी भारत में पवित्र मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है। भारतीय पुराण और साहित्य में अपने सौन्दर्य और महत्त्व के कारण बार-बार आदर के साथ वंदित गंगा नदी के प्रति विदेशी साहित्य में भी प्रशंसा और भावुकतापूर्ण वर्णन किये गये हैं। इस नदी में मछलियों तथा सर्पों की अनेक प्रजातियाँ तो पायी ही जाती हैं, मीठे पानी वाले दुर्लभ डॉलफिन भी पाये जाते हैं। यह कृषि, पर्यटन, साहसिक खेलों तथा उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है तथा अपने तट पर बसे शहरों की जलापूर्ति भी करती है। इसके तट पर विकसित धार्मिक स्थल और तीर्थ भारतीय सामाजिक व्यवस्था के विशेष अंग हैं। इसके ऊपर बने पुल, बांध और नदी परियोजनाएँ भारत की बिजली, पानी और कृषि से सम्बन्धित ज़रूरतों को पूरा करती हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस अनुपम शुद्धीकरण क्षमता तथा सामाजिक श्रद्धा के बावजूद इसको प्रदूषित होने से रोका नहीं जा सका है। फिर भी इसके प्रयत्न जारी हैं और सफ़ाई की अनेक परियोजनाओं के क्रम में नवम्बर,२००८ में भारत सरकार द्वारा इसे भारत की राष्ट्रीय नदी तथा इलाहाबाद और हल्दिया के बीच (१६०० किलोमीटर) गंगा नदी जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया है। .

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ऑक्सीजन

ऑक्सीजन या प्राणवायु या जारक (Oxygen) रंगहीन, स्वादहीन तथा गंधरहित गैस है। इसकी खोज, प्राप्ति अथवा प्रारंभिक अध्ययन में जे.

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ओज़ोन

'ओजोन'OZONE' (O3) आक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली एक गैस है जो वायुमण्डल में बहुत कम मत्रा (०.०२%) में पाई जाती हैं। यह तीखे गंध वाली अत्यन्त विषैली गैस है। जमीन के सतह के उपर अर्थात निचले वायुमंडल में यह एक खतरनाक दूषक है, जबकि वायुमंडल की उपरी परत ओजोन परत के रूप में यह सूर्य के पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी पर जीवन को बचाती है, जहां इसका निर्माण ऑक्सीजन पर पराबैंगनी किरणों के प्रभावस्वरूप होता है। ओजोन ऑक्सीजन का एक अपररूप है। यह समुद्री वायु में उपस्थित होती है। .

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आनुवंशिकी

पैतृक गुणसूत्रों के पुनर्संयोजन के फलस्वरूप एक ही पीढी की संतानें भी भिन्न हो सकती हैं। आनुवंशिकी (जेनेटिक्स) जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत आनुवंशिकता (हेरेडिटी) तथा जीवों की विभिन्नताओं (वैरिएशन) का अध्ययन किया जाता है। आनुवंशिकता के अध्ययन में ग्रेगर जॉन मेंडेल की मूलभूत उपलब्धियों को आजकल आनुवंशिकी के अंतर्गत समाहित कर लिया गया है। प्रत्येक सजीव प्राणी का निर्माण मूल रूप से कोशिकाओं द्वारा ही हुआ होता है। इन कोशिकाओं में कुछ गुणसूत्र (क्रोमोसोम) पाए जाते हैं। इनकी संख्या प्रत्येक जाति (स्पीशीज) में निश्चित होती है। इन गुणसूत्रों के अंदर माला की मोतियों की भाँति कुछ डी एन ए की रासायनिक इकाइयाँ पाई जाती हैं जिन्हें जीन कहते हैं। ये जीन गुणसूत्र के लक्षणों अथवा गुणों के प्रकट होने, कार्य करने और अर्जित करने के लिए जिम्मेवार होते हैं। इस विज्ञान का मूल उद्देश्य आनुवंशिकता के ढंगों (पैटर्न) का अध्ययन करना है अर्थात्‌ संतति अपने जनकों से किस प्रकार मिलती जुलती अथवा भिन्न होती है। .

