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रैखिक क्रमादेशन

सूची रैखिक क्रमादेशन

लिओनिद कान्तोरोविच गणित में रैखिक प्रोग्रामन (linear programming) इष्टतमीकरण (ऑप्टिमाइजेशन) की एक तकनीक है जिसमें लक्ष्य-फलन भी रैखीय होता है तथा शर्तें (समिकाएं/असमिकाएँ) भी रैखिक होतीं हैं। किन्तु इसका कम्प्यूटर प्रोग्रामन से कोई सम्बन्ध नहीं है। .

8 संबंधों: एकधा विधि, द्वितीय विश्वयुद्ध, मैट्रिक्स, रैखिक क्रमादेशन, गणित, गतिक क्रमादेशन, इष्टतमकरण, क्रमानुदेशन

एकधा विधि

गणितीक्य इष्टतमीकरण (ऑप्टिमाइजेशन) के सन्दर्भ में, एकधा विधि (simplex method या simplex algorithm) रैखिक क्रमादेशन की प्रसिद्ध विधि है। इस विधि का सुझाव सबसे पहले टी एस मोजकिन (T. S. Motzkin) ने दिया था। इस विधिक का 'सिम्प्लेक्स विधि' इसलिये पड़ा है क्योंकि यह विधि 'सिम्प्लेक्स' के सिद्धान्त पर आधारित है। .