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इंग्लैण्ड

इंग्लैण्ड (अंग्रेज़ी: England), ग्रेट ब्रिटेन नामक टापू के दक्षिणी भाग में स्थित एक देश है। इसका क्षेत्रफल 50,331 वर्ग मील है। यह यूनाइटेड किंगडम का सबसे बड़ा निर्वाचक देश है। इंग्लैंड के अलावा स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तर आयरलैंड भी यूनाइटेड किंगडम में शामिल हैं। यह यूरोप के उत्तर पश्चिम में अवस्थित है जो मुख्य भूमि से इंग्लिश चैनल द्वारा पृथकीकृत द्वीप का अंग है। इसकी राजभाषा अंग्रेज़ी है और यह विश्व के सबसे संपन्न तथा शक्तिशाली देशों में से एक है। इंग्लैंड के इतिहास में सबसे स्वर्णिम काल उसका औपनिवेशिक युग है। अठारहवीं सदी से लेकर बीसवीं सदी के मध्य तक ब्रिटिश साम्राज्य विश्व का सबसे बड़ा और शकितशाली साम्राज्य हुआ करता था जो कई महाद्वीपों में फैला हुआ था और कहा जाता था कि ब्रिटिश साम्राज्य में सूर्य कभी अस्त नहीं होता। उसी समय पूरे विश्व में अंग्रेज़ी भाषा ने अपनी छाप छोड़ी जिसकी वज़ह से यह आज भी विश्व के सबसे अधिक लोगों द्वारा बोले व समझे जाने वाली भाषा है। .

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कार्बन

कार्बन का एक बहुरूप हीरा। कार्बन का एक अन्य बहुरूप ग्रेफाइट। पृथ्वी पर पाए जाने वाले तत्वों में कार्बन या प्रांगार एक प्रमुख एवं महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इस रासायनिक तत्त्व का संकेत C तथा परमाणु संख्या ६, मात्रा संख्या १२ एवं परमाणु भार १२.००० है। कार्बन के तीन प्राकृतिक समस्थानिक 6C12, 6C13 एवं 6C14 होते हैं। कार्बन के समस्थानिकों के अनुपात को मापकर प्राचीन तथा पुरातात्विक अवशेषों की आयु मापी जाती है। कार्बन के परमाणुओं में कैटिनेशन नामक एक विशेष गुण पाया जाता है जिसके कारण कार्बन के बहुत से परमाणु आपस में संयोग करके एक लम्बी शृंखला का निर्माण कर लेते हैं। इसके इस गुण के कारण पृथ्वी पर कार्बनिक पदार्थों की संख्या सबसे अधिक है। यह मुक्त एवं संयुक्त दोनों ही अवस्थाओं में पाया जाता है। इसके विविध गुणों वाले कई बहुरूप हैं जिनमें हीरा, ग्रेफाइट काजल, कोयला प्रमुख हैं। इसका एक अपरूप हीरा जहाँ अत्यन्त कठोर होता है वहीं दूसरा अपरूप ग्रेफाइट इतना मुलायम होता है कि इससे कागज पर निशान तक बना सकते हैं। हीरा विद्युत का कुचालक होता है एवं ग्रेफाइट सुचालक होता है। इसके सभी अपरूप सामान्य तापमान पर ठोस होते हैं एवं वायु में जलकर कार्बन डाइ-आक्साइड गैस बनाते हैं। हाइड्रोजन, हीलियम एवं आक्सीजन के बाद विश्व में सबसे अधिक पाया जाने वाला यह तत्व विभिन्न रूपों में संसार के समस्त प्राणियों एवं पेड़-पौधों में उपस्थित है। यह सभी सजीवों का एक महत्त्वपूर्ण अवयव होता है, मनुष्य के शरीर में इसकी मात्रा १८.५ प्रतिशत होती है और इसको जीवन का रासायनिक आधार कहते हैं। कार्बन शब्द लैटिन भाषा के कार्बो शब्द से आया है जिसका अर्थ कोयला या चारकोल होता है। कार्बन की खोज प्रागैतिहासिक युग में हुई थी। कार्बन तत्व का ज्ञान विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं को भी था। चीन के लोग ५००० वर्षों पहले हीरे के बारे में जानते थे और रोम के लोग लकड़ी को मिट्टी के पिरामिड से ढककर चारकोल बनाते थे। लेवोजियर ने १७७२ में अपने प्रयोगो द्वारा यह प्रमाणित किया कि हीरा कार्बन का ही एक अपरूप है एवं कोयले की ही तरह यह जलकर कार्बन डाइ-आक्साइड गैस उत्पन्न करता है। कार्बन का बहुत ही उपयोगी बहुरूप फुलेरेन की खोज १९९५ ई. में राइस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर इ स्मैली तथा उनके सहकर्मियों ने की। इस खोज के लिए उन्हें वर्ष १९९६ ई. का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। .

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कार्बन डाईऑक्साइड

कार्बन डाइआक्साइड (Carbon dioxide) (रासायनिक सूत्र CO2) एक रंगहीन तथा गन्धहीन गैस है जो पृथ्वी पर जीवन के लिये अत्यावश्यक है। धरती पर यह प्राकृतिक रूप से पायी जाती है। धरती के वायुमण्डल में यह गैस आयतन के हिसाब से लगभग 0.03 प्रतिशत होती है। कार्बन डाईऑक्साइड कार्बन डाइआक्साइड का निर्माण आक्सीजन के दो परमाणु तथा कार्बन के एक परमाणु से मिलकर हुआ है। सामान्य तापमान तथा दबाव पर यह गैसीय अवस्था में रहती है। वायुमंडल में यह गैस 0.03% 0.04% तक पाई जाती है, परन्तु मौसम में परिवर्तन के साथ वायु में इसकी सान्द्रता भी थोड़ी परिवर्तित होती रहती है। यह एक ग्रीनहाउस गैस है, क्योंकि सूर्य से आने वाली किरणों को तो यह पृथ्वी के धरातल पर पहुंचने देती है परन्तु पृथ्वी की गर्मी जब वापस अंतरिक्ष में जाना चाहती है तो यह उसे रोकती है। पृथ्वी के सभी सजीव अपनी श्वसन की क्रिया में कार्बन डाइआक्साइड का त्याग करते है। जबकि हरे पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते समय इस गैस को ग्रहण करके कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते हैं। इस प्रकार कार्बन डाइआक्साइड कार्बन चक्र का प्रमुख अवयव है। कार्बन के रासायनिक यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक है। जीवन पद्धति में कार्बनिक यौगिकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें कार्बन के साथ-साथ हाइड्रोजन भी रहता है। ऐतिहासिक तथा परंपरा गत कारणों से कुछ कार्बन के यौगकों को कार्बनिक यौगिकों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इनमें कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड प्रमुख हैं। सभी जैव अणु जैसे कार्बोहाइड्रेट, अमीनो अम्ल, प्रोटीन, आरएनए तथा डीएनए कार्बनिक यौगिक ही हैं। कार्बन और हाइड्रोजन के यौगिको को हाइड्रोकार्बन कहते हैं। मेथेन (CH4) सबसे छोटे अणुसूत्र का हाइड्रोकार्बन है। ईथेन (C2H6), प्रोपेन (C3H8) आदि इसके बाद आते हैं, जिनमें क्रमश: एक एक कार्बन जुड़ता जाता है। हाइड्रोकार्बन तीन श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं: ईथेन श्रेणी, एथिलीन श्रेणी और ऐसीटिलीन श्रेणी। ईथेन श्रेणी के हाइड्रोकार्बन संतृप्त हैं, अर्थात्‌ इनमें हाइड्रोजन की मात्रा और बढ़ाई नहीं जा सकती। एथिलीन में दो कार्बनों के बीच में एक द्विबंध (.