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द्वितीय विश्वयुद्ध

द्वितीय विश्वयुद्ध १९३९ से १९४५ तक चलने वाला विश्व-स्तरीय युद्ध था। लगभग ७० देशों की थल-जल-वायु सेनाएँ इस युद्ध में सम्मलित थीं। इस युद्ध में विश्व दो भागों मे बँटा हुआ था - मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र। इस युद्ध के दौरान पूर्ण युद्ध का मनोभाव प्रचलन में आया क्योंकि इस युद्ध में लिप्त सारी महाशक्तियों ने अपनी आर्थिक, औद्योगिक तथा वैज्ञानिक क्षमता इस युद्ध में झोंक दी थी। इस युद्ध में विभिन्न राष्ट्रों के लगभग १० करोड़ सैनिकों ने हिस्सा लिया, तथा यह मानव इतिहास का सबसे ज़्यादा घातक युद्ध साबित हुआ। इस महायुद्ध में ५ से ७ करोड़ व्यक्तियों की जानें गईं क्योंकि इसके महत्वपूर्ण घटनाक्रम में असैनिक नागरिकों का नरसंहार- जिसमें होलोकॉस्ट भी शामिल है- तथा परमाणु हथियारों का एकमात्र इस्तेमाल शामिल है (जिसकी वजह से युद्ध के अंत मे मित्र राष्ट्रों की जीत हुई)। इसी कारण यह मानव इतिहास का सबसे भयंकर युद्ध था। हालांकि जापान चीन से सन् १९३७ ई. से युद्ध की अवस्था में था किन्तु अमूमन दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत ०१ सितम्बर १९३९ में जानी जाती है जब जर्मनी ने पोलैंड पर हमला बोला और उसके बाद जब फ्रांस ने जर्मनी पर युद्ध की घोषणा कर दी तथा इंग्लैंड और अन्य राष्ट्रमंडल देशों ने भी इसका अनुमोदन किया। जर्मनी ने १९३९ में यूरोप में एक बड़ा साम्राज्य बनाने के उद्देश्य से पोलैंड पर हमला बोल दिया। १९३९ के अंत से १९४१ की शुरुआत तक, अभियान तथा संधि की एक शृंखला में जर्मनी ने महाद्वीपीय यूरोप का बड़ा भाग या तो अपने अधीन कर लिया था या उसे जीत लिया था। नाट्सी-सोवियत समझौते के तहत सोवियत रूस अपने छः पड़ोसी मुल्कों, जिसमें पोलैंड भी शामिल था, पर क़ाबिज़ हो गया। फ़्रांस की हार के बाद युनाइटेड किंगडम और अन्य राष्ट्रमंडल देश ही धुरी राष्ट्रों से संघर्ष कर रहे थे, जिसमें उत्तरी अफ़्रीका की लड़ाइयाँ तथा लम्बी चली अटलांटिक की लड़ाई शामिल थे। जून १९४१ में युरोपीय धुरी राष्ट्रों ने सोवियत संघ पर हमला बोल दिया और इसने मानव इतिहास में ज़मीनी युद्ध के सबसे बड़े रणक्षेत्र को जन्म दिया। दिसंबर १९४१ को जापानी साम्राज्य भी धुरी राष्ट्रों की तरफ़ से इस युद्ध में कूद गया। दरअसल जापान का उद्देश्य पूर्वी एशिया तथा इंडोचायना में अपना प्रभुत्व स्थापित करने का था। उसने प्रशान्त महासागर में युरोपीय देशों के आधिपत्य वाले क्षेत्रों तथा संयुक्त राज्य अमेरीका के पर्ल हार्बर पर हमला बोल दिया और जल्द ही पश्चिमी प्रशान्त पर क़ब्ज़ा बना लिया। सन् १९४२ में आगे बढ़ती धुरी सेना पर लगाम तब लगी जब पहले तो जापान सिलसिलेवार कई नौसैनिक झड़पें हारा, युरोपीय धुरी ताकतें उत्तरी अफ़्रीका में हारीं और निर्णायक मोड़ तब आया जब उनको स्तालिनग्राड में हार का मुँह देखना पड़ा। सन् १९४३ में जर्मनी पूर्वी युरोप में कई झड़पें हारा, इटली में मित्र राष्ट्रों ने आक्रमण बोल दिया तथा अमेरिका ने प्रशान्त महासागर में जीत दर्ज करनी शुरु कर दी जिसके कारणवश धुरी राष्ट्रों को सारे मोर्चों पर सामरिक दृश्टि से पीछे हटने की रणनीति अपनाने को मजबूर होना पड़ा। सन् १९४४ में जहाँ एक ओर पश्चिमी मित्र देशों ने जर्मनी द्वारा क़ब्ज़ा किए हुए फ़्रांस पर आक्रमण किया वहीं दूसरी ओर से सोवियत संघ ने अपनी खोई हुयी ज़मीन वापस छीनने के बाद जर्मनी तथा उसके सहयोगी राष्ट्रों पर हमला बोल दिया। सन् १९४५ के अप्रैल-मई में सोवियत और पोलैंड की सेनाओं ने बर्लिन पर क़ब्ज़ा कर लिया और युरोप में दूसरे विश्वयुद्ध का अन्त ८ मई १९४५ को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। सन् १९४४ और १९४५ के दौरान अमेरिका ने कई जगहों पर जापानी नौसेना को शिकस्त दी और पश्चिमी प्रशान्त के कई द्वीपों में अपना क़ब्ज़ा बना लिया। जब जापानी द्वीपसमूह पर आक्रमण करने का समय क़रीब आया तो अमेरिका ने जापान में दो परमाणु बम गिरा दिये। १५ अगस्त १९४५ को एशिया में भी दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हो गया जब जापानी साम्राज्य ने आत्मसमर्पण करना स्वीकार कर लिया। .

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मैट्रिक्स

कोई विवरण नहीं।

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रैखिक क्रमादेशन

लिओनिद कान्तोरोविच गणित में रैखिक प्रोग्रामन (linear programming) इष्टतमीकरण (ऑप्टिमाइजेशन) की एक तकनीक है जिसमें लक्ष्य-फलन भी रैखीय होता है तथा शर्तें (समिकाएं/असमिकाएँ) भी रैखिक होतीं हैं। किन्तु इसका कम्प्यूटर प्रोग्रामन से कोई सम्बन्ध नहीं है। .

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गणित

पुणे में आर्यभट की मूर्ति ४७६-५५० गणित ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं। गणित एक अमूर्त या निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं: अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रख्यात ब्रिटिश गणितज्ञ और दार्शनिक बर्टेंड रसेल के अनुसार ‘‘गणित को एक ऐसे विषय के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें हम जानते ही नहीं कि हम क्या कह रहे हैं, न ही हमें यह पता होता है कि जो हम कह रहे हैं वह सत्य भी है या नहीं।’’ गणित कुछ अमूर्त धारणाओं एवं नियमों का संकलन मात्र ही नहीं है, बल्कि दैनंदिन जीवन का मूलाधार है। .