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कार्बनिक यौगिक

मिथेन सबसे सरल कार्बनिक यौगिक कार्बन के रासायनिक यौगिकों को कार्बनिक यौगिक कहते हैं। प्रकृति में इनकी संख्या 10 लाख से भी अधिक है। जीवन पद्धति में कार्बनिक यौगिकों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। इनमें कार्बन के साथ-साथ हाइड्रोजन भी रहता है। ऐतिहासिक तथा परंपरा गत कारणों से कुछ कार्बन के यौगकों को कार्बनिक यौगिकों की श्रेणी में नहीं रखा जाता है। इनमें कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड प्रमुख हैं। सभी जैव अणु जैसे कार्बोहाइड्रेट, अमीनो अम्ल, प्रोटीन, आरएनए तथा डीएनए कार्बनिक यौगिक ही हैं। .

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किण्वन

किण्वन की क्रिया किण्वन एक जैव-रासायनिक क्रिया है। इसमें जटिल कार्बनिक यौगिक सूक्ष्म सजीवों की सहायता से सरल कार्बनिक यौगिक में विघटित होते हैं। इस क्रिया में ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं पड़ती है। किण्वन के प्रयोग से अल्कोहल या शराब का निर्माण होता है। पावरोटी एवं बिस्कूट बनाने में भी इसका उपयोग होता है। दही, सिरका एवं अन्य रासायनिक पदार्थों के निर्माण में भी इसका प्रयोग होता है। श्रेणी:जैवरसायनिकी श्रेणी:श्वसन.

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क्लोरीन

क्लोरीन (यूनानी: χλωρóς (ख्लोरोस), 'फीका हरा') एक रासायनिक तत्व है, जिसकी परमाणु संख्या १७ तथा संकेत Cl है। ऋणात्मक आयन क्लोराइड के रूप में यह साधारण नमक में उपस्थित होती है और सागर के जल में घुले लवण में प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।। हिन्दुस्तान लाइव। ३१ मई २०१० सामान्य तापमान और दाब पर क्लोरीन (Cl2 या "डाईक्लोरीन") गैस के रूप में पायी जाती है। इसका प्रयोग तरणतालों को कीटाणुरहित बनाने में किया जाता है। यह एक हैलोजन है और आवर्त सारणी में समूह १७ (पूर्व में समूह ७, ७ए या ७बी) में रखी गयी है। यह एक पीले और हरे रंग की हवा से हल्की प्राकृतिक गैस जो एक निश्चित दाब और तापमान पर द्रव में बदल जाती है। यह पृथ्वी के साथ ही समुद्र में भी पाई जाती है। क्लोरीन पौधों और मनुष्यों के लिए आवश्यक है। इसका प्रयोग कागज और कपड़े बनाने में किया जाता है। इसमें यह ब्लीचिंग एजेंट (धुलाई करने वाले/ रंग उड़ाने वाले द्रव्य) के रूप में काम में लाई जाती है। वायु की उपस्थिति में यह जल के साथ क्रिया कर हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का निर्माण करती है। मूलत: गैस होने के कारण यह खाद्य श्रृंखला का भाग नहीं है। यह गैस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। तरणताल में इसका प्रयोग कीटाणुनाशक की तरह किया जाता है। साधारण धुलाई में इसे ब्लीचिंग एजेंट रूप में प्रयोग करते हैं। ब्लीच और कीटाणुनाशक बनाने के कारखाने में काम करने वाले लोगों में इससे प्रभावित होने की आशंका अधिक रहती है। यदि कोई लंबे समय तक इसके संपर्क में रहता है तो उसके स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इसकी तेज गंध आंखों, त्वचा और श्वसन तंत्र के लिए हानिकारक होती है। इससे गले में घाव, खांसी और आंखों व त्वचा में जलन हो सकती है, इससे सांस लेने में समस्या होती है। .

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कैलगरी

कैलगरी कनाडा के अलबर्टा प्रांत का सबसे बड़ा शहर है। यह प्रांत के दक्षिण में, कनाडा की चट्टानों (Canadian Rockies) की अग्रिम पर्वतमालाओं के लगभग पूर्व में एक तलहटी एवं मैदानी क्षेत्र में स्थित है। यह शहर अलबर्टा के घासभूमि वाले क्षेत्र में स्थित है। 2006 में, कैलगरी शहर की आबादी 988,193 होने के कारण इस शहर की नगरपालिका देश की तीसरी सबसे बड़ी एवं अलबर्टा की सबसे बढ़ी नगरपालिका बन गई थी। 2006 में सम्पूर्ण महानगरीय जनसँख्या 1,079,310 के साथ यह कनाडा का पांचवां सबसे बड़ा महानगरीय जनगणना क्षेत्र (सी.ऍम.ए.) बन गया था। 2009 में, कैलगरी की अनुमानित महानगरीय जनसंख्या 1,230,248 के होते हुए यह क्रम में बढ़कर चौथा सबसे बड़ा महानगरीय जनगणना क्षेत्र (सी.ऍम.ए.) बन गया था। एडमॉन्टन के दक्षिण में स्थित होने से सांख्यिकीविदों ने इन दो शहरों के बीच के संकीर्ण जनसँख्या वाले क्षेत्र को "कैलगरी-एडमॉन्टन गलियारा" के रूप में परिभाषित किया है। टोरंटो और वैंकूवर के बीच कैलगरी कनाडा का सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र है। महानगरीय क्षेत्र एवं शहर के नजदीक प्रमुख पहाड़ी आश्रयों के साथ कैलगरी शीतकालीन खेलों एवं पर्यावरणीय पर्यटन के लिए एक गंतव्य स्थल है। यहाँ की आर्थिक गतिविधियाँ ज्यादातर पेट्रोलियम उद्योग पर केंद्रित हैं। शहर के आर्थिक विकास में कृषि, पर्यटन और उच्च तकनीक उद्योगों का भी योगदान है। 1988 में कैलगरी, शीतकालीन ओलिंपिक खेलों की मेजबानी करने वाला कनाडा का पहला शहर बन गया था। .

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कोक

कोक कोक कोयले से तैयार किया जानेवाला ठोस ईंधन। यह कम राख वाले, कम सल्फरयुक्त, बिटुमिनस कोयले के प्रभंजक आसवन (destructive distillation) से प्राप्त होता है। सब प्रकार के कोयले कोक के लिये उपयुक्त नहीं होते। जो कोयला गरम करने से कोमल हो जाए और फिर न्यूनाधिक ठोस पिंड में बदल जाए उसे कोक बननेवाला कोयला कहा जाता है। जो कोयला गरम करने से चूर चूर हो जाय अथवा दुर्बलता से चिपका हुआ जिसका पिंड बने, वह कोयला कोक के लिये अनुपयुक्त समझा जाता है। अच्छे कोक का बनना कोयले की कोशिकाओं, उसमें उपस्थित गंधक एवं राख की मात्रा, भट्ठी के ताप तथा अन्य परिस्थितियों आदि पर निर्भर करता है। कभी कभी विभिन्न किस्म के कोयलों के मिलाकर गरम करने से अच्छा कोक बनता है। उत्तम कोक बननेवाले कोयले में विभिन्न अवयवों की मात्रा इस प्रकार होनी चाहिए: (१) जल ४ प्रतिशत से अधिक न हो; (२) राख की मात्रा सूखे कोयले के भार का नौ प्रतिशत से अधिक न रहे;.