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गतिक क्रमादेशन

गणित, प्रबन्धन विज्ञान, अर्थशास्त्र, बायोइन्फॉर्मैटिक्स और कम्प्यूटर विज्ञान में गतिक क्रमादेशन (डाइनैमिक प्रोग्रामिंग) जटिल समस्याओं को सरल चरणों में तोड़कर हल करने के लिए एक विधि है। इसे 'गतिक इष्टतमीकरण' (डायनैमिक ऑप्टिमाइजेशन) भी कहते हैं। यह उन समस्याओं पर लागू है जो अपनी तरह की छोटी समस्याओं के अतिव्यापन और इष्टतम तरफ को प्रदर्शित करती है। जब लागू होती है, यह विधि सहज (naive) तरीकों से भी कम समय लेती है। गतिक क्रमादेशन में एक बड़ी समस्या को सबसे पहले छोटी-छोटी (सरल) उपसमस्याओं के रूप में बदला जाता है। इसके बाद इन सरल समस्याओं को केवल एक बार हल किया जाता है तथा इनके हलों को संगृहीत (स्टोर) कर लिया जाता है। इस काम के लिये स्मृति-आधारित डेटा-स्ट्रक्चर का उपयोग किया जाता है। अगली बार जब भी वही उपसमस्या सामने आती है तो उसको पुनः हल करने के बजाय उसके संगृहीत हल को ले लिया जाता है। इस प्रकार कुछ स्मृति का अतिरिक्त उपयोग करके गणना में लगने वाले समय की बचत की जाती है। .

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इष्टतमकरण

परवलयज का अधिकतम बिन्दु गणित में अभीष्टीकरण या इष्टतमकरण (optimization) उन गणितीय समस्याओं के अध्ययन को कहते हैं जिनमें किसी वास्तविक फलन (real function) का मान अधिकतम या न्यूनतम करने की चेष्टा की जाती है। इसके लिये उचित विधियों का सहारा लेते हुए, उस फलन में निहित वास्तविक चरों या पूर्णांक चरों का मान इस प्रकार चुना जाता है कि उस फलन का मान अधिकतम या न्यूनतम (अभीष्टतम् / optimum) हो जाय। इसके साथ यह भी आवश्यक है कि ये चर एक दिये हुए डोमेन (या समुच्चय) में से हों; दूसरे शब्दों में, ये चर कुछ अन्य दी हुई शर्तों का पालन भी करना चाहिये (जैसे x particularly in automated reasoning)।.

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क्रमानुदेशन

'बेसिक' नामक संगणक भाषा में लिखे किसी प्रोग्राम की कुछ पंक्तियाँ सामान्य जीवन मे जब हम किसी कार्य विशेष को करने का निर्णय करते हैं तो उस कार्य को करने से पूर्व उसकी रूपरेखा सुनिश्चित की जाती है। कार्य से संबंधित समस्त आवश्यक शर्तो का अनुपालन उचित प्रकार हो एवं कार्य मे आने वाली बाधाओ पर विचार कर उनको दूर करने की प्रक्रिया भी रूपरेखा तैयार करते समय महत्वपूर्ण विचारणीय विषय होते हैं। कार्य के प्रारम्भ होने से कार्य के सम्पन्न होने तक के एक एक चरण पर पुनर्विचार करके रूपरेखा को अंतिम रूप देकर उस कार्य विशेष को सम्पन्न किया जाता है। इसी प्रकार संगणक द्वारा, उसकी क्षमता के अनुसार, वाँछित कार्य कतिरछे अक्षरराये जा सकते हैं। इसके लिये आवश्यकता है संगणक को एक निश्चित तकनीक व क्रम मे निर्देश दिये जाने की, ताकि संगणक द्वारा इन निर्देशों का अनुपालन कराकर वांछित कार्य को समपन्न किया जा सके। सामान्य बोलचाल की भाषा मे इसे क्रमानुदेशन या प्रोग्रामन या क्रमानुदेशन कहते हैं। सभी निर्देशों के समूह (सम्पूर्ण निर्देशावली) को प्रोग्राम कहा जाता है। .

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यहां पुनर्निर्देश करता है:

रैखिक प्रोग्रामन, रैखिक क्रमानुशीलन

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