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अपजल

अपजल अथवा अपशिष्ट जल, वह कोई भी जल है जिसकी गुणवत्ता, मानवीय प्रभाव के कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई हो। नगरों में इस अपशिष्ट जल का वहन आमतौर से किसी संयुक्त सीवर या स्वच्छता सीवर के द्वारा किया जाता है, तथा तदोपरान्त इसका उपचार किसी अपजल उपचार संयंत्र या सेप्टिक टैंक के मार्फत किया जाता है। उपचारित अपजल का निस्तारण एक निस्सारी मलप्रणाल (सीवर) के माध्यम से किसी जल निकाय में किया जाता है। मल तथा मूत्र से संदूषित मलजल को भी अक्सर, अपजल का ही एक प्रकार माना जाता है। मलजल में घरेलू, नगरपालिका या औद्योगिक तरल अपशिष्ट उत्पाद शामिल होते है जिनका निपटान किसी नाले या मलप्रणाल के द्वारा किया जाता है। कभी कभी इसे एक निर्वात अपशिष्ट संग्राहक वाहन (ट्रक के उपर लगे टैंक पर लगा निर्वात पंप), के द्वारा भी निपटाया जाता है। मल-व्यवस्था या सीवरेज वह भौतिक बुनियादी ढांचा है जिसमें पाइपों, पंपों, स्क्रीन और नालियों की एक प्रणाली होती है जिसके द्वारा अपजल का वहन उसके उद्गम स्थल से उसके उपचार स्थल तक किया जाता है। कुछ मामलों जैसे कि सेप्टिक टैंक प्रणाली में मलजल का उपचार उसके उद्गम स्थल पर ही किया जाता है। .

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अमोनिया

अमोनिया एक तीक्ष्म गंध वाली रंगहीन गैस है। यह हवा से हल्की होती है तथा इसका वाष्प घनत्व ८.५ है। यह जल में अति विलेय है। अमोनिया के जलीय घोल को लिकर अमोनिया कहा जाता है यह क्षारीय प्रकृति का होता है। जोसेफ प्रिस्टले ने सर्वप्रथम अमोनियम क्लोराइड को चूने के साथ गर्म करके अमोनिया गैस को तैयार किया। बर्थेलाट ने इसके रासायनिक गठन का अध्ययन किया तथा इसको बनाने वाले तत्वों को पता लगाया। प्रयोगशाला में अमोनियम क्लोराइड तथा बुझे हुए सूखे चूने के मिश्रण को गर्म करके अमोनिया गैस तैयार की जाती है। .

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अल्बर्टा

कनाडा में अल्बर्टा प्रान्त की स्थिति। अल्बर्टा कनाडा का एक प्रान्त है। यह कनाडा के पश्चिमी भाग में स्थित है। इस प्रान्त के पश्चिम में ब्रिटिश कोलम्बिया प्रान्त, पूर्व में सास्काचवान और दक्षिण में संयुक्त राज्य अमेरिका का मॉण्टाना राज्य इसके पड़ोसी हैं। अल्बर्टा, कनाडा का चौथा सबसे बड़ा राज्य है। इसका कुल क्षेत्रफल ६,४२३१७ वर्ग किमी है। अल्बर्टा की जनसंख्या ३३,०५,८०० है और कनाडा के तीन प्रान्त ऐसे है जिनकी जनसंख्या इससे अधिक है। अल्बर्टा की राजधानी एडमण्टन है। एडमण्टन, अल्बर्टा के मध्य भाग के निकट स्थित है। कैलगैरी अल्बर्टा का एक अन्य प्रमुख नगर है। यह राजधानी एडमण्टन के दक्षिण में स्थित है। .

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अवायवीय अपघटन

तेल अवीव में कार्यरत एक अवायवीय अपघटन संयंत्र अवायवीय अपघटन या 'अवायवीय पाचन' (Anaerobic digestion) कई प्रक्रियाओं के समूह का नाम है जिसमें सूक्ष्मजीव आक्सीजन की अनुपस्थिति में जैव-अपघटनीय पदार्थों को विघटित कर देते हैं। अवायवीय अपघटन की यह प्रक्रिया बहुत उपयोगी है और औद्योगिक तथा घरेलू कचरा के प्रबन्धन या/एवं ईंधन (बायोगैस) के उत्पादन में प्रयोग की जाती है। इसके अलावा खाद्य पदार्थ तथा पेय बनाने के लिये जिस किण्वन का उपयोग किया जाता है वह भी अवायवीय अपघटन पर ही आधारित है। अवायवीय अपघटन प्राकृतिक रूप से बहुत सी मृदाओं में होता है। यह झीलों और समुद्रों के द्रोणी (बेसिन) के तलछटों में भी होता है। वोल्टा ने १७७६ में जो मार्श गैस (मीथेन) खोजी थी उसका स्रोत यही था। अवायवीय विघटन के चरण .

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अवक्षेपण

रासायनिक अवक्षेपण अवक्षेपण (Precipitation) का अर्थ है - किसी ठोस पदार्थ का बनना। किसी द्रव विलयन में रासायनिक अभिक्रिया होने पर यदि कोई ठोस उत्पाद बनता है तो उसे ही 'अवक्षेप' (precipitate) कहते हैंम। .

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उत्तर अमेरिका

उत्तर अमेरिका (अंग्रेजी: North America; स्पेनी: América del Norte; फ़्रान्सीसी: Amérique du Nord) महाअमेरिका (उत्तर और दक्षिण अमेरिका संयुक रूप से) का उत्तरी महाद्वीप है, जो पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में स्थित है और पूर्णतः पश्चिमी गोलार्ध में आता है। उत्तर में यह आर्कटिक महासागर, पूर्व में उत्तरी अन्ध महासागर, दक्षिणपूर्व में कैरिबियाई सागर और पश्चिम में उत्तरी प्रशान्त महासागर से घिरा हुआ है। उत्तर अमेरिका का मुख्य भाग ४० उत्तरी अक्षांश से ८३० उत्तरी अक्षांश तथआ ५३० पश्चिमी देशान्तर से १६८० पश्चिमी देशान्तर के बीच स्थित है। इसका आकार त्रिभुज के समान है जिसका शीर्ष दक्षिण की ओर और आधार उत्तर की ओर है। उत्तर अमेरिका का कुल भूभाग २,४७,०९,००० वर्ग किलोमीटर है, पृथ्वी की कुल सतह का ४.८% या कुल भूभाग का १६.५%। जुलाई, २००८ तक, इसकी अनुमानित जनसंख्या ५२.९ करोड़ थी। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह एशिया और अफ़्रीका के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से यह एशिया, अफ़्रीका और यूरोप के बाद चौथा सबसे बड़ा महाद्वीप है। .

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उप-सहारा अफ़्रीका

उप-सहारा अफ़्रीका उप-सहारा अफ़्रीका एक भौगोलिक शब्द है जिसका आशय अफ़्रीका के उस भू भाग से है जो सहारा रेगिस्तान के दक्षिण में स्थित है। उप-सहारा अफ़्रीका को अश्वेत अफ़्रीका भी कहॉ जाता है क्योंकि इस क्षेत्र में मुख्यतः अश्वेत आबादी है। श्रेणी:अफ़्रीका श्रेणी:अफ़्रीका के क्षेत्र *.

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उर्वरक

खाद डालते हुए; खाद एक जैविक उर्वरक है। उर्वरक (Fertilizers) कृषि में उपज बढ़ाने के लिए प्रयुक्त रसायन हैं जो पेड-पौधों की वृद्धि में सहायता के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। पानी में शीघ्र घुलने वाले ये रसायन मिट्टी में या पत्तियों पर छिड़काव करके प्रयुक्त किये जाते हैं। पौधे मिट्टी से जड़ों द्वारा एवं ऊपरी छिड़काव करने पर पत्तियों द्वारा उर्वरकों को अवशोषित कर लेते हैं। उर्वरक, पौधों के लिये आवश्यक तत्वों की तत्काल पूर्ति के साधन हैं लेकिन इनके प्रयोग के कुछ दुष्परिणाम भी हैं। ये लंबे समय तक मिट्टी में बने नहीं रहते हैं। सिंचाई के बाद जल के साथ ये रसायन जमीन के नीचे भौम जलस्तर तक पहुँचकर उसे दूषित करते हैं। मिट्टी में उपस्थित जीवाणुओं और सुक्ष्मजीवों के लिए भी ये घातक साबित होते हैं। इसलिए उर्वरक के विकल्प के रूप में जैविक खाद का प्रयोग तेजी से लोकप्रीय हो रहा है। भारत में रासायनिक खाद का सर्वाधिक प्रयोग पंजाब में होता है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

मलजल प्रशोधन, मलजल उपचार, सीवेज ट्रीटमेंट

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